बैरी पिया.... - 16 Anjali Vashisht द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 16

संयम कपड़े पहनकर वापिस रूम में आया तो शिविका सोफे की बैक की ओर सिर करके लेटी हुई थी । उसने अपना चेहरा सोफे में दबाया हुआ था ।


शिविका ने जब संयम के आने की आवाज सुनी थी तो अपनी मुठिया कसकर बांध ली और सोफे की सीट में ही चेहरा घुसा लिया था । उसे नींद नही आई थी और वो जागी हुई थी संयम ये बात जानता था ।


उसके पास आकर संयम उसके पांव को छूने लगा । शिविका को सिहरन सी होने लगी पर ना ही उसने अपनी आंखें खोली और ना ही कुछ बोला ।


संयम तिरछा मुस्कुराया और बोला " अरे रे रे सो भी गई... !! चच... काश जागी होती तो नजदीक चला जाता । " संयम की बात सुनी तो शिविका ने राहत की सांस ली । उसने समझा कि अब संयम दूर हट जायेगा.... ।


उसके पैरों से ऊपर की ओर हाथ फिसलाते हुए संयम बोला " खैर कोई बात नहीं... अब सो गई है तो ज्यादा सही है... ज्यादा चू चपड़ भी नहीं करेगी और मेरा काम भी हो जायेगा.... " । बोलकर संयम ने उसके पैर के उपर kiss कर दिया । और होंठ स्लाइड करते हुए उसके पांव से ऊपर की ओर लाने लगा ।


उसे ऐसी हरकत करता देख शिविका जल्दी से बौखलाते हुए उठ गई और संयम को बुरी तरह से घूरते हुए बोली " आपको शर्म नहीं आती... सोती हुई लड़की का फ़ायदा उठाते हुए... " । बोलते हुए उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी ।


" तो तुम जाग रही थी । Are you trying to fool me....." पूछते हुए संयम ने एक आईब्रो ऊपर उठा दी और शिविका को देखने लगा ।


" म म म मैं जो भी कर रही थी लेकिन आप सोई हुई लड़की का फायदा कैसे उठा सकते हैं... ?? " शिविका ने लगभग हकलाते हुए पूछा ।


" पर मैंने तो अभी तक कुछ किया ही नहीं... । तो ये कैसा फायदा उठाना हुआ भला.... ?? पहले मैं कर लूं उसके बाद बोलना । " बोलते हुए संयम ने एक घुटना सोफे पर टिका लिया और शिविका के दोनों ओर हाथ सोफे पर रख कर उसके ऊपर आ गया ।


पीछे की ओर झुकते हुए शिविका की पीठ सोफे से लग गई । कमरे की लाल रोशनी में उसने संयम को देखा । वो बोहोत चार्मिंग लग रहा था । डार्क ब्लू रंग की शर्ट और ब्लैक पैंट उसने पहन रखी थी । लाल रंग की रोशनी चेहरे पर पड़ने से वो बोहोत अट्रैक्टिव लग रहा था । उसे देखकर शिविका की धड़कने बढ़ गई ।


संयम उसकी ओर चेहरा बढ़ाने लगा तो शिविका ने आंखें बंद करके चेहरा घुमा लिया ।


संयम ने उसके गाल पर kiss कर दिया फिर उसकी गर्दन पर किस करने लगा तो शिविका ने झट से आंखें खोली और संयम के सीने पर हाथ रखकर उसे खुद से दूर धकेलते हुए कहा " एक सेकंड.... । हमारी तो डील हुई थी ना... । तो आपने अभी तक मुझे पैसा और पावर दी कहां है... जो आप अपने मतलब की ओर बढ़ रहे हैं । पहले पैसा और पावर दीजिए उसके बाद आपके सौदे की बारी.….. " ।


शिविका ने कहा तो एक सेकंड को संयम उसकी आवाज में ही खो सा गया । अभी शायद ये पहली बार था जब वो इतना बोली थी । उसकी आवाज में एक कशिश सी थी जो संयम को डूबा रही थी । और संयम ना चाहते हुए भी डूब रहा था ।


संयम अब शिविका से थोड़ा दूर था क्योंकि शिविका ने उसे हाथ से ऊपर की ओर धकेला हुआ था । पर उसके हाथ अभी भी शिविका के दोनो ओर थे ।


" सौदा शादी करने के लिए था । शादी के बाद की हरकतें सौदे से नहीं जुड़ी हैं.... । वो सब होगा जो पति पत्नी में होता है... Without any condition..... " बोलते हुए संयम ने एक हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया और उसकी उंगलियों को चूम लिया । वो बोहोत जेटली बिहेव कर रहा था ।


शिविका को अजीब सी सिहरन सीने में दौड़ उठी । वो हैरानी से आंखें चौड़ी करते हुए बोली "ले ले लेकिन..... आपने वो फिजी फिजिकल satisfaction का सौदा बोला था ना... " ।


" Yes butterfly मैने बोला था लेकिन फिर सोचा कि वो तो वैसे भी मिल जायेगी.... तो उसको सौदे में लाकर सौदा वेस्ट करने की क्या जरूरत । So let it be.... मैने कुछ और बेहतर सोच लिया हैं..... " बोलते हुए संयम का लहजा बोहोत शांत था । बोलकर संयम नजदीक आने लगा तो शिविका ने उसे पूरी ताकत से दूर करते हुए घबराई हुई सी लेकिन तेज आवाज में कहा " नही ऐसा नहीं होता... । एक बार डिसाइड हो गया है ना.... तो अब आप बदल नहीं सकते... । और ये सौदा तब तक पूरा नहीं होगा जब तक मेरी deemands पूरी नहीं होंगी.... " ।




शिविका को संयम से डर लगता था लेकिन वो यूं ही कुछ भी सहने वालों में से नहीं थी उसे जो बोलना होता था वह बोलने की हिम्मत रखती थी भले ही सामने वाला कोई भी हो ।


संयम को शिविका का आवाज ऊंची करना पसंद नहीं आया । उसने गहरी आवाज में कहा " मुझे क्या चाहिए और क्या करना है वो किसी से जानने की जरूरत नहीं है.. । समझी तुम... । By hook or by crook मैं सब हासिल करना जानता हूं.... । तुम्हे क्या लगता है कि तुममें इतनी ताकत है कि तुम मुझे रोक पाओ..... " ।


संयम उससे दूर हटकर बैठ गया । शिविका का इंकार है ये वो अच्छे से जानता था और उसके इनकार के बाद वो कुछ करता भी नहीं । अपने ऊसूल से बढ़कर संयम के लिए शायद ही कुछ हो । और किसी लड़की से उसकी मर्जी के बगैर जबरदस्ती करना उसके उसूलों के सख्त खिलाफ था । लेकिन संयम उसे जानबूझ कर tease कर था । आज से पहले उसने शायद ही किसी को झेला हो या इस तरह से परेशान कियाा हो ।




शिविका भी सीधी होकर बैठ गई । शिविका को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । एक तरफ संयम उससे प्यार से बात कर रहा था वहीं अगले ही पल उसकी आंखें उसको जलाने को तैयार बैठी थी ।


" Huh.... क्या चाहिए..... ?? " बोलते हुए संयम ने गहरे एक्सप्रेशन के साथ शिविका को देखा ।




शिविका ने थोड़ा सोचा और फिर संयम को देखने लगी । " फिलहाल कुछ सामान लेना है.... अपनी जरूरत का और कपड़े भी नहीं है । दो.. दो दिन से एक ही जंपसूट पहना हुआ है..... " शिविका ने झिझकते हुए लगभग शिकायत करते हुए कहा ।




" लिस्ट बनाओ.... मैं मंगवा दूंगा... " संयम ने कहा तो शिविका उसे घूरने लगी ।


" आप किससे मंगवाएंगे.... ?? " शिविका ने पूछा तो संयम सोफे से उठते हुए बोला " that's not your problem.. " ।


" लेकिन यहां पर एक भी लेडी सर्वेंट नहीं है... तो मेरा सामान कौन लायेगा.... आपके लड़के सर्वेंट्स... ?? " शिविका ने उसे देखते हुए पूछा ।


जब से शिविका आई थी तो उसने एक भी लेडी सर्वेंट को वहां नहीं देखा था । और ना ही कोई और लड़की वहां पर कभी दिखी । जो भी थे सब के सब लड़के ही थे ।




" जो भी लाए उससे तुम्हे क्या.... ?? तुम्हे सब मिल जायेगा... " ।


" पर मुझे कुछ पर्सनल समान भी खरीदना है... । आपको मेरे बाहर जाने से क्या प्रोब्लम है.... ?? " । शिविका ने कहा तो संयम से गुस्से भरी नजर उस पर डाली ।




" ऐसा क्या पर्सनल खरीदना है... ??? " । पूछते हुए संयम ने उसे देखा ।




शिविका बड़ी-बड़ी आंखें करके उसे घूरने लगी ।

" इतने बड़े हैं और ये नहीं पता कि एक लड़की को क्या पर्सनल खरीदना हो सकता है.. । और एक लड़की से पूछ भी कैसे सकते हैं कि उसको क्या पर्सनल खरीदना है.... !! " सोचते हुए शिविका थोड़ा embarrassment फील कर रही थी । उसके गाल हल्के गुलाबी हो चुके थे । शिविका ने चेहरा नीचे झुका लिया ।




शिविका कुछ नहीं बोली तो संयम समझ गया कि वह नहीं बताना चाहती... । उसने कुछ देर उसे घूरा और सिर हिलाकर बाहर निकल गया ।




गैलरी से होते हुए संयम बगल वाले रूम में आ गया । इस रूम में भी गहरा अंधेरा था संयम अंदर आया तो उसने स्विच दबाकर लाइट चालू की । सामने एक बड़ा सा बार कैबिनेट ( शराब रखने का फर्नीचर ) था । संयम ने एक ग्लास उठाया और उसमे वाइन भर ली फिर कमरे की ग्लास विंडो के पास आकर खड़ा हो गया ।


बाहर अंधेरे से लाइटों से जगमगाते शहर को देखते हुए संयम वाइन की सिप लेने लगा । फिर उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई ।