डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 44 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 44

अब आगे, 

दूसरी तरफ, शर्मा निवास, रूही का घर,

रूही को अपनी गर्दन में बहुत तेज दर्द हो रहा होता है क्योंकि उस की सौतेली मां कुसुम ने बहुत तेज से जो उस की गर्दन को दबा दिया था काला टीका लगाने के चक्कर मे बस इसी पहली वजह से अब रूही से नाश्ता नही किया जा रहा होता है...! 

रूही को नाश्ता न करते देख, रूही के पिता अमर उस पर थोड़ा गुस्सा करते हुए उस से कहते है, 

" किया हुआ रूही अभी तक तुम ने अपना नाश्ता खतम क्यू नही करा है जबकि तुम्हे पता तो है कि मुझे तुम्हारे कॉलेज का काम निपटा कर फिर अपने काम पर भी जाना है क्योंकि मेरे बॉस अभी तक दिल्ली नही गए हैं..!" 

रूही के पिता अमर को अपनी बेटी रूही के नाश्ता धीरे धीरे करने से परेशानी नही थी बस वो, राजवीर के गुस्से को दुबारा नहीं देखना चाहते थे क्योंकि अब उन्हे राजवीर के गुस्से से ज्यादा उस के चेहरे से भी डर लग रहा होता है..! 

अपने पिता अमर का गुस्सा देख वही रूही से डर के मारे कुछ बोला नहीं जा रहा होता है और ना ही अपनी सौतेली मां कुसुम की वजह से खाया जा रहा होता है तो अब रूही बस कुछ देर बैठी रहती हैं और फिर अपनी भरी खाने की प्लेट को लेकर रसोई घर की और जाने लगती हैं...! 

जब रूही के पिता अमर, रूही को अपने खाने से भरी प्लेट को रसोई घर की तरफ जाते हुए देखते हैं तो उस को रोकते हुए उस से कहते है, 

" मैने तुम्हे खाने से नही रोका है बस जल्दी खाने के लिए बोल रहा था और उस की वजह तुम्हे मैने पहले ही बता दी है...!" 

अपने पिता अमर की बात सुन, रूही बस खड़ी हुई होती है वो कुछ भी बोल नही रही होती हैं तो रूही के पिता अमर अब गुस्से से कहते है, 

" क्या तुम्हे सुनाई नही दे रहा है कि मै तुम से ही कुछ पूछ रहा हु...?" 

अपने पिता अमर का गुस्सा देख, रूही थर थर कांप रही होती है पर अब अपने पिता अमर की तरफ मुंह कर के फिर थोड़ी सी हिम्मत कर के अपने पिता अमर से कहती हैं, 

" वो...वो मुझे भूख नही है....!" 

रूही की बात सुन, रूही के पिता अमर उस से उसी गुस्से से पूछते हैं, 

" और वो क्यू नही है, जरा बताओगी तुम मुझे...?" 

अपने पिता अमर का गुस्सा देख कर ही रूही की हालत खराब हो रही थी वही वो किसी तरह अपने आप को संभालते हुए अपने पिता अमर से कहती हैं, 

" वो..वो क्या है ना कि सुबह सुबह इतनी जल्दी खाने की आदत...!" 

रूही आगे बोल पाती उस से पहले ही उस की सौतेली मां कुसुम वहा आ जाती है और रूही का हाथ पकड़ लेती है और उस को आंखे दिखा रही होती हैं जिस से रूही जो आगे बोलने वाली होती हैं वो अपने सौतेली मां कुसुम की आंखे देख चुप हो जाती हैं..!

अब रूही की सौतेली मां कुसुम, रूही की तरफदारी करते हुए और अपने आप को बचाते हुए, अपने दूसरे पति अमर से कहती है, 

" अरे वो क्या है ना आज कल के बच्चे कहा सुबह सुबह इतनी जल्दी खाना चाहते हैं और सुबह इतनी भूख भी नही लगती है बस इसलिए ही, ये कह रही होगी...!" 

असल बात तो ये है कि रूही जब तक पूरे घर की झाड़ू पोछा, कपड़े, बर्तन, साफ सफाई और भी बहुत सारे काम और उस के बाद सुबह का नाश्ता और दुपहर का खाना नही बना लेती थी तब तक उस को खाने का एक निवाला तो क्या पानी भी पीना नसीब नही होता था...! 

साल के 365 दिन में से 200 दिन को उस को अपनी सौतेली मां कुसुम, बहन रीना और भाई राजीव के अत्याचार ही देखने को मिलते और सहने पड़ते थे..! 

और रूही के पिता अमर बाकी बचे दिनों में घर आते थे तो थोड़ी बहुत इज्जत अपनी सगी बेटी रूही को दिला जाते थे और उनके जाते ही रूही का उस से भी बत्तर व्यवहार किया जाता था, बस इसी दूसरी वजह से रूही से खाना नही खाया जा रहा था..!

अपनी दूसरी पत्नी कुसुम की बात सुन कर, रूही के पिता अमर अब खुश होते हुए अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कहते है, 

" तुम ने ही बिगाड़ कर रख दिया है मेरी बच्ची रूही को, और वैसे भी तुम पूरी दुनिया में इकलौती सौतेली मां होगी जो अपनी सौतेली बेटी के साथ अपनी सगी बेटी जैसा व्यवहार करती हो, रूही तो बहुत खुशनसीब वाली है जिसे तुम्हारी जैसी दूसरी मां मिल गई है...!" 

रूही के पिता अमर की बात सुन कर, रूही की सौतेली मां कुसुम अब रूही के पिता अमर को झूठी मुस्कान दिखा रही होती है वही रूही के हाथ को बहुत जोर से पकड़ा हुआ होता है जिस से उस की आंखो में आंसुओ आ जाते है...!


To be Continued......❤️✍️

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