कथाओं का आँगन - पूजा मणि राजीव तनेजा द्वारा पुस्तक समीक्षाएं में हिंदी पीडीएफ

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कथाओं का आँगन - पूजा मणि

आप सबने ये पुरानी कहावत सुनी तो होगी ही कि..'सहज पके सो मीठा होय' अर्थात किसी भी चीज़ को परिपक्व होने अर्थात पकने के लिए पर्याप्त समय की ज़रूरत होती है। मगर आजकल के ज़माने में सब्र कहाँ। जल्दबाज़ी के चक्कर में जहाँ एक तरफ़ कैमिकल के प्रयोग से फल कभी ज़्यादा पक कर गल जाता है तो कभी बाहर से पका और भीतर से कच्चा या फ़ीका रह जाता है। तो वहीं दूसरी तरफ़ इस जल्दी से जल्दी और ज़्यादा से ज़्यादा पा लेने की  भेड़चाल से हमारा साहित्यजगत भी अछूता नहीं रह पाया है। इस हफ़ड़ा-धफड़ी (आपाधापी) के आलम में सबको इतनी जल्दी होती है कि उनके पास वर्तनी की त्रुटियों को सुधारने के साथ-साथ अपने खुद के लिखे की ही सही से प्रूफ़रीडिंग करने या कराने तक का भी समय नहीं होता कि जब तक इन्हें सुधरेंगे तब तक तो हम एक किताब और लिख मारेंगे। ख़ैर.. इस बारे में और बातें फ़िर कभी। अब बात करते हैं एक नयी किताब की तो जैसा कि आप सबने देखा, सुना एवं महसूस किया होगा कि आमतौर पर किस्से-कहानियों का जन्म हमारे आसपास के माहौल से प्रेरित होकर ही होता है। कई बार इनके गवाह हम ख़ुद होते हैं तो कई बार इधर-उधर से कुछ किस्से गुफ़्तगू करने के लिए हमारे कानों में कभी चुपचाप तो कभी शोर मचाते हुए आ धमकते हैं। उन्हीं किस्सों में से कुछ किस्सों को अपने आँगन में इस बार सजाया है पूजा मणि ने अपनी कहानियों की किताब 'कथाओं का आँगन' में। जिससे रूबरू होने का मुझे मौका मिला।दोस्तों..इस संकलन की किसी कहानी में जहाँ एक तरफ़ मामूली नोकझोंक के बाद प्रेमी-प्रेमिका बने आर्यन और गहना जब अपने हनीमून पर आगरा जाते हैं तो ताजमहल भ्रमण के दौरान कुछ ऐसा घटना है कि आगरा के हर अख़बार में गहना की तस्वीर छपी नज़र आने लगती है। तो वहीं दूसरी तरफ़ एक अन्य कहानी मृत्युशैया पर पड़ी उस सुगना अम्मा की व्यथा व्यक्त करती दिखाई देती है, जिसका कम उम्र में ही दो जवान बच्चों के पिता से ब्याह कर दिया गया। अपने स्वयं के तीन बच्चों और दो सौतेले बेटों के होने के बावजूद भी उसके अंत समय में उनमें से कोई भी उसके साथ नहीं था।इसी संकलन की एक अन्य कहानी में अपनी माँ की मृत्यु के बाद अकेली रह गई ध्रुवी, ईर्ष्यावश अपने पिता की दूसरी पत्नी, सुमन को कभी दिल से अपना नहीं पाती मगर शादी के पाँच वर्षों बाद कुछ ऐसा घटता है कि..इसी संकलन की एक कहानी में जहाँ एक तरफ़ प्रकृति और जंगल से प्रेम करने वाली अपनी बचपन की मित्र गौरैया से विवाह कर चुका अरण्य, वकालत की पढ़ाई करने के लिए शहर जाने के बाद, उसे भूल वहीं एक अन्य लड़की शरण्या से शादी कर लेता है मगर फ़िर कुछ ऐसा घटता है कि उसे लौट कर वापिस अपने गाँव, गौरैया के पास आना पड़ता है। तो वहीं दूसरी तरफ़ एक अन्य कहानी में नरेश जी असमंजस में हैं कि क्या उन्होंने अपने दोस्त कपिल को मुसीबत में देख, उसकी प्यार में धोखा खा, किसी और से गर्भवती हो चुकी बेटी, भूमि का विवाह अपने बेटे अंबर से करने का निर्णय लेकर सही किया अथवा ग़लत।