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यादों की अशर्फियाँ - 16. 1.शिव शक्ति ट्यूशन क्लास

1.शिव शक्ति ट्यूशन क्लास
स्कूल के साथ साथ ही एक ओर दौर चलता है और वह है ट्यूशन का। अक्सर सब स्टूडेंट्स स्कूल से ज्यादा ट्यूशन को पसंद करते है क्योंकि इसमें ज्यादा फ्रीडम होती है स्कूल के नियमों से। जिस तरह ट्यूशन में स्कूल के यूनिफॉर्म में से छूटी मिलती है, अपने मनचाहे कपड़े पहन सकते है, वैसे ही बाकी और चीजों में भी हमें काफी छूट मिलती है और जब आपका ट्यूशन उन्हीं स्कूल के दोस्तों के साथ और उसी स्कूल में हो तो? अपनी तो निकल पड़ीं।
   हमारी स्कूल में ही ट्यूशन था - शिव - शक्ति ट्यूशन क्लास। दोपहर को स्कूल से छूट ने के बाद, घर जा कर, खाना खाने के बाद ढाई बजे से साढ़े पाँच बजे तक चलता था ट्यूशन। वहीं स्कूल के फ्रेंड्स आते पर टीचर्स स्कूल के नहीं थे। तभी तो हम मज़ा कर पाते थे।
     पांच घंटे स्कूल में पढ़ने के बाद भी हम 3 घंटा ट्यूशन का पढ़ते थे और फिर भी हम आज उसे याद करते है तो कुछ बाते तो होंगी जो हमारे पूरे दिन का थकान उतार देती थी। स्कूल के बाद कड़ी धूप में, आराम करने के वक्त पर फिर उतना ही अंतर तय करके स्कूल जाने की कुछ तो वजह होगी और वह वजह थी - हमारी मस्ती। सच कहूं तो सबको एक बार तो यह खयाल आता ही था कि आज नहीं जाते ट्यूशन पर एक बार स्कूल तक पहुंचने के बाद सारी आलस दूर हो जाती।
 हम सब फ्री ड्रेस में करीब दो बजे इकठ्ठा होते थे। तब प्ले हाउस के बच्चे की रिसेस थी। में सबसे पहले आ जाती थी और मेरा सबसे फेवरिट काम उन छोटे बच्चों के साथ खेलती और उनकी मासूम हरकतों को देखती। 10th के सीनियर स्टूडेंट्स का ट्यूशन का वक्त दो बजे से था पर हमारा ढाई बजे से पर न जाने क्यों सबको जल्दी आने की आदत थी क्योंकि यही वक्त था जब स्कूल के कोई टीचर्स नहीं होते थे पर मेना टीचर और कनक टीचर को छोड़कर। मेना टीचर प्राइमरी में भी पढ़ाते थे। उसे में डेडीकेटेड टीचर कहूं या हमारे विरोधी क्योंकि वह हमारी ट्यूशन की फ्रीडम भी छीन लिया करते थे और कनक टीचर तो ट्यूशन का संचालन करते थे।
   क्रिशा, अंजनी, माही, ध्रुवी, खुशाली, रीति, में, सब थे कमी थी तो सिर्फ झारा की, जो ट्यूशन में नहीं आई और वह शायद उसका सबसे बड़ा लॉस था। सब के लिए यह नया अध्याय था और सब खुश भी थे। सबसे ज्यादा एक्साइटेड और खुश में और ध्रुवी थे क्योंकि पिछले साल सिर्फ हम दो लड़कियां ही ट्यूशन में थी और हम अकेला भी फ़िल करते थे पर इसबार तो हमारी पूरी गैंग थी और साथ में निखिल, हर्षित, भैरव, जैमिन, उत्कर्ष, श्रेय ध्रुविन और कई सब पूरी तैयारी के साथ आए थे। में और ध्रुवी उत्साह में आ कर सबको ट्यूशन की सभी बातों को बता रहे थे, कौन कौन से टीचर्स आयेंगे और उसका स्वभाव कैसा है। एक चीज़ हमें बहुत ही विचित्र लगती थी कि स्कूल के मेना टीचर और ट्यूशन के मेना टीचर में बहुत फर्क था। पता नहीं क्यों, मेना टीचर ट्यूशन में जरूरत से ज्यादा ही अच्छे बन रहे थे और यह चिंता का विषय है। यह राज़ हमे कभी पता ही नहीं चल पाया।
  ट्यूशन में वैसे वह सब था जो स्कूल में था यानि हमे पिछले साल तो एक दिन के टूर में भी ले गए थे। मैने और ध्रुवी ने खूब मज़ा की थी उस वक्त। जैसे मज़ा थी वैसे सजा भी थी टेस्ट के रूप में। स्कूल में भी शनिवार को टेस्ट और ट्यूशन में गुरुवार को टेस्ट और वह भी अलग अलग सब्जेक्ट की। पर यह टेस्ट उतनी सीरियस नहीं होती थी सिवाय मेरी। सब एक दूसरे से बात करते हुए, मस्ती करते हुए लिखते जाते। हालांकि टीचर्स वहीं होते पर जैसी मैने पहले कहा ट्यूशन में कनक टीचर और मेना टीचर बिल्कुल बदल ही गए थे हमारे हिसाब से। एक फायदा माणिक सर का था क्योंकि जिस टेस्ट में हमे डर लगना चाहिए था मतलब मैथ्स और साइंस, माणिक सर उस पेपर्स को कभी चेक करके लाए ही नहीं इस लिए कम मार्क्स आने का डर ही नहीं था।
   ट्यूशन में हम काफी फ्रीडम पते थे जैसे बोर्ड में लिखना, खड़े होकर टीचर्स की तरह बोलना, नाश्ता करना, खिड़की में से झांकना पर जब तक सर न आ जाए। हम हमेशा यही सोचते कि काश आज सर थोड़ा लेट आए ताकि हमे मस्ती करने का वक्त थोड़ा ज्यादा मिले। पर कनक टीचर आ कर हमारे प्लान में पानी फेर देते थे। खेर ट्यूशन की बाते तब समाज आए जी जब हम माणिक सर और मेहुल सर से मिलेंगे।
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