बेपनाह मोहब्बत - 12 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेपनाह मोहब्बत - 12

अब तक :

7 30 हो गए थे लेकिन वॉचमैन ने अभी तक दरवाजा नहीं खोला था । अंजली का चेहरा उतर गया ।

अब दरवाजा खुलने का और इंतजार उससे नही हो रहा था । |

तभी बाहर से किसी के चलने की आवाज आने पल शिवाक्ष और अंजली दोनो एक दूसरे की तरफ देखने लगे । और जल्दी से बुक शेल्फ के पीछे जाकर छुपने लगे ।

अब आगे :

दोनों जल्दी से book shelf के पीछे जाने लगे तो जल्दबाजी में शिवाक्ष का पांव अंजली के पांव से उलझ गया । दोनो ने एक दूसरे को पकड़ लिया । दोनो ही संभल नहीं पाए और एक साथ नीचे गिर पड़े ।

शिवाक्ष नीचे था और उसकी पीठ फ्लोर से लगी हुई थी । वहीं अंजली उसके उपर थी । गिरने की वजह से अंजली ने शिवाक्ष के सिर के नीचे अपने हाथ रख दिए थे । जिससे शिवाक्ष का सिर फ्लोर से नही टकराया था ।

वहीं शिवाक्ष ने भी उसकी कमर पर बाजू लपेट ली थी । दोनो इतने करीब थे कि एक दूसरे की धड़कने भी महसूस कर पा रहे थे ।

अंजली की नजरें शिवाक्ष से मिली तो वो भी उसे ही देखे जा रहा था ।

शिवाक्ष ने अपने सिर के नीचे रखे अंजली के हाथों को देखा और फिर उसके चेहरे पर बिखर आई जुल्फों को उसके कान के पीछे करते हुए बोला " कितना important हूं ना मैं तुम्हारे लिए... । जब तक तुम मुझसे उलझ ना लो तब तक तुम्हारा दिन शुरू नही होता.... " बोलते हुए शिवाक्ष एकटक उसकी आंखों में देखे जा रहा था ।

" जी नहीं ऐसा कुछ भी नही है... । आपको ही मुझे परेशान करना आता है । मैं कभी आकर आपसे नही उलझती " बोलकर अंजली उसे घूरा और आगे बोली " ऐसा आपको लगता होगा कि आप इंपोर्टेंट है.. लेकिन आप मेरे लिए बिल्कुल भी important नहीं हैं... " ।

" अच्छा मतलब मैं बिल्कुल भी जरूरी नहीं हूं.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने उसके हाथों की तरफ देखा और बोला " तो फिर मेरे सिर के नीचे हाथ क्यों लगाए.. ? बजने देती मेरे सिर को फ्लोर से.. । क्या होता ज्यादा से ज्यादा । सिर फूट जाता और तुम्हारा बदला भी पूरा हो जाता "

" मुझे बदला लेने का कोई शौक नहीं है । आप जैसे लोग रहते होंगे बदले की तलाश में। ये सब तो मैंने इंसानियत के नाते किया है । जैसे आपने रात को मेरे ऊपर अपनी जैकेट डाली थी बिल्कुल वैसे ही "

" पर मैने इंसानियत के नाते नही डाली थी मिस आर्य । मेरे इरादे तो कुछ और ही थे " शिवाक्ष ने शरारत से कहा तो अंजली के गाल गुलाबी होने लगे।

तभी उसने महसूस किया कि वो और शिवाक्ष अपनी भी उतने ही करीब लेटे हुए थे ।

अंजली को महसूस हुआ कि उसकी कमीज भी गले से पास से थोड़ी नीचे खिसक गई थी । इतना महसूस करते ही उसकी आंखें बड़ी बड़ी हो गई । उसके गाल भी एकाएक ही शर्म से लाल हो गए ।

उसका दुपट्टा भी उसके सीने के उपर नही था । कहीं शिवाक्ष उसे देख ना रहा हो ये खयाल दिमाग में आते ही उसने चोरी से शिवाक्ष की आंखों में देखा तो उसकी नजरें बस उसके चेहरे के उपर थी । उसे एक झलक भी यहां वहां नही देखा था ।

