शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 11 Kaushik Dave द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 11

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -११)


डॉक्टर शुभम को मरीज युक्ति की हरकतें याद आ जाती है।


अब आगे....

डॉक्टर शुभम ने अपने दोनों हाथों से युक्ति को पकड़ लिया।

युक्ति ने अपने दोनों हाथों से डॉक्टर शुभम को अपने बांहों में ले लिया।

युक्ति की इन हरकतों से शुभम शरमा गया।
नर्स देख रही है,यह अच्छा नहीं हो रहा।

डॉक्टर शुभम युक्ति के बाहों से मुक्त हो गया।

युक्ति धीरे से बोली- डॉक्टर, मैं आपको पसंद करने लगी हूँ, आप अच्छे हैं, मैं ठीक हो जाऊँगी!  मेरा साथ मत छोड़ो।'

इतना कहकर युक्ति रोने लगी।

डॉक्टर शुभम मन में... ऐसे लोगों का इलाज करना कठिन है। समझ में नहीं आता कि कब क्या करेंगे।

और बोला:-' तुम अच्छी हो,अच्छे बच्चे की तरह। तुम ठीक हो जाओगी। चिंता मत करो। हम सब तुम्हारी देखभाल के लिए है।'

डॉक्टर शुभम ने उन्हें शांत रखने की कोशिश की।
लेकिन युक्ति शांत  नहीं रहती थीं।
डॉक्टर शुभम ने महिला कर्मचारी को इशारा किया।

धीरे-धीरे महिला कर्मचारी ने युक्ति को शांत कर दिया।
---------

ओह... 
क्या से क्या हो गया था।

डॉक्टर शुभम वापस अपने वर्तमान में आ गया।

अपनी आंखें पोंछी और थोड़ा सा पानी पी लिया।

उसने देखा कि उसके मोबाइल में एक मैसेज था।

अगर आप फ्री हो जाएं तो थोड़ी सी बातें करनी हैं।
अगर आप फ्री हैं तो मुझे कॉल करें। कोई अरजन्ट नहीं है।
लेकिन बातें करना जरूरी है।

ओह.. रूपा का संदेश!
रूपा करीबी दोस्त 

अपने सुख-दुख में हमेशा मेरा साथ देती है।

उसे किस बारे में बात करनी होगी?  मैं अस्पताल के केबिन में बैठकर बात नहीं करना चाहता, शायद यह निजी बातचीत करना चाहती होगी।जब मैं घर जाऊंगा,तब उससे बातें करुंगा।

कुछ मिनट बाद एक कर्मचारी केबिन में आया।
'सर, कोई आपसे मिलने आया है।'

'अच्छा आप भेज दीजिए।'  डॉक्टर शुभम बोला

कुछ ही मिनट में एक आदमी केबिन में आया।

डॉक्टर शुभम:- "कहो क्या बात है? आपका नाम?"

वह आदमी:- "मैं सोहन का पिता हूं। मेरा नाम मनुभाई है।सोहन आपका मरीज हैं?'

डॉक्टर शुभम:-"ओह.. हां  हां,तो आप सोहन के पिता हैं। आओ बैठो। बोलो मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं?'

सोहन के पिता:- "मैं तुमसे मिलने आया था क्योंकि मुझे तुम्हारा संदेश मिला था।"

डॉक्टर शुभम:- " हां, मैंने ही संदेश भेजा था।देखो, तुम्हें सोहन के प्रति एक प्यार करने वाले पिता के रूप में अपना कर्तव्य निभाना होगा। उसके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया गया है। लड़का होशियार है लेकिन कभी-कभी वह तुम्हें याद करके तनाव महसूस करता है।"

सोहन के पिता:-" मैं अपने सोहन से प्यार करता हूँ। मेरी भी भावनाएँ हैं। लेकिन उसका मेरे घर में अकेले रहना कठिन था। इसके अलावा जब मैं काम पर जाता हूँ तो सोहन की देखभाल कौन कर सकता है! बस इसी कारण से मैंने दूसरी शादी कर ली। लेकिन  क्या होगा? मैं नहीं जानता था।एक दिन ऐसा आया कि उसका दिमाग बिगड़ गया और उसने अपनी सौतेली माँ को मारने की कोशिश शुरू कर दी।

डॉक्टर शुभम:- "देखो, मैं तुम्हारे सांसारिक जीवन में झाँकना नहीं चाहता। लेकिन अगर ऐसी कोई घटना घटी होगी तो सोहन का यही हाल हुआ होगा। सोहन प्यार का भूखा है, वैसे समझदार है। लगता है कि उसके मन-मस्तिष्क में ठेस लगी है,बाकी सच्चाई तो तुम ही जानते  हो।"

मुझे याद आया कि  सोहन ने मुझ से क्या कहा था।

जब पिता घर में नहीं होते थे तो उनकी सौतेली माँ उनके लिए घर का सारा काम करती थी और घर के एक कौने में बैठने के लिए कहती थी या घर के बाहर जा कर बैठो।वह खाना कम देती थी।

सोहन के पिता को असली बातें मालूम नहीं थी।
अपनी दूसरी पत्नी का कहना ही मानता था।
लेकिन सोहन के पिता को यह बात कहना सही लगा 
नहीं।

सोहन के पिता:- "सर, मेरे सोहन के साथ अच्छा व्यवहार करना। मुझे आप पर भरोसा है। आपसे मिलने के बाद अगर मैं सोहन से भी मिलूं तो सोहन के सेहत का ज्यादा पता चल सकता है।

डॉक्टर शुभम:- "सोहन का अच्छा इलाज चल रहा है। वह जल्द ही ठीक हो जाएगा। अब भी उसकी सेहत में सुधार है। कोई शरारत या अजीब व्यवहार नहीं दिख रहा है।"

सोहन के पिता:- "आपने जो कहा उससे मैं संतुष्ट हूं। लेकिन मेरी स्थिति सुपारी की तरह है। दोनों ओर से मुझे तकलीफ़ होगी।मेरे मन में अपने बेटे के लिए प्यार की भावना है। साथ ही मुझे अपनी पत्नी की भी रक्षा करनी है।"

डॉक्टर शुभम:- "देखिए, सोहन का सारा व्यवहार रिकॉर्ड किया जा रहा है। मुझे लगता है कि वह एक या दो महीने में पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। उसके बाद हमें अस्पताल के नियमों के अनुसार अमल करना होगा।"

सोहन के पिता:- "मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा सर।"

डॉ.शुभम:-"मेरा मतलब है कि हमें उसे डिस्चार्ज करना होगा। आपको इसके बारे में सूचित करने के बाद, आपको सोहन को अपने घर ले जाना होगा।"

सोहन के पिता:-"लेकिन सर, इतनी जल्दी ठीक हो जाएगी! अगर मैं उसे घर ले जाऊंगा तो मुझे भी परेशानी होगी। मेरी पत्नी का स्वभाव थोड़ा अजीब है।"
( नये पार्ट‌‌‌ में क्या सोहन के पिता सोहन को घर ले जाने के लिए तैयार हो जायेंगे? जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे