कुकड़ुकू - भाग 14 Vijay Sanga द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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कुकड़ुकू - भाग 14

दिलीप ने सभी खिलाड़ियों को अपने पास बुलाकर कहा– “देखो, तुम लोगो को सारी बाते तो मैं घर पर ही समझा चुका हूं , और मुझे लगता है की अब कुछ समझाने की जरूरत नही, पर रघु आज तू कोशिश करना की ज्यादा से ज्यादा बोल आगे स्ट्राइकर तक पहुंचा सके। तू और मंगल, दोनो आज मिडफील्ड पर खेलोगे। तुम दोनो का काम होगा की ज्यादा से ज्यादा बोल स्ट्राइकर तक पहुंचा सको। हमें आज जितना ही है। चलो अब सब तैयार हो जाओ, और हां रघु और मंगल, तुम दोनो आज पूरा मैच खेलोगे, अगर मुझे लगा की तुम दोनो खेल नही पा रहे हो तो मैं तुम दोनो को चेंज कर दूंगा। इसलिए अच्छा खेलना। चलो अब तैयार हो जाओ।”

 

थोड़ी देर बाद सभी खिलाड़ी तैयार होकर मैदान के अंदर चले गए। दिलीप उन सबको वॉर्म अप करवाने लगा। थोड़ी देर तक उन्होंने वॉर्म अप किया, फिर रेफरी ने सीटी बजाकर सबको लाइन अप करने का इशारा कर दिया। दोनो टीमो के खिलाड़ियों ने रेफरी के सामने लाइन अप किया, उसके बाद रेफरी सबको चेक करने लगा। सबके नाम चेक हुए उसके बाद रेफरी ने सभी खिलाड़ियों को मैदान मे जाने का इशारा कर दिया। सभी खिलाड़ी मैदान मे पहुंच गए। कुछ खिलाड़ी बोल टच तो कुछ खिलाड़ी स्ट्रेचिंग करने मे लगे हुए थे, तभी मैन रेफरी बोल लेकर मैदान के बीच मे आकर खड़ा हो गया।

 

सभी खिलाड़ियों ने अपनी पोजीशन ले ली। रेफरी ने दोनो टीमो के कैप्टन को बुलाया और टॉस करवाया। दूसरी टीम का कैप्टन टॉस जीत गया। दोनो कैप्टन ने हाथ मिलाया और अपनी अपनी पोजीशन पर जाकर खड़े हो गए। उसके बाद रेफरी ने मेच शुरू करने की सीटी बजा दी। एक खिलाड़ी आगे आया और बोल को सीधा गोल की तरफ मार दिया। बोल को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे बोल सीधा गोल मे घुस जायेगी, पर गोल कीपर ने बोल को पकड़ लिया और बोल को आगे की तरफ मार दिया। बोल सीधा हाफ ग्राउंड मे आकर गिरी।

 

 दिलीप के टीम के स्ट्राइकर को जैसे ही बोल मिली, वो बोल को लेकर सीधा गोल की तरफ दौड़ पड़ा, पर दूसरी टीम के डिफेंडर्स ने उसे रोक दिया। खेल शुरू हुए अबतक लगभग पंद्रह मिनट से ज्यादा हो चुका था, पर कोई भी टीम अभी तक गोल करने मे सफल नहीं हुई थी।

 

थोड़ी देर बाद अचानक बोल मंगल के पास आ गई। मंगल ने जब इधर उधर देखा तो सभी खिलाड़ियों पर सामने वाली टीम के खिलाड़ियों ने कवर दे रखा था। मंगल समझ नही पा रहा था की उसको क्या करना चाहिए ? तभी रघु ने उसे हाथ दिखाते हुए इशारा किया। मंगल ने बोल को सीधा रघु की तरफ मार दिया।

 

 रघु पर किसी खिलाड़ी का ध्यान नही था, जैसे ही रघु के पास बोल आई, वो बोल को लेकर तेजी से गोल की तरफ दौड़ पड़ा। आगे के स्ट्राइकर खिलाड़ी भी उसका साथ देने के लिए आगे की तरफ दौड़ पड़े। रघु ने गोल के नजदीक पहुंच कर बोल को सीधा गोल पोस्ट की तरफ मार दिया, बोल सीधा जाकर गोल मे घुस गया। लोगों ने जब ये होता हुआ देखा तो उन्हे यकीन नही हो रहा था की इस लड़के ने ये कैसे कर दिया, दिखने मे तो छोटा सा है, फिर अचानक से दर्शकों के शोर से पूरा मैदान गूंज उठा। सभी लोग रघु के लिए तालियां और सीटियां बजाने लगे।

 

रघु को देख कर जो हाल पहले दर्शकों का था वही हाल अब उसके मम्मी पापा और शिल्पा और उसके मम्मी पापा का था। उन्हे अंदाजा भी नहीं था की रघु इतनी जल्दी इतना अच्छा फुटबॉल खेलना सिख जायेगा। 

 

अब शिल्पा भी रघु का नाम लेकर चिल्लाने लगी। उसे रघु का नाम लेकर चिल्लाते हुए देखकर उसके पास खड़े आदमी ने पूछा– “बेटी तुम जिसका नाम लेकर चिल्ला रही हो, वो रघु कौन है?”

 

 “अरे चाचा जी, वो जिसने अभी गोल मारा ना, वही रघु है। शिल्पा ने उस आदमी से कहा। 

 

“अच्छा, तो उस लड़के का नाम रघु है, आज से पहले उसे कभी कहीं खेलते हुए नही देखा, क्या तुम मुझे उसके बारे मे कुछ बता सकती हो?” उस आदमी ने शिल्पा से पूछा।

 

 “अरे चाचाजी, उसको अभी फुटबॉल खेलते हुए एक से डेढ़ सप्ताह ही हुआ है, और ये उसका पहला टूर्नामेंट है।” 

 

शिल्पा के मुंह से ये बात सुनकर जैसे उस आदमी को झटका लग गया हो, उसने उसकी तरफ टकटकी लगाकर देखते हुए कहा– “अरे बेटा, क्यों मजाक कर रही हो, मैं तो क्या कोई भी नही मान सकता की कोई इतने कम समय मे इतना अच्छा फुटबॉल खेलना सिख सकता है।”

 

 उस आदमी की बात सुनकर शिल्पा ने कहा– “चाचा जी आपको मानना है तो मानो नही तो मत मानो, पर मैं उसे बचपन से जानती हूं।” शिल्पा की ये बात सुनकर उस आदमी को बहुत हैरानी हुई, पर खुशी भी हुई की आज उन्हे इतना हुनर वाला लड़का देखने को मिला। अब वो रघु के बारे मे और भी जानने को बेताब थे। अब वो भी शिल्पा के साथ मिलकर रघु का नाम लेकर चिल्लाने लगे। 

 

थोड़ी देर बाद सामने वाली टीम ने भी दिलीप की टीम पर एक गोल मारकर स्कोर बराबर कर दिया। अब दोनो टीमों के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा था। दर्शकों को भी बहुत समय बाद ऐसा मेच देखने को मिला था। अचानक से रेफरी की सीटी बाजी और रेफरी ने हाफ टाइम का इशारा कर दिया।

 

 सभी खिलाड़ी मैदान के बाहर आकर बैठ गए। सभी खिलाड़ी बहुत ज्यादा थक चुके थे। सभी खिलाड़ियों ने पानी पिया और आपस मे बातें करने लगे। “देखो, अभी आकार बराबर हो गया है, हमे किसी भी तरह गोल करके बढ़त बनानी होगी। रघु , मैं तेरी जगह बदल रहा हूं , अब तू स्ट्राइकर की जगह पर खेलना, अगर तू पूरा समय मिडफिल्ड पर खेलेगा तो बहुत ज्यादा थक जाएगा, इसलिए थोड़ी देर स्ट्राइकर की जगह पर खेल, फिर थोड़ी देर बाद वापस मिडफील्ड पर आ जाना।” दिलीप ने रघु को समझाते हुए कहा। 

 

बहुत से दर्शक रघु की टीम के आस पास आकर खड़े हो गए। सभी लोग रघु और बाकी खिलाड़ियों की तारीफ कर रहे थे। तभी रेफरी की सीटी बाजी और मेच का दूसरा हाफ शुरू हो गया। 

 

दूसरा हाफ शुरू हुए कुछ ही समय हुआ था की सामने वाली टीम ने दिलीप की टीम पर एक और गोल मार दिया। तभी दिलीप ने रघु को अपने पास बुलाया और कहा– “रघु , अब स्कोर करना तेरे ऊपर है, मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है की तू गोल कर सकता है।” दिलीप ने रघु का कंधा थपथपाते हुए कहा।

Story to be continued..... Next chpater will be coming soon....