कर्मा जोहरा नवी बरकत आयशा के घर पहुंचे आयशा कि कलकत्ता में हैसियत बहुत ऊंची एव रसूखदार थी आयशा ने बिना समय गंवाए डॉ शेखर मित्रा के ही अस्पताल में कर्मा को भर्ती करा दिया .बंगाल पुलिस ने बिहार पुलिस के चारो सिपाहियों जोगेश शमरपाल गौरांग एव जिमनेश को हर संभव सहयोग देने के वादे के साथ उनकी व्यवस्था कर दी । डॉ शेखर मित्रा ने कर्मा के पहले हुए चिकित्सा कि रिपोर्ट्स एव चिकित्सको के द्वारा दी गयी दवाईयों एव सलाह का गम्भीरता से अध्ययन करने के बाद उन्होंने अपने अस्पताल के दूसरे चिकित्सक एव मशहूर सर्जन डॉ सुहेल तय्यब चौधरी को कर्मा कि चिकित्सा हेतु नियुक्त कर दिया. अद्याप्रसाद कि पत्नी शामली डॉ मित्रा के अस्पताल के जिस कमरे में भर्ती थी ठीक उसके सामने वाले कमरे में कर्मा भर्ती हुई इधर शामली कि चिकित्सा डॉ शेखर मित्रा स्वंय कर रहे थे तो कर्मा कि चिकित्सा डॉ सुहेल तैयब चौधरी कर रहे थे .शामली के पास अद्याप्रसाद रजवंत मुनक्का औऱ मासूम सुभाषिनी रहती तो कर्मा के पास नवी बरकत एव जोहरा कभी कभार आयशा आती लेकिन बहुत कम समय अस्पताल में रुकती हां आयशा के कारण कर्मा अतिविशिष्ट मरीज थी जबकि शामली साधरण शामली और कर्मा का कमरा आमने सामने होंने के कारण जब भी वक्त मिलता जोहरा नवी बरकत अद्याप्रसाद रजवंत मुन्नका से मिलते जुलते एक दूसरे के मरीज का हाल चाल जानते साथ उठते बैठते मासूम सुभाषिनी भी अक्सर खेलते खेलते कर्मा के पास चली जाती कर्मा उसे बड़े प्यार से खिलाती अपने गोद मे लेकर दुलार करती मासूम सुभाषिनी को कर्मा अपनी माँ शामली जैसी ही लगती .दो चार ही दिनों में कर्मा एव शामली के तीमारदारों में दोस्ताना हो गया कर्मा को सुभाषिनी बहुत भाती वह अक्सर सुभाषिनी को प्यार करती जैसे सुभाषिनी उसकी अपनी ही बेटी हो ऐसे ही समय बीतता गया शामली कि तबीयत में तेजी से सुधार होने लगा और आखिर वह दिन भी आ गया जिस दिन कर्मा कि आंतो में पड़ी गाँठो का ऑपरेशन डॉ सुहेल तय्यब चौधरी ने किया ऑपरेशन के बाद जब होश आया और आंखे खोली तब कर्मा ने सबसे पहले सुभाषिनी को ही देखा कर्मा और शामली के तीमारदारों में निकटता तो बहुत हो चुकी थी लेकिन किसी ने एक दूसरे को अपना परिचय स्थान नही बताया था।अद्याप्रसाद मुन्नका रजवंत ने नवी बरकत जोहरा आयशा से तरह तरह से बहाने बनाकर उनके विषय मे जानने की कोशिश किया लेकिन कर्मा कि शक्त हिदायत उन्हें ऐसा करने से मना करती जब कर्मा के तीमारदारों ने अपने विषय मे कुछ बताना उचित नही समझा तो अद्याप्रसाद मुन्नका रजवंत ने भी कुछ भी बताना उचित नही समझा. इससे मासूम सुभाषिनी के व्यवहार पर कोई फर्क पड़ने वाला नही था वह स्वछन्द कर्मा के पास जाती कर्मा उसे चॉकलेट बिस्कुट आदि बच्चों के पसंद की ढेर सारा समान मंगाकर देती।मासूम सुभाषिनी दुनियां के छल प्रपंच से अलग थी कहते है बच्चे भगवान के रूप होते है वह कर्मा से बिल्कुल घुल मिल गयी थी ।बिहार पुलिस के चारो सिपाही कर्मा कि निगरानी करते जिसकी जानकारी आयशा को थी आयशा ने जानकारी कर्मा जोहरा और नवी बरकत को दे रखी थी ।करोटि जंगेज के पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद अधिक सतर्क हो चुका था वह अपने वारदातों को अंजाम देने से पहले और बाद कि सभी कड़ियों को ही तहस नहस कर देता था ।पुलिस ने जंगेज पर सारे पुलिसिया हथकण्डे अपनाए लेकिन जंगेज जैसे फौलाद या मजबूत पत्थर का इंसान हो टूटने का नाम ही नही ले रहा था पुलिस ने जंगेज को वादा माफ गवाह तक बनाने के लिए लालच दे दिया फिर भी जंगेज नही टूटा वह बार बार एक ही बात कहता हुजूर आप लोग हमें गोली मार दो लेकिन पुलिस बिना किसी ठोस सबूत के जंगेज का काउंटर भी कर सकने में सक्षम नही हो पा रही थी क्योकि पुलिस ने सिर्फ शक के बिना पर ही जंगेज को पकड़ा था उसके विरुद्ध पहले से कोई आपराधिक मामला दर्ज नही था कुल मिलाजुलाकर जंगेज पुलिस के गले की हड्डी बन चुका था ऊपर से करोटि के राजनीतिक संपर्कों के कारण पुलिस प्रशासन पर बेगुनाह व्यक्ति को बेवजह परेशान करने का आरोप लग रहा था लेकिन पुलिस को पक्का यकीन ही नही वास्तविकता भी थी कि करोटि के सभी अपराधों में जंगेज बराबर का हिस्सेदार था पुलिस प्रशासन जंगेज को छोड़ने की मन्सा नही थी लेकिन उसकी छबि द्विविधा के कारण बहुत खराब हो रही थी ।शामली पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुकी थी और डॉ शेखर मित्रा ने उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी चलते वक्त अद्याप्रसाद रजवंत शामली मुनक्का सुभाषिनी के साथ कर्मा से मिलने गए कर्मा ने शामली से कहा बहन तुम्हारी बिटिया हमे बहुत रुलायेगी इसकी याद हमे बहुत आएगी लगता है इसका हमारा जन्मों जन्मों का साथ है. अद्याप्रसाद ने कहा बच्चे तो मन के सच्चे होते है उनका क्या सभी से घुल मिल जाते है कर्मा ने कहा नही सुभाषिनी से निश्चित ही उसका जन्मों जन्मों का रिश्ता है यह हमें बहुत रुलायेगी इसे हम नही भूल पाएंगे ।शामली रजवंत मुनक्का और अद्याप्रसाद ने कर्मा से विदा लिया जाते समय कर्मा ने सुभाषिनी को खिलौनों चॉकलेट आदि दिए शामली स्वस्थ होकर गांव कोशिकीपुर लौट आई अद्याप्रसाद के परिवार में रौनक लौट आई और धीरे धीरे रजवंत और मुनक्का भी बेटे रितेश के वियोग को भूलने की कोशिश करते और सुभाषिनी को देखकर ही खुश होने की कोशिश करते।