अपराध ही अपराध - भाग 35 S Bhagyam Sharma द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

अपराध ही अपराध - भाग 35

अध्याय 35

पिछला सारांश:

कार्तिका इंडस्ट्रीज के संस्थापक कृष्णराज का तीसरा असाइनमेंट पूरा न करने के लिए उनके हिस्सेदार दामोदरन ने योजना बनाई। इसलिए धनंजयन की अक्का की शादी के लिए एक वर, उन्होंने ब्रोकर के द्वारा उनके परिवार से बात करने के लिए भेजा और उसने उनसे बात की।

ब्रोकर के ऊपर संदेह होने के कारण वर के बारे में उनके कही हुई सूचनाओं की सत्यता को जानने के लिए धनंजयन ने कोशिश की।

इसमें दामोदरन की कोई योजना है क्या जानने के लिए स्वयं ही दामोदरन के लड़के विवेक को फोन करके धनंजय ने धमकी दी।

 

स्तंभित होकर  मुंह को फाड़ कर खड़े विवेक को थोड़े गर्व से मुस्कुराते हुए दामोदरन ने देखा।

“डैड…यह क्या ‘ट्विस्ट’ है?’ मैंने इसके बारे में बिल्कुल ही उम्मीद नहीं की थी” विवेक बोला।

“अब सब कुछ ट्विस्ट ही है। यह धनंजयन अब अपने पैरों पर कैसे आकर गिरता है देखो।”

“कैसे डैड, मुझे भी नहीं कह कर, आपने कैसे एक योजना बना दी?”

“अरे ! जा रे बेवकूफ। तुमको मैं बता देता! अंडरवर्ल्ड बिजनेस को स्टार्ट किया था मैंने? तुम तो इसे देखने के लिए पैदा हुए हो। मैं तुम्हारा बाप हूं।”

“वह ठीक है आपकी होशियारी और हिम्मत किसी को भी नहीं आ सकती है, मैं इस बात को मानता हूं।”

“बकवास, बकरी यदि 8 फीट कूदें तो उसका मेमना 16 फीट कूदेंगा कहते हैं। क्या तुम ऐसे हो?”

“कृपा करके मुझे अंडर एस्टीमेट मत कीजिए। अब देखिए मेरी होशियारी को।”

“तुम्हें अपने आप कुछ करने की जरूरत नहीं। मैं जो कहता हूं उसके हिसाब से काम करो बस।”

“ठीक है डैड…फिर यह शादी?”

“बिना किसी रूकावट के होनी चाहिए। तुम बेकार की बकवास मत करो बस। पर शादी जरूर हो जानी चाहिए। उसकी सिस्टम और मेरी दोस्त की लड़के की पत्नी के रूप में होना चाहिए। ऐसा होने के बाद ही हमारा खेल होगा।”

“डैड कौन है आपका वह दोस्त?”

“अपना मलेशिया का रामकृष्णन ही है…और कौन?”

“ओ…रामकृष्णन अंकल?”

“वही। मुझे भी उन्होंने शादी के लिए इनवाइट किया था। वह हमारे अंडरग्राउंड बिजनेस के पार्टनर भी है। सिंगापुर, मलेशिया, ताइवान आदि देश में अपने बिजनेस के रामकृष्णन ही एजेंट हैं?”

“अब समझ में आ रहा है डैड । फिर उनके लड़के की शादी ही रुक गई थी?”

“हां, वह शादी वाली लड़की शादी के पहले दिन ही किसी के साथ भाग गई। उसी समय मुझे धनंजयन की सिस्टर की याद आई। उनके परिवार का ब्रोकर वैयापूरी है मालूम हुआ। उसको ढूंढा। 5 लाख कमीशन देने के बाद कहा तो वह फिसल गया।

“रामकृष्णन को भी बात करके पक्का किया। वैसे ही मैंने अपने इस फंसे होने के उलझन के बारे में भी बताया। तब उसने बिना दूसरी बात किए ही मान गया। उनका लड़का मोहन भी ‘आप जो कुछ कहोगे मैं मानूंगा अंकल’ ऐसा उसने भी कह दिया।”

“अब तो मुझे सब बातें समझ में आ गई डैड। अपनी बड़ी बहन (अक्का) के लिए धनंजयन को अपनी बातों को मानना ही पड़ेगा। नहीं तो वह मोहन उसे मार कर भगा देगा। ऐसे ही है ना?”

“वैसे ही नहीं छोड़ देगा ! उसके पेट में एक बच्चे के देकर भगा देगा।”

“उसके लिए तो 3 महीना चाहिए ना डैड।”

“वह एक तरफ, दूसरी तरफ, उसके बेटे को ढूंढने का ‘असाइनमेंट’ भी है ना?”

“निश्चित रूप से धनंजयन उसे ढूंढ लेगा। ऐसे ढूंढने वाले को हम कैसे दूर भगा सकते हैं डैड?”

“पहले उसे ढूंढ लेने दो। फिर तब बोलूंगा” कहकर व्यंग्य से हंसा दामोदरन।

“इसमें भी सस्पेंस है क्या डैड?”

“अंडरग्राउंड दादा लोग हैं हमें छाया पर भी संदेह करना चाहिए नहीं तो हम बिजनेस नहीं कर सकते। तुम मेरे बेटे हो यदि यह सच है तो उसके ढूंढने के पहले तुम उस लड़के को ढूंढ कर मेरे सामने लाकर खड़ा करो। फिर मैं बताता हूं उस मास्टर प्लेन के बारे में” ऐसा कहकर दामोदरन वहां से चले गए।

कार को पार्क करके टाई को थोड़ा ढीला कर घर के अंदर धनंजयन ने प्रवेश किया तो उसकी अम्मा सुशीला बड़े उत्सुकता के साथ उसे देखा।

पुस्तक पढ़ रहे शांति ने उसे बंद किया तो टीवी देख रहे उसकी दोनों बहने श्रुति और कीर्ति ने टीवी को बंद कर उसकी तरफ आए।

धनंजयन के साथ आए कुमार ने अंगूठे को ऊंचा कर उन्हें दिखाकर उनके टेंशन को उसने कम किया। फिर जो बातें उन्होंने मालूम कि उन विवरण को बताया। तब शांति ने एक दीर्घ स्वास छोड़ते हुए अम्मा सुशीला ने उसे मुस्कुराते हुए देखा।

“फिर अभी लड़की देखने के लिए आने को कह देना है ना?” सुशीला ने पूछा।

“आपसे बात करके फिर बोलूंगा सोचा” धनंजयन ने कहा।

“अब बात करने के लिए क्या है रे, पहले उन्हें आने के लिए बोल।”

“जल्दी मत करो अम्मा आजकल शादी करने वाले दोनों अपना मन खोलकर एक दूसरे से बात करते हैं। यही फैशन है। यह जो मोबाइल फोन का आविष्कार हुआ है यह भी इसी के लिए है।

“इस शादी में शांति इच्छा तो होगी ना?”

“इसमें क्या है रे, दोनों को आराम से बात करने दो।”

“क्यों शांति क्या कह रही हो तुम्हारी स्वीकृत है ना?”

“मुझे पसंद नहीं तो ब्रोकर के आकर बात करते समय ही मैंने बोल दिया होता धना।”

“फिर तुम अभी विदेश में जाकर रहने के लिए तैयार हो बोलो।”

“मैं सरकू तभी ना तुम्हारी शादी होगी? सिर्फ तुम्हारे लिए ही नहीं यह पीछे दो और खड़ी है। सभी लोगों के लिए एक रास्ता मेरे रवाना होने में ही तो है?”

“अरे बाप रे हमारे लिए तुम अपनी पसंद को छुपाने की जरूरत नहीं है तुम्हारी पूर्ण सहमति हो यही हमारे लिए जरूरी है।”

आगे पढ़िएगा...