" भगवान सांझ की आत्मा को शांति दे।" जज साहब बोले।
" जज साहब भगवान की कृपा से सांझ जिंदा है। अक्षत ने जैसे ही कहा निशांत गजेंद्र अवतार और भावना के साथ-साथ बाकी गुनहगारों के चेहरे पर भी एकदम से डर और अजीब से भाव आ गए
"हां जज साहब मैं बिल्कुल सही कह रहा हूं। उस रोज जब सांझ उस नदी में कुंदी थी तब उसे बचा लिया गया था। वही कहते हैं ना जब गुनहगारों को सजा मिलनी होती है तो ईश्वर भी चमत्कार कर देते हैं। उतने बड़े हादसे के बाद भी सांझ जीवित है जज साहब और इस समय इस अदालत में मौजूद है।" अक्षत बोला।
सब लोग उसकी तरफ देखने लगे।
"पर उसे सामने लाने से पहले मैं कुछ और गवाह के बयान सामने लाना चाहता हूं जिन्होंने न सिर्फ सांझ को बचाया बल्कि उसे सुरक्षित हाथों में भी पहुंचा दिया।
साथ मैं अदालत से मोंटू, राजा और जो मेरा तीसरा गवाह आ रहा है उसके लिए प्रोटेक्शन की मांग करता हूं, ताकि उन लोगों के जीवन पर कोई खतरा न रहे, क्योंकि उनके गांव वालों का कोई भरोसा नहीं है।" अक्षत ने कहा
"हम अपनी तरफ से पूरा आश्वासन देते हैं उन्हें कुछ भी नहीं होगा, और अगर किसी घटना या दुर्घटना में उनकी मृत्यु होती है या उनके साथ कुछ गलत होता है तो उस पूरे गांव को ही उसे बात की सजा भुगतनी होगी। " जज साहब का लहजा एकदम कठोर हो गया था।
" तो जज साहब मेरा अगला और अहम गवाह है पड़ोसी गांव का एक मछुआरा। मैं उसे विटनेस बॉक्स में बुलाने की इजाजत चाहता हूं।" अक्षत ने कहा और फिर मछुआरा आकर खड़ा हो गया।
" जी जज साहब बिल्कुल ठीक कह रहे हैं यह चतुर्वेदी जी। उस दिन पड़ोसी गांव में क्या-क्या हुआ सब पता है हमें। हमारे गांव में भी उसकी चर्चा थी। हम तो गरीब लोग है इन बड़े लोगो के साथ उठना बैठना नहीं ही।पर उनके यहां क्या हो रहा है ? क्या-क्या घटनाएं घट रही है सब पता है हमे! उस समय जब गजेंद्र साहब की बिटिया की जान ली गई तब भी हम लोगों को पता था पर हमारी सुनता कौन इसलिए हम कुछ नहीं कह पाए थे।
उस दिन भी हमने सुरेंद्र जी को देखा था परेशान दुखी उस नदी के पुल पर बैठे हुए क्योंकि सांझ ने उस नदी में कूद कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी।
पर ईश्वर की कृपा से इसी नदी में मैं कुछ दूर मछलियां पकड़ रहा था तो साँझ मेरे हाथ आ गई
पूरा शरीर जख्मी था। चमड़ी तक मछलियों ने कुतर डाली थी। ऐसे में कुछ घरेलू नुस्खे के साथ मैंने उसकी मरहम पट्टी कर दी और सुरेंद्र जी को बुलाकर उन्हें सौपना चाहा तो सुरेंद्र जी ने वहां से सांझ के असली माता-पिता को खबर करी और वह जाकर उसे वहां से ले गए। और इस तरीके से सांझ की जिंदगी बच गई।" मछुआरा बोला।
" जज साहब साँझ को उस दिन उसके असली माता-पिता सुरेंद्र जी के पास से ले गए थे, क्योंकि सुरेंद्र जी ने उसके असली माता-पिता को खबर कर दी थी। उन्होंने उनका पता ढूंढ लिया था" अक्षत ने कहा
" असली माता-पिता? " जज साहब के मुंह से निकला।
" जी जज साहब..!! अवतार के भाई अविनाश ने साँझ को अपने एक मित्र से गोद लिया था
और शायद यही कारण था कि अवतार ने कभी उसे अपनी बेटी और अपने परिवार का हिस्सा नहीं माना। पर सुरेंद्र जानते थे कि वह परिवार कौन सा है जिसने सांझ को अवतार सिंह के भाई को गोद दिया था। और उन्होंने उन लोगो को खबर कर दी।
वह भी इस समय अदालत में मौजूद है। मैं बुलाना चाहूंगा अबीर राठौर और उनकी पत्नी मालिनी राठौर को।" अक्षत ने कहा तो अबीर और मालिनी विटनेस बॉक्स में आकर खड़े हो गए और उन्होंने अक्षत की बात की पुष्टि कर दी और फिर सारी घटना जो उसे दिन हुई वह सब अबीर और मालिनी ने बता दी।
