पाठकीय प्रतिक्रिया Yashvant Kothari द्वारा पुस्तक समीक्षाएं में हिंदी पीडीएफ

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पाठकीय प्रतिक्रिया

पाठकीय प्रतिक्रिया

पर्दा न उठाओ –सफल व्यंग्य रचनायें

यशवंत कोठारी

 

पर्दा  न उठाओ नाम से आत्मा राम भाटी का नया व्यंग्य संकलन आया है .भाटी  खेल पत्रकारिता में एक जाना पहचाना नाम है ,उनके इस व्यंग्य संग्रह को पढ़ कर लगा  कि वे व्यंग्य के क्षेत्र में भी कमाल कर सकते हैं.पिछले दिनों उनको जयपुर में सम्मानित किया गया तो उनसे बातचीत हुई.उनकी पुस्तक भी तभी मिली.पढ़ी .पुस्तक पर व्यंग्य के महारथियों के आशीर्वचन है जो बताते हैं की भाटी का लेखन काफी आगे जायगा .मैं भी इन सम्मतियों से सहमत हूँ.

भाटी  के विषय आम आदमी के विषय है वे आम आदमी की पीड़ा को व्यक्त करते हैं. भाटी  कथा के ताने बने के साथ अपनी बात कहते हैं ,जो पाठक को सुहाती है और कथा के साथ  पाठक बह जाता है .सीधे सादे शब्दों में  भाटी जी गहरी बात कहते हैं.अच्छा लिखना मुश्किल है लेकिन भाटी  जी यह काम निपुणता के साथ करते हैं .

यातायात नियम और घमंडीलाल .सरकारी नौकरी के फायदे ,चूहों की महापंचायत .विदेशी का चस्का गंभीर व्यंग्य की रचनाएँ है जो पाठकों के दिल में उतर जाती है.

व्यंग्य में काफी लोग लगे हुए है मगर भाटी  जी अपनी तरह का अलग ही लिखते हैं. उनके लेखन के औजार सामान्य है मगर वे इस सामान्य औजारों से सपाट बयानी नहीं  करते ,वे  इन समान्य  औजारों से विसंगतियों को आप के सामने नंगा करते हैं फिर आप को सोचने को मजबूर करते हैं.

पर्दा न उठाओ पढ़ कर मैं भाटी  जी के लेखन के प्रति आश्वस्त हूँ .उनको बधाई. कीमत ज्यादा है .

पर्दा न उठाओ – लेखक -आत्मा राम भाटी, प्रकाशक इंडिया नेट बुक्स ,नोएडा
यशवन्त कोठारी ,701, SB-5 ,भवानी सिंह  रोड ,बापू नगर ,जयपुर -302015  मो.-94144612 07

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पाठकीय प्रतिक्रिया

 

खाली- पीली –बकवास –बकवास नहीं हकीकत

यशवंत कोठारी

 

प्रदीप उपाध्याय का  नया व्यंग्य संग्रह  –खाली पीली बकवास के नाम से आया है .

प्रदीप जी वित्त विशेषज्ञ है ,उनके १२ व्यंग्य संकलन  सहित १८ पुस्तकें आई है .राजस्थान के अजमेर राज्य के पूर्व मुख्य मंत्री हरी भाऊ उपाद्द्याय के परिवार से है.विनम्र व म्रदु भाषी लेखक से लम्बी बात चीत जयपुर में हुई थी .उनका यह नया संकलन पढ़ कर लगा वे निरंतर अच्छा  लिख रहे हैं. इस से पहले उनका सठियाने की दहलीज़ पर भी पढ़ा था .व्यंग्य की तिरपाल  भी पढ़ा था .

देश के कर्णधारों की और वे देखते हैं और निराश होते हैं.इन्सान को आत्मा कचोटती है ,आत्मा की चमड़ी भी मुटा गयी है .विसंगति की और इशारा करना खाली पीली बकवास ही तो है .लेकिन लेखक को अपना काम करते रहना चाहिए .

कुछ रचनाओं के शीर्षक देखिये प्रदीप जी की बात आप तक पहुँच जायगी .

१-अगले जनम मोहे चमचा ही कीजे

२-बिना सबूत बात न करो

३-किस पंथ के अनुगामी हो

४-तुम सुदामा हो सुदामा ही रहोगे

५-मुफ्त हुए बदनाम

६-खाली -पीली -बकवास

७-कुछ तो न्याय करो दाता

८-आदमी का गिरगिट  हो जाना

९साहबी  का कवच कुंडल

१०-दर्ज हो दर्जे की बात

११-हंगामा क्यूँ है बरपा

बेसन –तेल की जुगाड़ कर ले व्यंग्य  ,गरीब की व्यथा को बताता है .सुदामा सम्बन्धी व्यंग्य आज के सुदामा की व्यथा बताता  है.मोहल्ले के श्वानों पर भी दो  व्यंग्य है .

प्रदीप जी बहु पुरस्कृत है .उनकी अधिकांश रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं में छपती रहती है ,कई व्यंग्य अख़बारों की स्पेस के अनुसार ही लिखे  जाते  है  जो लेखक की मजबूरी भी हो सकती है  और लेखक  की खासियत भी ,यहाँ पर यह लेखकीय विशेषता है . उन की बात कम शब्दों में पूरी हो जाती है प्रदीप जी को नए  संकलन की बधाई. मूल्य अधिक है पेपर बेक के बजाय  हार्ड बाउंड छपे तो उत्तम .कवर पर और मेहनत की जानी  चाहिए  थी. .

खाली पीली बकवास लेखक प्रदीप उपाध्याय  प्रकाशक-न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन मूल्य २२५ रूपये  पेज 120
   यशवन्त कोठारी ,701, SB-5 ,भवानी सिंह  रोड ,बापू नगर ,जयपुर -302015  मो.-94144612 07