नफ़रत-ए-इश्क - 21 Sony द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नफ़रत-ए-इश्क - 21

तपस्या विराट के यादों में खोई हुई रिमोट उठा कर म्यूजिक सिस्टम ऑन कर खुद को मिरर में देख आंखे बन्द कर लेती है। और उसी के हाल पर फिट बैठता हुआ एक गाना कमरे के हर कोने में गूंज ने लगी थी।

एक अजनबी सा एहसास दिल को सताए ,

शायद यही तो प्यार है।

बेताबियों में धड़कन मेरी चैन पाए

शायद यही तो प्यार है ।

कुछ भी कहा ना कुछ भी सुना नाफिर भी

बेचैन दिल है हमारा......,

गाना सुनते ही तपस्या अपनी आंखों खौल कर खुद को आईने में देखती है ।अपने बढ़ती धड़कनों को समेट कर वो बेड के तरफ चली जाती है ।रिमोट से कमरे का पूरा लाइट बंद कर ने के साथ साथ बस एक डीम लाइट ऑन कर वो अपने खुले सिल्की बालों को बेड पर फैला कर बेड पर बेसुद लेट जाती है। अपने दिल पर हाथ रख कर वो आंखें बंद कर लेती है । उसके होंठ खुद ब खुद ही बोल पड़ते हैं,

"विराट...

अचानक से उसे अपने चेहरे पर किसी की गर्म सासें महसूस होती है। अपने होठों के बिल्कुल करीब किसी के होठों के एहसास महसूस होते ही ह वो मदहोशी में अपने आंखें हल्के से खोलती है। विराट बस उससे 1 इंच की दूरी पर ही उसके पास लेट अपनी गहरी नीली आंखों से उसे देख रहा था। उसकी सासें और धड़कने और भी तेज हो जाती है।

बहके कदम है ,मुश्किल है हम हैं

......,समझे भला कैसे यारा,

चाहे बिना ही नजदीक हम चले आए

शायद यही तो प्यार है।

वो बहकी सी अपने ऊपर नीचे हो रही सांस और कांप ती आवाज में,

विराट ... आप?"

विराट उसके कांपते होठों पर अपनी उंगली रख उसके माथे को चूम ते हुए सरघोशी भरी आवाज में "यही तो चाहता था ना आप का दिल? के मेरे दिल के इतने करीब आए.... तो बस महसूस कीजिए इस पल को ।"

कहकर को बारी बारी उसके दोनों पलकों को चूम लेता है । तपस्या की मुट्ठियां कस जाति हैं। विराट उसके दोनों गालों को चूम लेता है । और ब्लू करते हुए उसके चेहरे से बिखरे बालों को हटाकर एक मुस्कुराहट के साथ उसपर झुकने लगता है।उसके  कानों के पास आकर तेज सांस और बहके आवाज में ,

" क्या मुझे खुद मैं महसूस करना चाहती हैं?"

तपस्या पुरी तरह से खुद पर से काबू खोते हुए बहकी आवाज में,

"हम्म्म"

विराट एक बहकि मुस्कान के साथ तपस्या के दोनों हाथों के उगलियों को अपने उगलियों में उलझा कर कसते हुए पुरी तरह से उस पर झुक कर उसके गर्दन पर अपने होंठ रख देता है। तपस्या तेज आहें भरने लगती है।

दूसरी और तेज़ गाड़ियों से भरी हुई सड़कों के बीचों बीच विराट अपने दिल और दिमाग के बीच उलझते  जा रहा था ।या फिर यूं कहें के 12 साल बाद तपस्या को अपने करीब लेकिन किसी और के साथ देख खुद को फिर से आजमाने निकला था ।

फिर से 12 साल पहले कि वो भीड़भाड़ सड़क सामने से तेज अति हुई गाड़ियां ,वही दर्द ,वही चोट । सब कुछ वैसा ही था। फिर से दिल और दिमाग के लड़ाई में उसका दिमाग कमजोर पड़ रहा था ।

सामने अति हुई गाड़ियों के ओर देखते हुए वो अपने दिल को कसकर अपने पंजों से भींच लेता है। और आंखें बंद किए आगे की ओर चलने लगा ।और जाने अनजाने ही उसके होठों पर एक दर्द और बेबसी भरी मुस्कान आजाती है।

वो मन ही मन बोला ,"ए दिल संभल जा जरा ,फिर मोहब्बत करने चला है तू।"

पर दिक्कत तो यही थी कि दिल कहां किसी के बस में होता है। वो तो बस अपनी ही सुनता है।

नजरे बिछा दे पहरे लगा दे दिल पेफिर भी.........

