दर्द दिलों के - 11 Anki द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दर्द दिलों के - 11

अभी तक हमने देखा कि अरनव के घर पर टेंशन का माहौल है। उसके आगे ........

धनजय सिंह और शेर सिंह पार्टी ऑफिस में बैठे हुए होते है।

तभी पार्टी के हेड मेम्बर बोलते है देखिए धनजय सिंह जी हम आपकी बहुत इज्ज़त करते है लेकिन आप भी तो जानते है आपके बेटे के कारनामे पूरे शहर में गूंज रहे हैं और ऐसे में आपके बड़े बेटे को MP की टिकट देना मुनासिफ नहीं लगता । अपोजिशन वाले इस मुद्दे को जरूर उठाएंगे। 

अरे शर्मा जी आप भी कैसी बातें कर रहे है । अरनव बच्चा है अभी ।अब गलतियां भी तो बच्चों से होती है।आप चिंता न करें। ऐसी छोटी मोटी बातों पर ध्यान नहीं दिया करते।  आप निश्चिंत हो जाइए । धनजय सबको समझाने की कोसिस करता है ।

देखिए धनंजय जी मेरी बात समझने की कोशिश करिए । हम आपके बेटे को इन हालातों में टिकट नहीं दे सकते। आपके पास दो ही रस्तें हैं या तो आपके बेटे पर लगे दाग को साफ कीजिए या 5 साल इंतजार करिए । क्यूंकी हम अपनी पार्टी को हारता हुआ तो नहीं देख सकते । और ये आखरी फैसला है ।

शेर सिंह और धनंजय बहुत गुस्से में घर में आते हैं। शेर अरनव की कॉलर पकड़ लेता है और कहता है की आज तेरी वजह से हमें इतना सुनना पड़ा और मेरा इतने सालों का सपना मिट्टी में मिल गया। 

मीनाक्षी और जानकी शेर और अरनव को छुड़ाने की कोसिस करती है । तभी धनंजय चीखता है : बस करो तुम लोग अब सब चुप । अरनव अपने कमरे में जाओ।

शेर शांत हो जाओ । हम इतने साल से बनाए अपने नाम को यूं मिट्टी में मिलने तो नहीं देंगे। 

पर पापा जी अब कोई और चारा है भी तो नहीं। इसकी वजह से सब खत्म हो गया। शेर सिंह गुस्से में कहता है।


उनके पास खड़ा मुनीम (धनंजय का बहुत ही विश्वास पात्र जो उनकी जमीन के कामों को देखता है) कहता है: मालिक मेरे पास एक तरकीब है जिससे सांप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी । 

कैसी तरकीब मुंशी ? धनंजय सिंह पूछते हैं

मालिक अगर छोटे बाबा की शादी उस लड़की से करवा दी जाए तो सबको यहीं लगेगा की दोनों आपस में प्रेम करते थे और उस लड़की ने गुस्से में आकर थप्पड़ मारा । 

कैसी बकवास बात कर रहे हो तुम मुंशी । मेरे बेटे की शादी उस लड़की से बिलकुल भी नहीं । जानकी सिंह गुस्से में कहती है। आप चुप क्यों है कुछ कहते क्यों नहीं।

तभी शेर कहता है:

मुंशी काका  मेरे सिर पे वैसे खून सवार है ऐसी बातें करके मेरे गुस्से को और न बढ़ाइए। 

मालिक मेरी बात तो सुनिए । 

तभी धनंजय कहता है: मुंशी अगर तेरी बात इतनी सी भी फालतू निकली तो तुम्हारे साथ क्या होगा पता है न।

जी मालिक । 

तो चल बोल अब।

मालिक हम मीडिया में ये बोलेंगे की छोटे मालिक और वो लड़की आपस में प्रेम करते है और जल्द ही शादी करने वाले है और प्रेमियों में तो ऐसे झगड़े होते ही रहते है ।  छोटे मालिक और उस लड़की की शादी समाज को दिखाने के लिए होगी फिर पांच - छः महीने के बाद जब चुनाव खत्म हो जाएंगे और ये बात जब ठंडी हो जाएगी तब उसको धक्के मार के घर और छोटे मालिक की जिंदगी से निकाल फैंकंगे।

वाह मुंशी वाह! क्या तरकीब बताई है तुमने । धनजय की आवाज में खुशी की झलक दिखाई देती है।

तभी जानकी कहती है : ऐसा हरगिज़ नहीं होगा मैं अपने बेटे को आपकी राजनीति का भाग नहीं बनने दूंगी।

तुम्हें कितनी बार समझाया हैं ठकुराइन मेरे मामले में न बोला करो।

आपका मामला ! जी ये मेरे बेटे का मामला है और मैं उसकी जिंदगी बर्बाद नहीं होने दूंगी।

तो तुम भी कान खोलकर सुन लो ठकुराइन अरनव की शादी उस लड़की से ही होगी और अगले तीन दिनों में होगी । 

मैं आपके पैर पड़ती हूं ऐसा मत करिए आप वो हमारा बेटा है। 

बहु अपनी सास को उसके कमरे में ले जाओ उसे आराम की जरूरत है। अगले तीन दिन में शादी है बहुत काम करना है उसे। चलो शेर अपने संबंधियों से भी मिल के आए फिर इतना काम भी है । 

बहु तुम्हारी सास का ड्रामा खत्म हो जाए तो शादी के कामों में लग जाओ । बेटे की शादी है कोई कमी नहीं होनी चाहिए समझी।

जी पापा जी ।






क्या होगा आगे जानने के लिए बने रहे मेरे साथ ।