बैरी पिया.... - 33 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 33

शिविका ने फोन की स्क्रीन को देखा तो फोन उठा लिया ।


संयम " कौन है ये... ??? " ।


शिविका " ये डॉक्टर हैं... । " ।


संयम " और तुम्हे इससे क्या काम... ?? " ।


शिविका " एक पेशेंट हैं जिसको ये देख रहे हैं... । उसकी रिपोर्ट्स मुझे देते रहते हैं.... " ।


संयम " ऐसा कुछ मत करना जो तुम पर भारी पड़े... । तुम्हे आज़ादी दी है तो गलत इस्तेमाल मत करना.... "
शिविका ने सिर हिला दिया । फोन उठाने लगी तो कॉल कट गया । शिविका ने वापिस कॉल कर दिया । फोन उठा तो शिविका बात करने लगी । एक मॉल के पास संयम ने गाड़ी रुकवाई और उतरकर मॉल के अंदर चला गया ।


शिविका वहीं फोन में किसी को मैसेज करने लगी । फिर उसने अंदर जाते संयम को देखा और बोली " मॉल ही आना था तो इतना सजने की क्या जरूरत थी... । ये थोड़े हिले हुए हैं क्या... ?? " ।


शिविका ने कहा तो आगे बैठा ड्राइवर बोला " SK बिल्कुल ठीक हैं । और इस तरह की बातें आप उनके बारे में ना ही बोलें तो अच्छा होगा... । " ।


शिविका हैरानी से ड्राइवर को देखने लगी । संयम के लिए उनके अंदर इतनी रिस्पेक्ट थी । पर आज तक शिविका ने सब में सिर्फ डर देखा था । शिविका बोली " वो गुंडागर्दी करते हैं पर फिर भी आप उनके लिए इतने वफादार हैं.... । " ।


ड्राइवर " SK बेकसूर लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते... । जिसको जो मिलना चाहिए... उसे वो मिलता है । " ।


शिविका ने सुना तो सिर हिला दिया ।


संगम वापिस आकर गाड़ी में बैठ गया और एक बैग शिविका की ओर बढ़ा दिया । शिविका ने देखा तो उसमे लॉन्ग कोट था ।



शिविका संयम के चेहरे को देखने लगी । उसे ठंड लग रही थी इसलिए संयम उसके लिए कोट ले आया था ।


शिविका " आप ये क्यों लाए... । मैने तो नही कहा था... " ।


संयम " मुझे अपने साथ ठंड से कांपती हुई जंगली बिल्ली नही चाहिए... । कवर कर लो... " ।


शिविका ने कोट पहन लिया । और संयम के खामोश चेहरेे को देखने लगी ।


एक बड़े से रेस्टोरेंट के बाहर आकर कार रुकी तो शिविका ने बाहर देखा । रेस्टोरेंट बोहोत बड़ा था और बाहर से काफी सुंदर बनाया गया था ।


शिविका बाहर निकली तो संयम उसे लेकर अंदर चला गया ।


Restaurant बोहोत सुंदर था । वहां ज्यादा लोग नही थे बस कुछ ही कपल्स बैठे हुए थे । धीमी धीमी आवाज में वॉयलिन बज रहा था और कुछ लोग कपल्स में डांस कर रहे थे । बोहोत रोमांटिक माहौल वहां बना हुआ था ।


एक स्पेशल टेबल के पास लाकर संयम ने शिविका को चेयर पर बैठा दिया । शिविका ने अंदर आकर कोट उतार दिया । संयम शिविका के सामने जाकर बैठ गया । और बोला " किसी अनजान का जिंदगी में आना और फिर जिंदगी बन जाना.. । कितना अलग एहसास होता है ना... । " ।


शिविका ने सिर हिला दिया । वेटर दो ड्रिंक के ग्लास उनके टेबल पर रख गया ।


संयम ने एक ग्लास को चूमा और फिर शिविका की ओर बढ़ा दिया । शिविका ने ग्लास ले लिया । वो एक टक संयम को देखने लगी । क्या वो उसे डिनर के लिए बाहर लेकर आया था । सोचकर शिविका की आंखें नम हो आई ।


संयम ने उसके ग्लास से अपना ग्लास हल्का सा टकराया और फिर एक ही सांस में ड्रिंक पी गया । शिविका के ग्लास में फ्रूट जूस था और संयम के ग्लास में बीयर की ड्रिंक थी ।


संयम उठा और शिविका की ओर अपना हाथ बढ़ा दिया । शिविका ने उसका हाथ थामा तो संयम उसे लिए स्टेज की ओर बढ़ गया ।


फिर उसे अपने करीब खींचकर उसकी कमर को थामकर धीरे धीरे झूमने लगा । शिविका ने संयम की आंखों में देखा तो उसे कोई भाव नहीं नजर आए लेकिन संयम का बिहेवियर बता रहा था कि वो शिविका को पसंद करने लगा है क्योंकि वो शिविका के लिए स्पेशल चीजें करने लगा था ।


संयम ने शिविका को गोल गोल घुमाकर गोद में उठा लिया तो शिविका ने उसके कंधे पर हाथ रख दिए । संयम ने उसे नीचे उतारा और घुमाकर उसकी पीठ को अपने सीने से लगा लिया ।


वहां बैठे सब लोग संयम और शिविका को देखने लगे । दोनो साथ में बोहोत प्यारे लग रहे थे ।


कुछ देर बाद संयम और शिविका वापिस अपनी टेबल के पास आकर बैठ गए । दोनो ने खाना खाया और फिर संयम उसे लिए बाहर निकल गया ।


बाहर आते ही उनकी गाड़ी में एक जोरों का धमाका हुआ.. । शिविका और संयम गाड़ी के कुछ ही दूरी पर थे कि इतने में गाड़ी आसमान में उड़ती हुई नजर आई । वो पूरी तरह से आग के लपेटे में थी और फिर गाड़ी जमीन पर आकर गिरी तो गाड़ी के पार्ट्स निकलकर शिविका और संयम की ओर आए ।


संयम ने शिविका को पीछे खींच लिया । और खुद उसे घेर कर खड़ा़ा़ा़ा हो गया और उसे अपने सीने में छुपाकर कवर कर लिया ।



संयम पीछे घुमा तो शिविका भी पीछे देखने लगी ।शिविका आंखें फाड़े गाड़ी को देखने लगी । उसकी सांसें गहरी चलने लगी । गाड़ी के चीथड़े उड़ चुके थे । । वहीं ड्राइवर भी गाड़ी के अंदर ही बैठा उन दोनो के आने का इंतजार कर रहा था ।


और अब तो गाड़ी में हुए धमाके से उसके शरीर के टुकड़ों को ढूंढ पाना भी मुश्किल था ।


संयम की आंखें लाल हो गई । उसी वक्त दक्ष की गाड़ी के साथ बोहोत सारी गाड़ियां वहां आकार रुकी । दक्ष ने जलती हुई गाड़ी को देखा और संयम के पास आए बोला " SK.... राठी जिंदा.. है.. । और अब छुप कर खेल रहा है.... " ।


संयम ने मुट्ठी कस ली । और संयम की गाड़ी की ओर बढ़ते हुए बोला " इसको विला छोड़ दो... " ।


शिविका घबराई हुई सी वहीं खड़ी रही । संयम की गाड़ी वहां से निकल गई । शिविका तो मानो अपनी जगह पर ही जम गई हो । एक बॉडीगार्ड शिविका के पास आकर बोला " चलिए मैम.... " ।


शिविका ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया । उसकी आंखों में सामने जलती हुई गाड़ी में उठ रही आग की लपटें दिखाई दे रही थी । इसी के साथ कुछ तस्वीरें उसकी आंखों के आगे चलने लगी ।


बॉडीगार्ड ने फिर कहा " it's not safe mam.. ।please चलिए..... " ।


शिविका सामने खड़ी गाड़ी की ओर चल दी । Bodyguard ने दरवाजा खोला तो शिविका उसमे बैठ गई और गाड़ी वहां से चल दी ।


शिविका ने आंखें बंद कर ली और गाड़ी की सीट के सिर टिका लिया ।


" मम्मा पापा.. यशु... , दी..... " बोलकर शिविका की आंखें बरस पड़ी । वो यादों में खो गई ।


फ्लैश बैक :


एक तीन मंजिला मकान... जिसमें से दूसरे फ्लोर से किसी के जोरों से चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही थी । ये थी सुषमा चौधरी.... शिविका की मां... जो शिविका पर बरस रही थी ।


सुषमा जी " ये क्या है शिवि.... कब सुधरोगी तुम... ?? कितनी बार बोला है काम अच्छे से किया करो... । जला दी ना पूरी सब्जी.... " ।


शिविका सिर नीचे किए सोफे पर बैठी हुई थी । सुषमा जी हाथ में बेलन लिए खड़ी उसके सामने खड़ी थी और उसे बेलन दिखाते हुए उसे डांटे जा रही थी ।


" रसोई में पूरा काला काला हो गया है अब कौन जायेगा अंदर... ?? " सुषमा जी ने शिविका को घूरते हुए पूछा ।


" शिविका की मां.... " विवेक जी ने अंदर आते हुए कहा । विवेक जी ये हैं शिविका के पापा... ।


सुषमा जी विवेक जी को घूरने लगी और बोली " हान हान मां ही जायेगी ना.. बेटी तो सब जला कर साइड निकल जायेगी... । अभी तो जैसे तैसे काम हो जाता है पर जब मैं नही रहूंगी ना... फिर याद करेगी देखना आप.... "।


" अरे कैसे बातें करती हो.. सुषमा... । इतनी सी बात पर बच्ची को इतना सुना रही हो.... " विवेक जी ने उन्हें डांटते हुए कहा ।


शिविका खड़ी हुई और उसने सुषमा जी को गले से लगा लिया । उनकी बात सुनकर शिविका की आंखों में नमी आ गई थी... । सुषमा जी को भी एहसास हुआ तो वो भी अब चुप चाप शांत खड़ी रही ।


शिविका " ऐसा क्यों बोलती हो आप मां.... । आप हमेशा मेरे साथ रहेंगी... । और मैं धीरे धीरे सीख जाऊंगी ना खाना बनाना.. । अभी तो दी की बारी है.. । उनकी शादी की उमर हो रही है तो आप उनको संभालो... और उनको सिखाओ ये सब.... " बोलकर शिविका ने सुषमा जी के गाल पर kiss किया तो बदले में सुषमा जी ने भी उसके माथे को चूम लिया ।



शिविका वापिस से सोफे पर बैठ गई और बोली " हान तो अब फाइनल.. कल से दी ही रसोई में जायेगी.... और मैं कदम भी नही रखूंगी.... क्योंकि मेरा डिपार्टमेंट सिर्फ खाने का है.... " ।


इतने में पाखी और यश भी वहां आ गए ।


( पाखी = उमर 22 साल... । सांवला रंग , तीखे नैन नक्श , सांचे में ढला शरीर.. । पाखी शिविका की बड़ी बहन है... । )


( यश की उमर 15 साल है और ये शिविका का छोटा भाई है.... ) ।


पाखी " हान अब तू डिसाइड करेगी कि मुझे क्या करवाया जाए... " ।


शिविका " जी बिलकुल... । शादी की उमर हो रही है । शादी के बाद क्या होगा तुम्हारा.. एक काम अच्छे से नही आता है तुम्हे... । कछुआ की तरह आराम आराम से काम करती हो... । ससुराल वाले क्या कहेंगे... " ।


सुषमा जी शिविका का कान पकड़ते हुए विवेक जी से " देखा आपने कैसी नौटंकी करने लगी है... । मै बता रही हूं.... आप ना इसे बिगड़ रहे हैं... " ।


शिविका कान छुड़ाते हुए " आह... अम्मा... छोड़ दो ना... " ।


विवेक जी कान छुड़वाते हुए " अरे बच्ची है सुषमा... अभी शरारत नही करेगी तो क्या हमारी और तुम्हारी उम्र में करेगी... । " ।


सुषमा जी " आप तो इसके बारे में कभी कुछ नही सुन सकते... " । बोलकर सुषमा जी ने मुंह बना लिया । शिविका ने उन्हें hug कर लिया ।


इतने में यश ने सेल्फी स्टिक पर फोन रखकर कैमरा निकालते हुए कहा " स्माइल... It's family time.... " । सबने हंसते हुए कैमरा की तरफ देखा तो यश ने एक प्यारी सी फोटो निकाल ली ।


फ्लैश बैक एण्ड ।


इस हसीन याद के जाते ही शिविका की आंखों के आगे दूसरा मंजर चलने लगा । जिसमे गोलियों की आवाज़ें उसके कान में गूंजने लगी और उसे जलती हुई तीन चिताएं दिखाई दी । " नही.... " शिविका चीख उठी.... । उसने अपने कानों पर अपने हाथ रह दिए ।



शिविका की सांसें रुक रुक कर चलने लगी । बॉडीगार्ड ने गाड़ी रोक दी । शिविका गाड़ी से बाहर निकल गई और रेत के टीले पर घुटनों के बल बैठते हुए रेत को मुट्ठी में भरते हुए बोली " किसी को नही छोडूंगी... किसी को भी नही... " बोलते हुए शिविका फूट फूट कर रोने लगी । रात के गहरे सन्नाटे में उसके रोने की आवाज गूंजने लगी ।



बारिश शुरू हो गई तो बॉडीगार्ड उसके उपर छाता लेकर खड़ा हो गया ।


बॉडीगार्ड " गाड़ी में बैठिए mam... । ऐसे बाहर निकलना खतरा है... " शिविका उठी और जाने लगी की तभी उसे किसी छोटे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी । शिविका ने आस पास देखा तो एक चद्दर से बने छोटे से ढारे में एक बच्चा रोए जा रहा था । बच्चा करीब 3 से 4 महीने का होगा ।



ढारे में बस चारों तरफ खंबे जमीन में गाड़े हुए थे और एक चद्दर उपर से डाली हुई थी इसके अलावा उसमे कोई दीवार नही थी । एक बंजारन जो उसके पास ही लेटी हुई थी वो उठी और उसने बच्चे को अपने सीने से लगा लिया । वो खुद भी ठंड से हल्की कांप रही थी । पर उसके पास ओढ़ने के लिए शायद कुछ भी नहीं था । अपना दुपट्टा उसने बच्चे के इर्द गिर्द लपेटा हुआ था ताकि बच्चे को सर्दी ना लग जाए । बंजारन बच्चे को थपकी देते हुए सुलाने लगी ।



बच्चा बोहोत छोटा था तो बंजारन को लगा कि वो भूख के लिए रो रहा है उसने दूध पिलाना चाहा पर बचा रोता रहा उसने दूध भी नहीं पिया । शिविका की आखों में आंसू भर आए । वो देख सकती थी कि इस वक्त वो औरत कितना बेसहारा और लाचार महसूस कर रही थी । वो उस औरत की ओर चल दी जो बच्चे को सीने से लगाए लेट चुकी थी ।



शिविका ने उसके पास पहुंचकर अपना कोट उसके उपर ओढ़ा दिया । औरत ने आंखें खोलकर देखा तो शिविका वापिस मुड़कर जाने लगी थी । बंजारन कुछ नही बोली । उसने कोट को पहना और बच्चे को कसकर अपने सीने से लगाए सो गई ।वापिस जाकर गाड़ी में बैठ गई । गाड़ी वहां से चल दी ।


विला पहुंचकर शिविका संयम के रूम के दरवाजे के पास आकर खड़ी हो गई । दरवाजा नहीं खुला । खुलता भी कैसे.. उसे तो संयम अपनी convenience के हिसाब से खोला करता था ।


शिविका वहीं गैलरी में दीवार के सहारे टांगे सीने से लगाकर बैठ गई । उसका दम घुटने लगा । तो वो गहरी सांसें लेने लगी । फिर भी जब दिल हल्का नहीं हुआ तो शिविका जोरों से चिल्ला दी । उसकी चीख पूरे फ्लोर में गूंजने लगी ।