द सिक्स्थ सेंस... - 35 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 35

तीन तीन लाशों को एक साथ देखकर वहां खड़े पुलिस वाले बिल्कुल स्तब्ध रह गये थे और उन पुलिस वालों में सबसे जादा हैरान, परेशान और उदास अगर कोई था तो वो था इंस्पेक्टर उदय!!

पिछले करीब 6 महीने से राजवीर केस की वजह से वो सुहासी, अशोक और मधु वर्धन का ना सिर्फ नाम बार बार सुन रहा था बल्कि केस का हर एंगल उनकी तरफ ही घूमने के कारण उनके बारे में हद से जादा ना जाने क्या क्या सोच भी रहा था, उसने अभी तक की अपनी जांच में ये कतई नहीं सोचा था कि मारपीट के केस से शुरू हुआ ये मामला आज यहां तक आकर खड़ा हो जायेगा कि उसे उन लोगों की लाशें देखनी पड़ेंगी जिनको वो हर जगह ढूंढ रहा था!!

पिछले 6 महीने से राजवीर, सुहासी, अशोक, मधु के नामों के साथ रह रहे उदय ने जब सुहासी की लाश को बड़े प्यार से पकड़कर रो रहे राजवीर को देखा तो उसका दिल बहुत पसीज गया, वो राजवीर के पास गया और किसी बच्चे की तरह बड़े प्यार से उसके आंसू पोंछकर उसे अपने सीने से लगाते हुये बोला- अपने आप को संभालो राजवीर अभी हमें उस शख्स को कड़ी से कड़ी सजा दिलानी है जिसने ये घटिया काम किया है!! (गुस्से से दांत भींचकर उदय बोला) छोडुंगा नहीं मै उसको जिसने इतनी सारी हंसती खेलती जिंदगियां बर्बाद करी हैं, कहां मिलेगा ये जुबैर!!?

राजवीर रोते हुये बोला- पता नहीं सर.. मुझे नहीं पता कि वो कहां रहता है!!

राजवीर को ऐसे दुख करके रोते देख जहां एक तरफ उदय का सीना जैसे छलनी हुआ जा रहा था वहीं दूसरी तरफ वहां खड़े बाकि के पुलिस वालों की आंखों में भी जुबैर के लिये खून उतर आया था, राजवीर की बात सुनकर एक पुलिस वाला बोला- सर अंदर कॉटेज में या बाकि कमरों में चेक करते हैं शायद कहीं से कोई सुराग मिल जाये और पता चल जाये कि जुबैर कहां रहता है!!

इसके बाद वो लोग उस सामने वाले कॉटेज और उसके बगल में बने कमरों में जा कर टिपिकल पुलिसिया स्टाइल में हर जगह की बारीकी से जांच करने लगे, जांच के दौरान उन्हे वहां पर लकड़ी की एक अलमारी दिखी जिसमें लॉक बंद था और कहते हैं ना कि पुलिस वाले अपनी पर आ जायें तो बाल की भी खाल निकाल कर उसमें भी गांठ बांध देते हैं बस उसी तरह इतनी लाशें देखकर वो पुलिस वाले अपनी पर आ चुके थे!

तलाशी कर रहे पुलिस वालों में से एक ने डॉग स्क्वायड वालों से कुदाल ली और बहुत कस कस के इतनी जोर से तीन चार वार किये कि उस लकड़ी की अलमारी का ताला तो क्या दरवाजा ही टूट कर अलग हो गया, इसके बाद जब उन लोगों ने देखा तो उस अलमारी में कुछ फाइलें रखी हुयी थीं, उन लोगों ने जब वो फाइलें खोलकर देखीं तो उसमें से एक फाइल में उस फार्म हाउस के कागजों की जीरॉक्स रखी हुयी थी जिसको पढ़कर पता चल रहा था कि वो फार्म हाउस जुबैर के नाम से ही है!! उसी कागज में उन्हे जुबैर के घर का एड्रेस भी मिल गया, उसका घर दिल्ली के ईस्ट पटेल नगर जैसे पॉश इलाके में था!

इसके बाद सारे पुलिस वाले जो अंदर कॉटेज और बाकि कमरों में छानबीन कर रहे थे वो बाहर आये और राजवीर को अभी भी अपने सीने से लगाकर समझा बुझा रहे उदय के पास आकर बोले- सर मिल गया एड्रेस, अभी से दो घंटे के अंदर वो कुत्ता जुबैर हमारी गिरफ्त में होगा!!

इसके बाद उदय ने एंबुलेंस को वहां आने के लिये कॉल कर दिया और चार पुलिस वालों से वहीं रुकने के लिये कहकर और शवों को पोस्टमार्टम और डीएनए मिलवाने के निर्देश देकर बाकि के पुलिस वालों और राजवीर के साथ वहां से चला गया... जुबैर को पकड़ने!!

जो एड्रेस उन्हे फार्म हाउस से मिला था उसके आधार पर जब वो उस एड्रेस पर पंहुचे तो उन लोगों ने देखा कि वो एक बंगला है और उसके बाहर किसी अशफाक अहमद के नाम की नेम प्लेट लगी है, वो नेम प्लेट देखकर राजवीर बोला- ये जुबैर के अब्बू का नाम है!!
चूंकि रास्ते से उदय ने फोन करके और पुलिस फोर्स बुला ली थी इसलिये इस समय जुबैर के घर के बाहर कम से कम सत्तर से अस्सी पुलिस वाले मौजूद थे!!

उदय ने जब डोरबैल बजायी तो उस बंगले के गार्ड ने गेट खोल दिया और जैसे ही गेट खुला वैसे ही उदय और राजवीर के साथ बाहर खड़े पुलिस वालों में से बीस से पच्चीस पुलिस वाले बंगले के अंदर चले गये!!

केस बड़ा था और अपराध उससे भी बड़ा इसलिये उदय की बॉडी लैंग्वेज कुछ ऐसी थी कि अब चाहे जो हो जाये अब तो वो जुबैर को गिरफ्तार करके ही दम लेगा और इसीलिये वो किसी शेर की तरह बिना किसी बात की परवाह किये सारे पुलिस वालों को लेकर जुबैर के घर के अंदर तक घुस गया, इतने सारे पुलिस वालों को इतनी रात में घर के अंदर आया देख जुबैर के पापा, उसके भाई और घर के बाकि लोग हड़बड़ा गये, घर के सारे लोगों का एक ही सवाल था कि "आप लोग अंदर किससे पूछ कर आये?" और हर किसी के इस सवाल का उदय एक ही जवाब दे रहा था "जुबैर कहां है?"

उदय के जुबैर के बारे में इस तरह से पूछने पर उसके अब्बू उदय से बड़े अकड़ते हुये बोले- क्या काम है मेरे बेटे से इतनी रात में, तुम लोग जानते भी हो मैं कौन हूं? तुम लोग अंदर कैसे घुसे?

उदय वैसे ही गुस्से में था इसलिये जुबैर के अब्बू अशफाक की इस बात का जवाब देते हुये वो तमतमाया हुआ बोला- देखो अंकल तुम कौन हो कौन नहीं वो बाद में देख लेंगे लेकिन तुम ये नहीं जानते कि मैं कौन हूं, जल्दी बता जुबैर कहां है?

उदय ने जब देखा कि जुबैर का अब्बू उसे कुछ नही बतायेगा तब उसने साथ आये पुलिस वालों से कहा- एक एक कमरे की तलाशी लो जो कोई भी दिखे उसे यहां मेरे सामने लाओ!!

अशफाक बोला- सर्च वॉरंट कहां है?

