जो पकड़ा जाए वो चोर, बाकी देश भक्त
ये कैसा न्याय है, ये कैसा विध्वंस है
जो बोले सच वो देशद्रोही, जो छुपाए झूठ वो देशहितैषी
ये कैसा लोजिक है, ये कैसा तर्क है
जो पकड़ा जाए वो चोर, बाकी देश भक्त,
ये कैसा नारा है, ये कैसा विरोध है।
जब तक ये रीति रहेगी, तब तक देश नहीं बदलेगा,
जब तक देश नहीं बदलेगा, तब तक ये रीति नहीं बदलेगी।
भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी, नैतिकता की कमी,
हर ओर फैली है, ये कैसी अंधेरी घनी।
जो पकड़ा जाए वो चोर, बाकी देश भक्त,
ये कैसा नारा है, ये कैसा विरोध है।
शिक्षा की कमी, जागरूकता की दरकार,
नैतिकता की बातें, अब लगती हैं बेकार।
जब तक ये रीति रहेगी, तब तक देश नहीं बदलेगा,
जब तक देश नहीं बदलेगा, तब तक ये रीति नहीं बदलेगी।
कानून की सख्ती, पारदर्शिता की मांग,
सामाजिक समर्थन, ईमानदारी का संग्राम।
जो पकड़ा जाए वो चोर, बाकी देश भक्त,
ये कैसा नारा है, ये कैसा विरोध है।
सुधार की राहें, कठिन और लंबी,
पर मिलकर चलें, तो मंजिल होगी सच्ची।
जब तक ये रीति रहेगी, तब तक देश नहीं बदलेगा,
जब तक देश नहीं बदलेगा, तब तक ये रीति नहीं बदलेगी।
हर दिल में हो ईमानदारी, हर मन में हो सच्चाई,
तभी बनेगा देश हमारा, एक नई ऊँचाई।
जो पकड़ा जाए वो चोर, बाकी देश भक्त,
ये कैसा नारा है, ये कैसा विरोध है
जो देश की जनता को जोड़े, वो बांटे गए,
जो देश की जनता को बांटे, वो खाये मलाई।
ये कैसा भाईचारा है, ये कैसा भेदभाव है,
ये कैसी राजनीति है, ये कैसी चालाकी है।
एकता की बातें, बस भाषणों में रह गईं,
वास्तविकता में तो, बस नफरतें ही रह गईं।
जो देश की जनता को जोड़े, वो बांटे गए,
जो देश की जनता को बांटे, वो खाये मलाई।
धर्म और जाति के नाम पर, बांटते हैं लोग,
सत्ता की भूख में, भूल जाते हैं सब लोग।
ये कैसा भाईचारा है, ये कैसा भेदभाव है,
ये कैसी राजनीति है, ये कैसी चालाकी है।
जनता की सेवा का वादा, बस एक छलावा है,
वास्तव में तो, बस सत्ता का ही धंधा है।
जो देश की जनता को जोड़े, वो बांटे गए,
जो देश की जनता को बांटे, वो खाये मलाई।
भ्रष्टाचार की जड़ें, गहरी और मजबूत हैं,
नैतिकता की बातें, अब लगती हैं झूठी।
ये कैसा भाईचारा है, ये कैसा भेदभाव है,
ये कैसी राजनीति है, ये कैसी चालाकी है।
सच्चाई की राह पर, चलना है कठिन,
पर मिलकर चलें, तो बदल सकते हैं दिन।
जो देश की जनता को जोड़े, वो बांटे गए,
जो देश की जनता को बांटे, वो खाये मलाई।
एकता और प्रेम से, बदल सकते हैं हालात,
सच्चाई और ईमानदारी से, मिटा सकते हैं भ्रांत।
ये कैसा भाईचारा है, ये कैसा भेदभाव है,
ये कैसी राजनीति है, ये कैसी चालाकी है।
जो लूटे देश का खजाना, वो बने नेता
जो देते देश को नया दिशा, वो बने गद्दार
ये कैसा चुनाव है, ये कैसा विकास है
जो लड़े देश की आज़ादी के लिए, वो भूले गए
जो बेचे देश की आज़ादी को, वो याद किए गए
ये कैसा इतिहास है, ये कैसा न्याय है
जो देश की जनता को जोड़े, वो बांटे गए
जो देश की जनता को बांटे, वो खाये मलाई
ये कैसा भाईचारा है, ये कैसा भेदभाव है
जो पकड़ा जाए वो चोर, बाकी देश भक्त
ये कैसा नारा है, ये कैसा विरोध है
जब तक ये रीति रहेगी, तब तक देश नहीं बदलेगा
जब तक देश नहीं बदलेगा, तब तक ये रीति नहीं बदलेगी