इश्क दा मारा - 34 shama parveen द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क दा मारा - 34

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "आते ही सब कुछ पता कर लोगी, पहले थोड़ा खा पी लो उसके और थोड़ा आराम कर लो, उसके बाद सब कुछ बताती हू"।

उधर गीतिका की भाभी गीतिका के भाई से बोलती है, "आपके मॉम और डैड ने हम से इतनी बड़ी बात छुपाई, सच में मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है"।

तब गीतिका के भाई बोलते हैं, "मैं क्या बताऊं मुझे तो खुद कुछ समझ नहीं आ रहा है कि, आखिर मॉम और डैड ने गीतिका को बुआ के घर क्यों भेज दिया "।

तब गीतिका की भाभी बोलती है, "तो आप यहां पर ye सब सोच सोच कर अपना सर क्यों दर्द कर रहे हो, जाओ मॉम और डैड से बात करो "।

तब गीतिका के भाई बोलते हैं, "तुम्हारा दिमाग तो ठीक है, तुम ये क्या बोल रही हो, तुम जानती नहीं हों कि मॉम और डैड इस वक्त कितने गुस्से में हैं"।

तब गीतिका की भाभी बोलती है, "मुझ से तो अब इस घर में एक सेकंड भी नहीं रहा जा रहा है, आप प्लीज मुझे मेरे घर छोड़ कर आइए "।

ये सुनते ही गीतिका के भाई चिल्ला कर बोलते हैं, "तुम्हारा दिमाग कही खराब तो नहीं हो गया है, तुम ये क्या बोल रही हो, तुम जानती नहीं हों कि, इस टाइम सब कितना परेशान है, और तुम्हे घूमने की पड़ी है, चुप चाप जहां पर हो वही पर ही रहो, ज्यादा दिमाग मत चलाओ "।

ये बोल कर वो वहां से चले जाते हैं।

उधर राधा रानी को डांट रही होती है और बोलती है, "तुम यहां पर आ कर क्या ड्रामे कर रही हों "।

तब रानी बोलती है, "मैने क्या किया जो तुम इतना चिल्ला रही हो मुझ पर " 

तब राधा बोलती है, "तुम यूवी को इतना क्यों परेशान कर रही हों "।

तब रानी बोलती है, "मैने कब उसे परेशान किया "।

तब राधा बोलती है, "यूवी ने मुझे खुद बताया है, इस बारे मे"।

तब रानी बोलती है, "तुम मेरी बहन हो या फिर उसकी "।

तब राधा बोलती है, "देखो, अगर यहां पर रहना है तो आराम से रहो, किसी को परेशान मत करो, ये तुम्हारे और मेरे हम दोनों के लिए ठीक हैं"।

दोपहर होती हैं........

गीतिका अपनी बुआ जी के पास जाती है और बोलती है, "बुआ जी अब बताइए मुझे "।

तब गीतिका बोलती है, "तुम सच में बहुत ही जिद्दी हो"।

तभी गीतिका की बुआ जी की नौकरानी बोलती है, "मालकिन वो मेरी पड़ोसन बोल रही थी कि उसके पास पेसो की कमी चल रही है"।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "तो.......

तब नौकरानी बोलती है, "वो चाह रही थी कि अपनी बेटी को शहर भेज दे काम के लिए "।

ये सुनते ही गीतिका की बुआ को गुस्सा आ जाता है और वो बोलती है, "उसका दिमाग तो खराब नहीं हो गया है जो अपनी बेटी को शहर भेज रही हैं"।

तब गीतिका बोलती हैं, "शहर भेजने में क्या परेशानी है बुआ जी, वैसे भी वहां पर यहां से तो ज्यादा ही पैसे मिलते है " 

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "पैसे इज्जत से बड़े नहीं होते है बेटा "।

तब गीतिका बोलती है, "अब पेसो और इज्जत का क्या कनेक्शन है "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "बेटा तुम्हे नहीं पता है, यहां की लड़कियों के बारे मे, की वो कैसी है, शहर जाते ही उनके रंग ढंग बदल जाते है, जो भी लड़की यहां से शहर गई है वो आज तक कभी भी लौट कर नहीं आई है "।

तब गीतिका बोलती हैं, "आप क्या बोल रही हैं बुआ जी मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "बेटा शहर जाते ही इन लड़कियों को लड़का पसंद आ जाता है और वो भाग कर उनसे शादी कर लेती हैं और अपने घर,बार,  गांव सब से रिश्ता छोड़ देती हैं "।

तब गीतिका बोलती है, "ऐसा कैसे हो सकता है कि जो भी लड़की गांव से जाए, वो सब की सब किसी से शादी कर ले, आखिर ऐसा क्या खास होता है शहर के लड़कों में, मुझे तो आज तक कोई भी ऐसा खास नहीं लगा "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "तुम इन सब पर ध्यान मत दो, और तुम रेखा जाओ अपनी पड़ोसन को मना कर दो की अपनी बेटी को कही ना भेजे, और उसे मेरे पास भेजो "।

उसके बाद वो नौकरानी चली जाती है। तब गीतिका बोलती है, "बुआ जी उनकी लड़कियां भाग जाती है तो इससे आपको क्या, आप क्यों इतना परेशान हो रही हो....................