उदय खीजते हुये दांत भीचकर तेज आवाज में उससे बोला- साइड हट रहा है नहीं हट रहा है!! दिखांऊ तुझे सर्च वॉरंट अभी, बेटा मर्डर करता फिर रहा है और बाप वारंट मांग रहा है, साइड में हट जा वरना उम्र वुम्र भूल जाउंगा समझा, चल बैठ किनारे!!

उदय अशफाक पर अपनी खीज उतार ही रहा था कि तभी ऊपर पहली मंजिल के एक कमरे से एक पुलिस वाला डरे, सहमे और मोटे से लड़के को कमरे से बाहर खींचता हुआ लाया और उदय से बोला- ये रहा जुबैर सर!!

उदय ने राजवीर की तरफ देखा तो राजवीर पहले से ही उसे देखकर दांत भींचते हुये गुस्से से जैसे फुफकार रहा था, फुफकारते हुये राजवीर जुबैर को देखते हुये चिल्लाया- एहसान फरामोश, गद्दार, हरामखोर.. ये सिला दिया तूने हमारी दोस्ती का!! इंस्पेक्टर यही है वो कमीना जिसने मेरी सुहासी और उसके मम्मी पापा को इतनी बेरहमी से मारा!!

राजवीर से ये पता चलते ही कि यही जुबैर है उदय ने इतना वेट नहीं किया कि ऊपर खड़ा पुलिस वाला जुबैर को लेकर नीचे आ जाये, वो खुद ही गुस्से में पैर पटकता हुआ और जुबैर को गालियां देता हुआ ऊपर गया और उसके जोर से थप्पड़ मारकर और उसकी गर्दन पकड़कर खींचता हुआ उसे नीचे लाने लगा, जुबैर हाथ जोड़ रहा था मिन्नते कर रहा था लेकिन उदय के ऊपर उसकी किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था!!

वो जैसे ही जुबैर को खींचते हुये नीचे लाया वैसे ही राजवीर ने उसे मुक्का मारने की कोशिश करी लेकिन वहां खड़े बाकि पुलिस वालों ने उसे रोक दिया, इसके बाद जुबैर का अब्बू अशफाक और उसके दोनों भाई, बंगले का गार्ड और घर के नौकर दरवाजा घेर कर खड़े हो गये, दरवाजा घेरकर खड़े होने के बाद अशफाक बोला- हम जुबैर को ऐसे नहीं ले जाने देंगे, तुम्हे हमारी लाश पर से होकर गुजरना होगा!!

अशफाक की ये बात सुनकर उदय अपनी पिस्टल निकालते हुये बोला- फिर तो कोई बात नहीं, ये केस तो अभी खत्म हो जायेगा, ना अरेस्ट ना कोर्ट कचहरी का चक्कर, देखो अशफाक मियां सामने से हट जाओ वरना मैं सच में गोली चला दूंगा, मुझे एक बार फांसी होगी लेकिन इस एक को बचाने के चक्कर में तुम सब साले बेमौत मारे जाओगे!!

उदय की बातों और आंखो में खून देखकर दरवाजे पर खड़े सारे लोग एक एक करके सामने से हट गये, इसके बाद उदय जुबैर को घसीटता हुआ वहां से ले जाने लगा कि तभी पाछे से अशफाक बोला- बेटा तू चिंता मत करना मैं आ रहा हूं दिल्ली के सबसे बड़े वकील फहीम अंसारी को लेकर, तू चिंता मत करना!!

उदय घर से बाहर निकलते हुये बोला- दिल्ली के क्या दुनिया के सबसे बड़े वकील को भी ले आयेगा तब भी ये कुत्ता अब लंबा जायेगा!!

इसके बाद उदय... जुबैर और राजवीर को लेकर थाने चला आया!! रास्ते में उदय ने दिल्ली डीजीपी को फोन करके जब सारी बात बताई तो इस केस की गंभीरता को समझते हुये वो भी तुरंत थाने आ गये!!

क्रमशः