य़ह व्यंग्यात्मक कविता है जो भ्रष्टाचार पर आधारित है:
भ्रष्टाचार का खेल
नेता और अफसर का, समझौता है निराला,
भ्रष्टाचार की गंगा में, सबने हाथ डाला।
जनता की सेवा का, करते हैं ये दावा,
पर असल में तो बस, नोटों का है धंधा।
फाइलें घूमती हैं, रिश्वत की चक्की में,
सच की आवाज़ दबती, झूठ की बस्ती में।
कुर्सी की भूख में, सब कुछ है जायज़,
ईमानदारी की बातें, बस हैं एक साज़।
जनता की उम्मीदें, टूटती हैं रोज़,
भ्रष्टाचार की जड़ें, फैलती हैं रोज़।
पर एक दिन आएगा, जब जागेगी जनता,
भ्रष्टाचार के खिलाफ, उठेगी एक क्रांति।
आओ मिलकर लड़ें, इस बुराई के खिलाफ,
वाट लगाएं एसे समझौते की , न रहे भ्रांति
जंगलों का विनाश एक गंभीर समस्या है, जिसमें सरकारी तंत्र और उद्योगपतियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। विकास परियोजनाओं, उद्योगों, और कृषि विस्तार के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है।
सरकारी तंत्र की भूमिका
सरकारें अक्सर विकास परियोजनाओं के लिए जंगलों की भूमि का उपयोग करती हैं। सड़क निर्माण, सिंचाई परियोजनाएं, और शहरीकरण के लिए जंगलों की कटाई की जाती है। इसके अलावा, कई बार सरकारी नीतियों में पारदर्शिता की कमी होती है, जिससे अवैध कटाई को बढ़ावा मिलता है¹.
उद्योगपतियों की भूमिका
उद्योगपति भी जंगलों के विनाश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकारी तंत्र से मिली भगत होती है इनकी. खनन, लकड़ी, और कृषि उद्योगों के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई की जाती है। पाम ऑयल, सोया, और बीफ उत्पादन के लिए जंगलों को साफ किया जाता है².
परिणाम
जंगलों की कटाई से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि, और कार्बन डाईऑक्साइड के स्तर में वृद्धि जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं².
... समाधान हो सकता है पर होगा नहीं
जंगलों को बचाने के लिए सख्त नीतियों और कानूनों की आवश्यकता है। पुनर्वनीकरण, सतत कृषि, और पारदर्शी नीतियों के माध्यम से जंगलों की रक्षा की जा सकती है। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों को भी जंगलों की रक्षा में शामिल करना महत्वपूर्ण है¹... भ्रष्टाचार का जादू विकास में बाधा बनता है। यहाँ एक कविता है जो इस विषय पर प्रकाश डालती है:
भ्रष्टाचार का जादू, विकास का दुश्मन है,
हर कदम पर रुकावट, हर सपना अधूरा है।
जादूगर को पहचानिए उसे भगा दीजिए
नेताओं की चालों में, जनता का हक खो जाता,
हर रिश्वत की रकम से, देश का भविष्य डगमगाता।
कागजों में योजनाएं, हकीकत में धूल,
भ्रष्टाचार की आंधी में, सब कुछ हो जाता है फिजूल।
विकास की राह में, ईमानदारी की जरूरत है,
भ्रष्टाचार के जादू से, मुक्ति की जरूरत है।
आओ मिलकर संकल्प लें, इस जादू को हराएं,
ईमानदारी की मशाल से, देश को आगे बढ़ाएं।
जादूगर को पहचानिए उसे भगा दीजिए
नेता और अफसर का, समझौता है निराला,
भ्रष्टाचार की गंगा में, सबने हाथ डाला।
जनता की सेवा का, करते हैं ये दावा,
पर असल में तो बस, नोटों का है धंधा।
वही अपराध, वही माहौल,वही नारे
नेता वही जनता बेचारे
नेता हिटलर जनता बेघर
हर साल वही हाल।
कुत्ते की पुंछ सीधी नहीं होती,
जैसे बदलता नहीं ये साल।
हर बार नई उम्मीदें,
पर वही पुरानी चाल।
कुत्ते की पुंछ सीधी नहीं होती,
जैसे बदलता नहीं ये साल।
सपनों की बुनावट में,
हर बार नई कहानी।
पर हकीकत की राहों में,
वही पुरानी नादानी।
कभी सोचा था बदलेंगे,
हमारे ये हालात।
पर कुत्ते की पुंछ सीधी नहीं होती,
जैसे नहीं बदलते ये हालात।
हर बार की तरह,
फिर से वही सवाल।
क्यों नहीं बदलते,
हमारे ये हालात?
कुत्ते की पुंछ सीधी नहीं होती,
जैसे नहीं बदलते ये हालात।
पर उम्मीद की किरण,
फिर भी है हमारे साथ।....
(उदाहरणार्थ...
केदारनाथ का सोना ग़ायब?
जगन्नाथ मंदिर का ख़ज़ाना ग़ायब?
रामलला टपकती छत के नीचे बैठाये गये हैं
और अब अयोध्या में सेना के लिए 13000 एकड़ आरक्षित भूमि अडानी,रामदेव और रविशंकर के नाम हो गई?
मेरा यक़ीन मानिए उचक्के इस बार राष्ट्रवाद,धर्म और तिरंगे की चाशनी में लपेट कर डकैती और भ्रष्टाचार को लाये हैं!)