अध्याय 34
हां कह देंगे वैसे ही हम ड्यूटी के काम को भी थोड़ा देख लेते हैं।’
“इस शादी की बात मालूम हो तो कार्तिका मैडम बहुत खुश होंगी। पहले जाकर शादी की तैयारी करो ऐसा ही बोलेगी” कुमार के बोले जैसे ही बिल्कुल हुआ।
कार्तिका को देखकर सब बातें उनको बता दिया तो “पहले अपनी सिस्टर की शादी के बारे में देखो। तुम दोनों के पास 10 दिन भी नहीं है तुमको 15 दिन की छुट्टी देती हूं।
वैसे ही ऑफिस में कैशियर के पास जाकर शादी के खर्चे के लिए 10 लख रुपए लेकर जाइए” ऐसा कहकर एक मीठा सा सदमा उसने दिया।
“मैडम आपका मन बहुत बड़ा है।”
“यह तारीफ सब बाद में करना पहले शादी को देखो। जल्दी से जाकर शादी के कामों को देखो। रूपों की फिक्र करने की जरूरत नहीं है। हम हैं ना।”
“सचमुच में मेरी सिस्टर बहुत ही भाग्यशाली है।”
“उसमें क्या संदेह है। मेरे पास इतने करोड़ों रुपए होने के बावजूद भी क्या फायदा। मेरा बड़ा भाई कौन है इस मिनट तक मुझे पता नहीं है? परंतु आपकी सिस्टर ऐसी नहीं है…धनंजय नाम का एक होशियार भाई है उसका?” ऐसा कहकर कार्तिका की आंखें भर आई।
“मैडम दुखी मत होइए। और 10 दिनों में मेरी बहन की शादी ही नहीं आपके भाई को भी ढूंढ लेंगे।” ऐसा बहुत ही भावुक होकर धनंजयन बोला।
उसे सुनकर “ऑल द बेस्ट” कहकर कार्तिका ने उससे हाथ मिलाया।
रवाना होते समय ही “1 मिनट…” ऐसा कहकर उन्हें रोका।
“यस मैडम।”
“उस विवेक के कारण कोई समस्या नई?”
“इस मिनट तक मुझे मालूम नहीं है मैडम। परंतु पक्का वह चुपचाप नहीं बैठेगा। वह चुप है तो कोई बहुत बड़ा काम करने वाला है यही मतलब है।”
“इस शादी में वह कुछ समस्या खड़ी करेगा ऐसा मुझे डर लगता है धना।”
“मुझे भी मैडम। शादी को नहीं होने देगा ऐसा भी कर सकता है। मेरी बहन के बारे में दामाद के घर वालों को कोई गलत बात बता सकता है। हमारी शादी के घर में ही बम रख सकता है। इन सब के बारे में मैं भी सोच रहा हूं।”
“हमेशा आप बहुत ही एहतिहात से सोचते हो। इसमें कुछ भी हो तो सब के बारे में मालूम कर लेना चाहिए। अब क्या करने वाले हो?”
“हीरे को हीरे के द्वारा ही तो काट सकते हैं मैडम। अभी मैं क्या करने वाला हूं देखो” फिर धनंजयन ने अपने मोबाइल से विवेक को कॉल किया।
फोन को स्पीकर में रखा।
“हेलो श्री विवेक मैं धनंजयन बात कर रहा हूं।”
“पता है। मुझे फोन करने लायक तो हिम्मत है तुममें इसे सोच कर मैं खुश होता हूं। क्या बात है?”
“मेरी बहन की 10 दिनों में शादी है। तुम उसके बारे में ढूंढने के पहले ही मैं ही तुम्हें बताना सही है ऐसा सोचता हूं। बाद में इस शादी को रोकने के लिए तुम क्या करोगे मैं सोच कर देखा। आखिर में शादी के मंडप में तुम बम रख सकते हो ऐसा भी तुम कर सकते हो मुझे विश्वास है।
“इसलिए रजिस्टार ऑफिस में शादी करने का मैंने फैसला कर लिया। 5 स्टार होटल में दावत देने की सोच लिया। यहां सब तुम कुछ करके शादी को रोकना चाहे और मेरे दामाद को ही तुम उठा कर ले जाने की सोच सकते हो।
“आराम से करो। इसमें से कुछ भी हो तो मेरा जवाब बहुत बुरा होगा। इस समय शादी अच्छी तरह से होगी। तुम मेरा पीछा करते हो ऐसे ही मैं भी तुम्हारा पीछा करना शुरू कर दूंगा।
“चुपचाप शांति से तुम अलग चले जाओ वही तुम्हारे लिए अच्छा है। नहीं तो निश्चित रूप से तुम्हारे शरीर में हाथ पैर नहीं होगा। यह उधार नहीं है… यह एक सवाल है” ऐसा कहकर मोबाइल को बंद करने पर स्तंभित होकर कार्तिका ने उसे देखा।
“क्या है मैडम?”
“ऐसा वही धमकाता है। अब की आपने उसको धमकी दे दी। यह कौन सी जादू है धना?
“साइकोलॉजिकली इसका नाम ‘माइड ब्रेक फॉर्मेट’ इसका नाम है मैडम। एक तरह से शत्रु क्या करेगा सोच कर उसे पहले ही उससे कह दो तो शत्रु को एक सदमा होने पर वह असमंजस में पड़ जाएगा। निश्चित रूप से दूसरा रास्ता ढूंढेगा।”
“वह दूसरा रास्ता भी हमारे लिए आपत्तिजनक ही तो होगा?”
“वह तो हो अन अवॉइडेबल आपत्ति है। हमें भी उसका सामना करना ही पड़ेगा। क्या करें शेर के पूंछ को हमने पकड़ लिया है?” बड़े साधारण ढंग से धना बोला।
परंतु कार्तिका बहुत भयभीत हुई।
अप्पा दामोदरन से धनंजयन की धमकी वाली बात को विवेक ने जब उनसे हंसते हुए बोला “उसकी शादी को होने दे रे विवेक। दामाद भी कोई और नहीं है…अपना ही आदमी है” हंसते हुए जब वे बोलें।
तो विवेक का मुंह खुला रह गया।
आगे पढ़िएगा…