अजीब-सी शुरुआत - भाग 3 Abhishek Chaturvedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अजीब-सी शुरुआत - भाग 3


**अध्याय 3: ताबीज का रहस्य**
(जारी...) 
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अध्याय 3: ताबीज का रहस्य

राजवीर ने जैसे ही हवेली से बाहर कदम रखा, उसे महसूस हुआ कि उसके आस-पास का माहौल अचानक से बदल गया है। बाहर का वातावरण बेहद शांत था, लेकिन इस शांति में एक भयानक सन्नाटा छिपा हुआ था। राजवीर ने उस ताबीज को अपने हाथ में कस कर पकड़ रखा था, लेकिन उसके मन में उठ रहे सवाल उसे बेचैन कर रहे थे। 

वह समझ नहीं पा रहा था कि इस ताबीज का क्या करना चाहिए। क्या उसे वापस हवेली में छोड़ देना चाहिए? लेकिन कहीं यह ताबीज ही उस रहस्य की कुंजी न हो जिसे वह खोज रहा था? 

गांव में लौटते समय, राजवीर के मन में हवेली से जुड़ी कहानियों का ख्याल आया। लोगों का कहना था कि जिस किसी ने भी हवेली से कुछ निकाला, वह कभी चैन से नहीं रह पाया। कुछ ही समय में उसके जीवन में अजीब घटनाएं घटने लगीं। राजवीर इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था, लेकिन अब उसकी खुद की जिंदगी में ऐसी चीजें होने लगी थीं, जिससे वह डरने लगा था।

गांव में पहुंचते ही राजवीर सीधे अपने ठिकाने पर गया। उसने दरवाजा बंद किया और ताबीज को ध्यान से देखने लगा। ताबीज बहुत ही बारीकी से बनाया गया था, उस पर अजीबोगरीब चिन्ह और लिपियाँ अंकित थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह ताबीज किसका है और इसका महत्व क्या है।

राजवीर ने अपने लैपटॉप पर ताबीज के चित्र को खींचा और उसे ऑनलाइन खोजने की कोशिश की। कुछ देर बाद, उसे एक पुरानी वेबसाइट मिली जिसमें इस ताबीज के बारे में जानकारी थी। वेबसाइट के अनुसार, यह ताबीज "कालातंत्र" नामक एक प्राचीन सम्प्रदाय से संबंधित था। यह सम्प्रदाय काले जादू और तंत्र विद्या में पारंगत था। ताबीज का उपयोग एक शक्तिशाली अस्त्र के रूप में किया जाता था, जो धारक को अद्वितीय शक्तियाँ प्रदान कर सकता था, लेकिन इसका दुरुपयोग करने पर भयानक परिणाम हो सकते थे। 

यह जानकारी पढ़कर राजवीर के मन में एक अजीब सी हलचल मच गई। उसने कभी नहीं सोचा था कि वह ऐसी किसी चीज से सामना करेगा जो उसके पूरे जीवन को उलट-पुलट कर सकती है। 

तभी, अचानक कमरे की लाइट्स बंद हो गईं और वातावरण में एक भयानक सन्नाटा छा गया। राजवीर का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने जल्दी से टॉर्च निकाली और कमरे के चारों ओर नजर डाली। सब कुछ सामान्य दिख रहा था, लेकिन उसे महसूस हुआ कि वह अकेला नहीं है। 

फिर, एक धीमी सी आवाज आई, "तुमने जो ताबीज लिया है, वह तुम्हारे लिए नहीं है। उसे वापस कर दो, वरना तुम्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।"

राजवीर ने चारों ओर देखा, लेकिन उसे कोई नजर नहीं आया। वह समझ गया कि यह ताबीज किसी अदृश्य शक्ति से जुड़ा हुआ है, जो उसे चेतावनी दे रही है। 

उसने ताबीज को वापस हवेली में छोड़ने का फैसला किया, लेकिन यह इतना आसान नहीं था। ताबीज ने अब उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया था। उसने महसूस किया कि उसके हाथ और पैर भारी हो गए हैं, और वह अपने आप को सामान्य रूप से हिला भी नहीं पा रहा है।

वह सोच में पड़ गया कि अब क्या किया जाए। तभी, उसे याद आया कि गांव में एक पुराना मंदिर है, जहां लोग अपनी समस्याओं का समाधान पाने जाते हैं। उसने सोचा कि शायद वहां के पुजारी उसे इस ताबीज से छुटकारा दिला सकते हैं।

राजवीर ने ताबीज को अपने बैग में रखा और मंदिर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे ऐसा लग रहा था कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वह मुड़कर देखता, लेकिन उसे कोई नजर नहीं आता। 

मंदिर पहुंचने पर उसने पुजारी को सब कुछ बताया। पुजारी ने ताबीज को देखते ही कहा, "यह ताबीज बहुत शक्तिशाली है, लेकिन इसके साथ खेलना आग से खेलने जैसा है। अगर तुम इसे नियंत्रित नहीं कर पाए, तो यह तुम्हारे लिए विनाशकारी हो सकता है।"

पुजारी ने राजवीर को सलाह दी कि उसे इस ताबीज को एक विशेष अनुष्ठान के माध्यम से निष्क्रिय करना होगा। इस अनुष्ठान के लिए रात के समय मंदिर के अंदर एक गुप्त कक्ष में जाना होगा, जहां विशेष पूजा-अर्चना के बाद ताबीज की शक्ति को नियंत्रित किया जा सकेगा।

राजवीर ने पुजारी की बात मान ली। रात के अंधेरे में, जब पूरा गांव सो रहा था, वह और पुजारी मंदिर के उस गुप्त कक्ष में गए। कक्ष में धूप, दीप, और मंत्रों के बीच ताबीज को रखा गया। पुजारी ने मंत्रोच्चार शुरू किया, लेकिन जैसे ही पूजा शुरू हुई, एक जोरदार झटका लगा और पूरा कक्ष हिलने लगा। 

कक्ष के दरवाजे खुद-ब-खुद बंद हो गए, और वातावरण में एक भयानक ऊर्जा फैलने लगी। राजवीर ने देखा कि ताबीज अब चमकने लगा था और उसके चारों ओर एक तेज रौशनी फैल गई। पुजारी ने अपने मंत्रों को और तेज कर दिया, लेकिन ताबीज की ऊर्जा भी बढ़ती जा रही थी। 

अचानक, ताबीज से एक जोरदार ध्वनि निकली, और पूरा कक्ष अंधेरे में डूब गया। राजवीर के सामने अब एक भयानक सच आने वाला था, जिससे उसका जीवन हमेशा के लिए बदल जाएगा। 

क्या वह इस ताबीज के श्राप से बच पाएगा? क्या पुजारी इस अद्भुत शक्ति को नियंत्रित कर पाएंगे? या फिर यह रहस्य और गहरा होता जाएगा?

**अध्याय 4: अंतिम अनुष्ठान**

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