पाठकीय प्रतिक्रिया
यशवंत कोठारी
दहकते बुरांस और मैं
मानवता वादी कहानियां –
साहित्य में कहानी एक महत्वपूर्ण विधा है जो लम्बे समय से पाठकों की पसंद है .इसी क्रम में वरिष्ठ लेखक प्रफुल्ल प्रभाकर का तीसरी कहानी संग्रह आया है जो उनके पिछले दो संग्रहों की तरह ही प्रभावित करता है.
इस किताब में उनकी २६ कहानियां है जो पाठक को बांध लेती है.स्वकथन में लेखक ने ठीक ही लिखा है की मुझे कहानी किआहट आती है और मैं कागज़ कलम लेकर लिखने बैठ जाता हूँ.कहानी समाज की हो जाती है.मेरे संगी साथी मुझे अपने लगते हैं वे मेरे साथ साथ चलते हैं मेरी कहानी के पात्र मुझे अपना समझते हैं.यही बहुत है.मानव मन की गहरी जाँच पड़ताल करती है ,कहानी दहकते बुरांस और मैं .लेखक कवि हो जाता है.शुभचिंतक कहानी गहरी संवेदना की कहानी है जो पाठक को सोचने को मजबूर करती है.अमलतास के सूरज का शीर्षक कुछ अजीब है लेकिन कहानी पढो तो सब कुछ साफ़ हो जाता है.साहित्यकारों की गोष्ठियों का जीवंत चित्रण है यह कहानी साथ ही मेज़बान माहिया के दर्द को भी बयां करती है.शोध की मनोदशा को बताती कहानी विस्मरनीय भी अच्छी कहानी है .मानिक दा कहानी में भी उपरी दबाव में नहीं आने की बात है जो सिद्धांतवादी ही क़र सकता है .परिवर्तन नामक कहानी महानगर की जिन्दगी से रूबरू कराती है.नीड़ का सत्य एक पत्रकार की कहानी है .
विष जल कहानी एक डाक्टर और नर्तकी पर आधारित है जो प्रेम को परिभाषित करती है.प्रेम के बिना जीवन अधूरा लगता है. कुछ अन्य कहानियों के शीर्षक है –
समुद्र पर साँझ
मानुष गंध
ऋतु परिवर्तन
अपर्णा
कटघरों के बीच
दिन
हिमखंड
फिर...
ये सभी कहानियां मानव मन की मनो वैज्ञानिक कहानियां है .सामाजिक परिवेश को समेटती हुई ये रचनाएँ पाठक को आनंद देती है लेखक अपने उद्देश्य में सफल है .वास्तव में आज की कहानी समाज के संकटों को परिभाषित करती है ,और लेखक इसमें सफल है .लेखक अपने मन की बात कहता है और उसे पढ़ कर पाठक का मन भी प्रसन्न होता है .
कुछ कहानिया छोटी है कुछ लम्बी .सभी कहानियां पत्र पत्रिकाओं में छपी है .वैसे भी प्रभाकर जी वरिष्ट लेखक है अकादमी का अमृत सम्मान पा चुके हैं ,उनके उपन्यास भी चर्चित रहे हैं.बहुत सारी कहानियों में अपने विगत जीवन का चित्रण किया गया है कालेज ,युवा जिन्दगी के युवा सपने सब कहानियों का ताना -बाना बनाते हैं पाठक इस को पढता है खुश होता है पाठक को अपने जीवन के दिन याद आ जाते है, यही तो लेखक की सफलता है जिसे केवल पढ़ कर ही महसूस किया जा सकता है .ये कहानियां मनुष्यता की कहानियां है ,जो पाठकों को बांधे रखती है .
पुस्तक को उन्होंने अपनी सहधर्मिणी श्रीमती वृंदा प्रभाकर को समर्पित किया है. जो स्तुत्य है लेखक को बधाई.पुस्तक का मूल्य अधिक हैं . कागज शानदार है कवर भीअच्छा बन पड़ा है. कमज़ोर बाइंडिंग पर प्रकाशकको ध्यान देना चाहिए . ...****************************************
दहकते बुरांस और मैं (कहानी संग्रह ) लेखक-प्रफुल्ल प्रभाकर
प्रकाशक –दीपक प्रकाशन ,जयपुर पेज १४३ मूल्य -४०० रूपये प्रथम संस्करण
यशवन्त कोठारी ,701, SB-5 ,भवानी सिंह रोड ,बापू नगर ,जयपुर -302015 मो.-94144612 07