य़ह जो बेठे है है पिछली बेंच पे, य़ह भी अच्छे होते हैं पढ़ाई में
फर्क यहि है कि बस य़ह ओवर confident होते हैं
मेरा अनुभव है कि य़ह विद्यार्थि अधिक सोचते हैं
औरों से य़ह zyada स्वतंत्र टाइप होते हैं
इनको आप क्रम न परखना
जिवन की दौड़ में य़ह काफी आगे निकलते हैं
इसको विस्तार से समझते हैं.. आइए
पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्रों के बारे में अक्सर यह धारणा होती है कि वे पढ़ाई में कमजोर होते हैं। लेकिन यह धारणा हमेशा सही नहीं होती। कई बार पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्र भी पढ़ाई में अच्छे होते हैं, लेकिन उनका आत्मविश्वास और व्यवहार उन्हें अलग बनाता है।
पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्रों का आत्मविश्वास अक्सर बहुत अधिक होता है। वे अपने विचारों और क्षमताओं पर भरोसा रखते हैं और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। यह आत्मविश्वास उन्हें पढ़ाई में भी मदद करता है। वे कठिन विषयों को समझने और समस्याओं को हल करने में सक्षम होते हैं। उनका आत्मविश्वास उन्हें नई चीजें सीखने और अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
हालांकि, कभी-कभी यह आत्मविश्वास ओवर कॉन्फिडेंस में बदल जाता है। ओवर कॉन्फिडेंस का मतलब है कि वे अपनी क्षमताओं को अधिक आंकते हैं और दूसरों की सलाह या मदद को नजरअंदाज करते हैं। यह ओवर कॉन्फिडेंस उन्हें गलतियों की ओर ले जा सकता है। वे सोचते हैं कि उन्हें सब कुछ पता है और इसलिए वे पढ़ाई में ध्यान नहीं देते। यह उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है और उनके परिणामों को खराब कर सकता है।
पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्रों का एक और गुण होता है - उनकी स्वतंत्रता। वे स्वतंत्र रूप से सोचते हैं और अपने तरीके से काम करना पसंद करते हैं। वे समूह में काम करने की बजाय अकेले काम करना पसंद करते हैं। यह स्वतंत्रता उन्हें अपनी रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ाने में मदद करती है। वे नए विचारों को अपनाने और उन्हें लागू करने में सक्षम होते हैं।
इसके अलावा, पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्र अक्सर सामाजिक होते हैं। वे अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं और समूह में काम करने में भी सक्षम होते हैं। उनका सामाजिक व्यवहार उन्हें टीम वर्क और सहयोग के महत्व को समझने में मदद करता है। वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर पढ़ाई करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं।
आपका अनुभव सही है। पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्र अक्सर अधिक सोचने वाले और स्वतंत्र होते हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
अधिक सोचने वाले
पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्र अक्सर गहरे विचारक होते हैं। वे चीजों को सतही रूप से नहीं देखते, बल्कि उनके पीछे के कारणों और परिणामों पर विचार करते हैं। यह गहन सोच उन्हें समस्याओं को हल करने और नए विचारों को विकसित करने में मदद करती है। वे अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करते हैं और किसी भी विषय पर अपनी राय रखते हैं। यह सोचने की क्षमता उन्हें पढ़ाई में भी मदद करती है, क्योंकि वे विषयों को गहराई से समझते हैं और उन्हें याद रखने में सक्षम होते हैं।
स्वतंत्रता
पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्र अक्सर स्वतंत्र होते हैं। वे अपने तरीके से काम करना पसंद करते हैं और दूसरों पर निर्भर नहीं रहते। यह स्वतंत्रता उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है और वे अपने निर्णय खुद लेने में सक्षम होते हैं। वे अपने समय का प्रबंधन खुद करते हैं और अपनी प्राथमिकताओं को समझते हैं। यह स्वतंत्रता उन्हें जीवन में आगे बढ़ने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करती है।
सामाजिक और व्यवहारिक गुण
इन छात्रों का सामाजिक व्यवहार भी उन्हें अलग बनाता है। वे अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं और समूह में काम करने में भी सक्षम होते हैं। उनका सामाजिक व्यवहार उन्हें टीम वर्क और सहयोग के महत्व को समझने में मदद करता है। वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर पढ़ाई करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। यह सहयोग और समर्थन उन्हें पढ़ाई में भी मदद करता है।
ओवर कॉन्फिडेंस का प्रभाव
हालांकि, कभी-कभी यह स्वतंत्रता और आत्मविश्वास ओवर कॉन्फिडेंस में बदल जाता है। वे सोचते हैं कि उन्हें सब कुछ पता है और इसलिए वे पढ़ाई में ध्यान नहीं देते। यह ओवर कॉन्फिडेंस उन्हें गलतियों की ओर ले जा सकता है। उन्हें अपने ओवर कॉन्फिडेंस को नियंत्रित करने और दूसरों की सलाह को मानने की जरूरत होती है। इससे वे अपने प्रदर्शन को और बेहतर बना सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछली बेंच पर बैठने वाले छात्र भी पढ़ाई में अच्छे होते हैं। उनका आत्मविश्वास, स्वतंत्रता और सामाजिक व्यवहार उन्हें अलग बनाता है। हालांकि, उन्हें अपने ओवर कॉन्फिडेंस को नियंत्रित करने और दूसरों की सलाह को मानने की जरूरत होती है। इससे वे अपने प्रदर्शन को और बेहतर बना सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।