अब तक :
शिविका ने लाइट्स जलाई और आदित्य को देखा तो फूट फूट कर रोने लगी । उसके रोने की आवाज सुनकर आदित्य जाग गया ।
उसने शिविका को रोते देखा तो जल्दी से उसके पास आ गया । शिविका जमीन पार निढाल सी बैठ गई । आदित्य उसके पास आया तो शिविका झट से उसके गले से लग गई ।
" भाई.... भाई.... " कहकर शिविका बुरी तरह से बिलख पड़ी ।
आदित्य ने भी उसकी पीठ पर हाथ रख दिया । और शिविका को रोता देखकर वो भी रो दिया ।
अब आगे :
शिविका उससे अलग हुई और उसके चेहरे को हाथों में भरकर देखते हुए बोली " भाई मैं आपकी बहन हूं... " ।
आदित्य खामोश उसे देखता रहा ।
शिविका ने उसका हाथ पकड़ा और बोली " यहां के लोग बोहोत बुरे हैं भाई... संयम बोहोत बुरे हैं... । उन्होंने हमारा इस्तेमाल किया है.. ।
अपना बदला लेने के लिए हमे use किया है.. । कह रहे थे कि पापा ने उनके साथ गलत किया और इसलिए उन्होंने हमारे साथ गलत किया.. । आपकी दिमागी हालत खराब कर दी.. । और मेरे दिल के साथ खेला.. । और अब मेरे पेट में उनका बच्चा है.. " बोलकर शिविका बिलख पड़ी ।
आदित्य खड़ा हुआ और बोला " च चलो.. चलो... भाग चलो यहां से... । ये लोग बोहोत गंदे है.. तुमको भी रुला दिया ना... " ।
शिविका ने उसकी ओर देखा । आदित्य जल्दी से उठा और शिविका को उठाने लगा । । वो बोहोत पैनिक करने लग गया था । शिविका की आंख में आए आसूं उसे अजीब सी हरकत करने पर मजबूर कर रहे थे । वो कांपने लग चुका था ।
शिविका समझ सकती थी कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है और ऐसी सिचुएशन में क्या करना है क्या नहीं वो नहीं समझ सकता.. । किसी की आंखों में आए आंसुओं को देखकर उसकी हालत और बिगड़ जाती थी ।
शिविका ने उसका हाथ पकड़ा और बोली " भाई.. भाई शांत... । कुछ गलत नही हुआ है.. । आप फिक्र मत कीजिए... । आप ना अभी आराम कीजिए... । सब सही है.. सब ठीक हो जायेगा.. " । बोलकर शिविका ने उसे बेड पर लेटा दिया और कंबल से उसे कवर कर दिया । फिर उसका सिर सहलाते हुए उसकेेेे पास बैठी रही ।
थोड़ी देर में जब वो से गया तो शिविका वहां से बाहर निकल गई ।
और बाहर गार्डन में आकर बैठ गई । उसने अपने घुटनों को अपने सीने में समेट लिया और आसमान में देखने लगी ।
" किससे अपना दर्द बाटू... । बचा ही कौन है... । जिसे अपना माना उसने ही इतना बड़ा धोखा दे दिया । नई जिंदगीीीीीी की शुरुआत करनी चाहि तो ऐसे जख्म मिल गए जो शायद अब न भर भी नाा पाए । परिवार तो पहले ही खो चुकी थी । एक भाई मिला तो उसकी जिंदगी भी संयम ने बर्बाद कर दी है.. । किसी और की करनी की सजा हमे क्यों मिली.. ??
