स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 8 Praveen kumrawat द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 8

गर्भ संस्कार-3 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)

(शिशु के भौतिक गुणों का निर्धारण)
(नोट-यहाँ बच्चे के शारीरिक गुणों को परिभाषित किया गया है, लेखक ने अपने हिसाब से गुण लिखे हैं, आप अपने हिसाब से जैसा चाहे गुण बदल सकती है। शिशु को संस्कार देने के लिए मन को शांत कर लें और निचे लिखे शब्दों को मन ही मन दोहराएँ)

मेरे प्यारे शिशु, मेरे बच्चे, मैं तुम्हारी माँ हूं…… माँ!

★ आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ भौतिक गुणों की याद दिला रही रही हूँ जो तुम्हे परमात्मा का अनमोल उपहार हैं

★ परम तेजस्वी ईश्वर का अंश होने के कारण तुम्हारे मुख पर सूर्य के समान दिव्य तेज और ओज रहता है।

★ तुम्हारे नैन-नक्श तीखे और बहुत सुन्दर है. तुम्हारा सुन्दर मुखड़ा सबको बहुत प्यारा लगता है।

★ तुम्हारे चेहरे का रंग गोरा और सबका मन मोह लेने वाला है।

★ तुम्हारी हर अदा सुन्दरतम ईश्वर की झलक लिए हुए है. तुम्हारा माथा चौड़ा है. तुम्हारी आँखें बड़ी है, तुम्हारी भौहें तीर के आकार की तरह बड़ी है, तुम्हारी पलकें काली और बड़ी हैं।

★ तुम्हारे होंठ फूल की तरह कोमल और सुन्दर हैं, तुम्हारे चेहरे पर हरपल एक मधुर मुस्कान छाई रहती है।

★ तुम्हारी बुद्धि कुशाग्र है. तुम्हारी वाणी मधुर और सम्मोहन करने वाली है।

★ तुम बहुत अच्छे खिलाडी हो, तुम्हारा शरीर तंदुरुस्त और फुर्तीला है. (किसी विशेष खेल के प्रति शिशु के मन में प्रतिभा विकसित करनी हो तो यहाँ कह सकते हैं)

★ तुम बहुत सुंदर दिखते हो, बड़े होने पर भी तुम्हारी सुंदरता और निखरती जाएगी।

★ तुम्हारी हर अदा बहुत निराली और अनोखी है।

★ घर के सभी सदस्यों का आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है। तुम्हारे रूप में मुझे जैसे दिव्य संतान प्राप्त हो रही है, तुम्हे पाकर में बहुत प्रसन्न हूँ, जल्द ही इस सुन्दर संसार में तुम्हारा आगमन होगा। तुम्हारा स्वागत करने के लिए सभी बेचैन है।
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गर्भ संस्कार-3 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)

(शिशु के भौतिक गुणों का निर्धारण)
(नोट-यहाँ बच्चे के शारीरिक गुणों को परिभाषित किया गया है, लेखक ने अपने हिसाब से गुण लिखे हैं, आप अपने हिसाब से जैसा चाहे गुण बदल सकती है। शिशु को संस्कार देने के लिए मन को शांत कर लें और निचे लिखे शब्दों को मन ही मन दोहराएँ)

मेरे प्यारे शिशु, मेरे बच्चे, मैं तुम्हारी माँ हूं…… माँ!

★ आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ भौतिक गुणों की याद दिला रही रही हूँ जो तुम्हे परमात्मा का अनमोल उपहार हैं

★ परम तेजस्वी ईश्वर का अंश होने के कारण तुम्हारे मुख पर सूर्य के समान दिव्य तेज और ओज रहता है।

★ तुम्हारे नैन-नक्श तीखे और बहुत सुन्दर है. तुम्हारा सुन्दर मुखड़ा सबको बहुत प्यारा लगता है।

★ तुम्हारे चेहरे का रंग गोरा और सबका मन मोह लेने वाला है।

★ तुम्हारी हर अदा सुन्दरतम ईश्वर की झलक लिए हुए है. तुम्हारा माथा चौड़ा है. तुम्हारी आँखें बड़ी है, तुम्हारी भौहें तीर के आकार की तरह बड़ी है, तुम्हारी पलकें काली और बड़ी हैं।

★ तुम्हारे होंठ फूल की तरह कोमल और सुन्दर हैं, तुम्हारे चेहरे पर हरपल एक मधुर मुस्कान छाई रहती है।

★ तुम्हारी बुद्धि कुशाग्र है. तुम्हारी वाणी मधुर और सम्मोहन करने वाली है।

★ तुम बहुत अच्छे खिलाडी हो, तुम्हारा शरीर तंदुरुस्त और फुर्तीला है. (किसी विशेष खेल के प्रति शिशु के मन में प्रतिभा विकसित करनी हो तो यहाँ कह सकते हैं)

★ तुम बहुत सुंदर दिखते हो, बड़े होने पर भी तुम्हारी सुंदरता और निखरती जाएगी।

★ तुम्हारी हर अदा बहुत निराली और अनोखी है।

★ घर के सभी सदस्यों का आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है। तुम्हारे रूप में मुझे जैसे दिव्य संतान प्राप्त हो रही है, तुम्हे पाकर में बहुत प्रसन्न हूँ, जल्द ही इस सुन्दर संसार में तुम्हारा आगमन होगा। तुम्हारा स्वागत करने के लिए सभी बेचैन है।