अब आगे,
उस आदमी की बात सुनकर अब रूही ने उनसे कहा, "क्यूंकि रेहान आपकी बहु के अच्छे दोस्त होने के साथ साथ उनके बड़े भाई जैसे भी हैं और पूनम जी ने अपनी इकलौती बेटी का रिश्ता करने से पहले उनके मुंह बोले भाई को नहीं बताया जिससे ये इनसे नाराज हो गए हैं और अब ये अपनी मुंह बोली बहन की शादी अटेंड करना नहीं चाहते हैं और आप तो जानते ही है कि एक बहन की शादी में भाई का मौजूद होना भी कितने सौभाग्य की बात होती हैं और इसलिए ही पूनम जी इनसे माफी मांग रही थी..!"
रूही की बात सुनकर अब उस आदमी ने रूही पूछा, "अच्छा, वो सब तो ठीक है मगर तुम पूनम जी और इस लड़के के बारे में कैसे जानती हो ये बताओ मुझे..?"
उस आदमी की बात सुनकर रूही को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अब उसको क्या बोलना चाहिए और वही रेहान और पूनम जी रूही को ही हैरानी से देखे जा रहे थे कि उसने क्या सोचकर उस आदमी को ये सब बोल दिया था..!
रूही के जवाब न देने पर वो आदमी कुछ बोलने ही वाले थे कि वहा उनका फोन रिंग करने लगा और अब उन्होंने रूही से कुछ बोलने की बजाए अब अपनी पेंट की जेब से अपना फोन निकल लिया और उस में शो हो रहे नंबर को देखते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई और अब उन्होंने उस कॉल को रिसीव कर लिया तो दूसरी तरफ से आवाज आई, "पापा, हमें इस मॉल के कौन सी दुकान में आना है..!"
अपने बेटे जितेंद की आवाज सुनकर अब उस आदमी ने कहा, "इस मॉल की मोस्ट एक्सपेंसिव कपड़ों की शॉप पर आ जाओ और मेरी बहु से कहना कि मैं उसको किसी से मिलवाना चाहता हु..!"
अपनी बात कहकर अब उस आदमी ने अपने बेटे का कॉल कट कर दिया और फिर से रूही को देखने लगा..!
वही दूसरी तरफ, सिंघानिया विला, बनारस में ही,
राहुल ने गुस्से में कहा ही था कि अब राजवीर ने अपने गुस्से में अपनी लाइसेंस गन को निकल लिया और साथ में उसको लोडेड कर के राघव के ऊपर तान दिया..!
जिसको देखकर गोपाल जी, राहुल और मुखिया जी के होश ही उड़ गए उनको तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि अब वो क्या रिएक्ट करे क्योंकि ये सब बहुत ही अचानक से हो गया था..!
राजवीर के गुस्से को देखते हुए अब दीप ने जल्दी से आकाश को मैसेज कर दिया और उसमें लिखा, "जल्दी से अभय सर को लेकर मीटिंग हॉल में आ जाओ नहीं तो यहां कुछ भी हो सकता है..!"
और अब राजवीर ने अपने गुस्से से देखते हुए राघव से कहा, "आवाज नीचे शायद तुम भूल रहे हो कि तुम मेरे विला में मौजूद हो और मेरे ही सामने तुम मुझसे ऐसे बात करोगे और मै तुम्हे जिंदा छोड़ दूंगा ये तुमने सोच भी केसे लिया..!"
राजवीर की बात सुनते ही अब गोपाल जी भागते हुए राजवीर के पैरो में गिर गए और उन्होंने गिड़गिड़ाते हुए उससे कहा, "मारे छोरे नू माफ कर दो, मा थारे सामने हाथ जोड़ता हु..!"
गोपाल जी की बात सुनकर अब राजवीर थोड़ा पीछे हो गया और अब राजवीर कुछ बोलता उससे पहले ही उस मीटिंग हॉल में करीब दो लोग दाखिल हुए और अब सब उन दोनों को ही देख रहे थे..!
मगर उनमें से एक की नजर राजवीर से होते हुए उसके हाथ में पकड़ी हुई गन से लेकर गोपाल जी और राघव पर पड़ी जिस को देखने के बाद उसके चेहरे पर हल्की से मुस्कान आ गई और जल्दी चली भी गई..!
