थोड़ी देर बाद पवन कुमार और जोसेफ गोम्स, कमिशनर के ऑफिस पहुंच जाते हैं। “आ गए तुम दोनो! तुम दोनो मुझे ये बताओ, जो तुमने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, वो सच भी है या कोई वाहियाद मजाक है? मुझे तुम दोनो से ये उम्मीद नहीं थी। मैने तुम दोनो को ये केस इसलिए दिया था क्योंकि मुझे तुम दोनो पर पूरा भरोसा था। पर तुम दोनो मेरी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। मुझे लग रहा है मैने तुम दोनो को ये केस देकर बहुत बड़ी गलती कर दी।” कमिशनर ने पवन कुमार और जोसेफ गोम्स को सुनाते हुए कहा।
“सर एक बार हमारी बात तो सुनीये...।” जोसेफ गोम्स का इतना कहना ही हुआ था की तभी कमिशनर साहब गुस्से में बोले–“इतना होने के बाद भी तुम्हारे पास कुछ कहने को बाकी है?”
“सर एक बार हमारी बात सुन लीजिए। हमारी बात सुनने के बाद आपको सब समझ आ जायेगा।” जोसेफ गोम्स ने कमिशनर से कहा।
“ठीक है बोलो क्या कहना चाहते हो?” कमिशनर ने जोसफ गोम्स को खिसियाई नजर से देखते हुए कहते हैं।
“सर इस हादसे से पहले मुझे भी इस बात पर बिल्कुल भरोसा नहीं था की ऐसे जीव सच मे हो भी सकते हैं! बस कहानियों में सुना था। कभी नहीं सोचा था की ऐसे जीव से हमारा आमना सामना हकीकत मे भी हो जायेगा। लेकिन उस रात उस जानवर से हमारा आमना सामना होने के बाद तो इस सच्चाई को चाहकर भी झुठला नहीं सकता की ऐसे जीव सच मे होते हैं।” जोसेफ गोम्स ने अपनी बात समझाते हुए कहा।
“पवन...! तुम इस बारे मे क्या कहना चाहते हो?” कमिशनर ने पवन कुमार से पूछा। पवन कुमार ने भी वही सब कहा जो जोसेफ गोम्स ने कहा था।
कमिशनर को लग रहा था की जोसेफ गोम्स और पवन कुमार कोई मंघाड़त कहानी बना रहे हैं। “बकवास बंद करो तुम दोनो। तुम दोनो बस मनघड़त कहानियां सुनाए जा रहे हो। जो तुम दोनो बता रहे हो वो कभी सच नहीं हो सकता। ये जीव बस कहानियों में होते हैं। अंधेरे में तुम्हारा सामना किसी और जानवर से हुआ होगा! तुम लोग बस थोड़ा घबरा गए हो और कुछ नही। और अगर तुम लोग चाहते हो की मैं तुम्हारी बातों पर यकीन करूं तो मुझे कोई पक्का सबूत लाकर दिखाओ। तभी मुझे तुम्हारी बातों पर यकीन होगा। अब तुम दोनो जा सकते हो।” कमिशनर ने पवन कुमार और जोसेफ गोम्स को झाड़ते हुए कहा।
कमिशनर के ऑफिस से बाहर जाते हुए पवन कुमार ने कमिशनर की तरफ देखा तो कमिशनर साहब टेंशन में लग रहे थे। पवन कुमार सोचने लगे की जब कमिशनर साहब को उनकी बातों पर भरोसा नहीं है तो फिर वो इतनी टेंशन मे क्यूं दिखाई दे रहे थे?
“जोसेफ सर...! आपने देखा कमिशनर साहब कुछ टेनशन में लग रहे थे। ऐसा लगता है जैसे कमिशनर साहब इस बारे मे कुछ जानते हैं, पर बता नही रहें हैं।” पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स से कह।
“अरे ऐसा कुछ नही है, आप कुछ ज्यादा ही सोच रहे हो। हो सकता है ऊपर से उनपर भी प्रेशर आ रहा हो इस केस को लेकर, इसलिए वो भी टेंशन मे होंगे।” जोसेफ गोम्स , पवन कुमार सेकहते हैं।
“हां शायद आप सही बोल रहे हो, ऐसा भी हो सकता है।” पवन कुमार ने जोसेफ गोम्स से कहा।
“पवन जी आज ऐसा लग रहा है जैसे मेरा दिमाग टेंशन से ही फट जाएगा। चलो कहीं चलकर चाय पीते हैं, उसके बाद सोचेंगे की आगे क्या करना है!” जोसेफ गोम्स , पवन कुमार से कहते हैं।
“बिलकुल सर...। इतनी भाग दौड़ के बाद एक एक चाय तो पीना बनता है।” पवन कुमार ने कहा और फिर दोनो चाय पीने के लिए चले गए।
दूसरी तरफ विक्रांत और सुप्रिया फोन पर एक दूसरे से बातें करने मे लगे हुए थे। “अच्छा सुप्रिया एक बात बताओ! अचानक से कैंपिंग और ट्रैकिंग का प्लान कैसे बन गया?” विक्रांत ने सुप्रिया से पूछा।
“कुछ खास नही यार, दोस्तो ने प्लान बनाया है। उन्होंने कहा की बहुत टाइम से कहीं घूमने फिरने नही गये हैं, तो क्यों ना कहीं घूमने चला जाए। सबने पहले तो बहुत सोचा की कहां घूमने के लिए जाना चाहिये? फिर मेरे एक दोस्त ने कहा की हम लोगों को कैंपिंग और ट्रेकिंग के लिए जाना चाहिए। मुझे और बाकी दोस्तों को भी ये सही लगा इसलिए हमने कैंपिंग और ट्रेकिंग का प्लान बनाया।” सुप्रिया ने विक्रांत को सारी बात समझाते हुए कहा।
“अच्छा तो ऐसी बात है! तो फिर कब चलने का प्लान है? विक्रांत ने सुप्रिया से पूछा।
“परसों दोपहर बारह 12बजे तक हम निकलेंगे। दिन में ट्रैकिंग करेंगे, और फिर शाम तक हम कैंपिंग वाली जगह पर पहुंच जाएंगे। तुम जब कैंपिंग वाली जगह देखोगे तो हैरान हो जाओगे।” सुप्रिया ने मुस्कुराते हुए विक्रांत से कहा।
सुप्रिया के ऐसा कहने के बाद विक्रांत ये जानने को बेताब था की ऐसी कौनसी जगह है जहां पर वो लोग कैंपिंग के लिए जाने वाले थे? “अच्छा सुप्रिया ये तो बताओ की हम कैंपिंग के लिए किस जगह पर जाने वाले हैं?” विक्रांत ने सुप्रिया से आखिर पूछा ही लिया।
“ऐसे नही बता सकती, ये एक सरप्राईज है। तुम थोड़ा सब्र करो, कैंपिंग वाले दिन तुम्हे खुद पता चल जायेगा।” सुप्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा। “चलो ठीक है यार मत बताओ। अगर बता दोगी तो वो सरप्राईज नही रहेगा।” विक्रांत ने कहा।
इसके बाद सुप्रिया ने कुछ सोचते हुए विक्रांत से पूछा–“ विक्रांत...! मुझे तुमसे ये पूछना था की तुम यहां अकेले क्यों रहते हो? तुम्हारे मम्मी पापा कहां हैं? तुम उनके साथ क्यों नहीं रहते? तुम्हारा नाम सुनकर तो नही लगता की तुम किसी छोटे मोटे परिवार से हो?” सुप्रिया ने एक साथ कई सारे सवाल पूछा लिए।
“मैं बस तुम्हे अभी यही बता सकता हूं की मेरे मम्मी पापा दिल्ली में रहते हैं। बाकी सब मैं सही समय आने पर तुम्हे बता दूंगा।” विक्रांत ने सुप्रिया से कहा।
“अच्छा ठीक है, चलो फिर कल मिलते हैं। हम सबको कल मिलकर सोचना भी है की कैंपिंग और ट्रैकिंग के लिए क्या क्या लेकर चलना है!” सुप्रिया ने। इकरांत से कहा और फिर उसके बाद फोन रख दिया।
Story to be continued.........