दोस्तों, मदद मीठी होती हैं. Piyush Goel द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दोस्तों, मदद मीठी होती हैं.

मेरे एक मित्र हैं जिनका नाम पीयूष गोयल हैं जो करीब ५७ साल के हैं,मेरी उम्र करीब ३५ साल की हैं, मैं अक्सर पीयूष जी के पास १-२ घंटे जरूर बैठता हूँ,मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं, कई बार पीयूष जी मुझे अपने बड़े- बड़े आयोजनों में ले जाते हैं,मैं अक्सर उनके साथ इस लिए जाता हूँ, मुझे खाने का बहुत शौक हैं,मैं जब भी गया बड़े बड़े अच्छे लोगों से मिला और स्वादिष्ट खाने का आनंद भी लिया. मैं इंश्योरेंस इंडस्ट्री में काम करता हूँ, एक दिन पीयूष जी के साथ बैठा हुआ था मैं उनसे बोला आजकल आप ख़ाली हैं, आप काम करना चाहोगे आपके लिए काम हैं, पीयूष जी ने हाँ कर दी, तीन दिन की ट्रेनिंग के बाद एक परीक्षा पास की और वो इन्शुरन्स एडवाइज़र बन गए. एक दिन शाम को घर बापिस के लिए जैसे ही इलेक्ट्रॉनिक सिटी मेट्रो स्टेशन से लाल कुआं के लिए थ्री व्हीलर में बैठे, करीब ७-८ बजे का समय रहा होगा,एक १०-११ साल की बेटी पेन बेच रही थी, थ्री व्हीलर के पास खड़े होकर बोली साहेब रात बहुत हो गई हैं ये ही बचे हैं ले लो ना साहेब १०० रुपये के हैं साहेब ले लो ना साहेब,पीयूष जी में १०० रुपये जेब से निकाले और वो पेन का पैकेट ले लिया, तभी एक और तुरंत आ गई, साहेब आपने उसके तो ले लिए मेरे पेन भी ले लो बस ये ही बचे हैं,पीयूष जी ने उसके पैकेट को भी १०० रुपये में ख़रीद लिया,मैं बोला पीयूष जी आपने २०० रुपये यूँ ही दे दिए आप भी कुछ नहीं, क्या होगा २०-२२ पेनों का मैं पूरे रास्ते यही कहता रहा. पीयूष जी बोले मैंने २०० रुपये में पेन नहीं खरीदे मैनें २०० रुपये में एक ऐसी अदृश्य चीज ख़रीदी हैं जो सिर्फ़ भगवान को पता हैं,पता नहीं कहाँ काम आ जाये ये तो वक्त बताएगा, मैंने तो सिर्फ़ वो काम किया जो मेरे मन और मस्तिष्क ने कहा, आगे भगवान की मर्जी और इन २०-२२ पेनों को ज़रूरत बंद बच्चों को बाट दूँगा. मैं पीयूष जी से बोला वाह क्या बात हैं उधर भी मदद कर दी और इधर भी यानी २० से २२ की आपने मदद कर दी, बात करते-करते पता नहीं कब घर का रास्ता गुज़र गया. पीयूष जी को घर पर छोड़ते हुए मैंने पीयूष जी के पैर पकड़े और बोला,सर “मदद मीठी होती हैं”,मुझे भी आपसे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा हैं, और जब ये बात मैंने मम्मी को बताई,उन्होंने भी मुझे ये ही कहा,सीख के कुछ हमेशा स्वादिष्ट भोजन के चक्कर में मत रहा कर.      लेखक परिचय:पीयूष गोयल दर्पण छवि के लेखक,पीयूष गोयल 18 पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुके हैं,सबसे पहली पुस्तक( ग्रन्थ) "श्री भगवद्गीता"के सभी 18 अध्याय 700 श्लोक हिंदी व् इंग्लिश दोनों भाषाओं में लिखा हैं इसके अलावा पीयूष ने हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखित पुस्तक "मधुशाला"को सुई से लिखा हैं ,और ये दुनिया की पहली पुस्तक हैं जो सुई से व् दर्पण छवि में लिखी गई हैं इसके बाद रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की पुस्तक "गीतांजलि"( जिसके लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को सन 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था) को मेहंदी कोन से लिखा हैं. पीयूष ने विष्णु शर्मा जी की पुस्तक "पंचतंत्र"को कार्बन पेपर से लिखा .अटल जी की पुस्तक "मेरी इक्यावन कवितायेँ"को मैजिक शीट पर लकड़ी के पैन से लिखा और अपनी लिखित पुस्तक "पीयूष वाणी" को फैब्रिक कोन लाइनर से लिखा हैं सं 2003 से 2024 तक 18 पुस्तके लिख चुके हैं.