साथिया - 106 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 106










"माही मेरे साथ चलोगी..?" अक्षत ने उसके पास आकर पूछा।

" कहाँ जज साहब..??" 

थोड़ा घूमेंगे..!! बाइक राइड करेंगे और थोड़ी शॉपिंग तुम्हारे लिए मनु की शादी के हिसाब से।" अक्षत ने उसकी आँखों मे देखकर कहा।

" और आपका कोर्ट..?"

" छुट्टी  ली है पूरे वीक की।अब मनु की शादी के बाद ही जॉइन करूँगा..!!" अक्षत ने कहा और साधना से पूछ के माही को लेकर निकल गया।

"उधर मनु भी साधना के साथ मिलकर अपना सामान जमा रही  थी। सब कुछ ध्यान से रख लेना ठीक है और बाकी अगर कुछ छूट जाता है तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। एक ही शहर में मायका और ससुराल है जब मर्जी  तब आकर  ले जा सकते हो।" साधना ने मनु से कहा। 

"जी आंटी..!!" मनु बोली। 

साधना ने उसके सिर पर  हाथ रखा और उसके पास बैठ गई। 

"तुम्हारे लिए तुम्हारी मां के जैसी हूं इसलिए कुछ बातें तुम्हें समझाना चाहती हूं बेटा..!!" साधना ने कुछ सोचकर  बोली। 

" जी आंटी कहिए ना..!!" मनु ने ध्यान से उनकी तरफ देखकर कहा। 

"बेटा जल्दी ही तुम दूसरे घर में दूसरे माहौल में  जाओगी..!! हालांकि  मैं जानती हूं कि तुम बहुत अच्छे से उस परिवार को अपनाने की कोशिश करोगी  और एडजस्ट करके सबको साथ लेकर चलोगी। फिर भी तुम्हारी मां होने के नाते मैं तुम्हें समझाना चाहती हूं कि बेटा जब नए घर नए माहौल में जाओगी तो कुछ बदलाव होंगे। 

हर इंसान का रहन-सहन उसका बात करने का तरीका, काम करने का तरीका अलग होता है। ऐसे में थोड़ा  बहुत  मतभेद  होते हैं। पर मैं यहां तुमसे सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि मतभेद हो तो चलता है क्योंकि उन्हें सॉर्ट आउट किया जा सकता है गलतफहमियां दूर की जा सकती हैं। पर मनभेद नहीं होना चाहिए। एक दूसरे  के मन से दूर नहीं होने चाहिए।" 
मनु बस साधना की बात समझने की कोशिश कर रही थी। 

"तुमने अब तक मेरा तरीका देखा है। मेरे साथ  रही हो। वहां नील  की मां का काम करने का बातचीत का, व्यवहार का तरीका अलग होगा। हो सकता है तुम लोगों के बीच में कॉनफ्लिक्ट आए तुम लोगों को एक दूसरे के साथ प्रॉब्लम हो। तो कोशिश करना चीजों को प्यार से हैंडल करने की। समझने की और उन्हें समझाने की। और एडजस्ट करने की। पर एक बात हमेशा  याद रखना  बेटा रिश्ते प्यार और सम्मान से बनते हैं और मजबूत होते हैं।" साधना आगे बोली। 

"सबकी रिस्पेक्ट करना सबको प्यार देना पर अपने आत्मसम्मान से समझौता करने की जरूरत नहीं है..!! और एक बात बेटा साधना बोली। मनु ध्यान से सुन रही थी

"जब मायका और ससुराल एक ही शहर में होता है तो अक्सर लड़कियों का  मोह मायके से ही लगा रहता है। अपने मां-बाप अपने भाई बहनों के साथ रहता है। ऐसे में ससुराल को दिल से एक्सेप्ट नहीं कर पाती और मैं नहीं चाहती कि मेरी बेटी के आगे के संबंध कमजोर हो। हम लोग हर समय हर कदम पर तुम्हारे साथ हैं पर तुम्हें पूर्ण समर्पण से उस परिवार को भी अपनाना होगा। 


उस घर के लोगों को समय देना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि तुम अपने परिवार को भूल जाओगी  या तुम्हारा यहां से संबंध कम हो जाएगा। पर क्योंकि वहाँ नए रिश्ते जुड़ेंगे तो उन्हें तुम्हें ज्यादा प्यार से सहेजना होगा। ज्यादा समय देना होगा और अगर तुमने ऐसा कुछ समय तक कर लिया तो तुम्हारे रिश्ते वहां पर भी उतने ही मजबूत हो जाएंगे जीतने की इस घर के साथ है। यही भूल आजकल  की लड़कियां और उनकी मां  लोगों से हो रही है। लड़कियां एक-एक पल पर अपने ससुराल की हर एक गतिविधि हर एक घटना की खबर मां को देती है। और मां  उन पर उनको उसके हिसाब से सलाह मशवरा  और एक्सपर्ट कमेंट देती है। यह नहीं सोचती कि उस घर का माहौल अलग है। उस घर का रहन-सहन अलग है उस घर  के  तौर तरीके अलग है। और दूसरे घर में सलाह देने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। अगर तुमसे कोई भूल होती है कुछ गलत होता है तो पहले नील की मम्मी को बात कर चीजों को ठीक करने की कोशिश करना। अगर वहां से तुम्हें अच्छा रिस्पांस नहीं मिला तो तुम फिर मुझे कभी भी फोन कर सकती हो। और मुझसे सलाह ले सकती हो।" साधना बोली।

" जी ऑन्टी।" 

"और एक बात कुछ मामले बहुत सेंसिटिव होते हैं.!! बेहद व्यक्तिगत होते हैं हर परिवार के। जिन्हें किसी के साथ भी नहीं  बांटा  जा सकता तो उन्हें अपने माता-पिता के साथ भी बांटने से पहले सोचना चाहिए कि इन सब बातों का असर कहीं कुछ गलत तो नहीं निकलेगा।" साधना ने मनु को समझाया। 

" जी आंटी मैं सब समझ गई और थैंक यू मुझे इतने अच्छे से समझाया आपने। मैं पूरी कोशिश करुंगी कि सब कुछ ठीक रहे और आपको कोई शिकायत ना हो।" मनु ने कहा। 

"बात यहां शिकायत की नहीं है..!! बात तुम्हारे भविष्य की है और मेरी और अरविंद जी की हमेशा यही कोशिश भी है और चाहत भी कि हमारे तीनों बच्चे अपने परिवार में सुखी रहे। संतुष्ट रहें अपने-अपने जीवनसाथी के साथ  सामंजस्य जैसे बिठाकर चले।"  साधना ने कहा।

"जी आंटी.!!" 

"और एक बात है हालांकि तुम और नील एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हो ..!! एक दूसरे को पसंद करते हो। गहरा प्रेम है तुम लोगों के बीच। हम लोग भी वर्मा फैमिली को बहुत अच्छे से जानते हैं फिर भी बेटा कभी भी ऐसा लगे कि किसी का व्यवहार गलत हो रहा है। कोई तुम्हारा अपमान कर रहा है, तुम्हारे साथ गलत व्यवहार कर रहा है या किसी भी तरह की ऐसी चीजें या बातें  जहां तुम्हें असुरक्षा की भावना लगे। जहाँ तुम लगे कि ये गलत है। जहाँ रिश्तों में   सुकून की जगह घुटन  महसूस हो  तो हमेशा याद रखना तुम्हारा यह घर है और हमेशा रहेगा। इस घर से विदा हो रही हो इसका मतलब ये  नहीं कि यहां से संबंध खत्म हो रहा है। यहां से संबंध हमेशा रहेगा और कभी भी कोई सी भी बात को इतना बढ़ाने तक मत छुपा के रखना की संभालना मुश्किल हो जाए। 

