हैलो effect का मतलब है किसी व्यक्ति या वस्तु के एक गुण के आधार पर उसके अन्य सभी गुणों का अनुमान लगाना⁵। यह एक प्रकार का संज्ञानात्मक पक्षपात है, जो हमारे प्रतिक्रिया, निर्णय और मूल्यांकन पर प्रभाव डालता है
हैलो प्रभाव (Halo Effect) एक संज्ञानात्मक पक्षपात (cognitive bias) है, जिसमें हम किसी व्यक्ति या वस्तु के एक गुण के आधार पर उसके अन्य सभी गुणों का अनुमान लगाते हैं। यह प्रभाव हमारे निर्णय, मूल्यांकन और प्रतिक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसे विस्तार से समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दें:
1. परिभाषा हैलो प्रभाव का मतलब है कि जब हम किसी व्यक्ति या वस्तु के एक सकारात्मक या नकारात्मक गुण को देखते हैं, तो हम उसके अन्य गुणों को भी उसी तरह से देखने लगते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति दिखने में आकर्षक है, तो हम उसे स्वाभाविक रूप से बुद्धिमान, दयालु या सक्षम मान सकते हैं, भले ही हमारे पास इसके लिए कोई ठोस प्रमाण न हो।
2. प्रभाव: यह प्रभाव हमारे दैनिक जीवन में कई क्षेत्रों में देखा जा सकता है, जैसे कि:
- नौकरी के इंटरव्यू: एक उम्मीदवार जो आत्मविश्वास से भरा हुआ दिखता है, उसे अधिक योग्य माना जा सकता है।
- शिक्षा एक छात्र जो एक विषय में अच्छा प्रदर्शन करता है, उसे अन्य विषयों में भी अच्छा माना जा सकता है।
- मार्केटिंग : एक ब्रांड जो एक उत्पाद में अच्छा है, उसके अन्य उत्पादों को भी उच्च गुणवत्ता का माना जा सकता है।
3. कारण हैलो प्रभाव का मुख्य कारण यह है कि हमारा मस्तिष्क जानकारी को सरल और त्वरित तरीके से प्रोसेस करना चाहता है। इसलिए, हम एक गुण के आधार पर अन्य गुणों का अनुमान लगाते हैं ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया को आसान बना सकें।
4. नकारात्मक पक्ष: हैलो प्रभाव के कारण हम गलत निर्णय भी ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति के आकर्षक दिखने के कारण हम उसकी अन्य कमजोरियों को नजरअंदाज कर सकते हैं।
5. निवारण इस प्रभाव से बचने के लिए हमें अपने निर्णयों में अधिक वस्तुनिष्ठता (objectivity) लानी चाहिए और किसी व्यक्ति या वस्तु के सभी गुणों का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन करना चाहिए।
अब इसके ऊपर एक कहानी हो जाए...
चोटिल मेहता एक सुंदर, समृद्ध और सम्मानित व्यक्ति था। वह एक प्रसिद्ध IT कंपनी का CEO था, जिसने कई सम्मान, पुरस्कार और समाचार में स्थान प्राप्त किए थे।
चोटिल को सभी पसंद करते थे, क्योंकि वे सोचते थे कि वह समझदार, मेहनती, सहनशील, मिलनसार, सहायक, संतुलित, संस्कृत, संस्कारी, सत्यनिष्ठ, समर्पित, संवेदनशील, समाजसेवी, समृद्धि-प्रिय, समस्या-सुलझानेवाला, समता-प्रेमी, समरसता-प्रेमी, समर्थ-प्रेमी, समर-प्रेमी, सम-प्रेमी, ... (सूची का अंत नहीं) ... हैं।
चोटिल को हर कोई प्रशंसा करता है - मीडिया, मुलाजिम, मित्र, परिवार - हर कोई!
परन्तु क्या चोटिल सच में वो सब गुण हैं जो आप देखते हैं?
कहने का मतलब है - क्या हमें हमेशा ही इन चीजों से प्रभावित हो जाना चाहिए या अपना दिमाग लगा के सत्य जानना चाहिए?
चोटिल मेहता के पीछे का सत्य कुछ और है!
- IT कंपनी को अपने पिता से विरासत में मिला था, जिसने उसे बचपन से ही बढ़ावा दिया था।
- कई प्रोजेक्टों में अपने कर्मचारियों की मेहनत का श्रेय ले लेता था, और उन्हें कम पैसे, कम सुविधाएं और कम सम्मान देता था।
- कई महिलाओं के साथ अनैतिक संबंधों में शामिल हुआ था, और उन्हें धोखा, परेशानी, हानि, हत्या, ... (सूची का अंत नही है ) ... करता था।
- कई सरकारी, सामाजिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, ... (सूची का अंत) ... मुद्दों पर मुकरता, मुनाफाखोरी, मुक्तकानी, मुक्तकारी, ...आदि करता था।
चोटिल के सच्चे रूप को पहले ही कुछ ही लोगों को पता था पर डरे हुए रहे।
- कुछ साहसी पत्रकार, जो हमेशा ही उसके पीछे पड़े हुए हैं।
- कुछ सत्यनिष्ठ कर्मचारी, जो हमेशा ही उसके सामने सत्य कहते हैं।
- कुछ समर्पित समर्थक, जो हमेशा ही उसके विरोध में हैं।
परन्तु -
- पत्रकारों को हमेशा ही मुकदमों, मारपीट, मौत, ... आदि आदि ... से डराया, धमकाया, ... (सूची का अंत नही है)... ।
- कर्मचारियों को हमेशा ही प्रताड़ित, प्रहारित, प्रलोभित, ..करना. (सूची का अंत नही ) ... ।
- समर्थकों को हमेशा ही प्रहसित, प्रहलादित, प्रहलादित, .पैसा आदि देना .. (सूची का अंत नही ) ... ।
कहने का मतलब -
- सत्य - हमेशा मार खाता है पर बाद मे निकल के आता है,सूर्य की तरह।
तब कोई नही रोक सकता,सारे चोटिल के भक्त भी हजार लाख कोशिश कर ले.. कर तो रहे ही है..
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