इसके बाद अक्षत ने उन डॉक्टर्स की भी गवाही करवाई और साथ ही साथ जो अमेरिका में साँझ का इलाज हुआ था वहां के डॉक्टर ने भी वीडियो कॉल पर गवाही दी और सभी बातों से यह इस बात की पुष्टि हो गई की सांझ जीवित है।
" तो अब मैं मिसेज सांझ चतुर्वेदी को बुलाने की इजाजत चाहता हूं जज साहब क्योंकि यह सब कुछ जो भी हुआ है उस सब को उसने न सिर्फ देखा सुना बल्कि अपने ऊपर सहन किया है। इसलिए उसकी गवाही भी बहुत महत्व रखती है।" अक्षत ने कहा और शालु की तरफ देखा तो शालू ने साँझ का कंधा थपका और जज साहब की इजाजत, ले सांझ विटनेस बॉक्स में आई। अब तक साँझ भी काफी मजबूत हो चुकी थी और वह विटनेस बॉक्स में खड़ी हो गई।
"नहीं यह इंसान झूठ बोल रहा है..! यह सांझ नहीं है। न जाने किसको पकड़ कर लाया है हमें फसाने के लिए।" निशांत एकदम से गुस्से से बोला तो अक्षत ने वह सारे प्रूफ दे दिए जो यह साबित करते थे कि यही सांझ है और कॉस्मेटिक सर्जरी के बाद इसके चेहरे में कुछ बदलाव आ गए हैं।
" केस क्रिस्टल क्लियर हो चुका है फिर भी मिसेज साँझ चतुर्वेदी आप कुछ कहना चाहती हैं तो कह सकतीं हैं" जज ने साँझ की तरफ देखकर कहा।
" जज साहब मुझे कुछ भी नहीं कहना। मैं भी लगातार यहां पर मौजूद हूं। जितनी भी सुनवाई हुई मैंने देखी व सुनी। सारी बातें आपके सामने आ चुकी हैं। मैं बस न्याय की उम्मीद करती हूं आपकी इस अदालत से क्योंकि अगर आज मुझे यहां से न्याय नहीं मिला तो इसके जैसे लोगों को फिर से हिम्मत मिलेगी। फिर किसी नियति की जान ले ली जायेगी..!! फिर किसी गरीब के बेटे सार्थक को प्यार करने की सजा के नाम पर पेड़ से लटका दिया जायेगा
फिर किसी नेहा को मान्यताओं के नाम पर गाँव से भागने को मजबूर किया जायेगा और फिर किसी सांझ का सौदा करने की कोशिश और हिम्मत की जाएगीे।
एक सादा सी जिंदगी के ख्वाब देखे थे पर इन दरिंदो ने हर ख्वाब छीन लिया। यहाँ तक कि मेरी पहचान भी बदल गई।
मै अपने पति को भुलाकर उनसे अलग रही इन लोगो के कारण।
मेरा सौदा हुआ जैसे भेड़ बकरी का होता है। मुझे गुलाम बनाया गया जज साहब और फिर किसी चीज की तरह दोस्तों में बाँटने के लिए छोड़ दिया।।
मैं इंसान हूँ जज साहब और ये हैवान। और जो कुछ हुआ वह गलत हुआ। मैं मानती हूं कि किस्मत ने मेरा साथ दिया और मैं बच गई और मुझे अक्षत चतुर्वेदी जैसा जीवन साथी मिले, जिन्होंने हर परिस्थिति के साथ मुझे न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि हर पल मेरा साथ दिया। मुझे न्याय दिलाने के लिए इतनी कोशिश की।
पर जज साहब हर साँझ को अक्षत चतुर्वेदी नहीं मिलते। और न ही जीवन में दूसरे मोके मिलते है। इन लोगों ने जो किया है उसकी कोई माफी नहीं हो सकती जज साहब। सिर्फ आपसे हाथ जोड़कर इतनी ही विनती है कि सबको कठोर से कठोर सजा दी जाए, क्योंकि बात यहां सिर्फ मेरी नहीं है बात है समस्त औरत जाति की है, महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की है। और जब तक इस तरीके के दरिंदो को सख्त सजा नहीं दी जाएगी यह अपराध यूं ही बढ़ते रहेंगे जज साहब।" सांझ ने हाथ जोड़कर भरी आवाज से कहा।
"आपको कुछ कहना है?" जज ने निशांत के वकील की तरफ देखकर कहा।
"नहीं जज साहब मेरी तरफ से केस क्लियर है। अब मैं कुछ भी नहीं कहना चाहता उनके पक्ष में और ना ही मैं आपसे इनकी रियायत के लिए कोई बात कहूंगा। आप अपनी समझ के हिसाब से इनका न्याय कीजिए और जो आपको ठीक लगे वह सजा दीजिए।" निशांत के वकील ने कठोरता से कहा तो निशांत के चेहरे पर भी गुस्से के साथ साथ शर्मिंदगी के भाव आ गए।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव