Shyambabu And SeX - 3 Swati द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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Shyambabu And SeX - 3

3

वो आ गई!!!

 

अब श्याम ने अपनी ज़ेब से रूमाल निकाला और मुँह पर बाँधकर चुपचाप  पीछे की सीढ़ियों से  उतर गया । इंस्पेक्टर के जाते  ही चाँदनी ने दूसरे कमरे में  झाँका और हँसते हुए बोली,  “पता नहीं, कहा कहा से आ जाते हैं, मुझे पहले ही इसके लक्षण ठीक नहीं लग  रहें थें।“  

वह सड़क पर दौड़ता हुआ अपनी गाड़ी तक पहुँचा और उसमे बैठते हुए जल्दी से गाड़ी वहाँ से निकाल ली। अब एक पेट्रोल पंप के पास गाड़ी रोक दी,  यह पेट्रोल पंप उसके घर से ज्यादा दूर नहीं है। उसने गहरी सांस ली फिर  बुझे मन से पेट्रोल डलवाया और पंप के पास की एक दुकान से फ्रूट बियर लेकर वहीं खड़ा हो गया। अभी वह  बियर ही पी रहा है कि उसकी नज़र एक जाने पहचाने चेहरे पर गई। उस चेहरे ने भी उसे पहचान लिया,  वह कोई नहीं बल्कि उसकी कॉलोनी में रहने वाली माधुरी है। माधुरी हाथ में  बैग पकड़े,  उसके पास आ गई।

 

श्याम तुम यहाँ?

 

हाँ,  पेट्रोल डलवाने आया था पर तुम ? और यह बेग? उसने हैरानी से पूछा।

 

मेरी सहेली पिंकी है न, वो मनीष के साथ भाग रही है और मैं उसकी मदद कर रहीं हूँ। 

 

अच्छा! पर क्यों?

 

वहीं घरवालो की फालतू सोच, जात-पात, लड़का कमाता क्या है,  वैगरह !! वैगरह !! ? उसने मुँह बनाते हुए कहा।

 

पर यह बैग तुम्हारे पास क्यों है?

 

अरे !! उसके घरवालों को शक  हो जाएगा इसलिए उसने पहले ही मेरे पास रखवा दिया। 

 

“हो सकता है,  उसके घरवाले लड़के के बारे में सही सोचते हो।“ “अरे !! छोड़ो न,  हमें  क्या करना है।  तुम  मुझे वो महावीर चौंक तक छोड़ दोंगे। पिंकी और मनीष वहीं मिलेगे।“ अब उसने उसे अपनी गाड़ी में बिठा लिया और दस मिनट के अंदर वो दोनों वहाँ पहुँच गए। अच्छा,  “तुम्हारे पास कुछ पैसे है, जल्द ही वापिस कर दूँगी?”

 

कितने चाहिए?

 

“यही कोई पाँच हज़ार !!!” उसने अपनी  जेब टटोली और पाँच  हज़ार उसे पकड़ा दिए। फिर उसकी आँखों में  देखते हुए बोला,” मुझे तुमसे बहुत उम्मीदे है, माधुरी।“

 

उसने प्यार से उसके गाल पर हाथ रखकर कहा,  मैं कल रात को आती हूँ। उसने भी उसका हाथ पकड़कर पूछा,  “पक्का!!!?”

 

पक्का !!! अब वह उसे बाय !!! बोलकर  गाड़ी से उतर गई। श्याम ने भी हाथ हिलाया। तभी मनीष आया और वो उसके साथ बाइक पर बैठकर चली गई। वह श्याम बाबू  ने गाड़ी घर की तरफ घुमा  दी।

 

घर के अंदर घुसा तो अम्मा आँगन में  चारपाई पर लेटे-लेटे  बोली,  “श्यामबाबू खाना खाओगे??” कितनी बार कहा है,  “मुझे श्याम कहा करो। बाबू कह कहकर बाबू बना दिया है“ वह चिल्ला पड़ा।“ अरे !!! तुम्हारे बाप का नाम ही तो लगाया है,  उमेशबाबू का बेटा,  श्यामबाबू।“ “खाना बना पड़ा है,  मन हो तो खा लेना, मैं सो रही हो । “हर वक्त सोती रहती हो,  मुझे पैदा करते समय भी अपने उमेश बाबू को कह देती कि मैं सो रही हूँ।“ उसने खींजते हुए कहा। “तुम्हारे बाबा,  तूफान मेल थें,  रोके नहीं रोके थें” “फिर मुझे क्यों जंग लगा पड़ा है।“ “मतलब?” “सो जा दमयंती सो जा!!!” अब वह अपने कमरे में जाने के लिए सीढियाँ  चलने लगा। “माँ को नाम से बुलाता है,  बेशर्म कही का।“ यह कहकर दमयंती ने आँखे बंद कर ली।

 

श्याम ने कपड़े बदलकर  बिस्तर पर लेट गया और अब माधुरी के बारे में  सोचने लगा, उसके ख्यालों में उसका चेहरा आने लगा, ‘एक माधुरी है, जो मुझे परम आनंद दे सकती है।‘ उसने मुस्कुराते हुए आँख बंद कर ली।

 

करीब आंधी रात को उसके फ़ोन की घंटी बजी।  माधुरी का नंबर देखकर,  वह चौंका, उसने अपना चश्मा पहना और फ़ोन उठा लिया,

 

माधुरी !!! सब ठीक है?

 

मैं तुम्हारे घर के नीचे खड़ी हूँ, दरवाजा खोलो।

 

क्या !!! वह उठकर बैठ गया। तुम तो कल आने वाली थी।

 

“आज आ गई हूँ। जल्दी आओ, वरना वापिस चली जाऊँगी।“ “नहीं! नहीं मैं आता हूँ।“ माधुरी आ गई!!!! मेरी माधुरी आ गई!!!” वह अब जल्दी से चप्पल पहनकर नीचे जाने लगा।