इसी संकलन की अन्य कहानी के माध्यम से लेखिका, जहाँ अपनी ज़मीन में मोबाइल टॉवर लगवा कर मोटी कमाई का लालच देने वाले ठगों के प्रति अपने पाठकों को आगाह करने का प्रयास करती नज़र आती हैं। तो वहीं एक अन्य कहानी मध्यमवर्गीय परिवार की उस तेज़तर्रार और महत्त्वकांक्षी लड़की नीरू की कहानी कहती है जो लड़कों को अपनी उँगलियों पर नचा अपना हर काम निकालना जानती है। इसी नीरू के साथ कुछ ऐसा घटता है कि सबके सामने उसकी पोल खुल जाती है।इसी संकलन की एक अन्य कहानी में नदियों को साफ़ रखने की बात होती दिखाई देती हैं तो कहीं किसी दूसरी कहानी में लेखिका लोगों को ऑनलाइन ठगी के प्रति आगाह करती नज़र आती हैं। अच्छे एवं ज़रूरी विषयों को लेकर लिखी गयी इस किताब में मुझे तथ्यात्मक ग़लतियाँ दिखाई दीं। उदाहरण के तौर पर पेज नंबर 15 में लिखा दिखाई दिया कि..'ताजमहल का प्रतिबिम्ब खरीदने के लिए आर्यन से वो उलझ पड़ी थी'यहाँ ग़ौर करने वाली बात ये है कि आईने में दिख रही प्रतिछाया को प्रतिबिंब कहा जाता है जबकि यहाँ बात ताजमहल की रेप्लिका अर्थात उसकी ही शक्ल के खिलौने या उसके जैसी ही मूर्ति (प्रतिमूर्ति) को खरीदने की हो रही है। अतः यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..'ताजमहल की रेप्लिका/खिलौना खरीदने के लिए वो आर्यन से उलझ पड़ी थी'पेज नंबर 37 में लिखा दिखाई दिया कि…‘मैं एक करोड़ दूँगा बस जमीन मेरे नाम हो जाए। कहता हुआ पच्चीस लाख पैसों से भरा बैग उसके तरफ बढ़ा दिया’यहाँ इस घटना में बात लाखों रुपयों की हो रही है लेकिन यहाँ लिखा हुआ है कि..‘पच्चीस लाख पैसों से भरा बैग उसके तरफ बढ़ा दिया’ जो कि महज़ पच्चीस हज़ार रुपयों की रकम बनती है। इसलिए सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘पच्चीस लाख रुपयों से भरा बैग उसकी तरफ़  बढ़ा दिया।पेज नंबर 79 के अंत में लिखा दिखाई दिया कि..‘समीर के एक कदम आगे बढ़ते ही एक सनसनाती गोली उसके साथ खड़े दोनों सिपाहियों को लगी और वो गिर गए’यहाँ सोचने वाली बात ये है कि एक ही गोली, एक साथ दो सिपाहियों को कैसे लग सकती है?पेज नंबर 101 के एक दृश्य में विवाह के लिए लड़की देखने के इरादे से निवेश अपनी दादी के साथ लड़की वालों के घर जाता है। वहाँ उसके द्वारा गोद ली हुई बच्ची, रावी के बारे में जब सवाल उठता है तो भड़क कर निवेश कह उठता है कि..'अरे आप क्या रिश्ता तोड़ेंगे मैं ऐसे मतलबी घर की बेटी को अपनी जीवन संगिनी के रूप में कभी भी नहीं अपनाऊंगा'यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि अभी तो उनकी लड़की का निवेश से रिश्ता जुड़ा ही नहीं है। ऐसे में रिश्ता तोड़ने की बात कैसे की जा सकती है?पेज नंबर 103 में लिखा दिखाई दिया कि..'सारी बच्चियों ने अपने दिए गए विषय पर अपना वक्तव्य रख दिया'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए था कि..'सारी बच्चियों ने दिए गए विषयों पर अपना-अपना वक्तव्य दिया'यहाँ यह बात भी ध्यान देने लायक है कि इस दृश्य में बात छोटी कक्षाओं में पढ़ने वाली बच्चियों की हो रही है। अतः उनकी छोटी उम्र के हिसाब से 'वक्तव्य' एक बहुत ही भारी भरकम शब्द है। यहाँ इसकी जगह किसी आसान शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था।