तु मेरे पास है मेरे साथ है और इससे खूबसूरत कोई एहसास नही। आज सुकून मिला है इस बेताब बैचैन दिल को। तेरे साथ का एहसास ही काफी है मेरे दिल के सुकून के लिए। न तुझे हासिल करने की चाहत है न जल्दबाजी कोई..! क्योंकि प्यार में हमेशा हासिल करना जरूरी नही होता, जरूरी होता है पाना..! प्यार में सिर्फ जिस्म छूना जरूरी नही होता , जरूरी है जिस्म से पहले रूह को छूना।" अक्षत ने मद्धम रोशनी में उसके मासूम चेहरे को देखते हुए खुद से कहा और आँखे बन्द कर ली।
जैसे ही उसकी गहरी होती साँसे कमरे में गूंजी साँझ ने आँखे खोल दी।
" सच कहते है आप.. आप को यूँ सोते हुए निहारना बहुत भाता है मुझे..वरना आपकी गहरी आँखे नजर झुकाने पर मजबूर कर देती है। आपके जैसा कोई नही हो सकता जज साहब..!! कोई भी नही। आप पर अभिमान है मुझे और अपनी किस्मत पर गर्व। आपके जैसे जीवनसाथी को पाना किसी भी लड़की के लिए सौभाग्य की बात है..!! और आपको पा लिया ये भाग्य है मेरा..!! और अब शिकायत नही न ईश्वर से न जिंदगी से..!! बहुत कुछ छीना किस्मत ने पर सिर्फ एक आपको मुझे देकर मानो हर दर्द पर मरहम लगा दिया। हर कमी की भरपाई हो गई आपके जीवन मे शामिल होते ही..! आप की चाहत पर मर मिटने को जी चाहता है। जिस्म क्या जाँ भी लुटाने को जी चाहता है..!! आपके प्यार मे फना हो जाऊँ अब और कोई ख्वाहिश नही मेरी जज साहब..!! हर दर्द की दवा सिर्फ आप है और हर जख्म का मरहम भी सिर्फ आप..!" सांझ ने खुद से कहा।
" सो जाओ सांझ..!! अब हर दिन तुम्हारे साथ और हर रात तुम्हारे पास हूँ..!! जितना मर्जी देखना पर अभी आराम कर लो..!!" अक्षत की नींद मे डूबी आवाज आई तो सांझ ने आँखें बड़ी कर उसे देखा और उसके सीने से लिपट कर आँखे बन्द कर ली।
दोनों के चेहरे पर सुकून और मुस्कान बिखर गई।
*इधर ईशान के कमरे में*
शालू ईशान के खुले सीने पर सिर रखे लेटी थी और ईशान के हाथ उसकी कमर के इर्द गिर्द लिपटे हुए थे।
"तुम्हारे मन में अब तो कोई बात नहीं है ना ईशान..??" शालू ने धीमे से गर्दन उठाकर उसके चेहरे की तरफ देखते हुए कहा तो ईशान ने आंखें खोलकर उसे देखा और मुस्कुरा कर वापस से उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
"तुम्हारे लिए कोई भी बात मन में नहीं है..!! हां उस समय भी नाराजगी थी पर नफरत नहीं। प्यार था दिल में इसीलिए तो इंतजार कर रहा था। बस बुरा लगा था.. । लेकिन अब पुरानी बातों को याद करने का कोई मतलब नहीं है। अब सिर्फ आगे का सोचो शालू और सिर्फ आगे की बात करो। फाइनली सब चीजे सही हो गई है। पर अभी भी तुम्हें सांझ भाभी का ख्याल रखना होगा।" ईशान ने कहा तो शालू ने नासमझी से उसकी तरफ देखा।
"जानता हूं मैं मेरे भाई को..!! वह तब तक शांत नहीं बैठेगा जब तक की एक-एक गुनहगार को सजा नहीं मिल जाती और शायद यह समय सांझ भाभी के लिए थोड़ा कठिन निकले क्योंकि जब पुरानी बातें फिर से आंखों के सामने आती है तो इंसान को दर्द और तकलीफ होती है।"
"तुम फ़िक्र मत करो...!! सांझ मेरी बहन है और अब तो उसके साथ रिश्ता दो तरफ़ा हो गया है। उसका हर समय साथ दूंगी। और तुम एक बात नहीं जानते इशू। वह बहुत मजबूत है। बहुत हिम्मती है। हां वह दिखती नाजुक है। ज्यादा बातें बनाना नहीं आता उसे। आजकल की दुनिया के हिसाब से स्मार्टनेस नहीं है उसमें। पर मजबूती है। अंदर से स्ट्रांग है मेरी बहन।" शालु ने कहा।
"होगी क्यों नहीं आखिर तुम्हारी बहन जो है..!!ईशान ने उसकी तरफ देखते हुए कहा और फिर मुस्कुराकर उसके माथे पर होंठ रख दिये।
शालू उसके और करीब सिमट गई।
उधर मनु के कमरे में मनु और नील अभी जाग रहे थे। दोनों बालकनी में झूले पर बैठे खुले आसमान को देख रहे थे।
नील ने उसकी हथेली को अपने हाथ में थाम रखा था।
"क्या सोच रही हो?" नील ने कहा।
" कुछ नहीं बस यही सोच रही हूं कि देखते ही देखते सब की लाइफ सेटल हो गई। सबको सबका सबका प्यार सबका हमसफर मिल गया। बस और क्या चाहिए इंसान को लाइफ में..!!" मनु ने उसके कंधे से टिकते हुए कहा।
"और बस अब कुछ दिनों बाद निशि और सौरभ की शादी भी हो जाएगी, और वह लोग भी अपनी लाइफ में सेटल हो जाएंगे। कभी-कभी तो मैं सोचता हूं कि अगर वह हादसा नहीं हुआ होता तो जिंदगी कितनी अलग होती है।" नील ने कहा तो मनु ने उसकी तरफ देखा।
" हां मतलब ठीक है सब कुछ सही हुआ जा रहा है पर बीच के यह दो साल कितने अजीब से गए। तुम और मैं तो गवाह है अक्षत और ईशान की तकलीफों के।"
" पर रहते हैं ना अंत भला तो सब भला और हर किसी को जीवन में इम्तिहान देना ही पड़ते हैं। जीवन सिर्फ खुशियों का नाम नहीं होता। उतार चढ़ाव खुशी गम आते जाते रहते हैं। और यही तो हिम्मत देते हैं और यही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी।" मनु ने कहा।
"और जब आप उसे पा लेते हैं जिसे आप प्यार करते हैं तो उस खुशी का तो अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता।" नील ने उसके कंधे पर हाथ रख उसे अपने करीब सटाते हुए कहा।
"और इस बात को हम दोनों से बेहतर और कौन जान और समझ सकता है..!!" मनु के चेहरे की मुस्कुराहट बड़ी हो गई और उसने नील के सीने से सिर टिका लिया।
" नींद आ रही है..??" नील ने पूछा।
" नही..!! तुम पर ढेर सारा प्यार आ रहा है और हाँ रोमांस भी..!!" मनु ने आई विंक करते हुए कहा तो नील के चेहरे पर भी शरारत आ गई।
" नेकी और पूछ पूछ..!! अब भला तुम्हारी ख्वाहिश कैसे पूरा ना करूंगा मैं और तुम्हारा दिल तो कभी तोड़ ही नहीं सकता..!" नील ने उसे बाहों में उठाते हुए कहा तो मनु के चेहरे पर भी क्यूट सी मुस्कुराहट आ गई और उसने नील के गले में बाहें लपेट दी और उसी के साथ नील कमरे के अंदर चला गया।
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अगली सुबह जब सांझ की नींद खुली तो देखा कि अक्षत बेड पर नहीं है। वैसे भी कुछ दवाइयां के असर से सांझ गहरी नींद में ही सोती थी। उसने चारों तरफ नजर डाली पर अक्षत नजर नहीं आया।
बाथरूम से पानी की आवाज आ रही थी तो सांझ को समझ आ गया कि अक्षत बाथरूम में है।
वो खड़ी हुई और ड्रेसिंग के सामने आ खुद को देखने लगी। उसने अब तक वही कपड़े पहने हुए थे जो की रात को पहने हुए थे। वही हैवी सा लहंगा और कुछ ज्वेलरी भी।
सांझ को रात की बात याद आई और अक्षत का उसकी केयर करना भी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
वह आईने के सामने खड़े हो अपनी ज्वेलरी निकालने लगी ताकि शॉवर ले सके कि तभी अक्षत बाथरूम से बाहर निकला। सिर्फ टॉवल पहने अपने गीले बालों को दूसरी टोवेल से झाड़ता हुआ।
