डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 49 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 49

अब आगे,

 

रूही के सगे पिता अमर के चले जाने के बाद,

 

वही रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही से कहा, "क्या यार तू तो मुझे भूल ही गई और तो और मेरे बर्थडे पर कॉलेज तक नही आई और यू मुझे अनदेखा करने का क्या मतलब है, यार तू न मेरा फोन उठा रही थी और न ही कॉलेज आ रही थी, वो तो मै तेरे घर नही आ पाई क्युकी तूने ही माना करा हुआ है नही तो, मुझे आने मे कोई परेशानी नही है..!"

 

अपनी इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर, रूही को अपनी इकलौती दोस्त खुशी के बर्थडे वाले दिन की सारी बाते याद आ गई जिस से उस के चेहरे का रंग उड़ चुका था..!

 

क्योंकि उस को पहले से ही अपने साल बर्बाद न हो जाए इस की फिकर हो रही थी मगर वो किसी तरह अपने आप को संभाले हुई थी..!

 

मगर रूही की सौतेली मां कुसुम और सौतेली बहन रीना ने जो कुछ भी उस के साथ किया था उस से अब रूही के आंखो में फिर से अंशु आ चुके थे..!

 

और जब ये सब रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने देखा तो उस ने अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही से पूछा, "क्या हुआ तुझे, तू ठीक तो है ना, यार मै तो तेरे से बस पूछ ही तो रही थी, इस मे रोने वाली क्या बात है, बता भी मुझे क्या हुआ है तुझे...?"

 

अपनी इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर, रूही ने अपनी इकलौती दोस्त खुशी से कुछ नही कहा मगर अब अपनी इकलौती दोस्त खुशी के कस के गले से लग गई..!

 

तो अब रूही की इकलौती दोस्त खुशी अब अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही की बाह पकड़ कर उस को अलग कर ही रही थी कि अचानक से रूही को उस बाह में दर्द महसूस हुआ और उस की वजह से उस के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल गई..!

 

अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही को दर्द महसूस होता देख कर अब रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने एक दम से अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही की बाह छोड़ दी और उस से पूछा, "क्या हुआ और मैंने तो तेरी बाह बहुत आराम से ही पकड़ी थी फिर तुझे दर्द क्यू हुआ और क्या तुझे तेरी बाह पर कोई चोट लगी हुई है..?"

 

रूही को समझ में नही आ रहा था कि आखिर वो अब अपनी इकलौती दोस्त खुशी को केसे बताए कि ये सब क्यू और केसे हुआ था...!

 

अब रूही अपनी इकलौती दोस्त खुशी से दूर हो कर खड़ी हो गईं तो रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही से पूछा, "क्या तू मुझे अपना दोस्त नही मानती हैं जो मुझ से ऐसे दूर जाके खड़ी हो गई है और मुझ से अपनी बाते छुपा रही हैं जब की मुझे तेरे बारे मे सब कुछ पता है क्योंकि तूने खुद ही मुझे सब कुछ बताया है और तू फिर भी तू मुझ से ये क्यू छुपा रही है, बता मुझे  ये चोट लगी तो लगी केसे बता मुझे...?"

 

अपनी इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर, अब रूही ने अपनी इकलौती दोस्त खुशी से कहा, "तुम कैसी बाते कर रही हो, तुम ही तो मेरी इकलौती दोस्त हो और हां ये बात सच है कि मै एक मिडिल क्लास फैमिली से हु इसलिए मैं तुम्हारे लिए गिफ्ट नही खरीद पाई इसलिए मैं उस दिन कॉलेज नही आई क्योंकि तुम्हारे बहुत ही हाई फाई दोस्तो के सामने मै अपनी बेज्जती नही करवाना चाहती थी...!"

 

अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही की बात सुन कर अब रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही से कहा, "हो गया तेरा भाषण या और कुछ भी बाकी रह गया है और रही बात मेरे बर्थडे गिफ्ट की तो मैने तुझे सिर्फ बर्थडे पर इन्वाइट किया था वो भी अपनी सब से अच्छी दोस्त मान कर, ना कि तेरी बेज्जती करने के लिए...!"

 

अब रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही की बाह को अच्छे, ध्यान और आराम से पकड़ लिया और उस की चोट को देखने लगी तो उस से वो चोट भी देखी नही जा रही थी जबकि अब तक उस चोट के घाव तो भर गए थे, मगर वहा जो निशान पड़ गए थे वो ये सब बयां कर रहा था कि चोट बहुत ज्यादा लगी होगी..!

 

वही रूही की इकलौती दोस्त खुशी कुछ सोचते हुए अब अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही से कहा, "क्या ये सब तेरी उस सौतेली मां कुसुम ने किया है और उस की वो बदसूरत सगी बेटी रीना का भी हाथ जरूर से ही होगा ना..!"

 

अपनी इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर, रूही ने अपना सिर नीचे कर लिया तो जिसे देख कर रूही की इकलौती दोस्त खुशी का गुस्सा बढ़ गया और वो, रूही पर गुस्सा करते हुए उस से कहने लगी, "तू अपने सगे पिता से कुछ क्यू नही कहती है कि वो तीनो तेरे साथ एक जानवर से भी बत्तर व्यवहार करते हैं और मुझे तो समझ में नही आता है कि तू ये सब सह भी क्यू रही है..?"

 

To be Continued......

 

हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।