■ अब बात वाक्यों की सही बुनावट की तो उस दृष्टि से भी इस संकलन की कहानियों में काफ़ी कमियाँ नज़र आयीं। उदाहरण के तौर पर पेज नंबर 17 में लिखा दिखाई दिया कि..'जैसे ही उसने अपने कमरे का दरवाजा खोला कि जैसा उसने सोचा था आर्यन आराम से घोड़े बेचकर सोया हुआ था'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..'जैसे ही उसने अपने कमरे का दरवाजा खोला तो उसने पाया कि उसकी सोच के अनुसार ही आर्यन आराम से घोड़े बेचकर सोया हुआ था'पेज नंबर 18 में लिखा दिखाई दिया कि..'आज शाम को उड़ान है मेरे भोले-भाले पतिदेव'यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि 'उड़ान' शब्द का प्रयोग पक्षियों के उड़ने के सिलसिले में किया जाता है।जहाज़ के उड़ने के लिए मेरे ख्याल से अँग्रेज़ी का 'फ्लाइट' शब्द ही सबसे उत्तम है। इसलिए सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..'आज शाम को हमें जहाज़ से जाना है मेरे भोले-भाले पतिदेव' या फ़िर 'आज शाम की हमारी फ्लाइट है मेरे भोले-भाले पतिदेव'इसी पेज पर आगे लिखा दिखाई दिया कि..'जाओ-जाओ मुझे तुम्हारी रक्षा नहीं करनी पड़ जाए'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..'जाओ-जाओ कहीं मुझे तुम्हारी ही रक्षा नहीं करनी पड़ जाए'पेज नंबर 29 में लिखा दिखाई दिया कि..‘बचपन में तुम्हें छोड़कर दूजा विवाह रचा लिया होता सुगना ने तो तुम कम से कम दर-दर की ठोकर खाते फिरते’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..‘सुगना ने बचपन में ही तुम्हें छोड़कर दूसरा विवाह रचा लिया होता तो तुम दर-दर की ठोकरें खाते फ़िरते’पेज नंबर 32 में लिखा दिखाई दिया कि..‘अपने आँख पर से हर हाल में औरत ग़लत होती है ये पट्टी उतार कर देखिए’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि…‘अपनी आँखों से ये पट्टी उतार कर देखिए कि हर हाल में औरत ग़लत होती है’इसी पेज पर आगे लिखा दिखाई दिया कि..‘इसे कोख से जन्म भर नहीं दिया है बाकी कलेजा भी काट कर रख दूँ इसके लिए’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘इसे कोख से जन्म भर ही नहीं दिया है मगर फ़िर भी इसके लिए मैं अपना कलेजा काट कर रख दूँ’इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि…‘इतना कहकर सुमन अपना मोबाइल फोन निकाली गगन और शोभा देवी को आनंद की करतूत दिखा दी’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि…‘इतना कहकर सुमन ने अपना मोबाइल फोन निकाला और गगन और शोभा देवी को उसने आनंद की करतूत दिखा दी’पेज नंबर 35 में लिखा दिखाई दिया कि…‘गगन हड़बड़ाकर गाना बंद कर कर, अरण्य के सामने फाइल लेकर भागा’ यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘गगन ने हड़बड़ाते हुए गाना बंद किया और भाग कर अरण्य के पास फ़ाइल लेकर आया’इसी पैराग्राफ में आगे लिखा दिखाई दिया कि..‘वहाँ का विधायक जंगल कटवा कर कृषि अनुसंधान लगवाना चाहता है’यहाँ ‘कृषि अनुसंधान लगवाना चाहता है’ की जगह कृषि अनुसंधान संस्थान/केन्द्र बनवाना चाहता है’ आएगा।इसी पैराग्राफ में आगे लिखा दिखाई दिया कि..‘इसलिए अब आपसे बड़ा वकील तो कोई है नहीं।