अजीब-सी शुरुआत - भाग 1 Abhishek Chaturvedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अजीब-सी शुरुआत - भाग 1

अध्याय 1:
एक दिन कुछ अजीब-सी शुरुआत...

रात के अंधेरे में, जब पूरा शहर गहरी नींद में डूबा हुआ था, तभी एक झटके से विद्युत कटौती हो गई। सुदूर एक छोटे से गांव में स्थित एक पुरानी हवेली के अंदर एक अजीब सी हलचल मच गई। हवेली के चारों ओर एक रहस्यमयी सन्नाटा फैला हुआ था। हवा में घुली खामोशी एक अनजाने डर का आभास करा रही थी। 

राजवीर, एक युवा पत्रकार, उस रात शहर से दूर उसी गांव में था। वह किसी पुराने रहस्य की खोज में गांव आया था, जिसके बारे में उसने कुछ पुरानी पुस्तकों में पढ़ा था। किताबों में लिखा था कि इस गांव की हवेली में कुछ ऐसा छिपा है, जो सदियों से अंधेरे में है। 

हवेली के बारे में लोगों की बातें सुनकर राजवीर के मन में एक अजीब उत्सुकता जाग गई थी। वहां रहने वाले लोग हवेली को श्रापित मानते थे। कहते थे कि जो भी व्यक्ति उस हवेली में गया, वह वापस नहीं लौटा। राजवीर ने इन कहानियों को हमेशा बकवास समझा था, लेकिन अब वह खुद उस रहस्य से पर्दा उठाना चाहता था।

वह अपने साथ एक टॉर्च और कैमरा लेकर हवेली की ओर बढ़ा। हवेली के पास पहुंचते ही उसे एक अनजानी ठंडक का एहसास हुआ। दरवाजा अजीब तरीके से खुला हुआ था, जैसे किसी ने अभी-अभी उसे छोड़ा हो। उसने अंदर झांका और देखा कि अंदर सब कुछ पुराने समय का था, लेकिन धूल की एक परत तक नहीं थी, मानो सब कुछ अभी भी जिंदा हो।

अचानक, उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। उसने अपने कैमरे का फ्लैश ऑन किया, लेकिन वहां कुछ नहीं था। आहट बंद हो गई, लेकिन राजवीर का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने अपने आप को शांत किया और हवेली के अंदर जाने का फैसला किया। 

अंदर घुसते ही उसे दीवारों पर पुराने चित्र और रहस्यमय चिह्न दिखने लगे। हवेली के अंदर गहरी खामोशी थी, केवल उसकी सांसों की आवाज सुनाई दे रही थी। जैसे ही वह आगे बढ़ा, उसे एक दरवाजा दिखाई दिया। दरवाजे के ऊपर एक अजीब सा प्रतीक अंकित था। वह दरवाजा खोलने ही वाला था कि अचानक उसके पीछे से किसी ने उसका नाम पुकारा।

राजवीर के होश उड़ गए। उसने जल्दी से पलटकर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। यह आवाज बहुत धीमी थी, मानो हवा में घुली हो। राजवीर के शरीर में सिहरन दौड़ गई। उसने फिर से दरवाजे की ओर देखा। 

उसके अंदर एक अनजानी ताकत उसे दरवाजा खोलने के लिए मजबूर कर रही थी। उसने डरते-डरते दरवाजे को खोला। दरवाजा खुलते ही एक तेज रोशनी ने पूरे कमरे को भर दिया। कमरे के अंदर एक पुरानी मेज पर एक किताब रखी थी, जो रहस्यमयी प्रतीक चिन्हों से भरी हुई थी।

राजवीर ने किताब उठाई और जैसे ही उसने पहला पन्ना पलटा, उसके सामने एक पुरानी कहानी जीवंत हो उठी। यह कहानी थी एक महान खजाने की, जो सदियों से इस हवेली में छिपा हुआ था। लेकिन उस खजाने को पाने के लिए उसे कई खतरनाक रहस्यों और अदृश्य दुश्मनों का सामना करना था।

राजवीर ने महसूस किया कि वह अब एक ऐसे खेल में शामिल हो चुका था, जहां से पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं था। वह इस रहस्यमयी खेल में खुद को उलझता हुआ महसूस कर रहा था। हर पन्ने के साथ, वह और भी गहरे रहस्य में डूबता जा रहा था।

क्या राजवीर उस रहस्य को सुलझा पाएगा? क्या वह उस खजाने को खोज पाएगा, जो सदियों से छिपा हुआ है? या फिर वह भी उस हवेली के श्राप का शिकार बन जाएगा?



अगले अध्याय में पढ़ेंगे इसके आगे
अध्याय 2: हवेली का श्राप