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भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव आज वह फिर नस्लवादी कॉमेंट की बर्छियों से घायल होकर घर ल...
भाग 14 " इस औरत के कारण हमारी खानदानी सीट हमारे हाथों से निकल गयी। " ताई जी जब भ...
रौशनी कम होने पर सब को आँख खोलने की कोशिश करते है ओर जो देखते है उनकी आँखे फटी क...
श्रीमद्भागवतगीता के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक (भाग 1) अध्याय 2 श्लोक 14मात्रास्पर्शास...
शर्मा जी : नही बेटा .... मैं नहीं चाहता हूं कोई मजबूरी में खुद को पा कर शादी का...
जानवी ने जब सुना तो वह पीछे की तरफ मुड़ कर देखने लगी, जानवी ने जब पीछे मुड़ का द...
कॉलेज शुरू हुये तीन से चार दिन हो चुके थे इसलिये नये दोस्तों में राजवीर के अलावा...
1. आपका और माँ का सपना पूरा करुंगा"रोशन पुत्र ! तू क्या कर रहा है ?" रोशन के पित...
दो कुछ समय बाद सुष्मिताजी का तबादला दूसरे शहर में हो गया। उन्होंने पहले कोशिश की...
चारू के पापा अजय जानते थे कि राजीव तकलीफ़ में हो और चारू उसका साथ देने ना जाये ऐ...
जब हिंदू धर्मग्रंथों की बात होती है तब श्रीमद्भगवद्गीता का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता को सारे उपनिषदों का निचोड़ माना जाता है। कहते हैं कि यदि उपनिषद गाय हैं तो...
नोट- ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इसका किसी भी तरह से जीवित या म्रत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है, इस कहानी को लिखने का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है| =====&...
आदिकाल से मनुष्य द्वारा स्वप्न देखा जाता रहा है । इस बात का उल्लेख ऋग्वेद व उपनिषदादि धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। स्वप्न सिद्धि के मंत्रों उल्लेख इस बात को पुष्ट करता है किअ काल...
ये कहानी है बनारस की रूही की जो अपनी जिंदगी से परेशान हो चुकी है आप उस की जिंदगी में कोई नही बचा जिसे वो अपना कह सके। और दूसरी तरफ है राजवीर सिंघानिया जो है सिंघानिया ग्रुप कंपनी क...
यह कहानी नफ़रत से प्यार तक की है। जिसमें मुख्य पात्र के रूप में रिया और अजय है। और यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है। ********* “अपने आप को समझते क्या हो तुम कितनी देर से हमारे प...
राघव और तारा, बचपन के पक्के दोस्त जिनकी दोस्ती का आधार बनी गेम पार्लर में खेली जाने वाली वीडियो गेम्स जिसके वो दोनों ही दीवाने थे। बचपन बीता और खेल की जगह ली कैरियर के प्रति उनकी च...
श्यामबाबू ने रात के आठ बजे दिल्ली के रेडलाइट एरिया में सड़क के किनारे, कोई कोना देखकर अपनी गाड़ी पार्क की और दस मिनट तक गाड़ी मेंही बैठा रहा और बैठे-बैठे यही सोचता रहा कि उसके जि...
शहर का सबसे बड़ा वृद्धाश्रम जिसका नाम कुटुम्ब है,जहाँ बहुत से वृद्धजन रहते हैं,उनमें महिलाएंँ और पुरुष दोनों ही शामिल हैं,सभी हँसी खुशी उस आश्रम में रहते हैं,किसी वृद्ध महिला को उसक...
मित्रों ! प्रणाम जीवन की गति बहुत अदभुत है | कोई नहीं जानता कब? कहाँ?क्यों? हमारा जीवन अचानक ही बदल जाता है ,कुछ खो जाता है ,कुछ तिरोहित हो जाता है |हम एक आशा की प्रतीक्षा में खड़े...
मेरी यह कहानी में एक बहन आपने भाई के खातिर अपनी पुरी जिंदगी कुर्बान कर देती है तो शुरू करते हैंएक छोटा सा गांव जिसका नाम है ( सोन पुर ) वही एक घर है जो मिट्टी से बना हुआ था उसी घर...
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