द सिक्स्थ सेंस... - 36 (अंतिम भाग) रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 36 (अंतिम भाग)

थाने में लाते ही उदय जुबैर को लेकर बिना देर किये इंटैरोगेशन रूम में चला गया, इंटैरोगेशन रूम में एक टेबल थी जिसके एक तरफ जुबैर को बिठाया गया और दूसरी तरफ उदय के साथ डीजीपी और दो और सीनियर इंस्पेक्टर बैठ गये, मेज पर माइक रखा था जिसके स्पीकर रूम के बाहर भी लगे थे और उस रूम में चारों तरफ बुलेटप्रूफ कांच लगा हुआ था और रूम के बाहर राजवीर को बैठाया गया ताकि जुबैर की बातों को वो आइडेंटिफाई कर सके कि ये सच बोल रहा है या झूट!!

जुबैर से पूछताछ शुरू की गयी, पहले तो वो रोते हुये ये कहता रहा कि मैंने कुछ नहीं किया है मुझे फंसाया जा रहा है लेकिन जब वो नहीं माना तो उदय जो पहले से ही गुस्से में था वो और गुस्से में आ गया और उसने अपनी जगह से उठकर जैसे ही जुबैर को मारने के लिये हाथ उठाया वैसे ही उसे बाहर से आता हुआ अशफाक और एडवोकेट फहीम अंसारी दिखाई दिये!!

फहीम अंसारी दिल्ली का एक नामचीन वकील था जिसके बारे में ये फेमस था कि वो कोर्ट में सामने वाले की ऐसी धज्जियां उड़ाता है कि दूसरे पक्ष का वकील कुछ कह ही नहीं पाता है, वो फहीम अंसारी बड़ी अकड़ से इंटैरोगेशन रूम मे घुसा और जुबैर को मारने जा रहे उदय से बोला- आप बिना अपराध सिद्ध हुये मेरे क्लाइंट पर हाथ नहीं उठा सकते हैं और अब जो भी पूछताछ होगी वो मेरे सामने होगी!!

इसके बाद अशफाक को इंटैरोगेशन रूम से दूर बाहर बैठाया गया और जुबैर से फिर से पूछताछ शुरू की गयी लेकिन ये क्या...जो जुबैर अभी तक पुलिस के सामने मिमिया रहा था वो जुबैर अपने वकील के आ जाने से एकदम से चौड़ा हो गया और अजीब सी साइको जैसी हरकतेे करने लगा और बाहर बैठे राजवीर को देखकर हंसते हुये बोला- क्या रे चीपो मजा आया ना?

इसके बाद वो उदय से बोला- तू सुनना चाहता है ना कि जो हुआ वो कैसे हुआ और क्यों हुआ? तो सुन!! सुहासी को मैंने ही राजवीर के एक्सीडेंट की पेपर में छपी खबर की फोटो भेजकर इंडिया बुलाया था, मुझे पता था कि राजवीर की इस हालत के बारे में सुनने के बाद वो इंडिया जरूर आयेगी और हुआ भी वही, वो अपनी जॉब बीच में छोड़कर इंडिया आयी और आईजीआई एयरपोर्ट से उसे मैंने ही रिसीव किया था और वहां से उसे ये कहकर अपने साथ लाया कि राजवीर से मिलवाने ले जा रहा हूं लेकिन उसे लेकर मैं चला गया अपने फार्म हाउस पर, उस बेचारी को दिल्ली और आसपास के रास्ते ही नहीं पता थे और वो मुझपर भरोसा भी करती थी इसलिये बिना कोई सवाल किये वो मेरे साथ चली गयी, फार्म हाउस पर जाकर मैंने उससे कहा कि मैं राजवीर का पता करके उसे एक दो दिन में उससे मिलवा दूंगा और वो इडियट मान भी गयी!!

अपनी बात कहते कहते जुबैर ने अपनी तरफ घूर रहे राजवीर की तरफ देखा और हंसते हुये ताली बजाकर बोला- देखो देखो कैसे घूर रहा है, मजा आ रहा है ना राजवीर, तो तुझे कैसा लग रहा है तेरी सोलमेट सुहासी के बिना?? बेचारा अकेला रह गया हाहा हाहा अकेला रह गया!!

उदय को जुबैर की हरकतों पर हद से जादा गुस्सा आ रहा था और वो गुस्से से भर्रायी अपनी आवाज में बोला- फिर क्या हुआ जुबैर?

जुबैर उसकी तरफ देखकर हंसते हुये बोला- बड़ा इंटरेस्ट आ रहा है तुझे हां, अच्छा तो ठीक है सुन... धीरे धीरे.. धीरे धीरे दिन गुजरने लगे लेकिन मैंने सुहासी को राजवीर से नहीं मिलवाया क्योंकि मैं मिलवाना ही नहीं चाहता था!! फिर एक दिन सुहासी मुझसे लड़ने लगी ये कहकर कि मैं उसे राजवीर से क्यों नही मिलवा रहा, मैंने उसे प्यार से समझाने की कोशिश करी कि भूल जा उसे, मैं हूं ना तेरे साथ पर... वो बोली कि "तेरा दिमाग खराब हो गया है, मैं राजवीर के अलावा किसी के बारे में सोच भी नही सकती!!" उसकी ये बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और पता नही कैसे मेरा हाथ उसके कंधे पर पड़ा और मैंने जब उसे गुस्से से अपनी तरफ घसीटा तो वो तो मेरे पास नहीं आयी कंधे की तरफ का कपड़ा फट के मेरे हाथ में आ गया और उसका आधा बदन मुझे दिखने लगा, आय हाय क्या लग रही थी एकदम मक्खन!! फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके सारे कपड़े फाड़ दिये, उसकी शक्ल से भी जादा खूबसूरत उसका जिस्म देखकर मैं तो सकते में आ गया ये सोचकर कि यार मैं बेवकूफ था जो उसकी शक्ल पर मरता था असली चीज तो कपड़ों के अंदर थी!! फिर मैंने उस दिन के बाद उसके खूबसूरत बदन का स्वाद रोज चखा, बार बार चखा, हजार बार चखा इतना चखा कि वो अधमरी हो गयी!!

जुबैर बेशर्मी से अपनी हरकत बताये जा रहा था और अपनी जान से प्यारी सुहासी के बारे में ये सब बाते सुनकर राजवीर रोये जा रहा था ऐसा लग रहा था कि उसे एक मौका मिल जाये और वो जुबैर को यहीं जिंदा दफ्न करदे!!

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये जुबैर बोला- फिर एक दिन जब मैं उसे चखकर कमरे से बाहर आया तो मेरा मोबाइल वहीं रह गया और उसने तुरंत अपने पापा को फोन लगा दिया और उनसे बोली कि "पापा मैं दिल्ली के पास कहीं बंद हूं मुझे बचा लो प्लीज, म.. मुझे ज...!!" बस वो इतना बोली कि तभी मैंने वहां पंहुचकर उससे मोबाइल छीन लिया, कमीनी मेरा नाम लेने जा रही थी!! गुस्से में मैने उसके सिर पर जोर से मुक्का मारा और उसके बाद उसकी नाक और कान से खून निकला और वो एक ही मुक्के में मर भी गयी!! इसके बाद मुझे लगा कि इस कॉल के बाद उसका बाप पुलिस के पास जरूर जायेगा इसलिये मैंने एक दूसरे नंबर से अशोक वर्धन को कॉल करके कहा कि " अंकल मेरे पास सुहासी का कॉल आया था वो बहुत डरी हुयी थी और कह रही थी कि दिल्ली के पास कहीं बंद हूं, आप एक काम करो आंटी को लेकर दिल्ली आ जाओ मेरी यहां बहुत पहचान है मैं आपके साथ चलकर पुलिस कंपलेन कर दूंगा ताकि वो लोग सुहासी को ढूंढने में हमारी मदद कर सकें" और वो लोग भी सुहासी की तरह ही इडियट थे उन्होंने भी मेरी बात मान ली और दिल्ली आ गये, मैंने उनके नाम से कनाडा का टिकट कराया ताकि अगर कभी पुलिस तक ये मामला पंहुचे तो छानबीन करने पर पुलिस को ये पता चले कि वो दोनों तो इंडिया में हैं ही नही और इसके बाद जब वो दोनों दिल्ली आये तो मैंने उनके फोन चोरी करवा दिये, इसके बाद उन्हे लेकर भी फार्म हाउस आ गया, मुझे लगा जब सुहासी ही नहीं रही तो बेचारे बुड्ढे बुढ़िया भी जी कर क्या करेंगे और फिर मैंने उन दोनों को भी मार दिया और उन्हे उसी स्वीमिंग पूल के पास गाड़ दिया जहां सुहासी दबी हुयी थी!! बस खेल खत्म पैसा हजम!!

उदय ने उससे पूछा- लेकिन तूने ये सब किया क्यों?

