इश्क दा मारा - 45 shama parveen द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क दा मारा - 45

यूवी गीतिका का हाथ पकड़ कर ले जा रहा होता है तभी गीतिका बोलती है, "तुम मुझे कहा ले जा रहे हो"।

तब यूवी बोलता है, "तुम थोड़ा देर चुप नहीं रह सकती हो क्या"।

तब गीतिका बोलती है, "नहीं "।

तब यूवी बोलता है, "तो ठीक है तुम बोलती रहो, वैसे भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है "।

तब गीतिका बोलती है, "मेरे पैर में दर्द हो रहा है, मुझ से नहीं चला रहा है "।

तब यूवी बोलता है, "तो क्या तुम्हे गोद में दोबारा उठा लू "।

तब गीतिका बोलती है, "बकवास बंद करो और मेरा हाथ छोड़ो "।

यूवी कुछ ही नहीं सुनता है और उसे हॉल के पीछे ले जा कर खड़ा कर देता है।

तब गीतिका डरते डरते बोलती है, "तुम मुझे यहां पर क्यों लाए हो ????

उसके बाद यूवी गुस्से से गीतिका की आंखों में देखता है और उसका हाथ पकड़ता है और उसे बाहर की तरफ देखने को बोलता है"।

तब गीतिका बोलती है, "किसे देखू मैं "।

तब यूवी बोलता है, "ये जो चारों तरफ लोग देख रही हो न, पता है ये सब कौन है"।

तब गीतिका बोलती है, "मुझे क्या पता कौन है "।

तब यूवी गुस्से में बोलता है, "ये सब उसी के गुंडे हैं जिनसे मैने तुम्हे उस दिन बचाया था"।

तब गीतिका यूवी की तरफ देखती है और बोलती है, "तो फिर ये लोग यहां पर क्या कर रहे हैं "।

तब यूवी बोलता है, "ये सब मुझे ढूंढ रहे हैं, और ये सब जो कुछ भी हो रहा है तुम्हारी वजह से ही हो रहा है, न तुम मुझे उस दिन मिलती, और न ही मैं उसे पीटता और न ही ये मेरे गांव में मेरा पीछा करते, और अगर तुम्हारी वजह से मेरे घर के किसी भी इंसान को जरा सी भी खरोच भी आई, तो तुम देखना की मैं क्या करूंगा "।

तब गीतिका गुस्से से यूवी की तरफ देखती है और बोलती है, "मैने क्या उस दिन तुम्हे बोला था, मेरी हेल्प करो, काश उस दिन तुम मेरी हेल्प न करते,और जो मेरे साथ हो रहा था होने देते, तो आज मुझे अपना घर छोड़ कर यहां इस गांव में न आना पड़ता "।

तब यूवी बोलता है, "ओह तो तुम बोल रही हो कि मैने तुम्हारी हेल्प करके गलत किया है , कैसी इंसान हो, एक तो तुम्हारी वजह से मैने गोली खाई, और हॉस्पिटल पहुंच गया, और तो और अपने गांव तक को खतरे में डाल दिया"।

तब गीतिका बोलती है, "तुम्हारी उस एक हेल्प की वजह से मेरी जिंदगी बर्बाद हुई है, मेरा सब कुछ छीन गया, और इतना ही पछतावा हो रहा है अगर मेरी हेल्प करके, तो भेज दो मुझे इन गुंडों के साथ उसके पास, ताकि तुम्हे भी तुम्हारी गलती सुधारने का मौका मिल जाय"।

ये बोल कर गीतिका गुस्से में वहां से उन गुंडों के पास जा रही होती है ।

तभी यूवी गीतिका का भाई पकड़ लेता है लेता है और बोलता है, "तुम पागल हो गई हो क्या"।

गीतिका बहुत ही गुस्से में होती है और बोलती है, "हाथ छोड़ो मेरा"।

यूवी गीतिका का हाथ नहीं छोड़ता है।

तब गीतिका बोलती है, "मैं कह रही हूं हाथ छोड़ो मेरा, वरना मैं तुम्हे थप्पड़ मारूंगी, और चिल्ला चिल्ला कर सबको बुला लूंगी "।

तब यूवी बोलता है, "तुम धमकी दे रही हो मुझे "।

तब गीतिका चिल्ला कर बोलती है, "मेरा हाथ छोड़ो"।

उसके बाद यूवी गीतिका का हाथ और जोरो की पकड़ता है और अपनी तरफ खींच कर बोलता है, "तुम सच में मुझे धमकी दे रही हो, वैसे लोगों को बुला कर तुम क्या बोलोगी"।

गीतिका की आंखों में आंसू होते हैं। जिन्हें देख कर यूवी बोलता है, "तुम रो क्यों रही हों, वैसे तुम तो रुलाने वालो में से हो "।

तब गीतिका रोते हुए बोलती है, "मेरा हाथ छोड़ो "।

तब यूवी बोलता है, "कितनी जिद्दी हो तुम"।

तब गीतिका बोलती है, "मेरा हाथ छोड़ो"।

तब यूवी बोलता है, "नहीं छोडूंगा मैं तुम्हारा हाथ, जाओ जिसे बुलाना है बुला लो"।

तभी वहां पर बंटी आ जाता है और यूवी को देख कर बोलता है, "तू क्या कर रहा है और तूने इसका हाथ क्यों पकड़ रखा है "।

तब यूवी बोलता है, "कुछ काम है तुझे "।

तब बंटी बोलता है, "नहीं ......

तब यूवी बोलता है, "अच्छा ठीक है तो फिर जा अभी यहां से"।

उसके बाद बंटी चला जाता है। यूवी गीतिका की आंखों से आंसू पोछता है और बोलता है, "बंद करो अब रोना, और अपना मूड ठीक करो"।

तब गीतिका बोलती है, "मेरा हाथ छोड़ो "।

तब यूवी बोलता है, "सॉरी....

तभी वहां पर किसी के आने की आवाज आती है तो यूवी गीतिका का हाथ छोड़ देता है। ओर गीतिका वहां से चली जाती है.........