कुकड़ुकू - भाग 15 Vijay Sanga द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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कुकड़ुकू - भाग 15

दिलीप की बात सुनकर और उसका उसपर भरोसा देखकर रघु समझ गया था की अब उसको गोल करना ही होगा। दिलीप ने अपने सभी खिलाड़ियों को समझा दिया था की वो लोग रघु को ज्यादा से ज्यादा बोल पास करें। खिलाड़ी भी वही कर रहे थे, पर रघु को दो खिलाड़ी घेरकर खड़े थे। वो दोनो रघु को मौका ही नही दे रहे थे की वो गोल की तरफ बढ़ सके। बाकी खिलाड़ियों का भी रघु पर ही ध्यान था। गोल कीपर ने शॉट मारा और बोल सीधा मंगल के पास आ गिरी। मंगल ने नजर उठाई और रघु की तरफ देखने लगा, पर रघु घिरा हुआ था। मंगल सोच ही रहा था की बोल किसको दूं , तभी दिलीप ने मंगल को आवाज दी और अपनी तरफ बोल पास करने का इशारा किया। मंगल ने भी देरी ना करते हुए बोल को सीधा दिलीप की तरफ मार दिया।

 जैसे ही बोल दिलीप के पास आई, वो बोल लेकर तेजी से आगे की ओर दौड़ पड़ा। जब दूसरी टीम के खिलाड़ियों ने ये देखा तो वो सब भी दिलीप की तरफ दौड़ पड़े। तभी दिलीप ने नजर उठाकर रघु को देखा तो अब रघु को जो खिलाड़ी घेरकर खड़े थे वो भी दिलीप की तरफ दौड़ पड़े थे। दिलीप को अपनी तरफ देखता देख रघु समझ गया की उसको क्या करना है, वो पूरी तेरी से गोल की तरफ दौड़ पड़ा। बाकी खिलाड़ियों को समझ नही आ रहा था की रघु को अचानक क्या हो गया, वो गोल की तरफ ऐसे क्यों दौड़ रहा है? तभी अचानक दिलीप ने बोल को रघु की तरफ मार दिया।

 खिलाड़ियों को तो यही लग रहा था की दिलीप गोल मारेगा, पर दिलीप ने रघु को पास देकर सबको हैरान कर दिया। दर्शकों का भी यही हाल था। रघु के पास जैसे ही बोल आई, उसने बोल को सीधा गोल की तरफ मार दिया। बोल जाकर सीधा गोल मे घुस गई। 

जैसे ही गोल हुआ, सभी खिलाड़ी रघु की तरफ दौड़ पड़े। उन्होंने उसको कंधो पर उठा लिया। दर्शक भी ये देखकर खुदको रोक नही पाएं, बहुत से लोग दौड़ते हुए मैदान के अंदर आ गए। तभी रेफरी ने सीटी बजाई और दर्शकों को मैदान से बाहर किया। दर्शकों के मैदान से बाहर हो जाने के बाद फिर से मेच शुरू हो गया।

लोगों ने बहुत समय के बाद इतने टक्कर का मेच देखा था। दिलीप ने रघु को अब फर्ज मिडफील्ड पर बुला लिया था। दूसरी टीम वालो को समझ नही आ रहा था की ये लोग किस तरह की रणनीति के साथ खेल रहें हैं? अब मैच खत्म होने मे कुछ ही समय बचा था। दूसरी टीम के खिलाड़ी अब आक्रमक तरीके से खेलने लगे। मंगल के पास बोल आई तो एक खिलाड़ी ने गलत तरीके से उसे मार दिया। मंगल को घुटनों पर चोट लग गई और वो लंगड़ाने लगा। दिलीप समझ गया की अब मंगल खेल नही पाएगा। उसने बाहर की तरफ इशारा किया और मंगल को चेंज कर दिया। मंगल की जगह दूसरा खिलाड़ी अंदर आ गया। थोड़ी देर तक कोई भी टीम स्कोर नही कर पाई।

दूसरी टीम के खिलाड़ी दिलीप की टीम के खिलाड़ियों को गलत तरीके से मारे जा रहे थे। दिलीप नही चाहता था की उसका और कोई भी खिलाड़ी घायल हो। उसने दूसरी टीम के खिलाड़ियों से बोल छीनी और सीधे उनके गोल की तरफ दौड़ पड़ा। 

दिलीप को पता तो था की उसको चोट लग सकती है, पर वो ये मौका छोड़ना नहीं चाहता था, वो जैसे ही बोल लेकर बड़ी डी के अंदर घुसा, उसे एक खिलाड़ी ने पीछे से पैर अड़ा कर गिरा दिया।

 रेफरी ने उस खिलाड़ी को चेतावनी देते हुए पीला कार्ड दिखाया और दिलीप की टीम को पेनेल्टी मिल गई। दिलीप ने पेनेल्टी मारी और अपनी टीम को एक और गोल दिला दिया। जैसे ही दिलीप की पेनेल्टी लगी, उसकी टीम के सभी खिलाड़ी दौड़ते हुए उसके पास आए और उसको कंधों पर उठा लिया। खिलाड़ियों का तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। रेफरी ने सीटी बजाई और फिर मेच शुरू हुआ। जैसे ही दूसरी टीम के खिलाड़ी ने शॉट मारा, रेफरी ने फाइनल सीटी बजा दी और मेच वहीं खत्म हो गया। जैसे ही मेच की फाइनल सीटी बजी, दर्शक भागते हुए मैदान के अंदर आए और दिलीप की टीम के सभी खिलाड़ियों को कंधो पर उठा लिया। 

बहुत समय बाद दर्शकों को भी मेच देखने मे इतना मजा आया था। दिलीप और उसकी टीम के लिए भी आज बहुत बड़ी खुशी का दिन था। दर्शक उन सबको उठाकर मंच के पास ले गए। मंच पर भी पुरस्कार वितरण के लिए दोनो टीमों के खिलाड़ियों को बुला लिया गया था। 

पुरस्कार देने के लिए विजेता टीम के कैप्टन को आगे बुलाया गया। दिलीप आगे गया और विजेता ट्रॉफी ले ली। उसके बाद इनामी राशि जो की इक्कीस हजार रुपए थे, वो भी दिलीप की टीम को मिल गए। दिलीप ट्रॉफी और इनामी राशि लेकर जैसे ही मंच के नीचे आया, वैसे ही सभी खिलाड़ियों ने उसको कंधो पर उठा लिया और खुशी से नाचने लगे।

 वो सब नाच ही रहे थे की मंच पर एक अनाउंसमेंट हुए– हेलो..हेलो.. . कुमार जहां कहीं भी हो, मंच पर आ जाए, उन्हे मुख्य अतिथि की तरफ से एक हजार रुपए नकद इनाम दिया जाता है। ये सुनते ही सबने रघु की तरफ देखा, और उसे मंच पर जाने के लिए कहने लगे। दिलीप ने रघु की पीठ थपथपाई और कहा– “जा इनाम ले ले, आज तू नही होता तो शायद ही हम ये टूर्नामेंट जीत पाते, इस इनाम पर तेरा हक बनता है।” रघु ने जैसे ही दिलीप से ये सुना, वो भागता हुआ मंच पर चला गया। मुख्य अतिथि ने उसको इनाम दिया और उसको शाबाशी देते हुए मुस्कुराने लगा। रघु ने भी इनाम लिया और उनके पैर छूकर मंच से नीचे आ गया। 

सभी खिलाड़ी फिर से नाचने लगे। थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा फिर रघु ने कहा–दिलीप भईया, मैं मम्मी पापा से मिलकर आता हूं।” दिलीप ने भी उसको देखकर मुस्कुराते हुए कहा– “जा मिलकर आ जा।” रघु भागता हुआ अपने मम्मी पापा के पास गया और कहा– “मम्मी देखो मुझे हजार रूपये मिले।” रघु के मम्मी पापा ने मुस्कुराते हुए रघु को देखा और उसको गले लगा लिया। 

Story to be continued....

Next part will be coming soon....