मगर उन दोनों शख्स में से दूसरे आदमी की नजर राजवीर की गन पर गई जिसको देखकर उसके शरीर में एक डर की लहर दौड़ गई और वो झट से मुखिया जी के पास जाकर खड़ा हो गया और मुखिया जी के पास पहुंच कर उसने वहां खड़े शक्श को आवाज देते हुए कहा, "सरपंच जी इधर आ जाइए..!"
प्रधान जी की बात सुनकर भी सरपंच जी उस तरफ नहीं गए बल्कि वो तो राजवीर की तरफ बढ़ने लगे तो मुखिया जी ने अपने आप में बोलते हुए कहा, "ये कभी किसी की सुनते क्यों नहीं है बस अपने मन की करवा लो इनसे..!"
सरपंच जी को राजवीर की तरफ जाते हुए और मुखिया जी की बात सुनकर अपने मन में कहा, "लगता है ये अपने उस प्लान को पूरा करने जा रहे है..!"
अपने पिता को राजवीर के पास जमीन पर बैठा देख कर अब राघव ने उनसे कहा, "बापू सा आप क्यों नीचे बैठ गए हो और वैसे भी ये राजवीर कुछ कर नहीं सकता है बस हम लोगों को डर धमकाकर हमारी जमीन हड़पना चाहता है..!"
अपनी बात कहते हुए अब राघव ने गोपाल जी को उठाते हुए खड़ा कर दिया और वही राघव की बात सुनकर अब दीप ने अपने मन में कहा, "इसकी बाते बॉस का गुस्सा शांत करने की बजाय उनके गुस्से को हवा दे रही है और ये है कि चुप भी नहीं हो रहा है..!"
राघव की बात सुनकर अब राजवीर कुछ बोलने ही वाला था कि जहां राघव खड़ा हुआ था उसके बिलकुल बराबर में रखा हुआ वास अचानक से टूट गया था और उसके अचानक से टूटने की आवाज पूरे मीटिंग हॉल में गूंज गई और वो वास टूट कर नीचे फर्श पर गिर गया और ऐसे होते ही गोपाल जी ने अपने बड़े भाई को झट से पीछे ही तरफ कर लिया और सब लोग मीटिंग हॉल के अंदर आते हुए शख्स को देखने लगे जो मीटिंग हॉल में फुल टशन के साथ आ रहा था और वहां पहुंच कर अपने एक बाय हाथ को अपने पेंट की जेब में डाल लिया और अपने दाए हाथ में अपनी लाइसेंस गन को पकड़ हुआ था और अब उस शक्श से राघव से कहा, "देख चाहता तो मैं ये गोली सीधे तेरे सीने के आर पार उतार सकता था मगर मैने अभी तुझे सिर्फ एक डेमो दिखा दिया है मगर तू अब भी नहीं समझा तो तुझे मौत के घाट उतारने में मुझे एक मिनट भी नहीं लगेगा..!"
अब वो शक्श राजवीर की कुर्सी के पास पहुंच गया और अब उसने फिर से अपनी कड़क आवाज में राघव से कहा, "और सुन राजवीर से इतनी तेज आवाज में बोलने का हक सिर्फ और सिर्फ मेरा है और ये हक में कभी भी किसी को नहीं दूंगा और अगर किसी ने लेने की कोशिश भी की न तो उसको अपने हाथों से ही इस दुनिया से ही विदा कर दूंगा..!"
और अब वो शक्श राजवीर की कुर्सी के पास वाली सीट पर जाकर बैठ गया और फिर राजवीर को एक टेड़ी मुस्कान के साथ देखते हुए उससे बोला, "क्यों सही कहा न मैने..!"
अभय की बात सुनकर अब हमारा राजवीर उसको घूर रहा था और अब राज और आकाश भी अभय की कुर्सी के पास आकर खड़े हो चुके थे पर वही राजवीर अभय के साथ साथ दीप को भी घूर रहा था..!
अब राजवीर ने अभय को देखते हुए उससे पूछा, "तू यहां क्या कर रहा है और मैने तुझे दिल्ली जाने को बोल दिया था ना तो फिर तू गया क्यों नहीं..?"
जब राजवीर ने अभय से पूछा कि तू यहां क्या कर रहा है और तू दिल्ली वापस क्यों नहीं गया तो अभय ने मुस्कुराते हुए उसकी बात का जबाव देते हुए उससे कहा, "देख राजवीर मैं तेरे साथ ही दिल्ली से बनारस आया हु और जाऊंगा भी तेरे साथ ही क्योंकि मैं तुझे अच्छे से जानता हूं कि तू कैसा है इसलिए मैं तुझे अकेले तो बिल्कुल भी नहीं छोड़ सकता..!"
