डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 57 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 57

अब आगे,

 

राजवीर के पी ए दीप की बात सुन कर अब रूही के सगे पिता अमर को आज अपनी सगी बेटी रूही पर नाज हो रहा था कि वो उन की सगी बेटी हैं क्योंकि अगर आज रूही ने अपने सगे पिता अमर को मैसेज नही किया होता तो राजवीर उस की जान लेने से पहले एक बार भी नही सोचता और साथ में रूही के ऊपर से उस की सगी मां सरस्वती के बाद सगे पिता अमर का साया भी उठ जाता और रूही अनाथ हो जाती..!

 

वही जब राजवीर ने सुना कि रूही अपनी इकलौती दोस्त खुशी के साथ किसी के बर्थडे पार्टी में जा रही है तो उस के चेहरे पर एक रहस्मय मुस्कान आ गई और उस को देख कर कोई भी नही बता सकता था कि अब राजवीर के दिमाग में क्या चल रहा होगा..!

 

वही दूसरी तरफ, रूही का कॉलेज,

 

रूही अपनी इकलौती दोस्त खुशी के बार बार मनाने और उस को इमोशनल ब्लैक मेल करने के बाद, उस के साथ उस की एक फ्रेंड की बर्थडे पार्टी अटेंड करने को तैयार हो गई थी क्योंकि रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने उस से कहा था कि वो, उस को सही समय पर घर पहुंचा देगी..!

 

अब रूही अपनी इकलौती दोस्त खुशी के फोन से अपने सगे पिता अमर को मैसेज करने के बाद अब वो, अपनी इकलौती दोस्त खुशी की कार में बैठ कर उस के साथ उस के घर की तरफ जा रही थी..!

 

आज रूही, अपनी इकलौती दोस्त खुशी का घर पहली बार देखने वाली थी इसलिए वो बहुत ही ज्यादा खुश नजर आ रही थी और वही रूही को खुश देख कर उस की इकलौती दोस्त खुशी भी बहुत ज्यादा खुश हो गई क्योंकि जब से खुशी को रूही के बारे मे पता चला था तो वो बस रूही को खुश देखना चाहती थी..!

 

रूही और उस की इकलौती दोस्त खुशी कार में बैठे हुए थे और वही रूही की इकलौती दोस्त खुशी कार ड्राइव कर रही थी और रूही उस के बगल वाली सीट पर बैठी हुई थीं तो अब रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने म्यूजिक प्लेयर ऑन कर दिया तो अब उस मे एक सॉन्ग चलने लगा..!

 

"तेरी बाँहों में मिली ऐसी राहत सी मुझे हो गई, जान--जहाँ, तेरी आदत सी मुझे

             देखूँ मैं जब तुझ को तो तब मेरा दिन ये ढले दीवाना कर रहा है तेरा रूप सुनहरा

                    मुसलसल खल रहा है मुझ को अब ये सहरा बता अब जाएँ तो जाएँ कहाँ...!"

 

जिसे सुन कर, रूही और रूही की इकलौती दोस्त खुशी के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और वो दोनो पूरे सॉन्ग को ही गुनगुनाने लगी और साथ में ऐसा भी लग रहा था जैसे वो दोनो इस गाने को महसूस भी कर रही थी..!

 

अब रूही ने अपनी इकलौती दोस्त खुशी से पूछा, "अरे ये हम जा रहे हैं तुम ने तो कहा था कि तुम्हारा घर बनारस के सनशाइन मॉर्डन कॉलोनी में स्थित है तो फिर हम ये हाइवे वाली रोड पर क्यू आ गए हैं..?"

 

अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही का सवाल सुन कर, अब उस की इकलौती दोस्त खुशी ने अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही से कहा, "वैसे मानना पड़ेगा हमारे कॉलेज की टॉपर की याददाश बहुत अच्छी है क्योंकि मैने तुझे अपने घर का पता करीब 1 साल पहले बताया था और तुझे अभी तक याद है और रही बात कि हम कहा जा रहे है तो अभी थोड़ी देर में वैसे भी तुझे पता चल ही जाएगा..!"

 

करीब 10 मिनट बाद,

 

रूही की इकलौती दोस्त खुशी की कार एक बड़े से हाई फाई मॉल के सामने आकर रुक गई और रूही तो उस मॉल को देखती ही रह गई तो अब रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने उस के सामने अपने हाथ हिलाते हुए अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही से कहा, "अरे भई अब मॉल को ही देखती रहेगी या अंदर भी चलेगी क्योंकि मेरी दोस्त का बर्थडे आज ही है इसलिए मुझे अपने लिए कुछ ड्रेस लेनी है..!"

 

अपनी इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर, अब रूही अपनी होश में वापस आ गई और खुशी की कार से बाहर निकल कर खड़ी हो गईं..!

 

To be Continued......

 

हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।