जीवन भी ऐसा ही है DINESH KUMAR KEER द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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जीवन भी ऐसा ही है

1.  बाल कहानी :- ग्वालन की शिक्षा            

एक बार एक ग्वालन दूध बेच रही थी और सबको दूध नाप - नाप कर दे रही थी । उसी समय एक नौजवान दूध लेने आया तो ग्वालन ने बिना नापे ही उस नौजवान का बर्तन दूध से भर दिया ।           

वहीं थोड़ी दूर पर एक साधु हाथ में माला लेकर मनको को गिन - गिन कर माला फेर रहा था । तभी उसकी नजर ग्वालन पर पड़ी और उसने ये सब देखा और पास ही बैठे व्यक्ति से सारी बात बताकर इसका कारण पूछा ।           

उस व्यक्ति ने बताया कि जिस नौजवान को उस ग्वालन ने बिना नाप के दूध दिया है वह उस नौजवान से प्रेम करती है । इसलिए उसने उसे बिना नाप के दूध दे दिया । यह बात साधु के दिल को छू गयी और उसने सोचा कि एक दूध बेचने वाली ग्वालन जिससे प्रेम करती है तो उसका हिसाब नहीं रखती और मैं अपने जिस ईश्वर से प्रेम करता हूँ, उसके लिए सुबह से शाम तक मनके गिन - गिन कर माला फेरता हूँ । मुझसे तो अच्छी यह ग्वालन ही है और उसने माला तोड़कर फेंक दिया ।           

शिक्षा :-

जीवन भी ऐसा ही है । जहाँ प्रेम होता है वहाँ हिसाब किताब नहीं होता है और जहाँ हिसाब किताब होता है वहाँ प्रेम नहीं होता है, सिर्फ व्यापार होता है.. !!



2. बाल कहानी :- थप्पड़

उस बस स्टैण्ड में तीन दयालु व्यक्ति, और एक कहीं से भी दयालु नहीं लगने वाला व्यक्ति बैठा था । इतने में एक बुढ़िया अपने दोनों बेटों के विक्षिप्त होने के कारण दाने - दाने को मोहताज़ होने की जानकारी देते हुए रोने लगी । इस पर पहले दयालु ने कहा - ‘‘तुम लोग भूखे मर रहे हो इसका यह अर्थ हेै कि, राज्य नीति - निर्देशक तत्वों का पालन नहीं कर रहा है, मैं इस बात को विधानसभा और लोकसभा तक ले जाऊँगा । ’’दूसरे दयालु ने कहा - ‘‘ये तुम्हारे गाॅंव वालों के लिये शर्म की बात है कि उनके होते हुए एक परिवार भूख से मर रहा है । ’’ तीसरे दयालु ने कहा - ‘‘माई अब रोना - धोना बंद करो । मैं बड़ा ही भावुक क़िस्म का आदमी हूॅं । तुम्हें रोता देखकर मुझे भी रोना आ रहा है । ’’ चौथा व्यक्ति निस्पृह भाव से उनकी बातें सुनता रहा, और फिर उठकर वहाँ से चला गया । इस पर एक दयालु ने कहा - देखो तो लोग दो शब्द सांत्वना के भी नहीं बोल सकते । कुछ देर बाद वह चौथा व्यक्ति एक थैले में दस क़िलो चावल लेकर आया, और बड़ी ही ख़ामोशी से उसने उस बुढिया को थैला सौंप दिया । अचानक तीनों दयालुओं का हाथ अपने - अपने गालों तक पहुँच गया । उन्हेंं ऐसा लगा, जैसे किसी ने उन्हें झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया हो ।




कुछ देर बाद वह चौथा व्यक्ति एक थैले में दस क़िलो चावल लेकर आया, और बड़ी ही ख़ामोशी से उसने उस बुढिया को थैला सौंप दिया । अचानक तीनों दयालुओं का हाथ अपने - अपने गालों तक पहुँच गया । उन्हेंं ऐसा लगा, जैसे किसी ने उन्हें झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया हो ।