अभय की बात सुनकर अब राजवीर ने उसको घूरते हुए उससे कहा, "तुझे मुझे समझ क्या रखा है..!"
राजवीर की बात सुनकर अभय बोलने ही वाला था कि उन दोनों के बीच में राघव बोल पड़ा और उसने राजवीर से कहा, "हम यहां तुम दोनों का ड्रामा देखने नहीं आए हैं तो इसको बंद करो और हमें यहां से जाने दो..!"
राघव की बात सुनकर अब राजवीर के साथ साथ अभय भी उसको ही घूर रहा था वही अभय ने अपनी लाइसेंस गन को वापस से उठा लिया जो उसने वही टेबल पर रख दी थी और अभय को देखकर प्रधान जी डर गए और गोपाल जी पर गुस्सा करते हुए बोल पड़े, "रे गोपाल, तूने अपने छोरे नू के खिलाकर बड़ा किया से जब भी मुंह खोले तो उल्टा ही बोले..!"
प्रधान जी की बात सुनकर अब गोपाल जी ने राघव को लगभग खींचते हुए पीछे करने लगे और साथ में उससे कहा, "तन्हे मारी बात एक बार में कोनी समझ आवे और मैने तुझे बाहर समझाया था न तो फिर तू क्यों बोल री या से और एक दिन कुछ न बोलेगा तो तू मर कोनी जावेगा..!"
अपने पिता की बात सुनकर अब राघव ने अपनी बात रखते हुए बोला, "पर बाबू..!"
राघव ने इतना बोला ही था कि मुखिया जी ने उसको समझाते हुए कहा, "रे छोरे शांत हो जा और हम सब बड़े यहां किस वास्ते आए हैं, यो थारे बापू के लिए न तो हम संभाल लावेंगे..!"
मुखिया जी की बात सुनकर राघव का गुस्सा शांत होने की बजाए बढ़ गया और उनसे अपने गुस्से में मुखिया जी से कहा, "आप तो रहने ही दो जो अपनी बेटी नू ना संभाल सके वो इस बात को कैसे संभाल लेवेगा..!"
राघव की बात सुनकर गोपाल जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने गुस्से में अपने बड़े बेटे को चाटा मार दिया और गुस्से में तेज आवाज में चिल्लाते हुए उससे कहा, "तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मुखिया जी से ऐसे बात करने की भी और खुद का गुस्सा संभालता नहीं है और चला है दूसरों को नसीहत देने..!"
ये सब को देखकर अब राजवीर ने अपने गुस्से में लगभग चिल्लाते हुए कहा, "चल क्या रहा है यहां पर और तुमने क्या इस विला को अपने बाप का घर समझ रखा है जो यहां से ड्रामा करके दिखा रहे हो..!"
राजवीर की बात सुनकर अब राघव बोलने को हुआ ही था कि अब सरपंच जी ने बीच में बोलते हुए तेज आवाज में राघव से कहा, "एक शब्द भी बोल दिया ना तो मुझसे बुरा कोई न होवेगा समझ आया तन्हे..!"
सरपंच जी की बात सुनकर राघव ने अपने गुस्से का घुट पी लिया और अब एकदम शांत हो गया और वही अब सरपंच जी ने राजवीर से कहा, "मुझे तुम से इस गोपाल की जमीन के बारे मे बात करनी है क्यूंकि इस गोपाल ने आज तक अपनी कोई भी जमीन बेची नहीं है इसलिए इसको नहीं पता कि ये सब कैसे किया जाता है..!"
वही दूसरी तरफ, बनारस में ही, एक्सपेंसिव मॉल में,
उस आदमी ने अपने बेटे से फोन पर बात करने के बाद अपने फोन को वापस से अपनी पेंट की जेब में रख लिया और अब वो, रूही से दुबारा पूछते हुए बोले, "हां तो तुमने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया..!"
उस आदमी की बात सुनकर रूही उनको बस देखे ही जा रही थी क्योंकि उसको कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था और अब वो आदमी दुबारा पूछने ही वाले थे कि इस बार रेहान बीच में बोल पड़ा और उसने कहा, "अंकल ये मेरी अच्छी दोस्त है और इस सब के बारे मे मैने ही इसको बताया था..!"
