नफ़रत-ए-इश्क - 2 Sony द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

नफ़रत-ए-इश्क - 2

विराट की नजर कमरे के एक कोने में रखें कैनवस स्टैंड पर पड़ती है। वो स्केच उठाकर उस कैनवास पर कुछ ड्रॉ करने लगता है ।और थोड़ी ही देर में उस कोरे कागज पर एक लड़की की बेहद खूबसूरत तस्वीर थी ।बेदाग खुबसूरत मासूम सा चेहरा, घने पलकों से ढकी हुई गहरी आंखे, चेहरे पर बिखरी हुई कुछ लटें उसकी खूबसूरती पर चार चांद लगारही थीं। और पेंटिंग के नीचे लिखा हुआ था प्रिंसेस। कुछ पल केलिए विराट उस पेंटिंग को अपनी सनक भरी  गहरी नजरों से निहारने लगता है ।उस पेंटिंग के बेहद करीब जाकर अपने उंगलियों से उसके चेहरे की हर एक हिस्से को छू कर महसूस करने लगता है। मदहोशी और दीवानगी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी।


विराट उस तस्वीर के होठों पर अपने होंठ रखकर आंखें बंद करके कशिश और सनक भरी आवाज में बोला,

"मेरे शायरी के पिटारे से आज का आप का हिस्सा प्रिंसेस

अर्ज किया है....जमाने गुजर गए हैं देखे तूझे,फिर भी चाहत नहीं बदली।वो जिद्द नहीं बदली,वो आदत नहीं बदली।पहले दीवानगी थी तेरे राहों में फूल बिछाने की,अब जुनून है बस तेरी शख्सियत मिटाने की"


कहते हुए ही उसके होठों पर एक डेविल स्माइल पहल जाती है ।और बार के सेल्फ से एक शराब की बोतल निकाल कर एक ही घूंट में आधा बोतल खत्म कर देता है। बाकी आधा उस तस्वीर के ऊपर छिड़क कर बोतल फर्श पर फेंक देता है। उस तसबीर के करीब जाकर मुंह में दबे हुए आधे जले सिगरेट को मुं में ही दबाए उस तस्वीर के होठों पर छू लेता है ।और इसी के साथ ही पल भर में पूरी पेंटिंग आग में झुलस जाती है।उस तस्वीर को आग के लपटों में झुलसा कर विराट नफरत भरी निगाहों से आग के लपटों को देखने लगता है ।और दूसरे ही पल जलती हुई पेंटिंग से नजर फेर कर बेड पर सोई हुई लड़की के और डाल देता है ।जो एक टक विराट को ही मदहोशी भरे निगाहों से देख रही थी। नाहीं उस लड़की को उन आग के लपटों से कोई फर्क पड़ रहा था ,और नाही विराट के नफरत भरी निगाहों से ।विराट उस लड़की के बेहद करीब आकर उसके ऊपर झुकते हुए सनक भरी आवाज में ,"Kiss me Jaan(जानवी आहूजा)...."जानवी उसके करीब आते हुए नशीली अंदाज में ,



अर्ज किया है ..."इन लबों को तेरे लबों से लिपटने की चाहत हैइन बाहों में तेरे बिखर जाने की चाहत हैहद ए मोहम्मद जुनून के पार करकेआज तुझे अपना बनाने की चाहत है।"


बहकी अदाओं से बोल कर जानवी उठ कर विराट के होठों पर अपना होंठ रख देती है ।और उसे पैशनेटली किस करने लगती है। विराट जानवी को टाइटली अपनी बाहों में उठाकर उसी पैशन के साथ उसका साथ देने लगा ।उसके हाथ उसके शर्ट के बटन को धीरे-धीरे खोलने लगती है । जानवी एक ही झटके में विराट को बेड पर गिरा देती है ।और खुद उसके ऊपर जाकर उसके गर्दन और चेहरे को बेतहाशा चूम ने लगती है। जानवी विराट के पैशन के आगे मदहोश हुए उसके बालों में उंगलियां चला कर उसके चेहरे को अपने चेहरे पर दबाकर सिसकियों से भरी आवाज में बोलती है ,"यू आर ओनली माइन विराट, यू नो इट ना..?"


विराट उसके गर्दन को पागलों की तरह चूम ता है। उसके शर्ट को उसके बॉडी से निकाल कर, एक ही झटके में उसे पीठ के बल लाकर उसके पीठ को चूमते हुए पैशनेटली कहता है ,"यस जान आई नो आई एम ओनली योर्स।"विराट के मुंह से ये सुनकर जानवी अपने चेहरे पर एक मदहोशी भरी मुस्कान लिए उसके और पलट कर उसके चेहरे पर अपनी उंगलियां फैसला कर सीने तक लाते हुए दिल के हिस्से पर टैप कर सरघोशी भरे आवाज में,"Then prove it.


"विराट गहरी सांस लेते हुए जानवी को दोनों हाथों को बेड पर सटाकर उस पर अपनी उंगलियां उलझा कर दबाते हुए बोला,"मैं तुम्हारा हूं जान ,सिर्फ तुम्हारा ।"विराट ने कहा और खुद को उसमें समा लिया। जानवी हल्की आह के साथ मदहोशी भरे सिसकियां लेते हुए बहके अंदाज में,"आज भी और हमेशा के लिए ,तुझे अपने अंदर महसूस करना बस मेरा हक है । ये हक तु किसी और को कभी नहीं दे सकता ।"कहते हुए वो विराट के ऊपर अपना दबाव और भी कस देती है ।



विराट नफरत ,दर्द, जूनून और पागलपन के मिले-जुले आवाज में और भी वाइल्ड होकर उसके नेकेड बॉडी को अपने बॉडी से कस ते हुए उससे लिपटकर खुद को और उसे यकीन  दिलाते हुए बोलने लगा,"मैं बस तुम्हारा हूं ,दिल से दिमाग से शरीर से और आत्मा से भी।"कुछ पल में दोनों पसीने से लतपत गहरी सांस लिए एक दूसरे को देखते हुए, एक दूसरे के बगल में लेट जाते हैं । वो लड़की एक सुकून भरी स्माइल के साथ, विराट को अपनी बाहों में भरकर आंखें बंद कर लेती है।



वहीं विराट की नजर खुद ब खुद ही जाते हुए जली हुई कैनवास के ऊपर ठहर जाती है। और उसकी आंखों के आगे एक धुंधली सी तस्वीर झलक जाती है। लिकिन दूसरे ही पल वो उस तस्वीर को अपने जहन से झटक कर दर्द और नफरत भरी दबे लफ्जों में कहने लगा,"गजब सा जहर है तेरी यादों में,के हर एक पल गुजरता है यूं ही मरते मरते।


बोलते हुए ही उसके होठों में एक दर्द भरी मुस्कान आ जाती है ।बाहों में सोई हुई जानवी के ऊपर वो एक नजर डालकर एक गहरी सांस लिए उसके गर्दन में अपना चेहरा छुपा लेता है।