आज विधायक अपने दल बल के साथ आया था, मुंहमांगी रकम देने को तैयार है’मेरे हिसाब से ये दोनों वाक्य सही नहीं बने। सही वाक्य इस प्रकार होने चाहिए कि.. ‘अब आपसे बड़ा वकील तो कोई है नहीं। इसलिए आज विधायक अपने दल बल के साथ आया था और आपको मुंहमांगी रकम देने को तैयार है’पेज नंबर 36 में लिखा दिखाई दिया कि..‘इस स्थिति को समझने का नाकामयाब कोशिश करने लगा और सोचते सोचते चाय मंगाने के लिए फोन उठा लिया’वाक्य विन्यास की दृष्टि से यह वाक्य भी सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘इस स्थिति को समझने की नाकामयाब कोशिश करने लगा और सोचते-सोचते चाय मँगाने के लिए उसने फ़ोन उठाया’पेज नंबर 39 में लिखा दिखाई दिया कि..‘अरे पगले! तू कितना अभागा है। तूने इसका प्रेम ठुकरा दिया। हो सके ये अभागी रही होगी लेकिन इस जंगल और इस पूरे गाँव को माँ की तरह संरक्षण करती है तो इस जंगल की भांति घना और गहरा है इसका विश्वास और प्रेम दोनों’यह पूरा पैराग्राफ़ बहुत ही अटपटा लिखा गया है। इसी बात को कम और साधारण शब्दों में इस प्रकार लिखा जाना चाहिए था कि..‘अरे पगले! तू कितना अभागा है। तूने इस अभागी का, जो इस जंगल और पूरे गाँव की रक्षा करती है, का प्रेम ठुकरा दिया। इस जंगल की भांति ही घना और गहरा है इसका तेरे प्रति प्यार।पेज नंबर 42 में लिखा दिखाई दिया कि..‘ज़ब पेट में भूख से मरोड़ उठने लगी तब उसने पके आम की खुशबू से अपनी पेट की आग मिटाने की इच्छा जाहिर की’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘जब पेट में भूख से मरोड़ उठने लगे, तब उन्होंने पके आमों से अपनी पेट की आग मिटाने की इच्छा ज़ाहिर की’पेज नम्बर 44 में लिखा दिखाई दिया कि..‘मैं आपके हर फैसले को सर झुकाकर सुनना अपना कर्तव्य मानता हूँ’यहाँ ‘हर फैसले को सर झुकाकर सुनना अपना कर्तव्य मानता हूँ’ की जगह ‘हर फैसले को सर झुकाकर मानना अपना कर्तव्य मानता हूँ’ आएगा।पेज नंबर 45 में लिखा दिखाई दिया कि..‘एक पल के लिए जो पछतावे का ख्याल नरेश जी के मन में आया था, कन्यादान करते समय सारे आँखों से बह रहे मोती के साथ चमकने लगे’यह वाक्य बहुत ही अटपटा बना है। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..‘एक पल के लिए जो पछतावे का ख्याल नरेश जी के मन में आया, वह कन्यादान करते समय आँखों से बह रहे मोतियों के साथ ही बह गया’इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि..‘चल मेरे साथ थोड़ी देर तुम दोनों से एक साथ कुछ बात करनी है’यह वाक्य भी सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘चलो मेरे साथ थोड़ी देर के लिए। तुम दोनों से एक साथ कुछ बात करनी है’ इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि..‘अंबर बेटा, थोड़ा स्वार्थी ही सही समझ लो, अब जो हाथ थाम लिया है तो मेरे समाज में मान बने रहने देना’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘अंबर बेटा, बेशक मुझे थोड़ा स्वार्थी ही समझ लो मगर अब जो हाथ थाम लिया है तो समाज में मेरा मान बने रहने देना’पेज नंबर 46 में लिखा दिखाई दिया कि..