अपराध ही अपराध - भाग 9 S Bhagyam Sharma द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अपराध ही अपराध - भाग 9

(अध्याय 9)

पिछला सारांश-

‘कार्तिका इंडस्ट्रीज’ कंपनी में नौकरी में मिले धनंजयन को पहला असाइनमेंट एक करोड रुपए तिरुपति के दान पेटी में डालने के लिए बोला। उसी समय उसको विवेक नाम के आदमी से धमकी मिली। उसकी परवाह न करके कार्तिका इंडस्ट्रीज़ एम.डी.की लड़की कार्तिका के साथ तिरुपति जाने का उसने फैसला कर लिया। 

इंडस्ट्रीज के दूसरे हिस्सेदार से धनंजय को इस तरह की आफ़त हो सकती है इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट रूप से कार्तिका ने बता दिया। उन परेशानियों को भी दत्ता दिखाकर कार्तिका के साथ तिरुपति जाते समय रास्ते में पुलिस वाले उन्हें रोकते हैं-

जब रुकते हैं तो पुलिस वाले दो लोग कार की तरफ भागते हुए आए।

“तुम्हारा अच्छा समय है जो तुमने यहां पर खड़ा कर दी। यदि तुम बिना रुके जाते तो अगली पुलिस बीटल पकड़ कर ओवरराइडिंग का मुकदमा दायर कर देते,” उसमें से एक ने बोला।

“वह तो मैं रोक दिया ना…. आपको क्या चाहिए, कार का आर.सी कार्ड, इंश्योरेंस पेपर और मेरा ड्राइविंग लाइसेंस, यही ना?”

“बी.एम.डब्ल्यू. कार आएगा तो उसमें यह सब तो पक्का होगा यह तो हमें मालूम है। हां आप कहां जा रहे हो?”

“हम तिरुपति जा रहे हैं सुबह 6:30 बजे दर्शन करने के लिए हमने पैसा जमा किया है।”

धनंजयन से एक पुलिस वाला बात करते समय दूसरा पुलिस वाला कार के अंदर बैठे कार्तिका को घूरता रहा, और पीछे रखे हुए सूटकेस को भी देखा।

कार्तिका को ही देखने वाले पुलिस वाले के वर्दी को बड़े ध्यान से धनंजयन ने देखा। उसके बेल्ट के टाइट होने के और जो बिल्ला कंधे पर था वह उल्टा लगा हुआ था। उसके पैर में पुलिस के शूज भी नहीं थे। स्पोर्ट्स शू पहना था।

“अंदर एक बॉक्स है उसको खोलकर दिखाइए।” कहते हुए पीछे की ओर ध्यान देने वाले पुलिस का दूसरा आदमी आया।

उसका यूनिफॉर्म ठीक से नहीं था ।तो उसमें अगले ही क्षण सचमुच के पुलिस यह नहीं हो सकते, धनंजयन को यह बात समझ में आ गई।

“हवाला का पैसा हाथ बदलने वाला है ऐसा हमारे पास सूचना आई है जल्दी से सूटकेस को खोलो” तीसरे पुलिस वाले ने बड़े घबराहट में जल्दी-जल्दी बोला।

“ओन मिनट सर…” ऐसा कहकर दरवाजे के लॉक को खोल चढ़कर दूसरे ही क्षण गाड़ी को स्टार्ट कर धनंजयन उड़ने लगा। 

“मिस्टर धना… यह क्या है, ऐसे आपने पुलिस को अवॉइड कर ऐसे गाड़ी चला रहे हो,” कार्तिका ने घबराते हुए पूछा।

“मैडम वे डुप्लीकेट पुलिस वाले थे। विवेक के आदमी पीछे आ रहे हैं क्या देखिए” वह बोला।

वे ही पीछा करके आ रहे थे।

“बस ठीक है आपको कैसे मालूम हुआ…. यू आर श्योर?”

“बिल्कुल संदेह नहीं। किराए के कपड़े को भी ढंग से पहनने की उन्हें तमीज नहीं थी। जीप में जो भी पुलिस का स्टीकर लगाया हुआ था, वह भी नकली। असली पुलिस होते तो उसमें पेंटिंग से लिखा होता।”

“ओ…5 मिनट में ही इतनी बातें नोट कर लिया आपने?”

“कितने नोवेल्स पढ़े होंगे कितने पिक्चरें देखी होगी…. यह आई क्यू भी नहीं हो तो मेरा विकास के बारे में पढ़ना अर्थ हीन हो जाता है मैडम….” कहता हुआ वह गाड़ी को 140 किलोमीटर गति के साथ दौड़ने लगा।

 पीछे वह लोग उसका पीछे करते आ रहे थे।

सुनसान पड़े पेरियापलायम जाने वाले रास्ते में अंग्रेजी पिक्चर के जैसे होना शुरू हो गया था। एक तरफ मुड़ा धना, तो उसे खेत दिखाई दी तो उसके अंदर जाकर गाड़ी को वहीं खड़ा करके लाइट को बंद कर दिया।

उसका पीछे करते आने वालों को यह पता नहीं चला। अच्छा हुआ उन्होंने साइड में देखा नहीं। यदि देखते भी तो भी कार अंदर है उन्हें पता नहीं चलता।

कार्तिका ने डर से दीर्घ श्वास छोड़ा।

“आप डरिए नहीं…हमें अब हिम्मत और विवेक की ज्यादा जरूरत है…” बोलते हुए कार को पीछे करके फिर से सड़क पर ले आया।

“अब हमें इस रास्ते से जाना नहीं है। थिरुथनी के रास्ते, कनकमांचिरुथा रास्ता पकड़कर चले जाएंगे।” फिर उसी रास्ते उसने कार को चलाया।

“वे हमारा पीछा करके तिरुपति ही पहुंच जाए तो क्या करें?” कार्तिका परेशान होकर पूछी।

“तुरंत एक कंप्लेंट कर देंगे। उन्हें पुदुक्कोत्तई की तरफ से हमारे पुलिस ही आगे नहीं बढ़ने देगी” कहते हुए गाड़ी को एक तरफ उसने खड़ा किया।

अपने मोबाइल फोन से गूगल में जाकर रेड हिल्स पुलिस स्टेशन के नंबर को ट्रेस किया। रात के समय वाले सब इंस्पेक्टर को पकड़ा।

“सर मेरा नाम धनंजयन है। मैं तिरुपति भगवान के दर्शन करने जा रहा था तब एक पुलिसवाले जीप ने मुझे रोका। वे असली पुलिस वाले नहीं थे। वे लोग कोई फ्रॉड ग्रुप के थे।

“वे जाने-आने वाले कारों को ब्लैकमेलिंग करके भी पैसे वसूलने का प्रयत्न करते हैं। उनके पहने हुए ड्रेस से मैंने मालूम कर लिया। मैं तो अपनी चतुराई से उनसे बच के निकल गया।

“वे अब पुदुक्कोत्तई की तरफ जा रहे हैं। आप यदि पुदुक्कोत्तई के पुलिस स्टेशन को खबर दे दें । वे अब हमें तो नहीं पकड़ सकते हैं” इस तरह संक्षिप्त में और साफ-साफ कह कर खत्म किया।

“मिस्टर, आप जो बोल रहे हो फ्रैंक खबर तो नहीं है…सच्ची है ना?”

“झूठ हो तो अपने फोन से मैं बात करूंगा क्या सर? मैं बड़े कार्तिका इंडस्ट्रीज के एम.डी. कृष्णा राज का सेक्रेटरी हूं। तिरुपति भगवान के दर्शन के लिए जा रहा हूं इसीलिए प्रत्यक्ष नहीं आ सका। क्योंकि सुबह 6:30 बजे हमें वहां होना है” वह बोला।

“राइट राइट…हम देख लेंगे। थैंक्स फॉर योर इनफॉरमेशन” कहकर सब इंस्पेक्टर ने फोन को काटा। अगले अध्याय में आगे …..