यहां कौन अपना है... । सब कुछ धोखा है " ।
बोलकर शिविका फूट कर रोई और फिर वहीं पर रोते रोते बेहोश हो गई । ।
अगली सुबह :
विक्रम अपने कमरे में आया तो बेड की ओर देखा । बेड पर शिविका सो रही थी ।
शाम को विक्रम ने पूरे घर में शिविका को ढूंढा था तो वो उसे बाहर गार्डन में सोई हुई मिली थी। ।
विक्रम उसे बाहों में उठाकर अपने कमरे में ले आया था और अपने बेड पर उसे सुला दिया था ।
विक्रम बाथरूम की ओर चला गया ।
शिविका की आंख खुली तो उसने देखा कि वो बेड पर सो रही थी । उसने चारों को नजरें घुमाई तो ये कमरा उसके लिए अंजान सा था ।
बेड पर उसके दोनो ओर pillows रखे हुए थे । और उसे भी कंबल ओढ़ाया हुआ था ।
तभी दरवाजा खुला और विक्रम बाथरूम से बाहर आया । शिविका हैरान सी उसे देखने लगी । । संयम से धोखा खाने के बाद किसी पर भी उसका भरोसा करना आसान नहीं था । ।
" मैं कहां हूं.... और आप... आप मुझे यहां क्यों लाए हैं... ?? " बोलते हुए शिविका जल्दी से बेड से उतर गई ।
विक्रम " आराम से शिविका.... तुम्हे लग ना जाए पीछे टेबल हैै... .। और तुम बाहर गार्डन में सो रही थी , जो सही नही है... इसलिए यहां ले आया.. । " ।
शिविका " आपको उससे क्या मतलब.... ?? मैं कहीं भी सोऊं... । "।
विक्रम " तुम्हारी हालत ठीक नहीं है शिविका । हालत देखो अपनी... "।
शिविका सवालिया नजरों से उसे देखते हुए बोली " मतलब.. ??? आपको मेरीीीी हालत से क्या मतलब है... । मुझे अब किसीीीीीी का साथ नहीं चाहिए.... " ।
विक्रम " मैं समझ सकता हूं तुम पर क्या गुजर रही है... । संयम ने सही नही किया.... " ।
शिविका " huh... सही... उनको तो एहसास भी नही होगा कि उन्होंनेेेेे किया क्या है... । सहीीीीीीीीी गलत की परख तो आप छोड़ ही दीजिए । और आपको ये कैसे पता... ?? क्या्या्या्या्या्या आप भी उनके साथ मिलेेे हुए थे ?? " ।
विक्रम " मैं उसके जितनाााा गिरा हुआ और हार्टलेस नहीं हूं...... । मैंनेेे रात को तुम्हारी और संयम की बातें सुनी थी... । शर्म आ रही है ये कहते हुए कि वो मेरा भाई है.. काश मैं ना कह पाता... । संयम इंसान नही रहा शिविका... , ये मैं जानता था.. लेकिन , वो तुम्हे भी धोखा दे रहा था.. ये मुझे नही पता था.. । " बोलते हुए विक्रम ने सिर झुका लिया ।
" जिस इंसान के लिए तुम इतना कुछ करती रही वो इसके काबिल ही नही था.. । तुम्हारा प्यार वो इंसान डिजर्व नही करता... छोड़ दो उसे... । उसके साथ रहने का कोई मतलब नहीं है । " बोलकर विक्रम शिविका के पास आया । ।
शिविका ने उसे हाथ दिखाकर रोक दिया और बोली " उनके साथ रहना अब मुमकिन हो भी नहीं पाएगा " बोलकर शिविका जल्दी से कमरे से बाहर निकल गई । ।
विक्रम मुट्ठी बनाए वहीं खड़ा रहा फिर शिविका के पीछे बाहर निकल गया ।
शिविका बाहर आई तो सामने ही उसे वाणी जी नजर आ गई । शिविका जाकर उनसे लिपट गई और फूट कर रो दी ।
वाणी जी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और बोली " क्या हुआ शिविका..... । क्यों रो रही हो... ?? बस करो बेटा... "। बोलकर वाणी जी ने उसे खुद से दूर किया और उसके चेहरे को देखा । उसकी आंखें रोने की वजह से सूजी हुई थी बाल बिखरे हुए थे ।
शिविका बोलने लगी तो उसका गला बैठ गया । वो खड़े से जमीन पर धड़ाम से गिर पड़ी ।
वाणी जी ने देखा तो सर्वेंट्स को आवाज लगाई।
" शिविका... शिविका क्या हुआ.. आंखें खोलो बेटा... " । बोलकर वाणी जी उसका गाल थपथपाने लगी ।
विक्रम जल्दी से शिविका के पास आ गया ।
वाणी जी " विक्रम... जल्दी करो हॉस्पिटल ले चलो इसे... "। ।
विक्रम ने सिर हिला दिया । और शिविका को बाहों में उठाकर बाहर की ओर ले गया।
वाणी जी ने फ्लोर की तरफ देखा तो वहां ब्लड स्टेन्स लग गए थे । ।
उन्होंने अपने सीने पर हाथ रखा। उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी । और कुछ बोहोत बुरा होने का अंदेशा उन्हें हो रहा था ।
वाणी जी भी विक्रम के पीछे बाहर आ गई । विक्रम ने शिविका को अपनी गोद में लेटाया और गाड़ी चलाकर हॉस्पिटल की ओर निकल गया ।
वाणी जी दूसरी गाड़ी में बैठी और उनके पीछे चल दी ।
हॉस्पिटल में जाकर विक्रम ने हल्दी से उसे एडमिट करवा दिया। उसके कपड़ों पर भी खून के धब्बे लग चुके थे ।
" उसे चोट तो नही लगी.. तो इतना खून... " सोचते हुए वो हॉस्पिटल के फॉर्म भरने लगा ।
वाणी जी भी वहां पहुंच गई । विक्रम के कपड़े देखकर उन्हें कुछ अंदाजा लग रहा था लेकिन वो पूरे विश्वास से कुछ नही कह सकती थी । ।
वो परेशान सी शिविका के वार्ड की तरफ देखने लगी ।
कुछ ही देर में डॉक्टर बाहर आई और बोली " she got aborted... " ।
ये सुनते ही वाणी जी के पैरों तले की जमीन खिसक गई । उन्हें अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था.. ।
विक्रम ने हैरानी से पूछा " क्या... ??? वो प्रेगनेंट थी... ?? " ।
डॉक्टर " जी हां.... एक महीने से वो प्रेगनेंट थी... । क्या आप लोगों को नही पता था... ?? " ।
विक्रम ने ना में सिर हिलाया और वाणी जी की ओर देखने लगा । ।
वाणी जी को तो मानो होश ही नहीं था... ।
विक्रम " क्या आपको पता था दादी... ?? " ।
वाणी जी न में सिर हिलाते हुए बोली " नही.. । और शायद उसे खुद भी पता न हो.. " ।।
डॉक्टर " कल ही वो यहां आई थी.. । उन्हें कल बताया गया था कि वो प्रेगनेंट हैं... । काफी खुश थी और आज अपना बच्चा वो खो बैठी... । i am sorry... खयाल रखिए उनका... " बोलकर डॉक्टर चली गई । वाणी जी जमीन पर गिरने लगी तो विक्रम ने उन्हें संभाल लिया ।
विक्रम ने उन्हें बेंच पर बिठाया । वाणी जी गहरी सांस लेते हुए बोली " संयम को बुलाओ विक्रम... " ।
विक्रम " दादी.. आ जायेगा वो... । मैं अभी फोन करता हूं... " बोलकर विक्रम ने फोन निकाला और फोन करने का सोचा । लेकिन संयम ने जो हरकत की थी उसके बाद विक्रम उसके शकल तक नही देखना चाहता था उससे बात करना तो बोहोत दूर की बात थी ।
विक्रम ने उसे मैसेज भेज दिया ।
एक नर्स शिविका के वार्ड से बाहर आई और बोली " आप मिलना चाहें तो मिल सकते हैं... " ।
विक्रम ने सिर हिला दिया और वाणी जी को लेकर अंदर जाने लगा ।
वाणी जी ने शिविका को देखा तो उनकी आंखें बरस पड़ी । शिविका बेजान सी बैठी दीवार को देखे जा रही थी । वाणी जी आकर उसके पैरों के पास बैठ गई और बोली " ये क्या हो गया शिविका... । तुमने हमे बताया भी नही.. । संयम को भी नही पता होगा कि वो बाप बनने वाला था... " ।
शिविका ने हाथ की मुट्ठी कस ली.. । और वाणी जी को देखने लगी । शिविका की सांसें गहरी चलने लगी । वो कुछ बोलने की हालत में अभी नही थी ।
उसकी आंखों से एकाएक आसूं बह निकले । वो वाणी जी को बताना चाहती थीी कि संयम ने उसकेे साथ कितना गलत किया है । लेकिन अभीीीीी उसके गले से मानो आवाज ही नहीं निकल रही थी ।
विक्रम ने वाणी जी को देखा और बोला " दादी.. उसे आराम करने देते हैं... वो अभी ठीक नही है... " ।
वाणी जी में शिविका के माथे को चूमा और बाहर निकल गई । विक्रम आकर शिविका के बेड के साइड में खड़ा हो गया । उसने शिविका का हाथ पकड़ा तो शिविका दहाड़े मार कर रो दी... ।
विक्रम ने उसे सीने से लगा लिया । उसकी आंखों से भी आंसू बह निकले ।
विक्रम उसका सिर सहलाने लगा ।
" मुझे यहां नही रहना... मेरा दम घुट रहा है । मुझे उस इंसान को दुबारा नहीं देखना... मुझे जाना है यहां से.. मुझे नही सुनना उस इंसान का नाम... । " शिविका चीखते हुए बोली । उसके एक-एक शब्द से उसकाा दर्द महसूस कियााााा जा सकता था । वो एक एक शब्द्द्द बहुत मुश्किल सेेेेेे उसके गले से निकल रहा था ।
विक्रम ने उसकी पीठ को सहलाया और बोला " शांत हो जाओ शिविका... । तुम्हे अभी आराम की जरूरत है.. । चलो सो जाओ... "।
शिविका ने विक्रम की शर्ट को हाथों में कसा और बोली " मुझे यहां से दूर भेज दीजिए... प्लीज... । मैं ये सब और नही देख सकती... । अपना बच्चा तक खो दिया है.. । मुझमें और हिम्मत नही है.. । मुझे यहां से भेज दीजिए प्लीज... । मैं अपने भाई के साथ यहां से कहीं बहुत दूर चली जाना चाहती हूं जहां मुझे यह सब याद ना आए..... जहां पर इन नाम को लेने वाला कोई ना हो । एक धोखे को अब अपने सामने नहीं देख सकती...... " ।
विक्रम ने उसके चेहरे को हाथों में भरा और बोला " तुम उसे दुबारा नहीं देखोगी शिविका... । मैं हूं तुम्हारे साथ... । अभी आराम करो । " बोलकर विक्रम ने उसे पीछे बेड पर लेटा दिया ।
शिविका सिसकते हुए लेट गई । दिल में दर्द था जो बयान नहीं किया जा सकता था ।
शिविका ने अपने पेट पर हाथ रखा और कुछ ही देर में रोते रोते बेहोश हो गई ।
विक्रम बाहर आया और किसी को फोन मिला दिया ।
रात हो गई थी लेकिन संयम हॉस्पिटल नही आया था । वाणी जी को विक्रम ने घर भेज दिया था । वहीं शिविका अभी भी बेहोश थी । उसे glucose चढ़ाया जा रहा था ।
विक्रम उसके वार्ड में बैठा पूरी रात उसे देखता रहा । शिविका का पास्ट और उसके साथ अभी जो कुछ भी हुआ वो बोहोत बुरा था । किसी को भी तोड़ कर रख दे इस तरह के धोखे उसे मिले थे । वहीं अपना बच्चा खोना किसी के भी दिल को छलनी करने के लिए काफी था ।
विक्रम को उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था । जब से शिविका उसे मिली थी तब से ही विक्रम को उसका स्वभाव बहुत अच्छा लगता था हालांकि उसके दिल में शिविका के लिए कोई प्यार की फीलिंग नहीं थी लेकिन फिर भी एक सहानुभूति वो उसके लिए रखने लगा था । शाम के पहर में जब शिविका और विक्रम की बात होती थी तो वह पल विक्रम के लिए दिन में सबसे ज्यादा आरामदायक और राहत का पल होता था ।
शिविका की चुलबुली बातें विक्रम के चेहरे पर मुस्कान ले आती थी । वही जब विक्रम संयम और शिविका को साथ देखा था तो उसे हमेशा से लगता था कि संयम किसी के साथ इतना प्यार से नहीं रह सकता और उसके दिमाग में जरूर कुछ ना कुछ जरूर चलता होगा । यही वजह थी कि दोनों को साथ देखकर विक्रम को अच्छा नहीं लगता था ।
जितना शिविका का साथ उसे अच्छा लगने लगा था उतना ही शिविका और संयम का साथ उसे डर भरा लगता था ।
और आज उसका अंदेशा बिल्कुल सही साबित हो चुका था । शिविका के साथ हुए गलत का विक्रम को बहुत ज्यादा दुख था । ।
अगली सुबह :
शिविका को होश आया तो उसने अपने आप को हॉस्पिटल के बेड पर पाया । उसी वक्त विक्रम उसके डिस्चार्ज के पेपर्स लेकर अंदर आया । शिविका ने उसकी ओर देखा फिर अपने हाथ पर लगी ड्रिप को देखने लगी ।
विक्रम " चलो.. शिविका.. डिस्चार्ज मिल गया है.. । " ।
शिविका ने कुछ जवाब नही दिया ।
नर्स ने आकर शिविका को लगाई गई drips को निकाला । विक्रम ने शिविका को सहारा दिया और बाहर ले आया ।
शिविका गाड़ी में बैठी तो बोली " रुकिए.. जाने से पहले कुछ काम रह गया है... उसे पूरा कर लूं... " ।विक्रम उसकी ओर देखने लगा ।
शिविका गाड़ी से उतरी और वापिस हॉस्पिटल के अंदर आ गई ।
विक्रम भी उसके पीछे चल दिया ।
ये वही हॉस्पिटल था जहां पर नरेन को भी एडमिट कराया गया था शिविका लिफ्ट में गई और नरेन के फ्लोर का बटन दबा दिया ।
नरेन के वार्ड के बाहर आकर शिविका ने गहरी सांस ली और अंदर चली गई । नरेन को देखते हुए उसकी आंखें आंसुओं से डबडबाई हुई थी... ।
शिविका के कहने पर नरेन को देख रहे डॉक्टर भी वहां पर आ गए ।
शिविका ने कांपते हाथों से नरेन का हाथ पकड़ा और अपने माथे से लगा लिया ।
" love you DILJANI.... " बोलकर शिविका ने उसके माथे को चूम लिया ।
नरेन की बॉडी में कोई रिस्पॉन्स नही था । शिविका के आंसू नरेन के चेहरे पर गिरे तो शिविका ने उन्हें साफ कर दिया ।
डॉक्टर " कोई फायदा नही है. शिविका... । ये अब ठीक नही हो सकते... " ।
शिविका ने सिर हिलाया और बोली " जानती हूं डॉक्टर... । इसीलिए आज आखिरी बार आई हूं... " ।
डॉक्टर ध्यान से शिविका को देखने लगे ।
शिविका " आप इन्हें डेथ इंजेक्शन दे दीजिए.... । मैं नही चाहती अब ये और ये सब झेलें... । बोहोत कोशिश की कि ये ठीक हो जाएं.. लेकिन शायद भगवान भी नही चाहते कि अब इस फरेबी दुनिया में नरेन जैसे लोग रहें... । इनको राहत दे दीजिए डॉक्टर... । " बोलकर शिविका उसके हाथ को चूम लिया । ।
विक्रम बस सब कुछ ऑब्जर्व कर रहा था उसे नहीं पता था कि सामने लेट इंसान कौन था और आखिर शिविका उसे डेथ इंजेक्शन क्यों दिलवा रही थी... ।
लेकिन शिविका की आवाज का दर्द साफ बता रहा था कि सामने वाला इंसान शिविका के लिए बहुत खास था । विक्रम की आंखें भी नम हो आई वो आंसुओं से भरी आंखों से शिविका को देखने लगा जो बिल्कुल एक पुतले की तरह खड़ी होकर सामने लेटे इंसान को देखे जा रही थी ।