‘लाल बनारसी साड़ी में भरी माँग केसरिया सिंदूर से भूमि का चेहरा बिल्कुल दमक रहा था’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘लाल बनारसी साड़ी में केसरिया सिंदूर से भरी माँग के बीच भूमि का चेहरा बिल्कुल दमक रहा था’इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि..‘मायके की दहलीज से विदा होकर भूमि अब अपने ससुराल के दहलीज पर अपने स्वागत के इंतजार में खड़ी थी। उसकी सासू मां राधा जी आरती की थाल लिए उसके स्वागत में खड़ी थी। भूमि की आरती के बाद उसकी शानदार स्वागत उसकी ननद अन्या ने किया’वाक्य विन्यास की दृष्टि से ये सभी वाक्य सही नहीं बने। सही वाक्य इस प्रकार होंगे कि..‘मायके की दहलीज से विदा होकर भूमि जब अपनी ससुराल पहुंची तो उसकी सासू मां राधा, आरती का थाल लिए उनके  स्वागत में खड़ी थी। आरती उतारने के बाद भूमि का उसकी ननद अन्या ने शानदार स्वागत किया’पेज नंबर 53 में लिखा दिखाई दिया कि..'सामने वाला दगाबाज और फरेबी निकला तो इसमें उसका कसूर है, मेरा नहीं। समझे मेरे जीवन के घुसपैठिये महान इंसान'यहाँ इस वाक्य 'समझे मेरे जीवन के घुसपैठिये महान इंसान' को हटा ही दिया जाए तो बेहतर।पेज नंबर 55 की अंतिम पंक्ति में लिखा दिखाई दिया कि..'कपिल जी और नरेश जी अपने बाग के इस फूल को एक साथ खेलते देखकर आशीर्वाद देकर प्रसन्न हो रहे थे'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..'कपिल जी और नरेश जी अपने बाग के इन फूलों को एक साथ खिलते देखकर प्रसन्न थे'पेज नंबर 61 की अंतिम पंक्ति में लिखा दिखाई दिया कि..'सर से बहते खून की धारा के बावजूद राधिका के होंठ मुस्कान और आँखें जलधारा बरसा रही थी'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..'सर से बहती खून की धारा के बावजूद राधिका के होठों से मुस्कान और आँखों से जलधारा बह रही थी'पेज नंबर 85 में लिखा दिखाई दिया कि..‘बाहर मीडिया का जमावड़ा और अस्पताल में मौत का शोर इतना कुछ झेलते हुए अपने बुढ़ापे की लाठी के छीन जाने का दर्द सब एक साथ वो झेल नहीं पाई और अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ी’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..‘बाहर मीडिया का जमावड़ा और अस्पताल में मौत का शोर। और अब अपनी बुढ़ापे की लाठी के छिन जाने का दर्द, सब एक साथ वो झेल नहीं पाई और अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ी’पेज नंबर 89 में लिखा दिखाई दिया कि..‘सड़क पर जमे पानी से गाड़ी के पहिए से उसके मुंह पर जोर से पानी उसके मुँह पर आया’वाक्य-विन्यास की दृष्टि से यह वाक्य बिलकुल भी सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘सड़क पर जमा हुए पानी में गाड़ी के पहियों के पड़ने से पानी ज़ोर से उछल कर उसके मुँह पर आया’पेज नंबर 98 में लिखा दिखाई दिया कि..‘खाना खाकर और बच्ची को सुलाकर बाजार जाकर अपनी कागजात की प्रतिलिपि करवा कर जब वो घर लौटा’ वाक्य विन्यास की दृष्टि से यह वाक्य बिलकुल भी सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘खाना खाने और बच्ची को सुलाने के बाद वो अपने ज़रूरी कागज़ात की फोटोकॉपी करवा कर जब घर लौटा’इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि..‘पुलिस बच्ची के परिवार वालों को ढूंढ नहीं पाती है तो क्या आप इसे बच्चों को देख-रेख कर रही संस्था को बच्ची को सौंप देंगे’यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..‘पुलिस अगर बच्ची के परिवार वालों को ढूँढ नहीं पाती है तो क्या आप इसे बच्चों की देख-रेख करने वाली संस्था को सौंप देंगे”पेज नंबर 100 में लिखा दिखाई दिया कि..'अचानक उसकी नजर बच्चों के झूले पर पड़ी और उसने उसे खरीद कर घर ले गया'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..' उसकी नज़र बच्चों के झूले बेचने वाली एक दुकान पर पड़ी तो उसने एक झूला ख़रीद लिया'इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि..'धीरे-धीरे समय गुजरने लगा और रावी धीरे-धीरे बड़ी होने लगी'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..'धीरे-धीरे समय गुजरने लगा और रावी बड़ी होने लगी'इससे अगली पंक्ति में लिखा दिखाई दिया कि..'निवेश का हाथ पकड़कर उसके अँगने में वो धीरे-धीरे चलना सीख रही थी'यह वाक्य भी सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..'निवेश का हाथ पड़कर वह आंगन में धीरे-धीरे चलना सीख रही थी'इसी पेज पर और आगे बढ़ने पर लिखा दिखाई दिया कि..'एक संस्थान की मदद से रावी की गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दिया था'यहाँ 'रावी की गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दिया था' की जगह 'रावी को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी' आएगा। इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि..'निवेश, रावी के लालन-पालन के साथ अपनी पढ़ाई भी तन-मन से करता रहता था। उसके परिणाम स्वरुप उसे उसके शहर के बीडीओ के पोस्ट पर नौकरी लग गई'यहाँ 'उसके परिणाम स्वरुप उसे उसके शहर के बीडीओ के पोस्ट पर नौकरी लग गई' की जगह 'जिसके परिणाम स्वरूप उसकी, उसी के शहर में बीडीओ की पोस्ट पर नौकरी लग गई' आए तो बेहतर। पेज नंबर 101 में लिखा दिखाई दिया कि..'आपने गोद लिया बच्ची को बहुत ही नेक काम किया है'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..'आपने बच्ची को गोद लेकर बहुत ही नेक काम किया है'पेज नंबर 103 में लिखा दिखाई दिया कि..'इतना सुनते ही पास खड़ी नियति उसकी पीठ पर खड़े होकर, उसका हाथ पकड़ कर उसे वहाँ से हटाने लगी'यहाँ यह बात ध्यान देने वाली है कि यहाँ बच्ची(रावी) को उसकी टीचर (नियति) द्वारा स्टेज से हटाने की बात हो रही है। ऐसे कोई भी टीचर भला एक छोटी बच्ची की पीठ पर क्यों चढ़ेगी या चढ़ने के प्रयास करेगी? 😊इसी वजह से यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..'इतना सुनते ही पास खड़ी नियति ने उसका हाथ पकड़ कर उसे वहाँ से हटाने का प्रयास किया'पेज नंबर 109 में लिखा दिखाई दिया कि..'मैं अपने गुनाह की सजा सात साल जेल की सजा काटकर भुगत चुका हूँ' यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..'मैं सात साल जेल में रहकर अपने गुनाह की सज़ा भुगत चुका हूँ'पेज नंबर 113 में लिखा दिखाई दिया कि..'रूपा को लगा जैसे भूमि ही उसके अमावस्या वाली रातों के बाद आने वाली पूर्णमासी की चांद है'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..'रूपा को लगा कि जैसे भूमि ही उसकी अमावस्या वाली रातों के बाद आने वाला पूर्णमासी की चांद है'इसी पेज पर और आगे लिखा दिखाई दिया कि..'सुबह जब रूपा उठी तब उसकी नजर आईने पर पड़ी और वह खुद पर मुस्कुरा उठी'परिस्थितियों के हिसाब से यहाँ रूपा को मुस्कुराना नहीं बल्कि रोना चाहिए। इसलिए यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होना चाहिए कि..'सुबह जब रूपा सोकर उठी, तब उसकी नज़र आईने पर पड़ी और उसे खुद पर रोना आया'पेज नंबर 119 में लिखा दिखाई दिया कि..'तीनों अपने में मगन अपने मोबाइल पर ध्यान नहीं दिया और कैंटीन में बैठी गप्पे हाँक रही थीं'यह वाक्य सही नहीं बना। सही वाक्य इस प्रकार होगा कि..'तीनों अपने में इस हद तक मग्न थीं कि किसी ने भी अपने मोबाइल पर ध्यान नहीं दिया और कैंटीन में बैठी आपस में गप्पें हाँकती रहीं'■ बहुत से लेखक अपनी भाषा पर क्षेत्रीयता के असर की वजह से स्त्रीलिंग और पुल्लिंग में या फ़िर एकवचन और बहुवचन में आसानी से भेद नहीं कर पाते हैं। यह किताब भी इन कमियों से बच नहीं पाई है। यहाँ मैं कुछ शुरुआती कमियों के ही जिक्र कर रहा हूँ जैसे कि..पेज नम्बर 16 में लिखा दिखाई दिया कि..'आगरा में ताजमहल की गुम्बद से भी ऊँची आपकी अकड़ लगती है मैडम'यहाँ 'ताजमहल की गुम्बद से भी ऊँची आपकी अकड़ लगती है' की जगह 'ताजमहल के गुम्बद से भी ऊँची आपकी अकड़ लगती है' आना चाहिए।पेज नंबर 17 में लिखा दिखाई दिया कि..'पूर्णिमा की चाँद के साथ भी दूध सी संगमरमर की सफेदी को अपने अंदर उतारा है'इस वाक्य में 'पूर्णिमा की चाँद के साथ भी' की जगह 'पूर्णिमा के चाँद के साथ' आएगा तथा 'दूध सी संगमरमर की सफेदी को अपने अंदर उतारा है' की जगह 'दूध सी संगमरमर की सफेदी को भी अपने अंदर उतारा है' आएगा।पेज नंबर 21 में लिखा दिखाई दिया कि..'गहना के अस्पताल पहुंचने के बाद ही पुलिस भी उसके पीछे-पीछे आ गई'यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि गहना अपने घायल पति आर्यन को लेकर अस्पताल गई थी। इसलिए यहाँ'पुलिस भी उसके पीछे-पीछे आ गई' की जगह 'पुलिस भी उनके पीछे-पीछे आ गई' आएगा।पेज नम्बर 24 में लिखा दिखाई दिया कि..'ये जो यहाँ ममतामयी माँ के रूप में खड़ी जिस विशालकाय वृक्ष की छाया में तुम फ़ल-फूल रही हो, वो अन्दर से खोखली है'यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि यहाँ ममतामयी माँ की तुलना एक विशालकाय वृक्ष से की जा रही है इसलिए यहाँ 'ममतामयी माँ के रूप में खड़ी जिस विशालकाय वृक्ष की छाया में' की जगह 'ममतामयी माँ के रूप में खड़े जिस विशालकाय वृक्ष की छाया में' आएगा तथा 'वो अन्दर से खोखली है' की जगह 'वो अन्दर से खोखला है' आएगा।* घुंघट - घूँघट* पढाई - पढ़ाई* वारिश - वारिस* बोरबेल - बोरवैल/बोरवेल* गुगुनाती - गुनगुनाती* बड़बडाए - बड़बड़ाए* खिंचकर - खींचकर* तपीश - तपिश* चलाक - चालाक* बिगड - बिगड़* (साजो-सज्जा) - साज-सज्जा* बूंदें (कानों में पहनने वाले) - बुंदे (कानों में पहनने वाले)* (हालए - दिल) - (हाल-ए-दिल)* सासस सुर - सास ससुर* (कर्तव्य-निष्ठ) - कर्तव्यनिष्ठ* समाज़ - समाज* सिपाहीयों - सिपाहियों* आतंकवादीयों - आतंकवादियों* फूस्स - फुस्स* खूद - ख़ुद* बढा - बढ़ा* बढाया - 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