सावन का फोड़ - 23 नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सावन का फोड़ - 23

सवारथ ने थोड़ा गम्भीर होते हुए जोहरा से कहा मैं गारंटी तो नही लेता लेकिन मैं तुम्हे और तुम्हारे उस्तादों को  अपने मित्र तरंगा तुकाराम जिनकी खुद कि नौटंकी कम्पनी है उनके हवाले कर दूंगा बाकी मेरे ईश्वर तुम्हारे खुदा कि तुम पर कितनी देर मेहरबानी रहेगी हमे नही पता हां तरंगा तुकाराम पूरे देश नेपाल में अपने छोटे छोटे कार्यक्रम करता है उसकी मंडली कभी भी एक स्थान पर बहुत दिनों तक नही रहती और दूसरी बात है कि नौटंकी करते कराते तरंगा तुकाराम को किसी का भी मिनटों में वेष बदलने में महारत हासिल है बहुत हद तक तुम लोंगो की किस्मत और खुदा भगवान के करम पर निर्भर होगा।सवारथ  साथ नवी बरकत नसीर जोहरा को साथ लेकर राजस्थान के निवाड़ी पहुंचा और अपने मित्र तरंगा तुकाराम के यहां दो तीन दिन मेहमाननवाजी का लुफ्त लिया और नसीर नवी बरकत जोहरा के विषय मे सारा इतिहास बताते हुए उसने करोटि के भय को भी बताया करोटि का नाम सुनते ही तरंगा तुकाराम तरंगों कि तरह जैसे हिलोरे ले रहा हो वह कांपता हुआ बोला दोस्त किस बात के सवारथ हो ?तुम दोस्त के गले मौत का फंदा वह भी एक रस्सी का नही नवी बरकत नसीर जोहरा जैसे चार चार फंदे कैसी दोस्ती निभाने आए हो करोटि को जब भी पता लग गया वह तो पहले हमें ही बोटी बोटी काट डालेगा जायेगे किसके पास उसके चमचे नेता मंत्री संत्री बनिया व्यपारी पुलिस अपराधी कि तो बाते छोड़ो आज कि दुनियां में करोटि सबसे बड़ा है सुना है ऊ बहुत छोटे छोटे देशन के हथियार बेचत ह ।सवारथ बोला तरंगा तू तो दोस्त नौटंकी करवाता है और खुद भी करता है खुदा खुद कहता है जिंदगी एक नाटक नौटंकी है इंसान उसमें सिर्फ एक किरदार है जिसकी डोर हमारे ही हाथ मे है जिधर जिस तरह चाहेंगे नचाएंगे तो मित्र तू तो खुदा का ही किरदार निभा रहा है लोगो से नाटक नौटंकी करवाता है और लोग देखते है ।मित्र हो सकता है इसमें भी खुदा की कोई मंशा हो जिसने मुझे तुझ तक इन चारों को मेरे मार्फ़त पहुँचवाया है दोस्त तरंगा सवारथ  नेक नियत से तेरे पास आया है और कौल देता है की तेरी जान जाने से पहले मेरी जान जाएगी मौत को तुझ तक पहुचने के लिए पहले मुझसे होकर गुजरना होगा सवारथ और तरंगा कि आपसी बातों को नवी बरकत नसीर बड़े ध्यान से सुन रहे थे तरंगा ने कहा दोस्त तुम इन चारों को मेरे हवाले मेरी नौटंकी के पार्टी के लिए छोड़े जा रहा है तो कसम नौटंकी कि तरंगा कि जान में जब तक जान रहेगा इन चारों का कुछ नही बिगड़ सकता दोनों दोस्त एक दूसरे के गले मिले और सवारथ शिधारी को साथ लेकर ट्रक पर बैठ गया तरंगा तब तक एक टक देखता रहा जब तक सवारथ का ट्रक उसकी नजरो से ओझल नही हो गया।दो दिन दिन तक जोहरा कि तलाश सभी संभावित जगहों पर करने के बाद अद्याप्रसाद एव रजवंत ने पुलिस में जोहरा के खिलाफ सुभाषिनी के अपहरण कि प्राथमिकी दर्ज करा दिया थानाध्यक्ष समरेंद्र प्रताप सिंह ने अद्याप्रसाद रजवंत का बयान दर्ज किया और मुन्नका एव शामली के बयान के लिए कोशिकीपुर आने का समय देकर दोनों को ठोस कार्यवाही का आश्वासन देकर वापस कर दिया अद्याप्रसाद और रजवंत कोशिकीपुर लौट कर सुबह होने की प्रतीक्षा करने लगे सुबह होते ही सारा काम खत्म करके थानाध्यक्ष समरेंद्र प्रताप सिंह का इंतजार करने लगे ।समरेंद्र प्रताप सिंह दिन के मध्यान्ह कोशिकीपुर पहुंचे उन्होंने सबसे पहले शामली का बयान लिया जिसमे जोहरा से मुलाकात एव सुभाषिनी को लेकर भागने तक का विवरण सम्मिलित था फिर उन्होंने वही प्रश्न मुन्नका से पूंछे जो उन्होंने शामली से पूछे थे मुनक्का का बयान लेने के बाद रजवंत कि तरफ मुखातिब होते हुए बोले रजवंत जी आपका पांच वर्ष का बेटा बाढ़ में बह गया था उसका भी पता नही चला सिवा इतनी जानकारी के की वह जीवित बोर्नस्थान पर मिला उसके बाद उसका कोई पता नही चला रजवंत ने कहा जी हुजूर थानाध्यक्ष समरेन्द्र प्रताप सिंह ने तुरंत कुछ सोचने के बाद कहा की आपके पास आपके कलकत्ते में हुए इलाज के पर्चे है जैसे किस अस्पताल में इलाज हुआ किस डॉक्टर द्वारा इलाज हुआ शामली ने घर के अंदर जाकर अपनी हर पेटी को खंगाला बड़ी मुश्किल से उसे एक पुराना कागज मिला जिस पर  मित्रा अस्पताल का पता लिखा था घर के अंदर से भागती हुई शामली ने वह कागज समरेंद्र प्रताप को देते हुए कहा  साहब इहे एको कागज मिलल ह समरेंद्र प्रताप सिंह ने कागज को लेते हुए रजवंत अद्याप्रसाद शामली और मुन्नका को शक्त हिदाययत देते हुए बोले जोहरा जिस बच्चे को छोड़ गई है उसे आप लोग अपने पास बिना किसी बैर भाव एव द्वेष के रखे जोहरा भी एक औरत है और माँ भी दोनों उसे उसके बच्चे से उसे बहुत दिनों तक दूर नही रख सकते वह किसी न किसी तरह अपने बच्चे से मिलने अवश्य आएगी और हाँ किसी बाहरी अनजान भिखारी या कोई सामान बेचने वाला ही क्यो न हो को कोई तवज्जो नही देना है और घर मे तो परिंदा भी पर नही मारना चाहिए समरेंद्र प्रताप सिंह थाने लौट कर रजवंत के बेटे के बाढ़ में बहने से लेकर जोहरा के द्वारा सुभाषिनी के अपहरण तक की सभी कड़ियों को जोड़ने कि कोशिश कर पूरे  घटनाक्रम को समझने कि कोशिश करते रहे लेकिन उन्हें कोई ऐसा क्लू नही मिल पा रहा था जो सारी कड़ियों को जोड़ता किसी ठोस नतीजे पर पहुचता हो।समरेंद्र प्रताप सिंह कोशिकीपुर की मासूम सुभाषिनी के अपहरण कि कड़ी सुलझाने का प्रयास बड़ी गम्भीरता से कर रहे थे अचानक उन्हें अपराध नियंत्रण एव विश्लेषण कि मीटिंग हेतु जनपद मुख्यालय से बुलावा आया समरेंद्र प्रताप सिंह जनपद मुख्यालय मीटिंग में जाते समय शामली द्वारा दिए कलकत्ता में चिकित्सा के पेपर जो मित्रा हॉस्पिटल द्वारा जारी किया गया था को लेना नही भूले मीटिंग में जब उनकी बारी आई वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कोशिकीपुर अपहरण कांड पर उनके विचार जानना चाहा समरेंद्र प्रताप सिंह ने उन्हें बताया कि अपहृता कि माँ ने कलकत्ता में अपने इलाज का कागज दिया है इसी इलाज के दौरान जोहरा कि मुलाकात हुई थी शामली अद्याप्रसाद रजवंत मुंनक्का यहाँ तक की अपहृता सुभाषिनी की भी ।समरेंद्र प्रताप सिंह ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को यह भी बताया कि अपहृता जोहरा से इस कदर घुली मिली है कि वह ताउम्र अपनी माँ के लिए ना रोए खोजे ।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने समरेंद्र प्रताप सिंह को सलाह दी कि वह सब इंस्पेक्टर बुरहानुद्दीन से इस संदर्भ में सलाह मशविरा अवश्य करे सम्भव है कोई क्लू मिल ही जाए ।