शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 4 Kaushik Dave द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 4

"शुभम -  कहीं दीप जले कहीं दिल"( Part -4)

भाग 3 में देखा गया कि डॉक्टर शुभम को युक्ति के साथ अपनी पहली मुलाकात एक मरीज के रूप में याद आती है, उस वक्त डॉक्टर की दोस्त रूपा का फोन आता है।

अब आगे...

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डॉक्टर शुभम:-"मैं अपनी ड्यूटी कर रहा हूं। मेरे अस्पताल में एक लड़का सोहन है। वह वैसे तो ठीक है लेकिन वह मानसिक रूप से बहुत परेशान है। सोहन बहुत इमोशनल लड़का है। ऐसे मरीज से बहुत अच्छी तरह से ट्रीटमेन्ट करना पड़ता है।उसे देखकर मुझे अपने भाई सोहन की याद आ गई। भाई सोहन भी छोटी उम्र में मानसिक रूप से परेशान था। पहले तो मुझे पता नहीं चला था लेकिन फिर मुझे समझ में आ गया था। मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकता हूं। मेरी युक्ति की डिलीवरी भी तुमने की थी। उस वक्त तुमने मुझसे कहा कि जुड़वां बच्चे आएंगे। मैं समझ सकता हूं कि आपके मन में मेरे दोनों बच्चों के लिए अच्छी भावनाएं हैं। जब भी फोन करती हो मेरे बच्चों का हालचाल पूछतीं हो। तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हों जो मेरे मन की भावना को समझ सकती हो।

रूपा:-" ठीक है.. ठीक है.. तुम बहुत भावुक हो जाओगे। अब कुछ ही मिनटों में तुम्हारी आंखों से आंसू बहने लगेंगे। माफ करना.. माफ करना.. मुझसे गलती हो गई। लेकिन मैं क्या करूं? मुझे लगातार तुम्हारी चिंता सता रही है ।तो तुम्हें पता है आज तक मैंने तुम्हारे अलावा किसी के बारे में नहीं सोचा।”


डॉ.शुभम:-"मुझे पता है कि तुम मेरी सच्ची शुभचिंतक हो ।तुम मेरी जिंदगी के बारे में केर रखती हो।और मुझसे शिकायत करती हो कि मैं अपना ख्याल नहीं रखता लेकिन अब मुझे अकेले रहने की आदत हो गई है।"


रूपा:-"मैं यह कहना नहीं चाहती लेकिन तुम्हें अब रिटायर हो जाना चाहिए। आराम से जीवन जियो। इस उम्र में तुम्हे जोब करने के लिए कौन कहता है?"

शुभम्:-" एक सच्चे दोस्त के रूप में आप अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। और मुझे अच्छी सलाह देती हो। तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो। सेवा करूंगा तो समय कट जाएगा। मुझे जल्दी रिटायर्डमेन्ट लेना नहीं है। मुझे मरीज की सेवा करनी है।मुझे अपने बच्चों की पढ़ाई के खर्च के साथ-साथ उनके लिए भी कुछ करना है ।तुम समझती हो मैं क्या कहना चाहता हूं?"

रूपा:-"मैं तुम्हें समझ सकती हूं। लेकिन कॉलेज के दौरान मैं तुम्हें नहीं समझ पाई। अगर मैंने तुम्हारी भावनाओं को तब समझा होता, तो आज हम एक होते। तुम अकेले अपना जीवन नहीं बिताते।"

शुभम:-"आप भी तो अकेले जीवन जी रहे हैं। अब मैं इस उम्र में दोबारा मिलने की बात नहीं करूंगा। अब मेरा कार्यक्षेत्र अलग है।"

रूपा:-"शुभम, तुम अपने बच्चों की पढ़ाई के खर्च की चिंता मत करो। मैं सारा खर्च उठाऊंगी। तुम्हारे बच्चो को मैं अपने बच्चे समझती हूं। मैंने तुम्हारे साथ कोई अलग व्यवहार नहीं किया है। मैं सिर्फ तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड नहीं हूं तुम समझ सकते हो।'

शुभम्:-"तुम ही मेरी सच्ची दोस्त हो। हमेशा मेरी चिंता रहती है। माफ करना.. मेरी वजह से तुम्हारी जिंदगी सूनी हो गई है।"

रूपा:- "अब भूल जाओ। तुम्हें पता है मेरी बेटी दीवु एक हफ्ते में आ रही है! वह कुछ दिनों तक मेरे साथ रहेगी इसलिए मैं छुट्टी लेने वाली हूं।उसे अकेलापन महसूस नहीं होगा। फिर काम काम और काम है।"

शुभम्:-" दिवु? कौन दिवु? ये दिवु कौन है?"

रूपा हँस पड़ी।
बोला:-"दिवु...मेरी दिवु..ओह मैं तुम्हें बताना भूल गई। मेरे भाई की बेटी दिवु पुणे में रहती है। कितने सालों बाद मैं उसे देखूंगी।"

शुभम्:-"ओह..ये तो बात है। खुशी की बात की। लेकिन जहां तक मैं समझता हूं तुम्हारा कोई भाई नहीं है।"

रूपा:- "ओह.. मैं आपको बताना भूल गई। मेरा एक चचेरा भाई है। वह कई सालों से पुणे में रहता है। शादी के कई सालों बाद दिवु का जन्म हुआ था। जब उसने मुझे बताया कि वो आ रही है तो मैं बहुत खुश हुई।"

शुभम:- "मुझे तुम्हारी आवाज़ से पता चल सकता है। तुम दीवु से बहुत प्रेम करती हो।

यह बातचीत चल ही रही थी कि तभी शुभम के क्वार्टर की दरवाजे की घंटी बजी।

शुभम:-" रूपा, मैं बाद में बात करूंगा। लगता है कोई आया है।"

रूपा:-"ठीक है।"
रूपा ने फोन रख दिया और मन ही मन बुदबुदाई...
शुभम् तुमने अब भी मुझे नहीं पहचाना।
इतने साल हम साथ साथ थे लेकिन तुम मुझे पहचान नहीं सके।आज भी मैं तुम से प्यार करती हूं।
दिवु को भी... दीवु तुम्हारी कौन है वह भी मालूम नहीं है। लेकिन मैं आपको कैसे बता सकता हूं कि दिवु कौन है?
लेकिन इस वक्त मैं तुम्हें बता कर क्या करूंगी?

डॉक्टर शुभम ने घर का दरवाजा खोला।
करण  वार्ड बॉय था।

डॉक्टर शुभम:-" कहो अब क्या हुआ? मैं अस्पताल आने ही वाला था।"

वार्ड बॉय:- "सर, अस्पताल में पुलिस की गाड़ी आई है। उसके साथ एक मरीज है। उसे अस्पताल में भर्ती करना होगा। डॉक्टर तनेजा सर प्राथमिक उपचार कर रहे हैं। लेकिन वह कहते हैं कि आपकी भी जरूरत है।" 

डॉक्टर शुभम:- "ठीक है, तुम जाओ मैं आ रहा हूँ।"

कुछ ही देर में डॉक्टर शुभम अस्पताल पहुंच गए।
देखा  कि पुलिस अधिकारी और महिला पुलिस एक महिला मरीज को साथ लेकर आये हैं। इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा।
- कौशिक दवे