बैरी पिया.... - 21 Anjali Vashisht द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बैरी पिया.... - 21

कुछ देर बाद संयम की गाड़ी विला के बाहर आकर रूकी । संयम ने खींचकर शिविका को बाहर निकाला और अंदर चल दिया । शिविका ने दुसरे हाथ से उसकी बाजू को कसकर पकड़ लिया और लगभग गिरते पड़ते हुए उसके पीछे चल दी ।



अंदर एंटर करके संयम लेफ्ट को मुड़ गया और एक दरवाजा अनलॉक करके अंदर चला गया ।


अंदर जाकर उसने शिविका को झटके से छोड़ दिया । कमरा अंधेरा सा था बस लाल रंग की रोशनी अंदर फैली हुई थी और उसी की रोशनी में कमरा दिखाई दे रहा था । और इलेक्ट्रिकल और लोहे का बोहोत सारा सामान अंदर रखा हुआ था ।



एक मोटा चौड़ा आदमी अंदर आया । वो देखने में ही जल्लाद सा लग रहा था । उसकी एक आंख फट चुकी थी और बोहोत डरावना लुक दे रही थी । शिविका ने देखा तो डर से नजरें फेर ली । आदमी का एक हाथ जला हुआ था । और सिर पर टांको के निशान साफ दिखाई दे रहे थे । उसके सिर पर बाल भी नहीं थे ।


संयम ने शिविका को घूरते हुए कहा " pluck her nails... । हाथ के भी और पैरों के भी... " ।


शिविका की आंखें हैरानी और डर से बड़ी हो गई । उसने डर से भरी एक सिसकी ली । वो घबराई हुई सी उस आदमी को देखने लगी । आदमी ने सामान के बीच में से plucker निकाला और शिविका की ओर बढ़ने लगा ।


" No no.... नहीं.. Please नहीं... " बोलते हुए शिविका पीछे की ओर हटने लगी ।


आदमी जैसे उसकी बात पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था । शिविका ने संयम को देखा तो संयम आराम से पास की बड़ी सी सोफा चेयर पर बैठ गया था ।


शिविका कमरे में उस आदमी से दूर यहां वहां भागने लगी ।


दरवाजा भी बंद हो चुका था तो शिविका बाहर नहीं जा सकती थी ।


शिविका एक कोने से दूसरे कोने को काफी देर तक भागती रही । संयम सीट से सिर टिकाकर आंखें बंद किए बैठ गया । और शिविका के नही नहीं बोलने की आवाज़ें सुनता रहा ।


शिविका के पैरों का दर्द पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ था । भागते हुए वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गई ।


आदमी शिविका के पास पहुंच गया । शिविका रेंगते हुए जाने लगी तो उस आदमी ने शिविका का पैर पकड़ लिया । शिविका ने एक किक मार दी । पर उस आदमी से पैर नही छुड़ा पाई ।


" प्लीज माफ कर दीजिए SK... ऐसा मत कीजिए प्लीज.... " बोलते हुए शिविका की आंखों में नमी थी ।



आदमी उसके नाखून को पकड़कर pluck करने ही वाला था कि इससे पहले शिविका ने उससे झटके से plucker छीन लिया ।


और खुद को छुड़ा कर संयम के पास चली गई । क्योंकि वही था जो उसे खुद से ही बचा सकता था ।


शिविका उसके घुटने के पास बैठते हुए बोली " माफ कर दीजिए... SK... । Please... अब से कभी ऐसा नहीं होगा... " ।


संयम ने आंखें बंद किए हुए ही कहा " पैर बोहोत चलते हैं... तुम्हारे... । ( आदमी से ) सरिया गरम करो और पैरों के बीचों बीच दो दो छेद हो जाने चाहिए... " । बोलकर संयम सोफे से उठा और बाहर जाने लगा ।


शिविका ने उसका हाथ पकड़ लिया । संयम दूसरी ओर घुमा हुआ था ।


शिविका उसके पैरों के पास बैठकर उसके पैरों से लिपटते हुए बोली " मैं आज के बाद नहीं करूंगी... SK... । एक मौका तो दे दीजिए... " ।


संयम ने आई रोल की और बोला " एक मौका दिया था... जब पिछली बार भागने की कोशिश की थी तुमने... । तो बोहोत आसानी से छूट गई थी तुम... । और यही गलती थी कि उस वक्त तुम्हे कोई अच्छी सजा नहीं दी... तभी एक और बार भाग रही थी । " संयम ने बोहोत सर्द आवाज में जवाब दिया ।


शिविका की आंखें आंसुओं से भरी हुई थी । उसने सिसकते हुए कहा " एक मौका और दे दीजिए SK..... । ऐसा मत कीजिए.... " । बोलते हुए शिविका की सांसें भी धक्के खाती हुई चल रही थी । वो सांस भी नही ले पा रही थी ।


आदमी ने अब तक लोहे की रॉड को गरम करने लगा दिया था ।


शिविका को जलने की बदबू आने लगी थी । उसने सहमी नजरों से रॉड की तरफ देखा जो लाल पड़ चुकी थी ।


आदमी ने रॉड को उठाया और शिविका की ओर बढ़ने लगा । शिविका जल्दी से खड़ी हुई और संयम के सीने से लिपट गई । संयम बिल्कुल सीधा खड़ा रहा । उसने शिविका को नही पकड़ा । ।


शिविका ने रोते हुए कहा " अगर आपको ऐसा ही करना था तो फिर जब मेरे गले पर चाकू रखा हुआ था उस वक्त क्यों रुके आप... ?? उस वक्त मेरा गला क्यों नहीं कटने दिया... ?? और और उस रात उन लड़कों से क्यों बचाया... ?? क्यों मारा उनको मेरी वजह से... ?? उनको भी करने देते जो करना था.. " ।


" Shh.... i hate noice.... " कहते हुए संयम ने उसके होंठों पर उंगली रखी दी और गहरी नजरों से उसकी ओर देखने लगा । शिविका आंखों में आंसू भरे सिसकती हुई सांसे लेतेे हुए उसे देखे जा रही थी ।


आदमी बिल्कुल शिविका के पास आकर खड़ा हो गया । और रॉड उठाकर उसके पांव की ओर ले जाने लगा । शिविका संयम से लिपटी रही और उसके उपर चढकर ही लटक गई । उसने हाथों को संयम के गले में लपेटा और पैरों को संयम की कमर पर लपेट लिया । संयम ने हाथ के इशारे से उस आदमी को रोक दिया ।


" चलने लायक तो तुम्हे छोड़ना नहीं है.. । सजा तो मिलेगी... " बोलते हुए संयम ने शिविका को कमर से जकड़ा और उसे उठाए बाहर निकल गया ।


लिफ्ट में आकर संयम ने उसे नीचे उतारा और अपनी टाई ढीली कर दी... । फिर अपनी गर्दन स्ट्रेच करने लगा । शिविका को उसका औरा बोहोत डरावना सा लग रह था ।


लिफ्ट से बाहर आकर संयम आगे चला गया ।

शिविका धीमे कदमों से उसके पीछे चल दी । संयम तेज कदमों से अंदर चला गया । उसकी चाल में भी उसका स्ट्रॉन्ग औरा साफ दिख रहा था । शिविका को अंदर जाने से भी डर लग रहा था ।


शिविका दरवाजे पर खड़ी अंदर देखने लगी । संयम कमर पर हाथ रखे कमरे में घूमे जा रहा था । उसने अपना कोट और टाई निकालकर bed पर फेंक दी थी । अपनी शर्ट के बटन भी उसने खोल दिए ।


शिविका हिम्मत करके धीरे से अंदर चली गई । उसके अंदर जाते ही संयम ने उसे अपनी ओर खींच लिया । और उसकी कमर को हाथों में कस लिया । शिविका उसकी चेस्ट से जा टकराई । और सहमी सी संयम को देखने लगी ।


संयम " तुम्हे जो चाहिए था मिला ना... अब मेरी डील की बारी.... " । बोलते हुए संयम ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए । और हाथों को उसकी गर्दन पर रखकर suck करते हुए kiss करने लगा । अचानक kiss से शिविका की सांसें उखड़ने लगी थी । सांस लेने में भी उसे दिक्कत हो रही थी ।


संयम का kiss बोहोत wild था । धीरे धीरे वो बोहोत पैशनेटली kiss करने लगा । उसका हाथ शिविका की पीठ पर बोहोत कसा हुआ था । दोनो बेहद करीब थे । । शिविका को संयम ने पूरी तरह से अपने आप से सटा लिया था । उनके बीच से हवा का क्रॉस होना भी मुश्किल था ।


संयम ने उसके होंठों को बाइट किया तो शिविका की आह निकल गई । पर संयम ने उसके होंठों को नहीं छोड़ा.. । उसने शिविका को लिफ्ट किया और सोफे पर जाकर उसके उपर लेट गया ।


संयम ने 20 मिनट बाद उसके होंठों को छोड़ा । उसके होंठ सूज चुके थे । संयम ने कुछ पल देखा और फिर उसकी गर्दन पर kiss और बाइट करने लगा । शिविका की सिसकियां निकलने लगी । संयम ने उसके दोनो हाथों को एक साथ पकड़कर उसके सिर के उपर सोफे से लगा दिया ।


फिर बोला " सौदे से मुकर तो नहीं रही ना... । मैं कोई जबरदस्ती नहीं चाहता.... " ।


शिविका ने गहरी सांसें लेते हुए उसे देखा । क्या संयम उसका कंसर्न पूछ रहा था ?? शिविका ने एक सिसकी भरी और फिर ना में सिर हिला दिया । संयम के टच से उसे भी अब सेंसेशन सी होने लगी थी । और मुकरने का उसके पास कोई बहाना नहीं था । जिस्मों का सौदा तो उसने कर ही लिया था । वहीं संयम को और टाल पाना उसके बस में भी नही था ।
संयम उसकी गर्दन से नीचे आकर उसकी कोलरबोन पर kiss करने लगा । शिविका ने सिसकी भरी और पूछा " उस रात आपने ही बचाया था ना.... SK... ??? " ।


संयम ने दांतों से उसकी कॉलर बोन पर काटा और suck करने लगा । उसने शिविका के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया । मानो अभी कुछ कहना ही ना चाहता हो ।


संयम ने शिविका को थोड़ा लिफ्ट किया और उसकी ड्रेस की चेन खोल दी फिर ड्रेस को उसके कंधे से दांतों से खिसकाकर हटा दिया । शिविका ने आंखें बंद कर ली और चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया । संयम ने उसकी क्लीवेज को देखा फिर शिविका की ड्रेस को उतारकर साइड फेंक दिया ।



संयम उसकी कॉलर बोन से नीचे बढ़कर उसे kiss करने लगा । संयम ने उसके हाथों को छोड़ा तो शिविका के हाथ संयम के बालों में चले गए । वो गहरी सांसें लेते हुए उसके बालों को कसकर पकड़े रही ।


कुछ ही देर में संयम ने शिविका को पूरी तरह से अपने आगोश में ले लिया । शिविका की सिसकियां निकलती रही और वो संयम को और बेचैन करती गई । उसकी सिसकियों को रोकने के लिए संयम ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए । रात के किस पहर में संयम उससे दूर होकर सोया उसे खुद पता नही चला ।


सुबह का वक्त :


शिविका बेसुध सी सोफे पर पड़ी हुई थी । उसने हिलने की कोशिश की तो उसे अपनी बॉडी में बोहोत पेन हो रहा था ।


" आह.... "। सिसकी लेते हुए शिविका ने गहरी सांस ली । उसे लग रहा था मानो बदन टूट रहा हो । उसने अपने आप को देखा तो उसने कपड़े नही पहने थे । उसकी बॉडी को कंबल से कवर किया हुआ था ।


शिविका ने कुछ पल लेटे हुए ही गहरी सांसें ली और फिर उठने की कोशिश की तो हिम्मत जवाब दे गई । शिविका बोहोत मुश्किल से बॉथरूम की ओर बढ़ी... । नीचे पड़ी अपनी ड्रेस को उठाकर वो बाथरूम चली गई ।


शावर लेते हुए उसने खुद को देखा तो उसकी बॉडी पर लगभग हर जगह संयम की लव बाइट्स के निशान थे जो लाल पड़ चुके थे । शिविका काफी देर तक शावर के नीचे ही खड़ी रही । आंखों में आसूं थे जो शावर के पानी में मिलाकर बहे जा रहे थे । उसे बॉडी में बोहोत पेन था जिसका शायद उसने कभी अंदाजा नहीं लगाया था ।


वो जानती थी कि जिस्मों के सौदे में ये दर्द होगा लेकिन उसके पास कोई और रास्ता भी तो नहीं था ।
और क्या ये वाकई में सौदा था.... ?? क्योंकि संयम बिना सौदे के भी उसके साथ ये सब कर सकता था और ये बात उसने पहले भी शिविका को बोल रखी थी । तो क्या ये सब बस एक शादी में बंध जाने के नाते हो रहा था । ।


जो शादी ठीक से हुई भी नही थी.. , उस शादी में दोनो बंधे हुए थे । जिसकी कोई निशानी भी शिविका के पास नही थी वो कैसी शादी थी ।


शिविका के अपनी मैरिड लाइफ के बारे में बोहोत अरमान थे और अपनी शादी के भी काफी सपने उसने देखे थे लेकिन वो सब एक ही रात में धुआं धुआं हो गए थे ।


शिविका ने खुद को संभाला और कपड़े पहन कर बाहर आ गई । उसने सोफे को देखा तो उसपर ब्लड के स्टेंस पड़ चुके थे । शिविका ने देखा तो सोफे के कवर्स उतार दिए ।


वहीं संयम स्टडी रूम में बैठा सामने टंगी तस्वीरों को देखे जा रहा था । फिर उस अलग से रखी किताब को देखकर बाहर निकल गया । बाहर आकर उसने देखा कि शिविका सोफे पर कंबल लिए लेटी हुई थी और सोफे पर से कवर हटा दिया था ।


सोफे पर पड़े स्टेंस संयम ने भी देखे थे । उसे पता चल गया था कि आज तक शिविका वर्जिन थी । और ये उसका पहला टाइम था । ।


संयम को एहसास हुआ कि वो बोहोत wild था । अपने गुस्से में उसे होश ही नहीं था कि वो शिविका की सिसकियों को भी नजर अंदाज कर रहा था ।
वही शिविका आंखें खोले लेटी हुई थी । रात का सब कुछ उसकी आंखों के आगे घूमे जा रहा था ।


शिविका तैयार नहीं थी लेकिन फिर भी संयम ने जबरदस्ती तो नही की थी । संयम के टच में प्यार नहीं था तो नफरत भी नही थी । बस शिविका को सजा देने का एक तरीका संयम के पास था और वो एग्रेशन शिविका ने संयम में फील किया था ।