डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 72 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 72

अब आगे,

बनारस के, सिंघानिया विला मे,

जब राजवीर को पता चला कि रूही अपनी इकलौती दोस्त खुशी के साथ उस की किसी एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में जा रही है तो उस के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ चुकी थी..!

और अब राजवीर ने रूही के पिता अमर की तरफ इशारा करते हुए अपने पी ए दीप से कहा, "इस को उस कंट्रक्शन साइड पर ले जाओ और सारा काम अच्छे से समझा देना..!" 

अपनी बात कह कर अब राजवीर ने रूही के पिता अमर को देखते हुए उन से कहा, "और हां मुझे कोई भी गलती की गुंजाइश न मिले नही तो मै क्या कर सकता हूं उस का डेमो मैने तुम्हे ऑलरेडी उस कंट्रक्शन साइड पर दिखा ही दिया था..!" 

राजवीर ने अपनी बात कह कर एक डेविल स्माइल दी जिस को देख कर ही रूही के पिता अमर के पसीने छूटने लगे और उन होने ने झट से अपना सिर हां दो से तीन बार हिला दिया..! 

वही अब रूही के पिता अमर, राजवीर के पी ए दीप के साथ राजवीर के सिंघानिया विला से बाहर निकल गया और तो अब राजवीर ने एक नजर अपने विला में खड़े नोकरो को देखा तो वो ऐसे भाग खड़े हुए जैसे उन होने कोई भूत देख लिया हो..! 

पहले वाले रसोइया ने राजवीर के विला की हाईटेक रसोई घर में पहुंच कर अब रूही के पिता अमर के दोस्त सुखविंदर से कहा, "सही मे बेटियां वाहेगुरु की रहमत से मिलती हैं और ये कभी भी अपने पिता पर आंच भी नही आने देती है और देखा न उस आदमी (रूही के पिता अमर) की जान हमारे बॉस से केसे बच गई..!" 

अपने दोस्त और उस पहले वाले रसोइया की बात सुन कर अब रूही के पिता अमर के दोस्त सुखविंदर ने अपने आप में बड़बड़ाने लगा, "हां यार, आज मेरे वीरे और मेरी भी जान बस उस की सगी बेटी रूही की वजह से ही बच पई है नही तो आज क्या से क्या हो जाता..!" 

रूही के पिता अमर के दोस्त सुखविंदर को अपने आप से बोलता हुआ देख कर, अब उस पहले वाले रसोइया ने रूही के पिता अमर के दोस्त सुखविंदर के हाथ को हिलाते हुए उस से पूछा, "क्या हुआ तुझे, अपने आप से बात क्यू कर रहा था..!" 

पहले वाले रसोइया की बात सुन कर, अब रूही के पिता अमर के दोस्त सुखविंदर ने उस से कहा, "कुछ भी तो नही..!" 

अपनी बात कह कर अब रूही के पिता अमर के दोस्त सुखविंदर ने अब घबराते हुए उस पहले वाले रसोइया से कहा, "अरे घड़ी देख हमारे बॉस के ब्लैक कॉफी विद आउट शुगर और दुपहर के खाने का समय हो गया है और एक मिनट भी देर हुआ ना तो तुझे पता है ना क्या होगा..!" 

रूही के पिता अमर के दोस्त सुखविंदर की बात सुन कर जब उस पहले वाले रसोइया ने घड़ी को देखा तो दोनो जल्दी से अपने अपने काम में लग गए..! 

करीब एक घंटे बाद,

वही राजवीर का पी ए दीप फिर से राजवीर के विला में वापस आ गया था और अब फिर से राजवीर के पास जाकर वो भी बिना किसी आवाज के खड़ा हो गया और वही राजवीर के पर्सनल बॉडीगार्ड देव ने राजवीर से कहा, "बॉस, वो अभय सर आप से मिलना चाहते हैं..!" 

अपने पर्सनल बॉडीगार्ड देव की बात सुन कर, राजवीर ने उस से कहा, "अंदर भेज दो उस को..!" 

राजवीर ने ये अपने पर्सनल बॉडीगार्ड से कहा ही था कि राजवीर के विला के मुख्य द्वार से किसी के आने के आहट सुनाई दी और जब राजवीर ने उस तरफ देखा तो उस आते हुए शक्श से कहा, "जब तुझे खुद से ही आना था तो मुझ से पूछवाने की क्या जरुरत पड़ गई थी..!" 

राजवीर ने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि सामने राजवीर का दोस्त अभय अपने टशन और अपने चेहरे पर एक मुस्कान के साथ ही उस के पास ही आ रहा था या ये कहो कि अभय, राजवीर को चिड़ा रहा था..! 

To be Continued......❤️✍️

हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।