Shyambabu And SeX - 48 Swati द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Shyambabu And SeX - 48

48

चांदनी 

 

सुजाता की आँखों में आंसू है,  “तुमने नहीं कहा था कि मुझे गायत्री पसंद नहीं, मैं तो अपना जिम खोलने के बाद,  उसे तलाक देकर तुमसे शादी करूँगा।“  “यह झूठ  बोल रही है,”  वह चिल्लाया। गायत्री ने अपने हाथ से सगाई की अँगूठी उतारी और उसके मुँह पर मारते हुए कहा।  “दफा हो जाओ, यहाँ  से । तुम्हारी बिज़नेस डील फ्लॉप हो गई।“  विकास दोनों को घूरता हुआ,  वहाँ  से चला गया। सुजाता ने भी माफ़ी माँगते हुए, गायत्री के आगे हाथ जोड़े तो उसने, उससे भी मुँह फेर लिया। अब वह वही अकेले बैठकर रोने लगी। उनसे थोड़ी दूर खड़ा श्याम यह सब देख रहा था,  अब गायत्री को रोते देखकर उसे रहा नहीं गया और वह उसके पास पहुँच गया।

 

 

गायत्री को उसकी मौजूदगी का एहसास हुआ तो वह आँसू पोंछते हुए बोली,  “तुमने भी तमाशा देख लिया??”

 

इन आँसुओ को बहने दो, पता नहीं इन्हें तुमने कबसे रोक रखा है। अब श्याम की बात सुनकर फूटफूटकर रोने लगी।  श्याम ने उसे अपना कन्धा  दे दिया और उसने उस पर अपना सिर टिका दिया। “मैं ऐसी क्यों हूँ, स्कूल से लेकर अब तक मैं  दूसरों की नज़रो में अपने लिए मज़ाक ही देखती रही हूँ,  मैं ऐसी हूँ तो इसमें मेरी क्या गलती है,  सारे एडजस्टमेंट मैं ही करो।  अब उसने विकास की बिज़नेस वाली बात भी उसे बता दी।  श्याम ने सुना तो उसका  खून खौल गया। उसका मन  किया, वह अभी जाए और उस  विकास का मुँह तोड़ दें। अब काफी देर रोने के बाद, गायत्री का मन हल्का हो गया तो उसने अपना सिर उसके कंधे से उठा लिया । “तुमने मेरा नंबर ब्लॉक क्यों किया था? देखो !!! इस बात को  भी मन में मत रहने देना।“ उसने गायत्री की आँखों में  झाँकते हुए कहा।

 

 

 तुम मुझे स्कूल से ही अच्छे लगते थें और तुमने उस ज्योति के कहने पर मुझसे बात बंद कर दी थीं।

 

“क्योंकि मैं बेवकूफ  था,  मुझे तुम्हारी दोस्ती की कदर नहीं थी।  मैं भी उन लड़को में से था तो तुम्हारे साथ देखे जाने में शर्म करते हैं। ज्योति मुझे दोस्त समझती रही  और मैं उसे समझा न सका कि  तुम भी मेरी अच्छी दोस्त हो और तुममें कोई कमी नहीं है, बस तुम इस शर्म के साथ जी रही हो कि तुम और लड़कियों की तरह नॉर्मल नहीं हो। तुम अजीब हो, बल्कि तुम एक प्रोफेसर,  स्पीकर और ब्लॉगर हो, यह  बनना भी सबके बस की बात नहीं।  तुम्हें  कोई एडजस्टमेंट करने की ज़रूरत  नहीं है।  तुम अपनी पसंद से अपनी ज़िन्दगी जियो। यह दुनिया आज है,  कल नहीं होगी इसलिए इनके हिसाब से अपनी ज़िन्दगी जीने की ज़रूरत नहीं है, “

अब उसने गायत्री के चेहरे को देखा, उसके आँसू सूख चुके हैं। उसके पतले सपाट चेहरे पर गोल सी दो काली आँखे कितनी प्यारी लग रही है। उस पर माथे पर यह बिंदी भी उसे कितना सुन्दर बना रही है। उसके प्यारे छोटे गुलाबी होंठ एक अधखिले कमल जैसे लग रहें हैं। मैंने कभी गायत्री को ध्यान से देखा ही नहीं,  वैसे ही देखा, जैसे दुनिया ने दिखाया। गायत्री भी श्याम को देखे जा रही है,  अब दोनों एक दूसरे के करीब आ गए,  इतने करीब कि श्याम का मन किया कि वह गायत्री के होंठो को चूम लें और उसे अपनी बाहों में लें,  आज उसे लग रहा है कि उसे किसी गाइड की आवश्यकता नहीं है। उसका दिल और दिमाग उसे गज़ब  की हिम्मत दे रहा है।  तभी पार्क में बच्चो के खेलने से शोर मचा और दोनों को एक दूसरे का होश आया।

 

थँक्स श्याम !!! वह मुस्क़ुरा दिया।  अब उसने घड़ी में  टाइम देखा, तो वह जाने को हुआ?

 

कहाँ जा रहें हो?

 

साथ चलोगी ?? उसने सिर हिला दिया।

 

अब श्याम की गाड़ी रेडलाइट एरिया में पहुँच गई और वह गायत्री को लेकर चांदनी के कमरे के बाहर  खड़ा है।