"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"
(पार्ट -७)
( डॉक्टर शुभम को मरीज सोहन को देखकर अपना भाई सोहन याद आ गया। वो थोड़ा बातुनी और शरारती था।
यादों में शुभम गमगीन हो जाता था।)
अब आगे....
डॉक्टर शुभम को अपना बचपन याद आ गया।
बचपन की वोह यादें कभी भूल नहीं पाता।
भाई सोहन से अच्छी बनती थी।
एक दिन मैं और सोहन भाई स्कूल से घर जा रहे थे।
सभी लड़के अपने-अपने घर जा रहे थे, हम लोग खेलते खेलते और टहलते घर की ओर आ रहे थे। तभी हमें सड़क पर एक चौक दिखाई दिया। जिसमें रेखाएं खींचकर नींबू मिर्च और कुछ और रखा गया था।
मैंने सुना था कि यह सब जादू टोना करने वाले द्वारा किया जाता है।
मैंने अपने भाई से इसे बचने के लिए कहा। माँ की बातों को ध्यान में रखें, अपरिचित चीज़ों को न छूएँ और जो चीज़ें ख़तरनाक लगें, उन्हें पार न करें।
लेकिन सोहन तो सोहन था। उसने मेरी कोई बात नहीं मानी।और कहने लगा कि ये मन के भ्रम हैं,हम बच्चे हैं हमें कुछ नहीं होता. कहते हुए उसने नींबू मिर्च को गोल-गोल घुमाते हुए फेंक दिया।
यह देखकर मैं भयभीत हो गया।
थोड़ा आगे जाने पर एक बाबा प्रकट हुए और उन्होंने हमें देखा और मुस्कुराते हुए कहा.. भगवान का प्रसाद खाओगे ?मैंने भाई को मना कर दिया लेकिन लड्डू का प्रसाद देखकर भाई का मन ललचा गया।
उन्होंने तुरंत प्रसाद मांगा और खा लिया लेकिन मैंने खाने से इनकार कर दिया। मैं अनजान इन्सान से दूर ही रहता था। अनजान इन्सान का भरोसा किया नहीं जाता।
घर पहुंचकर यह बात मां को बताई।
तो माँ चिंतित हो गयी। सोहन को डांट दिया और कहने लगी कि सोहन अनजान का कोई भरोसा नहीं करना। तुमने जो किया वह ग़लत था। अब की बार ऐसा मत करना। मेरी सीख याद करना।
लेकिन सोहन मुस्कुराने लगा और माँ से लिपट गया।
रात होते ही सोहन को बुखार आने लगा।
पापा-मम्मी ने दवा दी लेकिन बुखार नहीं उतरा।
सोहन बुखार से पीड़ित था और बुखार में बड़बड़ाने लगा।
पापा -मम्मी सारी रात जागते रहे।
आधी रात को बुखार कम होने लगा।
सोहन को नींद आ रही थी तो वो सो गया।
आधी रात को सोहन चिल्लाते हुए उठा।
तो मैं जाग गया। सोहन के चेहरे के भाव देख कर मैं डर गया ।मैंने अपने हाथ अपनी आँखों पर रख लिए और अपनी उँगलियों से देखने लगा।
मम्मी भी घबराई हुई थी।
मम्मी बोलने लगी
क्या हुआ मेरे बच्चे को? कोई बुरा सपना देखा है?
सोहन को बोलने में दिक्कत हो रही थी।
पापा भी परेशान हो गए।
मम्मी सोहन को अपनी गोद में ले लिया और उसे प्यार जताने लगी।
अचानक
सोहन के मूंह से लार गिरने लगी।
आंखोंमें से पानी आने लगा।
अचानक उसे उल्टी होने लगी।
माँ तुरंत उसका इलाज करने के लिए किचन की ओर दौड़ी।
पिताजी भी दवा लेकर आये और सोहन को देने जा रहे थे लेकिन सोहन ने दवा लेने से मना कर दिया।
सोहन को फिर से उल्टी होने लगी। फिर से उल्टी देखकर सोहन चिल्लाया।
सांप सांप
सांप मेरे पास आ रहा है।
देखो मेरे नजदीक आ गया।
देखो उल्टी भी हरी होने लगी।
मुझे साँप काट लेगा।
मैं मर जाऊंगा माँ मुझे बचा लो
और फिर सोहन रोने लगा।
लेकिन ये सोहन का भ्रम था।
हां उल्टी हुई थी लेकिन उल्टी में ज्यादातर कफ दिखता था।
सोहन की हालत देखकर माँ डर गयी थी। हालांकि, जल्द ही इलाज शुरू कर दिया गया था।
पिताजी मुझे दूसरे कमरे में ले गए और मुझसे कहा कि चिंता मत करो। कल हम सोहन को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाएंगे।
सोहन को रातभर तेज बुखार रहा।
सुबह गांव में एक अच्छे डॉक्टर को दिखाया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा।
सोहन को स्कूल भेजना बंद कर दिया।
मैं अकेला स्कूल जाता था लेकिन पढ़ने में जी नहीं लगता था। मुझे मेरे भाई की चिंता हो रही थी।
भाई के बिना कोई मजा नहीं था, मैंने खेलना बंद कर दिया।
सोहन के बिना खेलना मुझे अच्छा नहीं लगता था।
सोहन की तबीयत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी।
वह अब अजीब व्यवहार कर रहा था, उसने घर का सामान फेंकना शुरू कर दिया। वह माँ को गले लगाकर कहता था मैं ठीक हो जाऊँगा!
माँ मुझे बचा लो। बोलता रहता था कि मैं स्कूल जा सकता हूं?लेकिन सोहन की तबीयत ठीक नहीं हो रही थी।
पिताजी ने उसे शहर के किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाने का फैसला किया।
सोहन के बिना मुझे अच्छा नहीं लगता था. जब मैं अकेला होता था तो रोता था।
भगवान से प्रार्थना है कि मेरे भाई को ठीक कर दें।'
आज के बाद मैं कोई हंगामा नहीं करूंगा।
मैं पढ़ाई पर ध्यान दूंगा।
लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे भगवान भी हमारे परिवार से रूठ चुके हैं।
मेरी प्रार्थना भी काम में न आई।
( नये पार्ट में शुभम का भाई सोहन ठीक हो जायेगा? क्या सोहन जादू टोना का शिकार हो गया था? जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी)
- कौशिक दवे