अपने माता-पिता को तुरंत बताना जहां भी तुम्हें ऐसा लगे कि यह चीज़ गलत है और सही नहीं है या नही होनी  चाहिए। मैं एक-एक बात नहीं बना रही हूं पर बेटा  पर लड़कियों के साथ कई तरीके के अत्याचार होते हैं। शरीरिक और मानसिक अत्याचार होते है।" साधना  ने उसके सिर पर हाथ रखा। 

"सबको प्यार देना, सबका सम्मान करना पर गलत बात किसी की भी बर्दाश्त नहीं करना..!! फिर चाहे वह नील हो उनका परिवार हो या उनके रिश्तेदार। अपने आत्म सम्मान के साथ कभी समझौता नही करना। किसी भी प्रकार के अत्याचार बर्दाश्त नहीं करना। 
प्यार से हर रिश्ते को निभाने की कोशिश करना पर एक बात हमेशा याद कर रखना कि जिस रिश्ते में आपको लगे कि आपका जीना मुश्किल है ऐसे रिश्ते को तोड़ना भी बेहतर होता है, क्योंकि इंसान का जीवन हर रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण है। समझ रही हो ना तुम? " साधना ने कहा। 

"जी  ऑन्टी..!!" 

"मैं जानती हूं कि ऐसा वहां पर कुछ भी नहीं होगा तुम वहां बहुत अच्छे से रहोगी..!! सुखी रहोगी पर एक मां होने के नाते तुम्हें हर पहलू बताना मेरा कर्तव्य था वह मैंने तुम्हें बताया है, ताकि किसी भी रास्ते पर तुम्हें यह ना लगे कि तुम अकेली हो। हर समय मैं तुम्हारे साथ हूं, तुम्हारा तुम्हारा साथ देने के लिए। बाकी अगर सामने वाला सही है, तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार कर रहा है तो तुम भी पूर्ण समर्पण के साथ  ही  उसके साथ अच्छा व्यवहार करना। उसके साथ रिश्ता निभाना।" समझ रही हो ना बेटा..!! बाकी एक बात हमेशा याद रखना बेटी को मां-बाप  विदा  करते हैं क्योंकि जगत की रीति है पर वो उसे  खुद से जुदा  कभी नहीं करते। इसलिए इस  घर से तुम्हारा रिश्ता हमेशा था और हमेशा रहेगा। कभी भी यह मत  सोचना कि तुम यहां से चली गई तो संबंध खत्म हो गया।" साधना बोली  तो मनु उनके  गले लग गई। 

उसकी आंखें  भर आई। 

"थैंक यू सो मच आंटी..!  आपने बस इतना कह दिया यही मेरे लिए काफी है। बाकी मैं जानती हूं कि आप अक्षत  ईशान  और अंकल मुझे बहुत प्यार करते हैं।"  मनु ने कहा कि तभी उसका फोन बज उठा। 

फोन पर  नील  का नाम आ रहा था तो  मनु ने  फोन  पिक  किया। 

"बाहर आ जाओ तुम्हारा वेट कर रहा हूं..!!" 

"अभी क्यों?" 

"कुछ शॉपिंग करनी है..!!" 

"लेकिन इस समय? तुम पागल हो क्या? " मनु  बोली और साधना की तरफ देखा। 
साधना ने पलके  झपकाकर जाने की सहमति दी। 

"ठीक है  दस  मिनट में आता हूं।" मनु  बोली और कॉल कट कर दिया। 

" और  एक बात बेटा..! एक पत्नी पति से प्यार चाहती है और एक पति पत्नी से सम्मान..!! जिस घर मे पति पत्नी को टूटकर प्यार करता है और पत्नी पति का दिल से भी और सबके सामने भी सम्मान करती है।उस घर में सब सही और खुशहाल रहता है। तो कोशिश करना नील को प्रेम के साथ साथ सम्मान देने की।" साधना बोली तो मनु ने उन्हे देख मुस्करा के गर्दन हिला दी और फटाफट रेडी होकर बाहर निकली तो देखा नील अपनी  कार में उसका वेट कर रहा था। 

"तुमको ना जरा भी  सब्र नहीं है और न ही शर्म  में हर समय  चले  आते  हो।।अब तो शादी के सिर्फ चार  दिन ही बचे हैं ना।" मनु बोली। 

नील ने झुककर उसके माथे को चूमा और गाड़ी आगे बढ़ा दी। 

" हम जा कहाँ रहे है?" मनु ने पूछा। 

" शॉपिंग..!!" 