सुबह का वक्त मुंबई, रायचंद हाउस


रायचंद निवास मुंबई का जाना माना सबसे आलीशान और रॉयल बंगलो में से एक था । बंगलो के बाहर दूर-दूर तक बस खूबसूरत और रेयर दिखने वाली प्लांट्स और फूलों के गार्डन से भरे हुए थे । घर के अन्दर सारे नौकर यहां वहां भागते दौड़ते काम करने में बिजी थे।लगभग 55 साल की एक औरत किचन के तरफ़ आते हुए, काम कर रही 65 साल की एक औरत को देख कर बोलि,"सावित्री अम्मा, मूंग दाल का हलवा बन गया है ना? आप को तो पता है ना तपस्या को बचपन में आप के हाथ का बनाया मूंग दाल का हलवा कितना पसंद होता था ।"(ये हैं चित्रा रायचंद, रायचंद खानदान की बड़ी बहु और तपस्या रायचंद की मां। तपस्या आज पुरे 12 साल के बाद लंदन से इंडिया आ रही थी। और रायचंद हाऊस में उसी की ही तयारी चल रही है।)साबित्री अम्मा जो पिछले 40 सालों से रायचंद हाऊस में काम कर रही थी मुस्कुराते हुए बोली ,"बड़ी बहु ये आप सुबह से 15 बार पुछ चुकी हैं। और में आप को उतनी ही बार बता भी चुकी हुं के तपस्या बिटिया के पसंद का सारा खाना बन चूका है। अभि आप शांत रहिए।""शांत और दीदी रहेंगी? कैसी बात कर रही हैं आप सावित्री अम्मा?"आवाज सुनकर चित्रा जी मुस्कुराकर पीछे मुड़कर देखती हैं। लगभग 45 साल की एक औरत बोलते हुए किचन के अन्दर ही आ रही थी।(ये हैं सरगम रायचंद, रायचंद खानदान की छोटी बहू )। सरगम चित्रा जी के और चल कर आई और एक ज्यूस का ग्लास उनके और बढ़ा कर बोलि,"पिछले दो दिनों से बीना खुद के और ध्यान दिए बस तयारी में ही लगे हुए हैं। इसलिए ज्यूस पी लीजिए और थोडा सांस लीजिए।"कहकर सरगम खुद खाने की तयारी देख ने लगी।चित्रा जी एक नजर सरगम के तरफ डाल कर थोडा दर्द भरें आवाज में बोलि,"तुम नहीं समझोगी सरगम।12 साल तक अपने अन्दर की ममता को दबा कर रखा था। अब 12 सेकंड भी सब्र नहीं हो राहा।"फिर थोड़े नम आंखों और भरे गले से बोले,"अब वो आयेगी भी तो कितने दिन लाड जता पाऊंगी,10 दिन बाद फिर हमेशा केलिए जो ससुराल चली जाएंगी।"उनकी बात सुनकर सरगम उनका हाथ पकड़ कर किचन से बाहर लाती है। और इधर उधर नजर डाल कर दबे लफ्जों बोली,"तो दीदी आप हिटलर रायचंद जी से कहे क्यों नहीं देती के तपस्या की शादी 8 या 10 महीने बाद ही करे। कहां तपस्या की उमर भागी जा रही है ,या उसका दुल्हा भागा जा रहा है।"सरगम ने कहा और मुस्कुरा कर चित्रा जी को देख ने लगी।चित्रा जी उनकी बात सुनकर हड़बड़ाते हुए पुरे हल में नजर घुमाते हुए बोले,"धिरे पगली, अगर कहीं हिटलर,बोल कर वो रूक गई और अपना जीभ काट ते हुए बोले,"I mean, अगर पापा जी तुम्हारी बात सुन लेंगे तो पता है ना क्या होगा?""ज़्यादा कुछ नहीं आप दोनों का कोर्ट मार्शल हो जाएगा।"आवाज सुनकर दोनों ने मुड़कर सीढ़ियों के तरफ दिखा।34  - 35 साल का सक्स मुस्कुराते हुए उनके तरफ ही आ राहा था।"अभय, आप ने हमे डरा ही दिया।"उस सक्स को देख कर , सरगम दिल पर हाथ रख, गहरी सांस लेते हुए बोले।(अभय रायचंद चित्रा रायचंद के बेटे और तपस्या के बड़े भाई ।6 फीट हाइट, गेहूंया रंग, मस्कुलर बॉडी, देखने में काफ़ी अट्रैक्टिव)सरगम की हालत देख कर अभय मुसकुराते हुए,"Good morning मां,good morning चाची"बोलकर वो दोनों के पैर छू कर साइड में पड़े सोफे पर बैठ जाता है।"चाची एक कॉफी"अभय सरारति ढंग से मुस्कुराएं सरगम जी के तरफ देख बोला।सरगम जी उसके कान खिंच कर,"डरा दिया आप ने तो हमे।"लडखड़ाते आवाज से कहकर अपने सीने को रब करते हुए किचन के अन्दर चले गए।चित्रा जी उसके पास बैठ कर एक्साइटमेंट में,"आप अभि जायेंगे ना तपस्या को एयरपोर्ट से लाने?""जी मां। अभि 10 मिनिट में निकलेंगे हम।"अभय उनके तरफ देख मुसकुराते हुए बोला।"क्यों 10 मिनिट पहले जाकर एयरपोर्ट पर वेट कर लेंगे तो कुछ प्रोब्लम है क्या? क्यों के हम नही चाहते के प्रिंसेस के आने की खबर उनके वेलकम पार्टी से पहले किसको भी पता चले।"यशबर्धन जी की सर्द आवाज अभय के कानों में पड़ी तो उसने कस कर अपनी आंखें मूंज ली। और हाथों की मुट्ठियां बनाकर गुस्सा कंट्रोल करने लगा।चित्रा जी उठ कर खडी हो गईं ।और सिर पर पल्लू ठीक करते हुए बोली,"गुड मॉर्निंग पापा जी।"चित्रा जी के गुड मॉर्निंग विश को पुरी तरह से इग्नोर करते हुए यशवर्धन जी अभय के पास आकर खड़े हो गए।(77 साल के यशबर्धान रायचंद दिखने में ज्यादा से ज़्यादा 55 या 60 साल के ही लग रहे थे। चेहरे पर गुरुर और तेज़ समय के साथ घट में के बजे बढ़ता ही जा राहा था। सिर्फ ऑफ़िस ही नहीं बल्के घर में भी उनके मर्जी के बगैर एक पत्ता तक को हिल ने की इज्जाजत नहीं थी।)अभय यशवर्धन जी को अपने सामने देख कर खुद सोफे से उठकर खडा हो गया। और बीना उनके तरफ देख अदब के साथ उनके बातों का जवाब देते हुए बोला,"आप कहते तो हम कल रात से एयरपोर्ट पर बैठ जाते। लिकिन उससे फायदा कुछ नहीं होता। क्यों के कमसे कम प्लेन की अराइवल और डिपेचर यशवर्धन रायचंद के इज्जाजत का महताज नहीं हे, वो अपने सेड्युल के हिसाब से ही चलती है।"बोलकर उसने बेफिक्र भरे नजर से यशवर्धन जी के तरफ दिखा और,"मां हम चलते हैं।" बोल कर वहां से चला गया।सरगम पीछे से आवाज देते हुए,"अरे अभय आप की कॉफी।"अभय बीना किसिके तरफ देखे चलते हुए ही,"दादू को पिला दीजिए चाची। लोगों के टॉर्चर करने केलिए पुरे दीन बहत एनर्जी कि ज़रूरत पढ़ती है।"यशबर्धम जी कुछ पल गुस्से से उसे जाते हुए देखते रहे। फिर चित्रा जी के ओर देख गुस्से से बोले,"कुछ ज़्यादा ही बत्तमीज हो गए हैं आप के बेटे।। थोडा तमीज सिखा दीजिए बड़ी बहु।"कहकर बीना चित्रा जी के जवाब का इंतजार किए वो सीढ़ियों का रुख किए अपने कमरे के और चले गए।

             

   To be continued ❤️

कौन हे जानवी आहूजा और क्या रिश्ता है विराट का उससे?आखिर क्या वजह हे यशबर्द्धन और अभय के बीच की बेरुखी की??जानने केलिए पढ़ना जारी रखें।

प्लीज पढ़ कर कमेंट और रेटिंग देना न भूलें आप के रिव्यूज मुझे कहानी आगे लिखने में मदद करेंगे ❤️❤️