अंजली ने जल्दी से उसके सिर के नीचे से हाथ निकाले और अपने गले के पास हाथ रखकर उसके उपर से उठने लगी । तभी दरवाजे पर हुई आवाज से दोनो का ध्यान उस ओर चला गया ।

इससे पहले कि अंजली उठ पाती शिवाक्ष ने उसकी पीठ पर हाथ रखकर उसे रोक दिया और उसके सिर को सीने से लगा लिया । वो उसकी हालत को समझ रहा था लेकिन अभी अगर वो खड़ी होती तो जरूर आवाज होने लग जाती इसलिए उसने उसे रोक लिया था ।

अंजली का सिर शिवाक्ष के सीने से लगा हुआ था । शिवाक्ष ने धीरे से थोड़ी दूर पड़ा उसका दुपट्टा पकड़ा और उसके उपर डाल दिया।

अंजली ने दुपट्टा पकड़ा और अपने गले पर लपेट लिया ।

" Shh धीरे करो । और हिलना मत.. । वर्ना आवाज होगी.. । और फिर अगर किसी ने देख लिया तो मुझे मत कहना.. " ।

अंजली ने सुना तो वैसे ही बिल्कुल जम सी गई । और कमरे की आवाज को सुनने लगी । एक तरफ शिवाक्ष की धड़कनों की आवाज थी जिसके आगे वो दूसरी कोई आवाज सुन ही नही पा रही थी ।

उसने कसकर आंखें बंद कर ली ।

तभी कमरे का दरवाजा धीरे से खुला और कमरे में आ रही रोशनी बढ़ गई । श्वेता दरवाजे के पास से अंदर झांकने लगी । उसने चारों ओर देखा पर उसे अंजली नही दिखाई दी ।

" कहां गई ये मुसीबत.. ? कहीं यहां से निकल तो नही गई होगी ना.. ? " बोलते हुए श्वेता ने बेंच पर देखा तो अंजली का बैग वहीं पर रखा हुआ था ।

" बैग तो यही पर है.. । हो सकता है वहीं अपने बैग के पास ही बेहोश होकर जमीन पर पड़ी हुई हो.. । जाकर देखती हूं.. " बोलते हुए श्वेता धीमे कदमों से उसके बैग की ओर बढ़ गई ।

बैग के पास आकर देखा तो वहां आस पास कोई नही था ।

" यहां भी नही है.. तो फिर गई तो गई कहां... ? " फुसफुसाकर बोलते हुए श्वेता दूसरी ओर जाकर उसे देखने लगी । श्वेता दबे पांव चल रही थी तो उसके कदमों की कोई आवाज नहीं थी ।

जब शिवाक्ष और अंजली को कमरे में कोई हलचल नहीं सुनाई दी तो उन्हें लगा कि वॉचमैन अब यहां से जा चुका होगा ।

अंजली बोहोत ध्यान से कमरे की आवाज़ को सुन रही थी । जब उसे यकीन हो गया कि अब कमरे में कोई नही है तो वो शिवाक्ष को देखने लगी ।

शिवाक्ष ने उसे देखा और उसकी कमर से अपने दोनों हाथों को हटाकर जमीन पे अपने सिर के पास रखते हुए बोला " अब क्या ऐसे ही मेरे ऊपर लेटी रहोगी ? उठना नहीं है क्या.. ? कहीं तुम्हारा इरादा मुझे molest करने का तो नहीं है ना ? " बोलते हुए शिवाक्ष उसे घूरने लगा ।

अंजली ने सुना तो बड़ा सा मुंह खोले उसे देखने लगी ।

शिवाक्ष थोड़ा हकलाने की एक्टिंग करते हुए आगे बोला " देखो.. देखो मैं शरीफ घर का लडका हूं , अगर तुम ऐसा कुछ सोच रही हो तो , तो भूलकर भी ऐसा मत करना । वरना मैं चिल्ला दूंगा " शिवाक्ष ने इतना ही कहा ही था कि अंजली ने उसकी नौटंकी को बीच में ही रोकते हुए उसके होठों पर हाथ रख दिया और आंखें बड़ी करके उसे घूरते हुए बोली " चुप रहिए... कुछ भी बोल रहे हैं.. । आए अच्छे घर से हैं तो मैं क्या आपको ऐसी वैसी लगती हूं क्या.. ?

और मेरा ऐसा कोई घटिया इरादा नहीं है । और ना ही इतनी गन्दी सोच है... " बोलते हुए अंजली उसे ही घूरे जा रही थी ।

शिवाक्ष हल्की मुस्कान के साथ उसके चेहरे को देखता रहा । उसको उसे छेड़ने में बड़ा मजा आ रहा था और वो भी उसकी बात पर चिढ़ती जा रही थी ।

" अब क्या देख रहे हैं.. " पूछते हुए अंजली ने भौहें उपर उठा दी ।

शिवाक्ष ने आंखों से अपने मुंह की ओर इशारा किया तो अंजली ने झट से अपना हाथ हटा लिया और उसके उपर से साइड को पलट गई । फिर उठकर खड़ी हो गई ।

फिर दुपट्टा सही से लिया और बुक शेल्फ के पीछे से बाहर निकल गई । जैसे ही सामने को आई और अपनी नजरों के सामने श्वेता को देखकर उसके कदम अपनी जगह पर ही ठहर गए ।

शिवाक्ष भी वहां से बाहर निकला और उसे ऐसे पुतले की तरह खड़ा देखा तो पूछा " अब क्या हुआ ? ऐसे क्यों खड़ी हो गई ? अभी तो बोहोत जल्दी थी जाने की " पूछते हुए शिवाक्ष ने अंजली के चेहरे को देखा तो उसकी नजरों का पीछा करते हुए सामने देखने लगा ।

श्वेता हैरान सी उन्हें ही देखे जा रही थी ।

" शिवाक्ष.. ! ये यहां क्या कर रहा है.. ? सुबह तो आ नही सकता क्योंकि मैंने ही अभी दरवाजा खोला और मैं ही सबसे पहले अंदर आई । तो इसका मतलब शिवाक्ष भी कल से लेकर ही यहां पर बंद था.. ! " सोचते हुए श्वेता के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया । उसने अपनी मुट्ठी कसकर बांध ली ।

श्वेता को वहां देखकर शिवाक्ष थोड़ा हैरान सा रह गया । उसने चौंकते हुए पूछा "श्वेता ! , तुम इतनी सुबह यहां.. ? " ।

शिवाक्ष का सवाल सुनकर श्वेता अपने खयालों से बाहर आई । और झट से बोली " हान वो मैं... " इतना कहकर वो शिवाक्ष से उल्टा सवाल करते हुए बोली " तुम यहां क्या कर रहे हो.. ?? " ।

शिवाक्ष और अंजली एक दूसरे की तरफ देखने लगे । अंजली ने धीरे से ना में सिर हिला दिया । श्वेता ने दोनो को एक दूसरे को इशारे करते हुए देख लिया । दोनो को इस तरह से एक दूसरे को देखते हुए देखता पाकर श्वेता ने अपने नाखून अपनी हथेली में ही गड़ा लिए ।

शिवाक्ष ने अपने बालों में हाथ फेरा और बोला " वो.. मुझे कुछ काम था तो मैं जल्दी आ गया था । बाकी इसका ये ही जाने.... " । बोलकर उसने अंजली को देखा ।

" पर मुझसे पहले तुम अंदर कैसे आ सकते हो... ? " श्वेता ने बौखलाते हुए पूछा । फिर उसे एहसास हुआ कि वो अपना कंट्रोल खोने लगी है तो बात को संभालते हुए बोली " मेरा मतलब.. तुम अंदर कैसे आ सकते हो.. , I mean दरवाज़ा तो अभी खुला ना ! तो " ।

" तुम्हे कैसे पता कि दरवाजा कब खुला है.. ? " शिवाक्ष ने उससे सवाल किया ।

श्वेता " वो मैं अभी जब वॉचमैन गया तो उसके बाद ही यहां आ गई थी तो मुझे पता है.. " ।

शिवाक्ष serious होकर बोला " ओह.. पर मैं वॉचमैन के दरवाजा खोलते ही अंदर आ गया था.. । और अब मुझे किसी के सवालों का जवाब नहीं देना तो पूछना भी मत " बोलते हुए शिवाक्ष ने जाकर अपना गिटार उठा लिया ।

श्वेता ने देखा कि शिवाक्ष अंजली के लिए उससे झूठ बोल रहा है तो उसका खून खौलने लगा । वो गुस्से से अंजली को घूरने लगी । अंजली मासूमियत से शिवाक्ष को देख रही थी।

वो चाहे जैसा भी था लेकिन जहां उसकी इज्जत की बात थी वहां उसने अपनी दोस्त से भी झूठ कह दिया था ।

श्वेता ने जब देखा कि शिवाक्ष गुस्सा हो रहा है तो अपने शब्दों को संभालते हुए बोली " अरे , मैं तो बस यूं ही पूछ रही थी शिवाक्ष.. , वो इतनी जल्दी तुम कभी आते नहीं हो ना कॉलेज... तो बस इसीलिए.. " बोलते हुए श्वेता ने उससे प्यार से बात करने लगी ।

अंजली ने जब देखा कि , शिवाक्ष और श्वेता आपस में बात करने लगे हैं तो वो चुप चाप अपना बैग उठाए वहां से बाहर निकल गई ।

शिवाक्ष ने अंजली को जाते हुए देखा... तो वो भी बाहर जाने लगा ।

श्वेता उसे रोकते हुए बोली " शिवाक्ष. अब अगर हम दोनों जल्दी आ ही गए हैं... तो तुम मुझे एक गाने पर guitar बजाना सिखाओ ना.. तुमने कल कहा था कि तुम मुझे बजाकर दिखाओगे... और फिर मैं सीखना चाहूं तो सीख लूंगी.. " ।

शिवाक्ष ने अपने गिटार की तरफ देखा और बोला " अभी मैं थक चुका हूं श्वेता.... । बाद में सीखा दूंगा... Bye.. " बोलकर शिवाक्ष वहां से बाहर निकल गया ।

" शिवाक्ष.. " बोलते हुए श्वेता ने उसे रोकना चाहा पर वो वहां से चला गया ।

श्वेता की आंखों में खून उतर आया ।

" bloody bitch.. । ये लड़की सारी रात शिवाक्ष के साथ इस कमरे में बंद थी और शिवाक्ष भी अभी झूठ बोलकर बात को घुमाने की कोशिश कर रहा था । आखिर ऐसा कर कर दिया इसने एक ही रात में.. जो शिवाक्ष इसके इशारों पर चलना सीख रहा है... ।

दो सालों में कभी मेरे इशारों की तरफ तो नजर भी नहीं डाली और इसके ना में सिर हिलाने पर बहाने बनाकर बताने लगा है । ये गवार लड़कियां होती ही ऐसी हैं । कर ली होगी अपने जाल में फंसाने के लिए कोई घटिया हरकत । इसे तो मैं छोडूंगी नहीं.. । ये शिवाक्ष के करीब नही आ सकती... । ये मेरे और शिवाक्ष के बीच में नहीं आ सकती.. । " बोलते हुए श्वेता ने फोन निकाला और गैलरी में शिवाक्ष की फोटो देखने लगी । फिर पिछली यादों में खो गई ।

फ्लैश बैक :

2 साल पहले :

कॉलेज कैंपस :

शिवाक्ष और अक्षत बाइक से कॉलेज पहुंचे तो कॉलेज के बाहर कुछ लड़के एक लड़की को छेड़ते हुए दिखाई दिए ।

शिवाक्ष ने अक्षत को देखा और फिर दोनो उन लड़कों की ओर बढ़ गए । पास जाकर देखा तो रेड thigh length bodycon dress पहने एक लड़की वहां पर खड़ी थी और कुछ लड़के उसके इर्द गिर्द खड़े होकर उसे परेशान कर रहे थे ।

तभी एक लड़का आगे बढ़ा और उसे बाजू से छूने लगा तो लड़की ने खींचकर उसके गाल पर थप्पड़ जड़ दिया ।

लड़के ने अपने गाल पर हाथ रखा और गुस्से से बोला " मुझे थप्पड़ मारती है रुक अभी बताता हूं... बोलते हुए उसने जैसे ही लड़की के बालों को हाथ लगाना चाहा तो एक जोर दार घुसा उसके चेहरे पर पड़ा । तड़ाक से उसके दांतों के टूटने की आवाज आई । लड़के के मुंह से खून निकलने लगा ।

उसे चक्कर आने लगे । उसने अपने गाल पर हाथ रखा और शिवाक्ष की तरफ देखने लगा । वहीं आस पास खड़े बाकी लड़के भी शिवाक्ष को देखने लगे । उसका पंच बोहोत जोरदार था । आस पास खड़े लड़के उसे देखने और उसकी आवाज सुनने भर से ही अंदाजा लगा सकते थे कि वो पंच कितने जोरों से उस लड़के को लगा था ।

लड़की ने भी घूमकर शिवाक्ष की ओर देखा तो उसकी नजरें ठहर गई । वो धीरे धीरे पलकें झपकाते हुए उसे ही देखने लगी ।

पीछे गर्दन को कवर करते हुए लंबे बाल जो हवा चलने से लहरा रहे थे । Perfect jawline.. , काली गहरी आंखें और कसा हुआ बदन.. । शिवाक्ष किसी हीरो की तरह नजर आ रहा था । और वो लड़की अपनी नजरें उससे फेर ही नहीं पा रही थी ।

शिवाक्ष ने लड़के को घूरा और बोला " हड्डियां सही सलामत चाहता है तो निकल जा यहां से... और दुबारा किसी लड़की को छेड़ते हुए नजर मत आना... वर्ना ऐसा बुरा हाल होगा कि खुद को ही पहचान नही पाएगा.. " शिवाक्ष ने उसे वार्निंग देते हुए कहा ।

लड़के ने मुंह से निकलते हुए खून को नीचे थूका और बोला " अरे तू मारेगा तो मैने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी.. । एक घुसा मारकर खुद को तीस मार खां समझ रहा है क्या.. ? " अपने साथी लड़कों को देखते हुए " ए सब मारो रे इसको.. एक एक हड्डी तोड़ दो.. फिर बताता हूं.. कि किसका बुरा हाल होगा.. " ।

बोलते हुए लड़के ने अपनी बाजू में खून साफ किया और अपने साथी के हाथ में पकड़ा हुआ bat अपने हाथ में लेते हुए बोला “ अब तो तुझे कोई नही बचा सकता । अब हमारा बल्ला और तुम्हारा सिर । आज तो बल्ला भी टूटेगा और तुम्हारा सिर भी फूटेगा.. । “ ।

लड़के की बात सुनकर अक्षत ने अपना सिर पीटा और बोला " अरे क्यों मुसीबत को बुलावा दे रहे हो भाई.. । मैं बता रहा हूं.. सामने खड़ा इंसान रहम नहीं खायेगा.. और तुम सबको चार कंधों पर घर जाना पड़ेगा.. । इसके लिए 100 आदमी भी लड़ने के लिए कम पड़ जाएं । तुम तो फिर भी 8 ही हों.. " ।

अक्षत ने कहा तो वो सब हंस दिए ।

लड़का बोला “ अभी पता चल जायेगा कि कौन किसपर रहम खायेगा…. “ । बोलते हुए वो शिवाक्ष को घूरने लगा ।

अक्षत ने सिर हिला दिया और बोला " विपरीत बुद्धि विनाशकाले.... । अब जो होगा उसके जिम्मेदार तुम लोग खुद ही होंगे.. " ।

आखिर क्या होगा इस फाइट का अंजाम ?? क्या शिवाक्ष हरा देगा इन सबको या खुद ही हार जाएगा इन लड़कों से ? आखिर कौन हो सकती है ये लड़की जिसे शिवाक्ष ने बचाया है ??

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