" पर वो तो हो चुकी न पूरी।" 

" हनिमून के लिए बकाया है..!" नील बोला तो मनु ने आँखे  छोटी कर उसे देखा। 

" सिंगापुर के लिए वन वीक का प्लान बनाया है तो बस कुछ तुम्हारी कुछ मेरी शॉपिंग हो जाए आज..!" नील ने कहा तो मनु ने उसके कंधे से  सिर टिका लिया। 
" थैंक यू..!! आई लव यू नील..! और प्लीज कभी मैं रफ बोल दूँ तो प्लीज दिल पर मत लेना। तुम जानते हो न कभी कभी मैं बोल जाती हूँ पर सच्ची दिल से तुम्हारी रेस्पेक्ट करती हूँ।" 

"आई नो..!! एंड लव यू टू!" नील बोला और गाड़ी आगे बढ़ा दी। 


" उधर अक्षत की बाइक हवा से बातें कर रही थी और माही उसके पीछे बैठी दिल्ली शहर को देख रही थी। कुछ धुंधली तस्वीरें बन रही थी उसकी आँखों के आगे। 

तभी अक्षत ने बाइक रोकी और पीछे मुंडकर देखा। 

" माही ने सवालिया नजर उस पर डाली तो अक्षत ने उसके दोनों हाथ पकड़ अपने सीने पर रख  दिया। 

" होल्ड मि टाइटली!!" अक्षत बोला तो माही का चेहरा लाल हो गया पर उसने अक्षत को कसकर पकड़ लिया और अक्षत ने बाइक आगे बढ़ा दी। 

कुछ देर में वो लोग युनिवर्सिटी पहुँच गए। 

" ये ?' माही ने  सवाल किया। 

" हमारी यूनिवर्सिटी है। जहाँ से मैंने लॉ और तुमने नर्सिंग किया..!! और ये वो जगह जहाँ मै रोज बाइक खड़ी कर घंटो इंतजार करता था तुम्हारी एक झलक देखने.. । लॉ होने के बाद भी रोज आता था सिर्फ तुम्हे देखने।" अक्षत ने उसका हाथ थामकर कहा तो माही मुस्करा के उसके कंधे से टिक गई। 
" आई लव यू..!" अक्षत ने धीमे से उसके गाल को चूमकर कहा। 
माही खामोश रही। 

" चलो तुम्हे और जगहें दिखाता हूँ।" अक्षत ने कहा तो माही ने गर्दन हिला दी और उसके पीछे बैठ गई। 
" तुम कुछ भूल रही हो..!" अक्षत बोला तो माही ने तुरंत उसे होल्ड कर लिया। 
अक्षत ने मुस्करा के बाइक आगे बढ़ा दी। 

"ये हॉस्पिटल है जहाँ तुम जॉब करती थी। इसी हॉस्पिटल के बैक कॉरिडोर में मैंने तुम्हे प्रपोज किया था..!! उस दिन तुम्हारा बर्थडे था।" अक्षत बोला तो माही ने उस हॉस्पिटल को देखा और फिर अक्षत के थोड़ा और करीब सिमट गई। 

" उसके बाद हम इस गार्डन मे आये थे।" अक्षत माही को हर जगह दिखा रहा था और उससे जुड़ी बातें बता रहा था। 


उसके बाद वह माही को शॉपिंग मॉल लेकर गया उसकी शॉपिंग कराने..!!

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव