Shadow Of The Packs - 11 Vijay Sanga द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Shadow Of The Packs - 11

लगभग 3 घंटे चलने के बाद सुप्रिया और उसके सभी दोस्त कैंपिंग वाली जगह पर पहुंच गए। जब उन्होंने उस जगह को देखा तो सबकी आंखें खुली की खुली रह गई। एक सुंदर सा तालाब जंगल के बिचो बीच और उसके आस पास बहुत सारे रंग बिरंगे खूबसूरत फूल। और तालाब मे तैरते खूबसूरत हंस के जोड़े। इतना खूबसूरत नजारा देख कर तो सबको यकीन ही नहीं हो रहा था की इतनी खूबसूरत जगह भी इस जंगल के बीचों बीच मौजूद है। ये नजारा देखकर ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग में आ गए हों।


सभी लोगों ने अपने अपने बैग नीचे रखे और सामान निकालकर तंबू बनाने मे लग गये। वो लोग दो तंबू बनाने वाले थे। एक लडको के लिए और दूसरा लड़कियों के लिये। कुछ ही देर मे दोनो तंबू तैयार हो गए। इसके बाद सबने लकड़ियां जमा की और आग जला लिया। सभी लोग आग के आस पास बैठ गए और गाने गुनगुनाने लगे।


अचानक से अमित ने सबकी तरफ देखते हुए पूछा–“यार मुझे तो भूख लग रही है। कोई कुछ खाने को लाया है या नहीं?”


अमित ने सबकी तरफ देखते हुए पूछा ही था की तभी ललित ने सबको देखते हुए कहा, “खाने के लिए तो सुप्रिया लाने वाली थी ना? सुप्रिया खाने को कुछ लाई हो या भूल गई?”


ललित ने सुप्रिया से ये पूछा ही था की तभी सुप्रिया ने मुस्कुराते हुए उसको देखते हुए कहा–“अरे यार ये मै कैसे भूल सकती हूं। अभी दिखाती हूं मै क्या लाई हूं...!” इतना कहते हुए सुप्रिया ने अपने बैग में हाथ डाला और कुछ मैगी के पैकेट निकाल लिये।


“मैगी...! सिर्फ मैगी लाई है या कुछ और भी है?” अमित ने सुप्रिया के पास सिर्फ मैगी देखा तो उससे पूछे बिना रहा नही गया।


“अरे तुम चिंता मत करो। अभी बहुत कुछ है मेरे बेग मे। पर पहले एक काम करो एक चूल्हा बनाओ और उसमे पानी गर्म करो। पहले मैगी खाते हैं फिर आगे सोचेंगे क्या करना है?” सुप्रिया ने सबकी तरफ देखते हुए कहा।


इसके बाद विक्रांत चूल्हा बनाने लगा। वो जंगल मे अकेला ही रहता था इसलिए उसे पता था की ये सब काम कैसे करना है। इसके बाद विक्रांत ने अमित को एक बर्तन मे पानी निकालने को कहा।


अमित ने बैग में से एक बर्तन निकाला और उसमे पानी डालकर पानी गर्म करने लगा। पानी गर्म होने पर विक्रांत ने सुप्रिया से मैगी के पैकेट लिए और पैकेट खोलकर मैगी गर्म पानी में डाल दिए। कुछ ही पल में मैगी बनकर तैयार हो गई। फिर विक्रांत ने सबको मैगी दी और सब मैगी खाते हुए बाते करने लगे।


“अरे सुप्रिया...! तूने बताया नही की इतनी खूबसूरत जगह का पता कैसे चला तुझे?” रूपाली ने सुप्रिया से पूछा।


“मै जब छोटी थी तब पापा मुझे यहां पिकनिक के लिए लाया करते थे। फिर पढ़ाई में इतनी व्यस्त हो गई की इस जगह के बारे में भूल ही गई थी। पर जब तुम सबने कैंपिंग की बात की तो मुझे ये जगह ध्यान में आई। इसलिए मैने कैंपिंग के लिए ये जगह चुनी।” सुप्रिया ने अपनी बात समझाते हुए कहा।


बाते करते करते रात के 11 बज गए। अब सबको नींद आने लगी थी। “चलो यार सोने चलते हैं। बहुत नींद आ रही है।” अमित ने उबासी लेते हुए कहा। ट्रेकिंग करके सभी लोग थक चुके थे। इसलिए सभी को नींद आने लगी थी। सभी लोग सोने के लिए अपने अपने तंबू में चले गए। लड़के एक तंबू मे चले गए और लड़कियां दूसरे तंबू मे।


रात में करीबन दो बजे कुछ आहट की वजह से विक्रांत की नींद खुल गई। वो देखने के लिए तंबू से बाहर आया तो उसने देखा की थोड़ी दूरी पर एक काली सी परछाई उसे नजर आ रही थी। पूर्णिमा की रात होने की वजह से चारो तरफ उजाला फैला हुआ था। पर वो काली परछाई विक्रांत से कुछ ज्यादा ही दूरी पर थी इलाज विक्रांत को कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था की वहां पर कौन खड़ा था?


विक्रांत थोड़ा सा आगे गया तो उसने देखा की वो परछाई जैसा जो भी था, वो कुछ खा रहा था। विक्रांत ने घबराते हुए पूछा–“कौन है वहां?”


विक्रांत की आवाज सुनकर वो जो भी था, उसका ध्यान बट गया। वो विक्रांत के थोड़ा करीब आया तो वा krant ne dekha ki wo ek भयानक सा जानवर था। उस जानवर को देख कर विक्रांत की हालत ही खराब हो गई। वो जानवर विक्रांत के और करीब आया और देखते ही देखते वो एक जानवर से इंसान मे बदल गया।


जब विक्रांत ने उसका इंसानी रूप देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। वो इंसान शकल सूरत से हुबहू विक्रांत की तरह दिख रहा था। विक्रांत कुछ कर पाता उससे पहले उस इंसान ने विक्रांत की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए पूछा–“कैसे हो मेरे भाई...? आखिर हमारी मुलाकात हो ही गई। तुमने मुझे पहचाना या नही?” उस इंसान ने विक्रांत से पूछा।


विक्रांत को ऐसा लग रहा था जैसे ये कोई डरावना सपना था। इसके बाद जब विक्रांत ने ये देखने की कोशिश की, की वो क्या खा रहा था? तो विक्रांत ने देखा की वहां पर सुप्रिया और रूपाली जमीन पर लेटे पड़े थे। उनको देखते ही वो भागता हुआ उनके पास गया। जैसे ही उसने उनको पास से देखा तो उसे ऐसा लगा मानो बिजली का झटका लग गया हो।


सुप्रिया और रूपाली खून से सने पड़े थे। फिर जब विक्रांत ने दोनो को चेक करने के लिए दोनो की सांस और धड़कन चेक की तो पता चला की रूपाली मर चुकी थी। पी किनसुप्रिया की सांसे अभी भी चल रही थी। सुप्रिया को भी जगह जगह से नोचा गया था। उसके शरीर पर गहरे घाव साफ दिखाई दे रहे थे।


अपने दोस्तों को इतनी भयानक हालत मे देख कर विक्रम को गुस्सा आने लगा। कुछ ही पल मे उसका गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ गया। और देखते ही देखते वो एक मानव भेड़िये मे बदल गया। उसको बदलता देख वो दूसरा इंसान भी मानव भेड़िये मे बदल जाता है। इसके बाद दोनो के बीच खूनी लड़ाई शुरू हो जाती है। दोनो एक दूसरे को बुरी तरह से चीर फाड़ रहे थे।


उधर जब अमित ने कुछ आवाज सुनी तो उसकी नींद खुल गई। उसने जब तंबू से बाहर आकर देखा तो सामने का भयानक मंजर देख कर उसकी चीख निकल गई। उसकी आवाज सुनकर सीखा और ललित की भी नींद खुल गई। जब दोनो मानव भेड़ियों ने सबकी तरफ देखा तो दोनो लड़ते लड़ते घने जंगल में कहीं गायब हो गए।


इसके बाद अमित की नजर थोड़ी दूर पर जमीन पर पड़ी रूपाली और सुप्रिया पर गई। वो भागता हुआ उनके पास गया। उसने देखा की रूपाली और सुप्रिया खून से सनी हुई थी। रूपाली के शरीर पर जख्म ही जख्म थे। कहीं से मास नोचा हुआ था तो कहीं गहरे जख्म थे। रूपाली और सुप्रिया को चेक करने पर अमित को पता चला की रूपाली मर चुकी है। वहीं सुप्रिया की सांसें अभी भी चल रही थी। बाकी सब दोस्त भी उनके पास भागते हुए आए। अपने दोस्तों के साथ ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ देख वो सब घबराते हुए एक दूसरे को देखने लगे। इसके बाद अमित ने पुलिस को फोन लगा कर इस बारे मे बता दिया।


Story to be continued......