 दिल किसी की ना माने ।

कांटों पे चल के सोलों में जल के रोको.......,

मिलके रहेंगे दीवाने ।

चाहत के लॉ तो,आंधी में भी झिलमिल्लई

शायद यही तो प्यार है।

विराट आंखें बंद कीए आगे बढ़े जा रहा था ।उसकी बंद नजरों में बस तपस्या का मुस्कुराता हुआ चेहरा था। उसे ऐसा लग रहाथा जेसे तपस्या उसके बेबसी पर मुस्कुरा रही हो। वो गुस्से और दर्द से अपनी कदमों को और तेज किए अपने मुठिया कस लेता है ।

एक तेज दौड़ती हुई गाड़ी उसके तरफ बढ़ रही थी कि किसी ने उसे अपने और खींच लिया ।

"क्या पागलपन है ये विराट? अभी एक सेकंड की भी देरी हो जाती सीधे ऊपर पहुंच जाता तू ,समझा?"

जानवी उसे अपनी ओर खींच गुस्से से बोली। इतनी जोर से खींचने से विराट सीधे उसके सीने से जा टकराया।

जानवी को बाहों में भर के उसने धीरे से उसके कानों में बोला , "कहां यार...ये जो कमबख्त इश्क है नाहीं वो मुझे जीने देती है और ना तू मुझे मरने देती है।"

फिर जानवी के माथे से माथा जोड़ते हुए थके हुए आवाज में  "एक तू है के मरने नहीं देती ,और एक उनकी बेवफाई है की जीने नहीं देती।"

कहते हुए वो जानवी के कानों को हल्का चूम कर उसे खुद से दूर कर पलट कर जाने लगा।

जानवी उसके हाथ पकड़ कर सावलिया अंदाज में बोलि,

"अब क्या हुआ? क्या किया मेरी सौतन ने?"

विराट बिना उसके और मुड़े जुनुनियत से भरी आवाज में चलते हुए ही बोला,

"क्या तूने ऐसा इंसान देखा है जो जानबूझकर खुद को आग में धकेल सकता है, ये जानते हुए भी कि आखिर में ये आग उसे ही जला कर तबाह करने वाली है ???"

विराट ने कहा और वापस से खामोश चलता रहा।

जानवी एक व्यंग भरी मुस्कान लिए उसे पीछे से बांहों में भर लेती है । और उसे अपने बांहों के इर्दगिर्द कसते हुए शरारत भरी अंदाज में बोलि,

"दिखा है ना। एक तो मेरी बाहों में है। और दुसरी तेरे पीछे।"

कहते हुए वो मुस्कुराने लगी।

विराट के होठों पर भी एक थकी हुई मुस्कान थी।

एक ही झटके में वो जानवी के हाथों को खींचकर उसे अपने सामने खड़ा कर देता है। उसके कमर को बाहों में भरते हुए उसे गौर से देखने लगा । जानवी भी अपने बाहों को उसके गले में डाल देती है ।और हल्के दबे आवाज में बोली ,

"ऐसे मत देख वरना यही कुछ कर डालूंगी ।और तेरा छोटा भईया बोलेगा छिपकली हूं और तुझे दीवार समझ कर हर वक्त चढ़ती रहती हूं।"

कहते हुए जानवी मुस्कुरा देती है । विराट उसे गौर से देखते हुए ही मन ही मन बोला,

"काश इस दिल को तुझसे प्यार हुआ होता, काश मेरा दिल मेरे बस में होता, काश उनसे कभी मुलाकात ही नहीं हुई होती तो मेरे जिंदगी का रुख कहीं और होता।"

कहते हुए विराट रूक गया और गौर से जानवी के आंखों में देख रहा था। जानवी उसकी नजरों में देखकर अचानक मायूसी से उसके सीने से लग गई।

विराट ने उसे हल्के से थाम लिया और धीरे से हल्की आवाज में बोला,"क्या हुआ जान ?"

जानवी उसके सीने से लगी हुई आंखें बंद कर देती है । और कुछ नहीं बोलती।

"तबीयत तो ठीक है ना?"इस बार पूछते हुए विराट की आवाज में थोड़ी परेशानी थी। फिरभी वो कुछ नहीं बोली। विराट चिढ़ ते हुए उसे खुद से अलग कर गुस्से से पूछा ,"सुना नहीं, कुछ पूछा है मैंने ? तू ठीक है ना ?"

उसे चिढ़ ते हुए देख कर जानवी मुस्कुरा देती है।

"पागल हो गई है क्या ?"विराट उसे घूर ने लगा। जानवी उसे इतना गुस्से में देख उसके गाल पर हाथ रखकर बोली

"थोड़ा और कंसर्न दिखा ना ।थोड़ी देर और गुस्सा करेगा तो शायद कंसर्न के साथ-साथ प्यार भी दिख जाए मेरे लिए इन आंखों में ...जो उस केलिए दिखता है। चाहे वो जितना भी दर्द दे तुझे ...फीरभी प्यार बस उसके लिए ही दिखता है तेरी आंखों में ।"

बोलते बोलते ही जानवी की आंखें नम हो चली थी।

उसकी बात सुनकर विराट उसे एक झटके में खुद से दूर करत गुस्से से बोला ,

"तू फिर से शुरू हो गई ?"

जानवी अपनी आंखों की नमी आंखों में ही जप्त कर बोली....."तो क्या करूं मैं जब भी तेरी आंखों में देखती हूं वही दिखती है । इग्नोर करना भी चाहूं तो कर नहीं पाती ।"

बोल कर वो खामोश हो गई । विराट गुस्से से उसे वापस से अपनी ओर खींचते हुए उसकी आंखों के गहराई से देखते हुए दांत पीसते हुए बोला ,

"तो गौर से देखना इन आंखों में , जिसमे बेशक वो दिखती हैं,लेकिन प्यार नहीं नफरत में लिपटी हुई । खत्म करने की जुनून है इन आंखों में उन्हें भी उनके एहसास को भी और उनके लिए जो प्यार है उसे भी। और उनके हाथों उनके पूरे खानदान को भी ,जैसे उन्होंने मेरे हाथों से मेरे घर को तबाह

गुस्से नफरत और दर्द में कहते-कहते वो रुक गया  था जैसे कुछ ऐसा बोल दिया जो उसे बोलना नहीं था और जानवी को खुद से दूर धकेल कर जाने लगा ।

जानवी  उसके पीछे भागते हुए......"काया!!!क्या बोला तूने अभी-अभी ?"

विराट चलते-चलते....."कुछ नहीं ।"

जानवी उसके पीछे और तेज भागते हुए ....."कुछ तो बोला तूने अभी । के उसकी वजह से अपने हाथों से अपने ही घर को क्या किया तूने ?"

विराट रुककर पीछे मुड़ता है और जानवी को खींचकर अपने करीब कर गुस्से से और सर्द आवाज में ,दांत पीसते हुए बोला,

"कुछ ज्यादा ही नहीं घुस रही है तू मेरी जिंदगी में? माना 12 साल पहले मेरी जान बचा कर मेरे सासों पर अपना हक जमा लिया...माना मेरी सांसों पर तेरा हक है  लेकिन उसे चलाना या ना चलाना तेरी मर्जी  है। बस  खुद को कुछ और समझने की कोशिश मत कर।  लीव मि अलोन।"

कहकर उसने जानवी को खुद से दूर धकेला। और पलट कर जाने लगा।"नहीं तो क्या करेगा ?"

जानवी बोलकर उसे रोकते हुए उसके कन्धे पर हाथ रख देती है। विराट गुस्से से मुडकर वापस से उसे दिखने लगा।

"घूर क्या रहा है ?मार डालेगा क्या ?"कह कर जानवी उसके करीब चली गई।

"वैसे भी तो मर चूकी हुं।मार ही चुका है अपने प्यार में ।चल अब ये सांसें भी ले ले ।"

कहकर अपने होठों को उसके होठों के करीब कर मुस्कुराने लगी।

"सराब मेने पी रखी है। और नशा तुझपे चढ़ रहा है ।"

विराट ने उसके और देखते हुए कहा ।

"ये थोड़े ही शराब का नशा है , ये तो तेरे प्यार का नशा है।जानवी ने अपनी अदा बिखेर ते हुए कहा ।

विराट उसे खाली नजरों से कुछ पल देखता रहा । और उस पर से नजर हटा कर चलने लगा ।

जानवी भी उसके कंधे को पड़कर उसके साथ-साथ चलने लगी।

जानवी चलते-चलते सतारत से,

"सिगरेट है क्या ?"

विराट उसपर एक सर्द नजर डालकर..."शट अप। डॉक्टर ने कहा है जब तक मेडिसिंस चल रही है सिगरेट और शराब बिल्कुल बंद ।"

"दिस इज नॉट फेयर ।"

जानवी ने चीड़ ते हुए कहा ।

"अब ये तो स्लीपिंग पिल्स खाने से पहले सोचना चाहिए था।"

विराट ने बिना किसी भाव के कहा और उसे साइड हग करके कदम के रफ्तार बढ़ा देता है।

"क्या कभी प्यार कर पाएगा मुझसे???"जानवी धीमी आवाज में बोली थी।

"नहीं..... इस दिल को उनके एहसास से आजाद होने की इजाजत नहीं है।"विराट बेख्याली में बोला।

"मुझे उसमें कुछ भी खाश तो नजर नहीं आता है... तुझे पता नहीं उसमें क्या खाश नजर आया के पागल हो गया है उस केलिए। में यहां तेरे इश्क में जान ले भी सकती हूं और जान दे भी सकती हूं.. लेकिन तुझे तो कद्र ही नहीं" जानवी जलन से भरी हुई सी बोली..  विराट के सामने तपस्या केलिए नफरत वो अंदर ही जप्त करने की कोशिश कर लेती थी। विराट के सामने  उसे अपने अच्छे साइड को  दिखाना अच्छे से आता था।

"जान लेने देने की आजमाइश पुरानी हो गई है इश्क में यार ...इश्क तो वहां परवान चढ़ता है जहां सुकून बसता है। मुकम्मल हो न हो किसे परवाह है .....

विराट सनक भरी आवाज और अंदाज लिए कहा और मुस्कुरादिया फिर थोड़े ही देर में वो मुस्कान गायब भी हो गई थी।



कहानी आगे जारी है ❤️❤️ कृपया रिव्यू कमेंट शेयर कर ते रहें 🙏❤️❤️