सांझ ने एक नजर उसे देखा और तुरंत नजर झुका ली और वापस आईने की तरफ देखकर अपने गहने निकालने लगी, पर नज़रें वापस से अक्षत की तरफ जाने लगी।
अक्षत के गोरे गीले बदन पर चमकती पानी की बूँदें और शानदार आकर्षक फिजिक सांझ को बेहद आकर्षक लगी। एक अजीब सा सम्मोहन इस समय सांझ को अक्षत के लिए महसूस हो रहा था। पर उसने खुद को काबू किया और वापस से आईने की तरफ देखने लगी।
पर अक्षत ने उसकी चोरी पकड़ ली थी और वह धीमे से आकर सांझ के पीछे खड़ा हो गया।
सांझ ने आईने में ही अक्षत के निरावरण धड़ को देखा और चेहरे पर गुलाबी आभा बिखर गई।
"आप नहा लिए जज साहब..!! मैं भी तैयार हो जाती हूं अब..!! देखिये कल का ये लेहगा ही पहना हुआ है..!!" सांझ बोली और जाने को मुड़ी तो अक्षत ने उसका हाथ पकड़ अपने करीब खींच लिया। वह एकदम से अक्षत के सीने से आ लगी।
" कहो तो मै हेल्प कर दूँ शावर लेने और रेडी होने में..!!" अक्षत ने कहा तो सांझ ने नजर उठा उसे देखा और नजरे फिर से एक बार अक्षत के सीने पर फिसल गई।
सांझ ने आँखे मिंच के गहरी सांस ली और जाने को हुई पर अक्षत कि पकड़ सख्त थी।
"अगर देखने का दिल कर रहा है तो देखो ना मुझे..!! अगर छूना चाहती हो तो छू सकती हो। दो साल से हम मैरिड है। हक है तुम्हारा मुझ पर और मेरा तुम पर..!!" अक्षत धीमे से उसके कान के पास बोला।
सांझ खामोश रही। उसके मुँह से शब्द ही नही निकल रही थे।
"सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा हूं मैं सांझ, और मुझे ऐसे अब तक किसी ने नहीं देखा।" अक्षत ने उसकी आंखों में झांकते हुए कहा तो स सांझ की पलके उठी।
"नहीं वह मैं...!!" कहते-कहते सांझ रुक गई क्योंकि अक्षत उसके बेहद करीब था।
"क्या नहीं ..?? क्या तुम्हारा दिल नहीं करता मुझे देखने का..?? मुझे छूने का..? मेरे करीब आने का..??" अक्षत ने उसके करीब होते हुए कहा।
" जज साहब वह मैं..!!" सांझ बोलने को कोई पर उसकी आवाज नहीं निकल रही थी। अक्षत ने उसकी कमर में हाथ लपेटा और उसे खुद के और करीब समेट लिया।
सांझ के दिल की धड़कनों की रफ्तार तेज हो हो गई थी।
तभी अक्षत ने सिर झटका और पानी की बूँदें सांझ के चेहरे और गर्दन पर गिरी और उसने आँखे बन्द कर ली।
तभी अक्षत के लबो का स्पर्श उसे अपनी गर्दन और फेस पर हुआ।
" जज साहब क्या कर रहे है..??" सांझ ने धीमे से कहा।
" अपनी स्वीट एंड लविंग वाइफ के साथ रोमांस..!! पता नहीं है तुम्हें क्या..?? मूवी नहीं देखी क्या कोई..??" अक्षत ने शरारत से एक डीप स्मूच उसके गर्दन पर कर कहा तो सांझ कि आंखें बड़ी हो गई।
उसने अक्षत की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट थी। ।
"क्यों तंग कर रहे है जज साहब..!!" सांझ धीमे से बोली।
"अभी तो तंग किया ही नहीं है मिसेज चतुर्वेदी..!! अभी से परेशान हो गई? ये तो सिर्फ एक हल्की सी फुहार है पहली बरसात की तो फिर जिस दिन टूट कर बरसूँगा और डुबो दूंगा अपने प्यार में उस दिन क्या होगा आपका..??" अक्षत ने उसके कान पर अपने होंठ लगाकर कहा तो सांझ का चेहरा सुर्ख लाल हो गया।
"चलो अभी जाओ रेडी हो जाओ। सब लोग नीचे नाश्ते के लिए इंतजार कर रहे होंगे। और वैसे भी अभी तुम्हारे लिए एक सरप्राइज भी है।" अक्षत में कहा तो सांझ ने उसे देखा और फिर अपने कपड़े निकाल जल्दी से बाथरूम में चली गई।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव