शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 10 Kaushik Dave द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 10

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"
( पार्ट -१०)

शुभम नये मरीज मनस्वी को देखने जाता है ।

नयी मरीज मनस्वी मानसिक बिमार है और लेडी नर्स को परेशान करती है।

अब आगे.....
डॉक्टर शुभम और डॉ. तनेजा  को देखकर मनस्वी ने महिला कर्मचारी को परेशान करना बंद कर दिया।

शांत होकर देखने लगी।

जब डॉक्टर तनेजा ने महिला स्टाफ से मनस्वी की दैनिक गतिविधियों के बारे में पूछा तो मनस्वी ने ताली बजाई और हंसने लगी।
बोली:- "डॉक्टर, उससे मत पूछो। उसे नहीं पता।
मैं आपको बताती हूं ।आप सोचते हैं कि मैं पागल हूं। लेकिन मैं पागल नहीं हूं। नर्स पागल है, मेरे साथ खेलने से मना करती है।'

यह कहते हुए मनस्वी अपने हाथों को एक साथ झुलाने लगी।
और डॉ. तनेजा के सामने देखने लगी।
फिर मनस्वी बोली :- "डॉक्टर आप बहुत अच्छे हैं। मुझे आप पसंद आने लगे हो। मेरा अभिनव, आप लोग उसे पहचानते नहीं। मैं अभिनव को अच्छी तरहसे जानती हूं। अभिनव मुझे समझ नहीं सका। उसने मेरे प्यार को नकार दिया और दूसरी लड़की से इश्क करने लगा। बोलो मैं क्या करती?'

इतना कहते हुए मनस्वी डॉ. तनेजा के करीब आ गई।
बोली:- "मैं तुम्हें पसंद करती हूँ इसलिए मेरे पास आओ!"

इतना कहकर मनस्वी डॉक्टर तनेजा को आलिंगन करने लगी।
इससे पहले कि डॉ. तनेजा कुछ कहते, मनस्वी बड़बड़ाने लगी....
अभिनव ऐसा ही था. लेकिन मैं तुम्हें पसंद करने लगी हूं. हम साथ रहेंगे । चलो हम शादी करते हैं। मना मत करना।"

डॉक्टर तनेजा मनस्वी  से छुटकारा पाने की कोशिश करने लगे।
अस्पताल के अन्य कर्मचारियों ने बमुश्किल मनस्वी के आलिंगन से डॉक्टर तनेजा को छुड़वाया।
डॉक्टर तनेजा सन्न रह गये।
डॉक्टर तनेजा घबरा गया था।
वह बाकी के कर्मचारीयों को देखने लगा।
वह शर्मिंदा हो गया था।


लेकिन मैं  शुभम कुछ नहीं कर सका. मेरे साथ भी ऐसी ही एक घटना घटी थी।

डॉक्टर तनेजा ने महिला कर्मचारी को आवश्यक दवाएं बताईं जो मरीज मनस्वी को नियमित रूप से तीन बार दी जानी थीं।  प्रिस्क्रिप्शन कार्यालय आकर लेने को कहा।

डॉक्टर शुभम अपने केबिन में लौट आये।
उन्होंने मरीजों के लिए जरूरी दवाएं लिखीं और एक कर्मचारी को दे दीं।


मनस्वी की हरकतें देख कर शुभम को तुरंत पत्नी युक्ति याद आ गई।वह अस्पताल में एक मरीज के रूप में भी अजीब व्यवहार कर रही थी।

कुछ मिनट बाद डॉ. शुभम अपनी पुरानी यादों में खो गए।

युक्ति की पागलपन भरी हरकतों से डॉक्टर शुभम परेशान थे।
युक्ति  अस्पताल की छत की सीढ़ियों पर खड़े होकर परी बनकर उड़ने की धमकी देती थी।

अब युक्ति को कैसे बचाया करें?  मेरी इज्जत का सवाल है साथ ही युक्ति को भी बचानी थी ताकि अस्पताल की बदनामी न हो।

डॉक्टर शुभम ने धीरे से कहा:- 'युक्ति, तुम कहां खड़ी हो?  तुम नीचे उतरो। तुम्हे लग जायेगा और घायल हो जाओगी।'

युक्ति:- 'नहीं..रे..नहीं.. तुम मेरे साथ नाटक कर रहे हो।  तुम मेरी तरफ देखो कोई भी मुझे प्यार नहीं करता ।  मैं परी बनकर आसमान में उड़ना चाहती हूं। तुम भी मेरे साथ खेलों और परी के साथ फरिश्ता बनकर बनकर उड़ने की तैयारी करों।'

डॉक्टर शुभम:- 'ठीक है..ठीक है..लेकिन पहले तुम हट जाओ।  अगर तुम गिर जाओगी तो तुम परी नहीं बनोगी। मेरे साथ खेलना है न! चलो हम नीचे जाकर खेलते हैं।'

युक्ति:- 'ओह.. तुम..तो.. बहुत अच्छे हो और हीरो देवानंद जैसे दिखते हो। मैं तुम्हारी वहिदा रहमान। चलो मुझे गाइड करों और एक गाना सुनाओ।तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो। लेकिन अब मैं अकेले नहीं उतर सकती। मुझे डर लगता है।  आप मेरी मदद करें। मेरे देवानंद बनकर। कांटों से खिंच ले आंचल 
काँटों से खींच के ये आँचल
तोड़ के बंधन बांधे पायल
कोई न रोको दिल की उड़ान को
दिल वो चला हा हा हा हा
आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर मरने का इरादा है
आज फिर जीने की तमन्ना है
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इन्सान को नाटक करना पसंद है, इसलिए वह जीवन में विभिन्न प्रकार के नाटक करना पसंद करता है। कई बार वह सामने वाले को आकर्षित करने के लिए नाटकीय इशारे भी करता है।
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एसा ही कुछ युक्ति कर रही थी।

अस्पताल की छत पर खड़ी होकर युक्ति डॉ. शुभम से अपने को उतारने के लिए कहती है।
मुझे अपनी बाहों में लेकर उतारों। मुझे खुद डर लगता है।
मैं गीर जाउंगी। मुझे अपनी बाहों में लेलो।

डॉक्टर शुभम:- 'ओके..ओके..लेकिन पहले छत से हट जाओ।  अगर तुम गिर जाओगी तो तुम परी नहीं बनोगी।'

तरकीब:-'ओह...तुम्हें मेरा कितना ख्याल है।लेकिन मुझे डर लग रहा है।मेरी मदद करें।'

पास खड़ी नर्स ने डॉक्टर शुभम से कहा कि सर, आपको इनके पास नहीं जाना चाहिए, ये नाटक कर रही हैं, ऐसी  मरीज पर कोई भरोसा नहीं किया जाता।

डॉक्टर शुभम ने कहा मुझे मदद करनी होगी। मदद नहीं करुंगा तो युक्ति गीर जायेंगी और पुलिस केस होगा। अस्पताल का नाम बदनाम होगा।

डॉक्टर शुभम धीरे से छत के पास गये।
उसने युक्ति की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा:- "मेरा हाथ पकड़ो और धीरे-धीरे नीचे आओ। ध्यान रखना कि तुम्हें चोट न लग जाए।"

डॉक्टर शुभम ने अपने दोनों हाथों से युक्ति को पकड़ लिया।
( नये पार्ट‌‌‌ में युक्ति क्या करने वाली है? मरीज युक्ति की पास्ट हिस्ट्री क्या थी? जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे