सावन का फोड़ - 26 नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

सावन का फोड़ - 26

कर्मा चलती ही जा रही थी उसको खुद नही पता था की वह जा कहां रही है वह चलती ही जा रही थी उसे मालूम था कि करोटि सिर्फ अरुणांचल प्रदेश में ही नही जा सकता यह बात कर्मा को करोटि ने ही बताया था ।करोटि ने कर्मा को कभी बताया था कि उसने कभी प्यासे बौद्ध भिक्षु को पानी पिलाया था जब बौद्ध भिक्षु ने  करोटि के विषय मे जानना चाहा करोटि अपने विषय मे बिना किसी चतुराई लाग लपेट के बता दिया  बौद्ध भिक्षु को जब करोटि कि असलियत पता लगा उन्हें करोटि का जल पीने की आत्मग्लानि हुई उन्होंने करोटि को हिंसा अपराध छोड़ कर भगवान बुद्ध कि शरण मे जाने की शिक्षा दिया करोटि तो दुष्टात्मा था पता नही कैसे बौद्ध भिक्षु को उसने जल पिला दिया क्रोधित होकर बोला जाओ तुम्हे पानी क्या पिला दिया तुम तो पिडे पड़ गए गले की हड्डी बन गए यहॉ से अपनी सिख शिक्षा लेकर तुरंन्त निकलो नही तो मेरी बंदूक की नली से गोली निकलनी शुरू हो जाएगी तब तुम्हे कौन बचसएगा बड़ा आया पता हमे हड़काने ।बौद्ध भिक्षु दोरेंग को क्रोध नही आया वह बड़े शांत भाव से बोले तुमने मुझे जल पिलाया है अतः मेरा कर्तव्य है की मैं तुम्हे सद मार्ग पर चलने का रास्ता दिखाऊँ मंद बुद्धि दुष्ट तुम्हे ज्ञान ही नही तुम क्या कर रहे हो ?क्यो कर रहे हो ?जिस दिन तुम्हे इस सत्य का अर्थ समझ मे आएगा तुम्हारे पास कोई विकल्प नही होगा ना ही  समय  प्रायश्चित करने के लिए अतः मैं तुम्हारे जल पिलाने के सद्कार्य हेतु तुम्हे एक आशीर्वाद देता हूँ तू जब कभी भी पूर्वोत्तर में अरुणांच प्रदेश की सीमा में कदम रखेगा तेरे अंदर का शैतान उसी समय मर जायेगा और तुझे प्रायश्चित करने का अवसर मिलेगा इतना कहते हुए बौद्ध भिक्षु दोरेंग अपने गंतव्य को चल दिये ।पता नही क्यो करोटि को ना तो क्रोध आया ना ही उसने बौद्ध भिक्षु दोरंग के लिए कोई प्रतिक्रिया दी वह मूक उनकी बात सुनता रहा और तब तक उनको एकटक निहारता रहा जब तक वह उसकी नजरो से ओझल नही हो गए .करोटि से उसके दाहींने बांए हाथ जंगेज एव जागीर सिंह ने एक साथ सवाल किया हुज़ूर जिस तरह से  वह गेरुआ धारी बोल के चला गया है दूसरा कोई भी बोलता तो उसे अब तक जहन्नुम पहुंचा दिए होते आप करोटि ने कहा गेरुआ धारी जब भी मुझे सम्बोधित करके बोल रहा था उस वक्त मैं सिर्फ एक पत्थर कि मूरत कि तरह ही था गेरुआ धारी कि हर बात सुनाई दे रही थी और दिमाग समझने की कोशिश कर रहा था लेकिन हाथ पैर विल्कुल बेजान थे जंगेज और जागीरा ने हंसी करते हुए कहा तब तो उस्ताद उसे मार देना चाहिए वह तो आपके लिए बहुत खतरनाक है कही आपको हमेशा के लिए शेर से गीदड़ न बना दे आप किसी काम के ही न रह जाओ और जनता पुलिस आपको थप्पड़ थप्पड़ मारके मार डाले करोटि ने कहा नही वह गेरुआ धारी गया बात खत्म हुई ।करोटि के दोनों दानव जंगेज और जागीरा एक साथ बोले हुजूर वह बोल गया है कि अरुणांचल में कदम रखते साधुआ जाओगे करोटि ने अट्टहास करते हुए कहा हज़ारों मिल दूर अरुणाचल से मेरा कोई दूर दूर तक ना सम्पर्क है ना सम्भव है भविष्य में होने कि ।अपने जुर्म कि दुनियां के प्रारंभिक घटना को करोटि ने स्वंय ही कर्मा को बताया था कर्मा ने अरुणाचल ही जाने का फैसला कर लिया।कर्मा पैदल बस रेल जो भी सवारी मिलती चलती जाती रुपया पैसा और सुभाषिनी ही उसके पास थे वह जितनी जल्दी सम्भव हो सके अरुणाचल पहुँच जाना चाहती थी ।करोटि ने अपने विध्वस्त सूत्रों जिसे उसने सरकारी गैर सरकारी सभी जगह पाल रखे थे के द्वारा प्राप्त सूचनाओं के आधार पर निश्चिन्त हो गया कि कर्मा जोहरा और उसके आदमी जिंदा है मरे नही है और उनकी तलाश जमीन आसमान एक करके करने के लिए करोटि ने अपने गैंग के गुर्गों को बहुत शक्त लहजे में हिदाययत दी ।करोटि के गुर्गों ने सरदार के आदेश पर काम शुरू कर दिया जागीर सिंह और जंगेज खान ने करोटि को बहुत समझाने की कोशिश करते हुए कहा सरदार जुर्म अपराध कि दुनियां में हठ अभिमान अहंकार नही चलता अपराध जुर्म कि दुनिया मे  वक्त और हासिल करना ज्यादे महत्वपूर्ण है किस समय क्या करना चाहिए?यह अधिक महत्वपूर्ण है जिससे नुकसान कि संभावना कम से कम हो।