उदय का ये सवाल सुनकर जुबैर गुस्से से दांत भींचकर राजवीर की तरफ देखते हुये बोला- इस कुत्ते की वजह से!! ये साला मेरे और सुहासी के बीच में आ गया, मैं उससे प्यार करता था और जबरदस्ती पढ़ाई में मन ना लगने के बाद भी उसके साथ हर स्कूल, हर कॉलेज में एडमीशन लेता रहा, अमेरिका तक चला गया लेकिन ये बीच में आ गया, कॉलेज खत्म होने के बाद भी जब ये इंडिया आया तब भी मैंने सुहासी को समझाने की बहुत कोशिश करी कि वो इस कुत्ते को छोड़ दे लेकिन उसकी जुबान पर इसी का नाम रहता था इसीलिए पहले मैं इंडिया आया उसके बाद राजवीर के ऊपर हमला करवाया लेकिन जिन लोगों से करवाया वो लोग साले इसे मरा समझ कर वहां छोड़ कर चले गये और ये कुत्ता फिर से बच गया!!

उदय बोला- मतलब तूने राजवीर पर हमला करवाया?

जुबैर बड़ी शान से बोला- और क्या!!

जुबैर की बातें सुनकर राजवीर का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था, उसे सुहासी की हालत के बारे में सोच सोच कर चक्कर आने लगे थे वो रोते हुये बस यही बोले जा रहा था - मैंने पांच साल में कभी सुहासी को गलत इंटेंशन से नहीं छुआ और इस नमक हराम ने उसके साथ इतना बुरा कर डाला अरे कम से कम इतना ही सोच लेता कि वो इस पर कितना भरोसा करती थी, इसने अपने पागलपन में सब खराब कर दिया, सब बर्बाद कर दिया!!

आज की पूछताछ पूरी हो चुकी थी, जुबैर को इंटैरोगेशन रूम से थाने में बनी सेल में भेज दिया गया, उसके वहां से जाने के बाद उसकी बातें सुनकर उदय, डीजीपी और बाकि के इंस्पेक्टर तो स्तब्ध थे ही.. वकील फहीम अंसारी भी जैसे अवाक् रह गया था, कमरे में बिल्कुल शांति थी कि तभी फहीम अंसारी उदय से बोला- हैदराबाद का प्रियंका रेड्डी का केस याद है?

उदय ने कहा - हां याद है लेकिन उस केस का इससे क्या कनेक्शन?

फहीम अंसारी बोला- मैं इसका वकील बनके जरूर आया था लेकिन इसके मुंह में खून लग चुका है अगर इसे मैंने अब छुड़वा लिया तो ये और जादा अपराध करेगा जो हमारे देश और दिल्ली के लिये बिल्कुल सेफ नही है, इसे खतम करदो.... सीन रीक्रियेट करो और बुम्म!! "One criminal dead means one criminal less!!"

फहीम की ये बात सुनकर डीजीपी समेत सब लोग सकते में आ गये लेकिन चू़कि फहीम सही कह रहा था इसलिये उसकी बात मानते हुये जुबैर को अगले दिन सीन रीक्रियेट करने के नाम पर फार्म हाउस ले जाया गया और योजनाबध्द तरीके से वहां उसका एनकाउंटर कर दिया गया!!

बाद में जब मीडिया मे ये मामला उछला और कोर्ट मे गया तो फहीम अंसारी ने खुद बयान दिया कि "जो भी हुआ मेरे सामने हुआ, जुबैर ने पुलिस की पिस्टल छीन कर फायर किया और पुलिस के काउंटर अटैक में वो मारा गया!! " कुछ दिन केस चलने के बाद बंद हो गया और पुलिस वालों पर सारी जांचे रोक दी गयीं!!

जुबैर तो मर गया लेकिन राजवीर... उसने तो सुहासी को खोकर अपना सब कुछ खो दिया था, उसने फिर से वही किया.. अपनी डायरी में लिखकर सुहासी से बातें करने लगा और सब कुछ छोड़कर उसने सन्यास ले लिया और साधू बनकर एक आश्रम में रहने लगा!!

राजवीर पहले से ही सैंसिटिव था वो सोचता बहुत था शायद इसीलिये सिर पर चोट लगने की वजह से उसकी सिक्स्थ सेंस एक्टिव हो गयी थी और कहते हैं कि जिसकी सिक्स्थ सेंस एक्टिव हो जाये उसे भविष्य की बातें, अपने आस पास की आत्मायें, लोगों की फीलिंग्स तक पता चल जाती हैं शायद इसीलिए उसे सुहासी की आत्मा दिखी और इतने बड़े मर्डर केस का खुलासा हो गया...!!

प्यार की इस अनोखी कहानी का अंत इतना खतरनाक होगा किसी ने सोचा भी नही था!!

===========The End==========