रेहान की बात सुनकर अब उस आदमी ने हंसते हुए रेहान को देखा और उससे कहा, "अरे इतनी सी बात भी तुम्हारी इस दोस्त से बोली नहीं जा रही थी..!"
उस आदमी की बात सुनकर अब रेहान ने एक नजर रूही को देखा और फिर उनसे कहा, "वो क्या है न कि मेरी दोस्त बहुत शर्मीली है..!"
अपनी बात कहने के बाद रेहान के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और वही रूही उसको थोड़ी कन्फ्यूजन से देख रही थी क्योंकि उसको समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर रेहान को कैसे पता है कि वो थोड़ी शर्मीली स्वभाव की है..!
वही रूही, रेहान से पूछने ही वाली थी कि रेहान ने उसके कान के पास जाकर उससे कहा, "क्यों सिर्फ तुम ही झूठ बोल सकती हो क्या और रही बात शर्मीली की तो वो तो तुम्हे देख कर कोई भी बता सकता है..!"
जब रेहान, रूही के कान के पास जाकर कुछ बोल रहा था तो उस ही भीड़ में खड़ा एक शख्स अपने गुस्से से लाल हो चुकी आंखो से बस रेहान को ही घूरे जा रहा था..!
रेहान की बात पर रूही जैसे ही बोलने को हुई तो कुछ गिरने की आवाज आई जिसको सुनकर अब सब सामने खड़ी एक लड़की को देखने लगे..!
मगर उस लड़की को देखकर ऐसा लग रहा था मानो वो किसी को देख बहुत ज्यादा घबरा गई थी तभी उस आदमी ने उस लड़की से कहा, "अरे साक्षी बेटा, तुम्हारा ध्यान किधर रहता है और अभी कुछ टूटने की आवाज आई थी..!"
उस आदमी ने अपनी बात बोली ही थी कि अब वो साक्षी के पास पहुंच गए और उन्होंने देखा कि उसके दाएं हाथ की तरफ उसका फोन फर्श पर गिरा हुआ था तो उन्होंने झुककर उसका फोन उठा लिया और उसको देते हुए कहा, "अरे बेटा इस की तो फोन की स्क्रीन टूट गई है पर चलो कोई नहीं मेरा बेटा तुम्हारे लिए दूसरा फोन ला देगा..!"
वो आदमी, साक्षी को उसका फोन देने की कोशिश कर रहा था मगर साक्षी का ध्यान तो कही और ही था और फिर जब उस आदमी ने साक्षी की नजरों का पीछा किया तो उनको पता चला कि साक्षी तो कब से बस रेहान को ही देखे जा रही थी..!
तो अब उस आदमी ने साक्षी का हाथ पकड़ लिया और उसको लेकर थोड़े आगे बढ़ गए और रेहान को देखे तो साक्षी की हालत ऐसी हो गई थी मानो उसका सब कुछ छीन गया हो..!
उस आदमी के द्वारा साक्षी का हाथ पकड़ने से साक्षी का खुद पर कोई जोर नहीं था वो तो बस खिंचती चली गई और उस आदमी ने साक्षी को रेहान के सामने लाकर खड़ा कर दिया और मुस्कराते हुए साक्षी से कहा, "लो मिलो अपने दोस्त जैसे भाई से..!"
उस आदमी ने अपनी बात कही ही थी कि उसको कुछ याद आया और अब उसने रेहान से पूछा, "अरे बेटा, मैने तो तुम्हारा नाम पूछा नहीं, तो बताओ क्या नाम है तुम्हारा..?"
उस आदमी की बात सुनकर जो रेहान, अभी साक्षी को पूरे दो साल बाद देख रहा था अब उसका ध्यान उस आदमी की बात पर गया और उसने उनकी बात का जबाव देते हुए कहा, "जी, मेरा नाम "रेहान श्रीवास्तव" है..!
To be Continued....❤️✍️
तो अब आगे क्या होगा और क्या सच में एक दिन में साक्षी का सब कुछ छीन जाएगा और क्या उसका बीता हुआ कल उसके आने वाले कल पर हावी हो जाएगा या नहीं और क्यों घूर रहा था राजवीर, दीप को और राजवीर ने अभय को अकेले दिल्ली जाने को क्यों बोल दिया होगा और कौन से प्लान को पूरा करने की बात कर रहे थे प्रधान जी..?
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोबेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।